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Best Essay on Unemployment in Hindi 2023: बेरोजगारी पर निबंध

बेरोजगारी पर निबंध | बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi | Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Berojgari Essay in Hindi)

बेरोजगारी पर निबंध (Essay on Unemployment in Hindi): बेरोजगारी, एक ऐसी समस्या है जो आजकल हमारे समाज के मुख्य चर्चा के विषयों में से एक है। युवा पीढ़ी के लिए रोजगार की अवसरों की कमी ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। विभिन्न क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या ने युवाओं के भविष्य की कल्पनाओं को क्षीण करने का काम किया है। आज हम बेरोजगारी पर निबंध लिखने सीखेंगे। इस “बेरोजगारी की समस्या पर निबंध” में हम बेरोजगारी की मुख्य कारणों और समस्या के समाधान पर विचार करेंगे।

बेरोजगारी पर निबंध 150 – 200 शब्दों में ( Short Essay on Unemployment in Hindi)

बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो आजकल हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह समस्या न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हमारे युवा जन पर प्रभाव डाल रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी इसका परिणाम दिख रहा है। दूसरे शब्दों में बेरोजगारी की समस्या को राष्ट्रीय समस्या कहना गलत नही होगा।

बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी प्रगति और उद्योगों के न के बराबर विकास की अवस्था है। नौकरीयां उपलब्ध नहीं होने के कारण युवा पीढ़ी निराश हो रही है और उनकी प्रतिभा बेकार जा रही है। बेरोजगारी के कारण युवाओं का आत्मविश्वास घट सकता है और समाज में असहमति और असमानता की भावना पैदा हो सकती है। युवा अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं और कुछ तो गलत रास्ते पर भी चलने को मजबूर हो रहे हैं।

इस समस्या का समाधान हमें औद्योगिकीकरण, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में नए योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार को युवाओं के लिए रोजगार सृजन के उपायों पर विचार करना चाहिए और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। सिर्फ परंपरागत शिक्षा से अब काम नहीं चलेगा बल्कि अब कुशलता परक शिक्षा योजना पर बल देना चाहिए।

अंत में, हमें बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और समस्या के समाधान के लिए तेज़ गति से कदम उठाने चाहिए। यह समस्या सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि देश की समृद्धि और विकास के लिए भी हानिकारक है।

बेरोजगारी पर निबंध PDF (PDF of Essay on Unemployment in Hindi)

हमने बेरोजगारी पर निबंध का PDF उपलब्ध कराया है। विद्यार्थी इस बेरोजगारी पर निबंध PDF download करके इसका प्रिंट निकाल सकते हैं। यह बेरोज़गारी की समस्या पर निबंध लिखने में आपसब के लिए बहुत सहायक होंगे।


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बेरोजगारी पर निबंध 1000+ शब्दों में ( Essay on Unemployment in Hindi)

प्रस्तावना

बेरोजगारी अथवा बेकारी हमारे देश की बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो योग्यता रखने पर भी और कार्य की इच्छा रखते हुए भी रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता। शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्षम होते हुए भी जब योग्य व्यक्ति बिना किसी काम के रहता है तो उस स्थिति को बेरोजगार की संज्ञा दी जाती है। बेरोजगारी समाज के लिए अभिशाप है इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है।

बेरोजगारी के प्रमुख कारण

बेरोजगारी के अनेक कारण हो सकते हैं, भारत में बेरोजगारी बढ़ने के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं:

  • जनसंख्या वृद्धि
  • मशीनीकरण
  • कुटीर उद्योग में गिरावट
  • कृषि क्षेत्र का पिछड़ापन
  • दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली

जनसंख्या में वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती, क्योंकि रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित है। जिस हिसाब से जनसंख्या में वृद्धि हुई उस हिसाब से उद्योग और उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई जिससे बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 6 बिलियन से अधिक हो चुकी है और हमारा देश भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को भी पीछे छोड़ चुका है। भारत में यदि जनसंख्या में इसी प्रकार निरंतर वृद्धि होती रहेगी तो आने वाले समय में यह समस्या एक विकराल रूप ले लेगी।

मशीनीकरण

मशीनीकरण से आशय कार्यों को पूरा करने के लिए मशीनों के उपयोग से है। पहले रोजगार के आधे से ज्यादा कार्य लोगों द्वारा पूरे किए जाते थे और बेरोजगारी जैसी समस्या कम ही थी। परंतु वर्तमान में लगभग सभी कार्य मशीनों द्वारा ही किए जाते हैं। मशीन आदमी की तुलना में अधिक कुशलता से एवं अधिक गुणवत्ता से कम कीमत पर कार्य संपन्न कर देती हैं अतः स्वाभाविक रूप से आदमी को हटाकर मशीन से काम लिया जाने लगा। फिर एक मशीन सैकड़ों श्रमिकों का काम अकेले ही कर देती है, परिणामत: मशीनीकरण से कई लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि होने लगी है।

लघु एवं कुटीर उद्योगों का ढीला विकास

आजादी के पूर्व लघु एवं कुटीर उद्योग भारी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते थे परंतु आजादी के बाद से इन उद्योगों की उपेक्षा कर दी गई और बड़े उद्योगों को लगाने को महत्व दिया गया। बड़े-बड़े कपड़े के मिलो के खुलने से हथकरघा उद्योग चौपट हो गया इसी तरह चूड़ी, धागे, खिलौने, कोल्हू के बैल से तेल पेरना जैसे उद्योगों को औद्योगिकीकरण ने चौपट कर दिया है और भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं।

कृषि क्षेत्र का पिछड़ापन

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसमें देश के 70% लोगों को खेती से जुड़े व्यवसाय से रोजगार प्राप्त होता है तो स्वाभाविक है कि अगर देश में कृषि का विकास होगा तो देश में रोजगार में बढ़ोतरी आएगी। लेकिन कई कारणों से हमारे देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति नहीं हो पा रही है। कृषि क्षेत्र का विकास की गति धीमी होने के कारण कृषि कोई करना नहीं चाहता क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है। कृषि में किसान केवल 6 महीने के लिए ही सक्रिय होते हैं लेकिन बाकी के 6 महीने बिना काम के बेकार रहते हैं। इसलिए हमारे देश में किसानों की दुर्दशा दयनीय है, किसान सबसे पिछड़े हैं। इसलिए हमारे देश में बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्या समाज के हर स्तर पर पैदा हुई है। सरकार द्वारा कृषि को विशेष प्रोत्साहन एवं सुविधाएं देना चाहिए जिससे युवा गांव को छोड़कर शहरों की ओर ना जाए।

दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली

दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली बेरोजगारी का एक मुख्य कारण है। स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा का अधिक विस्तार हुआ है। परन्तु यह शिक्षा मुख्यतः पुस्तकीय है। अतः इस शिक्षा को प्राप्त करते छात्रों में किसी व्यवसाय अथवा व्यापार करने की क्षमता नहीं है। यह केवल सरकारी नौकरी चाहते हैं। यह शारीरिक श्रम नहीं करना चाहते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक परामर्श की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यार्थी जो भी शिक्षा प्राप्त करते हैं, वह व्यवसाय से परे, उद्देश्य रहित होती है.अतः शिक्षार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा व्यवसाय पर परामर्श भी देना चाहिए। इस प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी बेरोजगारी की एक विशेष समस्या है। शिक्षा नीति इस प्रकार की होना चाहिए के छात्र में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी खोजने की नहीं अपितु नौकरी देने की क्षमता हो।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम

बेरोजगारी की वजह से गंभीर सामाजिक,आर्थिक तथा मानसिक दुष्परिणाम होते हैं। इससे न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। बेरोजगारी के कुछ प्रमुख परिणाम हैं जैसे गरीबी में वृद्धि। यह कथन बिल्कुल सत्य है कि बेरोजगारी दर में वृद्धि से देश में गरीबी की दर में वृद्धि हुई है। देश के आर्थिक विकास को बाधित करने के लिए बेरोजगारी मुख्यतः जिम्मेदार है।
अपराध दर में वृद्धि भी बेरोजगारी का एक दुष्परिणाम है। एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थ बेरोजगार आमतौर पर अपराध का रास्ता लेता है। क्योंकि यह पैसा बनाने का एक आसान तरीका है। चोरी, डकैती और अन्य भयंकर अपराधों के तेजी से बढ़ते मामलों के मुख्य कारणों में से एक बेरोजगारी है।
श्रम का शोषण भी बेरोजगारी का ही एक परिणाम है कर्मचारी आमतौर पर कम वेतन की पेशकश कर बाजार में नौकरियों की कमी का लाभ उठाते हैं। अपने कौशल से जुड़ी नौकरी खोजने में असमर्थ लोग आमतौर पर कम वेतन वाले नौकरी के लिए भी तैयार हो जाते हैं। कर्मचारियों को प्रत्येक दिन निर्धारित समय से भी ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बेरोजगार लोगों में असंतोष का स्तर बढ़ता है जिससे यह धीरे-धीरे चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बदलने लगती हैं।

बेरोजगारी को कम करने के उपाय

  1. बेरोजगारी को कम करने के लिए सर्वप्रथम हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करना पड़ेगा। हाईस्कूल तक सामान्य साक्षरता के बाद में व्यवसायिक शिक्षा का व्यापक प्रबंध करना चाहिए। व्यावसायिक शिक्षा इस प्रकार होनी चाहिए शिक्षा पूरी करने के बाद नवयुवक अपनी रूचि के अनुसार रोजगार तलाश करने के बजाय अपना छोटा मोटा काम शुरू कर सकें, इससे देश में बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।
  2. रोजगार को कम करने के लिए लघु और कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना आवश्यक है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित उद्योग रोजगार प्रदान करते हैं इसमें पूंजी कम लगती है और यह परिवार के सदस्यों द्वारा ही संचालित हो सकते हैं। इसके द्वारा बेकार बैठे किसान और उनके घर के सदस्य अपनी क्षमता, श्रम, कला कौशल और छोटी जमा राशि का उपयोग कर अधिक आय और रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। सरकार को इनके विकास के लिए पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।
  3. बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाना होगा क्योंकि जनसंख्या के निरंतर बढ़ने से देश में अपेक्षाकृत काम कम मिल रहा है। जबकि श्रमिकों की तादाद में भारी वृद्धि हो रही है। अतः जनसंख्या में लगातार वृद्धि होना बेरोजगारी का एक मुख्य कारण बन गया है।
  4. कृषि में विभिन्न नए कार्यक्रम और सरकारी योजनाएं लागू करना चाहिए। बहु-फसल योजना, उन्नत बीज,उर्वरक, कृषि यंत्रों का उपयोग, नई तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए। सिंचाई योजनाओं का विस्तार होना चाहिए। इससे कृषि आय बढ़ेगी और रोजगार सृजन हो सकेंगे।
  5. बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना। यदि अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी। जिससे बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।

कोविड-19 का बेरोजगारी पर प्रभाव (Unemployment in the time of COVID-19)

कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में असीमित दुष्परिणाम दिया है, लेकिन इसने आर्थिक संदर्भ में भी गंभीर क्षति पहुचायी हैं, खासकर बेरोजगारी के क्षेत्र में। कोविड-19 के समय में बेरोजगारी और बढ़ गयीं। कोविड-19 महामारी ने व्यवसायों, उद्योगों और विभिन्न क्षेत्रों में विस्थापन की कई स्थितियों का परिणामस्वरूप बेरोज़गारी में वृद्धि को उत्पन्न किया है।

कई व्यवसायों के बंद होने, उद्योगों के कम काम की वजह से लाखों लोग बेरोज़गार हो गए हैं। खासकर नौकरी करने वाले वर्ग के लोगों के लिए यह समय काफी कठिन है, क्योंकि नौकरी की खोज में कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

निष्कर्ष / उपसंहार

बेरोज़गारी किसी भी देश के लिए बहुत गम्भीर समस्या होती है। बेरोजगारी समाज को ख़राब एवं लोगो में असंतोष की भावना पैदा करती है। यह ऐसी सामाजिक समस्या है जोकि नए प्रकार की समस्या को जन्म देने का कारण भी है जैसे: चोरी, अवैध कार्य, नशाखोरी एवं हत्या इत्यादि। बेरोज़गार व्यक्ति समाज एवं परिवार में प्रताड़ना झेलकर गलत व्यक्तियों के लिए काम करने लगता है। वैसे सरकार भी बेरोज़गारी को खत्म करने के लिए उचित कदम उठा रही है।
यह सही है कि बेरोजगारी देश में बहुत बढ़ गई है लेकिन सच्चाई यह भी है कि रोजगार की भी कोई कमी नहीं है। आपकी चाहे जो योग्यता हो रोजगार करने और उसमें सफल होने के लिए केवल 2 चीजें चाहिए लीक से हटकर थोड़ा अलग “नजरिया” और “हौसला”। यदि बेरोजगारी को काबू कर लिया जाए तो हमारी बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जाएंगी।
एक बात स्पष्ट है कि बेरोज़गारी के प्रभाव को समझते हुए हमें और सरकार को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि हम बेरोज़गारी के प्रति समस्याओं का समाधान निकाल सकें और लोगों को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकें।

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Essay on Teachers Day in Hindi): शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) एक ऐसा समय है जो हम सभी छात्रों को अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करने का मौका देता है। शिक्षक अर्थात अध्यापकों का मानव जीवन को उत्कृष्ट बनाने में बहुत बड़ा योगदान है। वो शिक्षक ही हैं जो अपनी शिक्षा से समाज को डॉक्टर,इंजीनियर, आर्किटेक्ट, पुलिस , नेता आदि देता है। शिक्षक उस मजबूत आधार की तरह है जिस पर हमारी समाज रूपी विशालकाय इमारत खड़ी है। आज हम शिक्षक दिवस पर निबंध लिखेंगे। जैसा कि आप सब जानते हैं, शिक्षक दिवस हर साल 5 सितम्बर को हमारे देश में मनाया जाता है और इस दिन स्कूल और कॉलेजों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दिन शिक्षक दिवस पर निबंध प्रतियोगिता, शिक्षक दिवस पर 10 लाइन निबंध, शिक्षक दिवस पर भाषण प्रतियोगिता, पैराग्राफ राइटिंग, शिक्षक दिवस पर ड्राइंग प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है। आज के इस Teachers Day Essay in Hindi से आप इन सभी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं और साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि “शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?”, “शिक्षक दिवस का क्या महत्त्व है?”, “शिक्षक दिवस पर शिक्षक को क्या बोलना चाहिए?” और “5 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?” आदि। तो आये शुरू करते हैं, शिक्षक दिवस पर निबंध हिन्दी में:

शिक्षक दिवस पर निबंध (Teacher’s Day Hindi Essay)

प्रस्तावना

गुरु शिष्य परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। दुनिया में माता-पिता के बाद सबसे बड़ा कोई रिश्ता होता है तो वह गुरु शिष्य का होता है। खासकर इसे भारतीय संस्कृति में अनमोल माना जाता है। हमारे जीवन को संवारने में तथा ज्ञान का पाठ पढ़ाने में शिक्षक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवन के हर पड़ाव में गुरु का ज्ञान हमारे लिए सहयोगी होता है। जीवन का असली अर्थ गुरु से ही सीखने को मिलता है। उन्हीं के सम्मान में हम हर साल शिक्षक दिवस मनाते हैं। यह दिन गुरुओं को समर्पित होता है। गुरु से ही हमें ज्ञान ,कौशल, विश्वास, आत्मनिर्भरता आदि की प्राप्ति होती है। हमें जन्म मां देती है पर हमें ज्ञान का पाठ पढ़ा कर इस संसार में जीने योग्य इंसान गुरु बनाते हैं। गुरु ही हमारे जीवन को आकार देते हैं।

शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे। जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन किया। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और अपने जन्मदिन पर हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। तभी से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षकों को सम्मान देने और डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके जन्म दिवस पर याद करने के लिए हर साल पूरे भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
शिक्षक को परिभाषित करना असंभव है क्योंकि शिक्षक केवल छात्रों को पढ़ाने या उनकी मार्गदर्शन करने तक ही सीमित नहीं है। शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन में वास्तविक कुम्हार होते हैं। वह न केवल विद्यार्थी के जीवन को आकार देते हैं बल्कि उन्हें इस काबिल बनाते हैं कि वह पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाशित रहे।

शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?

शिक्षक दिवस मनाने के अलग-अलग तरीके हैं। विद्यार्थी अपने शिक्षकों को बधाई देने के लिए तरह-तरह की योजना बनाते हैं। बच्चे व शिक्षक दोनों ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, इंस्टीट्यूट सहित अलग-अलग संस्थाओं में शिक्षक दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पूरे भारत में शिक्षक दिवस का कार्यक्रम बड़ी उत्साह तथा धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थियों अपने पसंदीदा शिक्षकों की वेशभूषा धारण करके उनके प्रति सम्मान भी प्रकट करते हैं तथा उनका अनुसरण करते हैं। सभी छात्र शिक्षकों का सम्मान करते हुए उन्हें फूलों का गुलदस्ता, डायरी, ग्रीटिंग कार्ड, कलम आदि भिन्न-भिन्न प्रकार के उपहार भी देते हैं। बच्चे अपने शिक्षक के लिए नाटक तथा नृत्य के कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। उनके लिए भाषण भी तैयार करते हैं तथा शायरी भी बोलते हैं। भारत सरकार द्वारा कुछ विशेष शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया जाता है। इस प्रकार सभी विद्यार्थी अपने शिक्षकों को दिल से धन्यवाद करते हैं।

शिक्षक दिवस का महत्व

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े,
काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने,
गोविंद दियो बताए।”

शिक्षक दिवस किसी भी विद्यार्थी के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। दुनिया का सबसे कठिन काम है शिक्षण। क्योंकि एक शिक्षक के ऊपर कई छात्रों का भविष्य निर्भर करता है और उसकी जिम्मेदारी होती है कि प्रत्येक छात्र के भविष्य का निर्माण करें। जैसा कि हम जानते हैं प्रत्येक छात्र में अलग-अलग प्रकार की क्षमता होती है। उनके सोचने का तरीका अलग होता है। ऐसे में शिक्षक को प्रत्येक छात्र की क्षमता के अनुसार उनके करियर को बनाने के लिए योजना पर काम करना पड़ता है। इसलिए शिक्षक का काम आसान नहीं होता है। हमारे जीवन के प्रत्येक मोड़ पर कोई न कोई शिक्षक की अहम् भूमिका निभाता है। हमारे जीवन में शिक्षक का बहुत ही बड़ा स्थान है। वास्तव में देखा जाए तो गुरु को ईश्वर के समान ही दर्जा प्राप्त होता है। उसका स्थान सदैव आदरणीय ही रहेगा। बच्चे का भविष्य और वर्तमान दोनों ही एक शिक्षक बनाता है। जीवन भर अच्छे विद्यार्थियों का निर्माण करके एक अच्छे समाज को बढ़ावा देता है इसलिए देश के भविष्य और युवाओं के जीवन की जिम्मेदारी शिक्षक को ही दी जाती है।

शिक्षक दिवस का उद्देश्य

शिक्षक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के जीवन को सही दिशा देने वाले देश के सभी गुरु और उनके महत्वपूर्ण कार्यों को सम्मान देना है। इसके साथ ही भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षकों के प्रति जागरूकता फैलाना भी है। हर एक सफल व्यक्ति के पीछे उसके शिक्षक का हाथ होता है। वह व्यक्ति अपने शिक्षक के बताए रास्ते पर चलकर अपनी सफलता प्राप्त करता है। शिक्षक का हर किसी के जीवन में बहुत ही महत्व होता है अतः हम सभी को शिक्षकों के सम्मान, उनके प्रयास और उनके योगदान की सराहना करनी चाहिए और उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए।

उपसंहार

गुरु शिष्य का रिश्ता बेहद पवित्र एवं अनूठा रिश्ता होता है। जिसमें एक शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने शिष्यों को पढ़ाता है और एक अभिभावक की तरह अपने छात्र की सफल जीवन की कामना करता है। किंतु वर्तमान समय में गुरु शिष्य का रिश्ता महज औपचारिकता बन गया है एवं शिक्षक व्यवसाय सिर्फ एक पेशा बन चुका है।, जिसमें तमाम शिक्षक पैसों की लालच में छात्र के भविष्य को अंधकार में डाल रहे हैं। जिससे शिक्षक और शिष्य के रिश्ते की गरिमा घट रही है। छात्रों और शिक्षकों दोनों का फर्ज है कि इस रिश्ते के महत्व को समझें एवं गुरु शिष्य की परंपरा को कायम रखने में अपनी भागीदारी निभाएं। शिक्षक दिवस शिक्षकों को अपने दायित्व को याद दिलवाने एवं छात्रों को अपने गुरुओं के सम्मान की याद दिलाता है। इसलिए शिक्षक दिवस गुरु शिष्य दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


“शिक्षक है युग के निर्माता।
छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता।।”


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हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर निबंध प्रतियोगिता | हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? | Essay on Hindi Diwas | Simple Essay on Hindi Diwas in Hindi | Why We Celebrate Hindi Diwas?

हिंदी दिवस पर निबंध (Essay on Hindi Diwas): हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है। भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को व्यक्त करता है और यह भाषा ही है जो मानव जाति को विकास यात्रा को इतना आगे लेकर आयी है। हम भारतीयों के लिए हिंदी भाषा सर्वोपरि है क्यूंकि यह हम सभी को एक सूत्र में जोड़े हुए है। 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। हिंदी दिवस (14 सितम्बर) एक ऐसा समय है जो हम सभी छात्रों को अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति आभार प्रकट करने का मौका देता है।

आज हम हिंदी दिवस पर निबंध लिखेंगे। जैसा कि आप सब जानते हैं, हिंदी दिवस हर साल 14 सितम्बर को हमारे देश में मनाया जाता है और इस दिन स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दिन हिंदी दिवस पर निबंध प्रतियोगिता, हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिता, पैराग्राफ राइटिंग, हिंदी दिवस पर ड्राइंग प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है। आज के इस टीचर्स डे एस्से की सहायता से आप इन सभी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं और साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि “हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें”, “हिंदी दिवस के बारे में क्या लिखें?”, “हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?”, “हिंदी दिवस मनाने का कारण क्या है?”, “हिंदी दिवस का क्या महत्त्व है?”, “हिंदी दिवस पर (भाषण) स्पीच कैसे बोले?” और “14 सितंबर को हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?” आदि। तो आये शुरू करते हैं, हिंदी दिवस पर निबंध हिन्दी में:

हिंदी दिवस पर निबंध (1000 शब्द)

प्रस्तावना

“इस भाषा से हमारी पहचान है, हिंदी भारत की शान है”

भारत देश में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी हमारे स्वाभिमान और गर्व की भाषा है। हिंदी ने हमें विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। आज, हिंदी विश्व में बोलने जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा भी है। भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न तरह की भाषाएं बोली जाती है। भिन्न-भिन्न भाषाओं के होने की कारण यहां के औपचारिक कार्यों में यह तय कर पाना कठिन हो जाता है कि किस भाषा में सभी औपचारिक कार्य किए जाए। इसी वजह से हिंदी को एक मुख्य भाषा के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई है।

हिंदी दिवस का इतिहास

भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था क्योंकि भारत में हजारों भाषाएं और सैकड़ों बोलियां बोली जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया की हिंदी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को 1950 के अनुच्छेद 343 के तहत देश की अधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। वर्ष 1949 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हिंदी के महत्व व इतिहास के बारे में बताना है और अपनी मातृभाषा के प्रति जागृत करना है। हिंदी को ना केवल देश के हर क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसारित करना है।

हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी दिवस को उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हिंदी हमारे देश की अधिकारिक भाषा बन गई। यह हर साल हिंदी के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह युवाओं को अपनी जड़ों के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है| एक हिंदुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिंदी तो आनी ही चाहिए साथ में हिंदी का सम्मान भी करना सीखना होगा। हिंदी दिवस देशभक्ति की भावना के लिए प्रेरित करता है। हिंदी दिवस का विशेष महत्व है कि यह हमें हमेशा याद दिलाता रहता है कि हिंदी हमारी अधिकारिक भाषा है और हमें अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करना चाहिए।

हिंदी दिवस का उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में 1 दिन इस बात को लोगों के समक्ष रखना है कि जब तक वे हिंदी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता। इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। कई लोग अपने सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेजी भाषा के शब्दों का उपयोग करते हैं, जिससे धीरे-धीरे हिंदी के अस्तित्व को खतरा हो रहा है। जिस प्रकार से टेलीविजन से लेकर विद्यालयों तक और सामाजिक संचार माध्यम से लेकर निजी तकनीकी संस्थानों एवं निजी कार्यालयों तक अंग्रेजी का दबदबा कायम है उससे लगता है कि अपनी मातृभाषा हिंदी धीरे-धीरे क्षीण और दशकों बाद विलुप्त ना हो जाए। यदि शीघ्र ही हम छोटे-छोटे प्रयासों द्वारा अपनी मातृभाषा हिंदी को अपने जीवन में एक अनिवार्य स्थान नहीं देंगे तो आने वाली पीढ़ी हिंदी भाषा का मूल्य कभी नहीं समझ पाएगी। इसी कर्तव्य हेतु 14 सितंबर के दिन हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं।

हिंदी के पिछड़ने का कारण

आजकल अंग्रेजी के चलते दुनिया भर में हिंदी जानने और बोलने वाले को अनपढ़ या एक गवार के रूप में देखा जाता है या यह कह सकते हैं कि हिंदी बोलने वाले को लोग तुच्छ नजरिए से देखते हैं। यह कतई सही नहीं है हम हमारे ही देश में अंग्रेजी भाषा के गुलाम बन बैठे हैं। हम ही अपनी हिंदी भाषा को वह मान सम्मान नहीं दे पा रहे हैं जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर देशवासियों की नजर में होना चाहिए। हम या आप जब भी किसी बड़े होटल या बिजनेस क्लास लोगों के बीच खड़े होकर, गर्व से अपनी मातृभाषा का प्रयोग कर रहे होते हैं, तो उनके दिमाग में आप की छवि एक गवार की बनती है और यदि हम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं तो गर्व महसूस होने लगता है। इन्हीं कारणों से लोग हिंदी बोलने में घबराते हैं और दिन प्रतिदिन हिंदी भाषा पिछड़ती चली जा रही है। पहले जहां स्कूलों में अंग्रेजी का माध्यम ज्यादा नहीं होता था आज उनकी मांग बढ़ने के कारण देश के बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी में पिछड़ रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें ठीक से हिंदी लिखना और बोलना भी नहीं आता है। भारत में रहकर हिंदी को महत्व ना देना भी हमारी बहुत बड़ी भूल है।

उपसंहार

हिंदी दिवस मनाने का अर्थ है गुम हो रही हिंदी को बचाने के लिए एक प्रयास। कोई भी व्यक्ति अगर हिंदी के अलावा अन्य भाषा में पारंगत है तो उसे दुनिया में ज्यादा ऊंचाई पर चढ़ने की बुलंदियां नजर आने लगती है। चाहे वह कोई भी विदेशी भाषा हो फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश या अन्य और कोई, किंतु यह कतई सही नहीं है। हमें हिंदी भाषा को कम नहीं आंकना चाहिए। हिंदी भाषा को बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है की हिंदी दिवस को स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाए। हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें उसका आदर करना चाहिए तथा प्रत्येक साल इसे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए।

हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा यानी की राजभाषा का दर्जा तो मिल गया लेकिन वह देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी, जिसके लिए आज तक संघर्ष जारी है। यह मानना गलत नहीं होगा कि अंग्रेजी पूरे विश्व की भाषा है और इसका महत्व भी पूरी दुनिया में अधिक है जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। लेकिन इसके साथ हमें यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि पहले हम एक भारतीय हैं और हमारी या हमारे देश की पहचान हिंदी भाषा से ही है जिसका हमें सदैव सम्मान और रक्षा करनी चाहिए।

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Essay on diwali in hindi
दीपावली पर निबंध 2023: Essay on Diwali in Hindi

दीपावली पर निबंध | दिवाली पर निबंध हिंदी में | Essay on Diwali in Hindi | Why We Celebrate Diwali? | How to write essay on Diwali

दीपावली पर निबंध हिंदी में (Essay on Diwali in Hindi): भारत का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली है। भारत में हर साल यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूलों में भी दीपावली पर निबंध प्रतियोगिता, दीपावली पर 10 लाइन निबंध, दीपावली पर पैराग्राफ राइटिंग, दीपावली पर ड्राइंग प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है। विभिन्न परीक्षाओं में भी दीपावली पर निबंध लिखने को आता है। आज के इस Diwali Essay in Hindi से आप इन सभी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं और साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि दिवाली पर निबंध कैसे लिखा जाता है? दीपावली क्यों मनायी जाती है?, सरल शब्दों में दीपावली क्या है?, दीपावली के लिए क्या लिखें? और दीपावली पर प्रस्तावना कैसे लिखे? आदि। तो आये शुरू करते हैं, दीपावली पर निबंध, Essay on Diwali in Hindi!

दीपावली पर निबंध हिंदी में (Essay on Deepawali in 500 – 700 Words)

प्रस्तावना

दीपावली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साह और धूमधाम से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। दीपावली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली संस्कृत के 2 शब्दों ‘ दीप’+’ ‘आवली’ से मिलकर बना है। दीप का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा आवली का अर्थ होता है ‘श्रृंखला’। जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रृंखला या पंक्ति। दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस दिन सभी के घरों में घी अथवा तेल के दीपक जलाए जाते हैं, मोमबत्तियां जलाई जाती है तथा विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी लाइट लगाई जाती है। साथ ही पटाखे, फुलझड़ी आदि जलाए जाते हैं। बच्चे, युवा तथा सभी वर्ग के लोग इस त्योहार को बेहद पसंद करते हैं। यह त्योहार सभी के लिए ढेर सारी खुशियां और आनंद का पल लेकर आता है। इस दिन सभी अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और अपने प्रियजनों के साथ बधाई और उपहार साझा करते हैं तथा एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं।
दीपावली के दिन लक्ष्मी जी तथा गणेश जी की पूजा होती है। इसलिए उनकी आगमन और स्वागत के लिए घरों की सफाई की जाती है और उसे सजाया भी जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम, रावण को पराजित करके, और अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। भगवान श्रीराम की आने की खुशी में सभी अयोध्यावासियों ने दिए जलाए थे। तब से लेकर आज तक हर वर्ष इस दिन को दिवाली के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

दीपावली का महत्व

दीपावली एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों द्वारा मिलजुल कर मनाया जाता है। “धर्म की अधर्म पर विजय” का सूचक यह त्योहार सभी की आस्था से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग अपने घर के मंदिरों में पूजा पाठ किया करते हैं। इस त्योहार पर नए सामान को खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि मां लक्ष्मी को धन समृद्धि की देवी के रूप में माना जाता है। दिवाली के समय सोने और चांदी की खूब खरीदारी होती है साथ ही साथ नए वस्त्र, मिठाई और पटाखों की भी खूब बिक्री होती है। इस दौरान हर जगह खूब चहल-पहल देखने को मिलती है। आपसी भाईचारा और प्रेम के संदेश का सूचक यह त्यौहार अपने आप में बहुत ज्यादा महत्व रखता है। सभी लोगों में इस त्योहार को लेकर बड़ी उत्सुकता होती है। लोग अपने घरों और दफ्तरों की साफ सफाई करना कुछ दिन पूर्व ही शुरु कर देते हैं। इस दिन हर घर के आंगन में सुंदर रंगोली बनाई जाती है तथा तरह-तरह के दीपक जलाए जाते हैं। “अंधकार पर प्रकाश” की जीत यह त्यौहार समाज में उल्लास भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।

दीपावली पर ध्यान रखने योग्य बातें

दीपावली पर लोग विभिन्न प्रकार के पटाखे जलाते हैं, यह पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं। मस्ती में होने की वजह से अनचाही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अतः त्योहार की धूम-धाम में व्यक्ति को सुरक्षा का भी पूर्ण ख्याल रखना चाहिए। पटाखों की आवाज से बड़े-बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज परेशानियों का सामना करते हैं, इसके अलावा बेजुबान जानवर भी बहुत अधिक डरते हैं, इसके साथ ही दिवाली के दौरान प्रदूषण की वृद्धि हो जाती है। दीपावली के अवसर पर जुआ खेलने से घर में धन की वृद्वि होती है इस कारणवश अनेक लोग इस अवसर पर जुआ खेलते हैं किंतु यह व्यवहार उचित नहीं है। दिवाली खुशियों का त्योहार है अतः हम सभी को समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह ध्यान देना चाहिए कि हमारी मस्ती और आनंद की वजह से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट ना होने पाए।

दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव

  1. दीपावली का उत्सव 5 दिनों का होता है इनमें सबसे पहले धनतेरस मनाई जाती है। यह दिपावली से 2 दिन पहले मनाई जाती है। धनतेरस के दिन लोग सोने चांदी तथा अन्य प्रकार की धातु की वस्तुऐं तथा आभूषण खरीदते हैं।
  2. दीपावली के एक दिन पहले का दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इसे लोग छोटी दीपावली भी कहते हैं।
  3. तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा होती है|
  4. दीपावली के बाद दूसरे दिन गोवर्धन जी की पूजा होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था।
  5. दीपावली त्यौहार का आखिरी दिन भैया दूज के रूप में मनाया जाता है। यह भाई बहन का त्यौहार होता है।

उपसंहार

दीपावली स्वयं के अंदर का अंधकार मिटा कर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। दीपावली के त्योहार का अर्थ प्रेम और सुख समृद्धि से है ना कि पटाखों और बेफिजूल के प्रदूषण से। वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार के आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिससे हमारा वातावरण प्रदूषित हो रहा है और इसका खामियाजा हमारे आने वाली पीढ़ी को भी भुगतना पड़ेगा। इसलिए हमें दीपावली के दिन पटाखों का इस्तेमाल कम करना होगा। ऐसे पटाखे जलाने होंगे जिसकी आवाज धीमी हो और धुआं काम हो। दीपावली के त्यौहार पर हमारे द्वारा किए गए यह छोटे छोटे कार्य बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। इस त्योहार से हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। दीपावली के दिन कई लोग घर में जुआ और शराब का भी सेवन करते हैं जो इस महान पर्व के लिए कलंक के समान है। हमें दीपावली त्योहार को हर्षोल्लास और पवित्र तौर पर मनाना चाहिए ना कि ऐसी कुरीतियों को बढ़ावा देना चाहिए।

नीचे दीपावली पर निबंध (Essay on Diwali) का एक और सेट दिया गया है, कृपया उसे भी पढ़ें।


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दीपावली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi (700-1000 Words)

प्रस्तावना

हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ है दीपों की पंक्ति और इस दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है। असंख्य दीपों की जलती हुई लड़ियों से पूरा वातावरण चमक उठता है। घर-घर में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और प्यार बाँटते हैं।
दीपवाली के दिन बच्चे बहुत खुश होते हैं। वो रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर पटाखे फोड़ते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिठाईयां खाते हैं। दिवाली मनाने के लिए तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को रंग-बिरंगे बल्बों से सजाते हैं और साफ-सफाई करते हैं।

दीपावली का ऐतिहासिक महत्त्व

दीपों का पर्व होने के कारण इसे दीपावली नाम दिया गया है। दीपावली का अर्थ है दीपों की अवलि (पंक्तियाँ)। इसे कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। अंधेरी रात में दीये जलाकर मनायी जाने वाली दीपावली के पीछे कई ऐतिहासिक कारण और कथाएं हैं। सबसे अधिक प्रचलित कारणों में से एक यह है क़ी भगवान राम कार्तिक अमावस्या को चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके और रावण का दमन करके अयोध्या लौटे थे, जहां लोगों ने उनका स्वागत करने के लिए असंख्य दिये जलाकर उत्सव मनाया था। अन्य कारणों में एक कारण है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने क्रूर नरकासुर को मार डाला। इसलिए जनता ने इस दिन खुशी से घी के दीपक जलाए थे और उत्सव मनाया था।

वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

दिवाली का वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है। दिवाली आने से पहले लोग घरों को सफाई करना शुरू कर देते हैं। वे दुकानों और घरों में नए रंग रोगन करवाते हैं। घर के कोनों में छुपे हुए कीट मुखड़े भी इससे नष्ट हो जाते हैं। दिवाली के त्यौहार में इस साफ़ सफाई की यह प्रक्रिया वर्षा ऋतु से निकलने वाले कीड़े, मकोड़े और जमा जल, घास-फूस और गंदगी के सड़ने से निकलने वाली विषैली गैस को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण हैं।
दिवाली के दिन सरसों और घी का दीपक जलाया जाता है। इससे वातावरण भी शुद्ध हो जाता है।

व्यवसायिक महत्व

दिवाली के दिन व्यवसायी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। इस दिन से किसी व्यवसाय को आरंभ करना शुभ माना जाता है। इसके पीछे मुख्य कारण है कि इस काल में वर्षा ऋतु पूर्णतय समाप्त हो जाती है और यह समय यात्रा और व्यावसायिक कार्य के लिए अनुकूल माना जाता है। इस समय किसानों के घर धान की फसल काट कर आना शुरू हो जाती है और उन्हें इसी समय अपने कृषि संबंधी सामग्रियों का क्रय करना होता है।

दीपावली का दार्शनिक महत्व

दिवाली को प्रकाश पर्व कहा जाता है। यहां अंधेरा, प्रकाश पर विजय प्राप्त करता है और असत्य, सत्य पर विजय प्राप्त करता है। ज्ञान और कर्तव्य का एकजुट प्रकाश अंधेरे को प्रकाश में बदल देता है, चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यों ना हो।

दिवाली से लाभ

दिवाली मात्र एक त्यौहार ही नहीं अपितु इससे अनेक लाभ भी हैं, घर मोहल्लों के साथ वातावरण की भी शुद्धि हो जाती है,आपसी सदभावना की वृद्धि तथा नए कार्य व नए योजनाओं का आरंभ करने की प्रेरणा के साथ-साथ दिवाली हमें अंधेरे से लड़ने की प्रेरणा भी देती है।

दिवाली से हानि

मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो अपने आंतरिक (ईर्ष्या और द्वेष से पूर्ण) विचारों और अज्ञानता से किसी लाभप्रद रीति-रिवाज को भी हानिकारक बना देता है। आज भी दिवाली पर जुआ खेलने और शराब पीकर, अपने विनाश को आमंत्रित करने वाले लोग हैं। ऐसे लोगों के लिए दिवाली का त्यौहार फायदे के स्थान पर हानि देता है।
देश में अरबों रुपये का बारूद पटाखों के रूप में फूंक दिया जाता है, जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं और वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है।

दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार

दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज है।

1. धनतेरस

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन दीपावली का पहला दिन होता है जिसे धनतेरस कहते हैं। धनतेरस के दिन कुछ भी खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि उस दिन घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। इस दिन लोग पुराने बर्तन को बदलकर नए बर्तन खरीदते है। लोग उस दिन अपने जरूरत का सामान खरीदते हैं, जैसे सोना, चांदी, गाड़ी, कार, बर्तन आदि। इसके अलावा इस दिन नए वस्त्र, दीपावली पूजन हेतु लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति और भी बहुत सारी चीज़े खरीदते है।

2. नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी दीपावली के पांच दिनों में से दूसरे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार महापर्व दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इसे नरक से मुक्ति पाने वाला त्यौहार कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसीलिए उनके जीत के सम्मान में यह त्यौहार मनाया जाता है। अपनी मृत्यु के समय नरकासुर सत्यभामा से विनती की थी कि उनकी मृत्यु को रंगीन प्रकाशमय उत्सव के रूप में मनाया जाए। इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता हैं।

3. दिवाली

संपूर्ण भारत वर्ष में इस त्यौहार को खुशियों के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार दीपावली का त्यौहार है। भगवान राम के 14 वर्ष वनवास के पूर्ण होने पर अयोध्या लौटने की ख़ुशी में इस त्यौहार को मनाया जाता है। दिवाली के त्यौहार मनाने के लिए सभी लोगो के द्वारा कई दिनों पहले तैयारियां शुरू की जाती है। बड़े हर्ष और उल्लास और खुशियों के साथ में दीपावली एवं दिवाली के साथ आने वाले सभी त्योहारों को ख़ुशी के साथ मनाया जाता है।

4. गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन तथा गाय की विशेष पूजा की जाती है। जिसका अपना एक खास महत्व हैं। इस पर्व को कृष्ण भगवान की जन्मभूमि मथुरा, गोकुल, और वृंदावन में खास तौर पर मनाया जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसे विशेष प्रकार के फूलों से सजा कर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। कहां जाता है कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्रा देव के अहंकार के कारण होने वाली मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है।

5. भाई दूज

यह त्यौहार बहन के प्रति भाई का कर्तव्य का बोध कराता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। इसे भारत के विभिन्न जगहों पर भव बिच, भाई तिलक, रात्र द्वितीय, आदि कहा जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इसीलिए इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो यम देवता की पूजा अर्चना करता है उसे असमय मृत्यु का कोई भय नहीं रहता।

भारत में दीपावली कैसे मनायी जाती है?

दीपावली को भारतवर्ष में लोग अपने घरों और दफ्तरों को सुन्दर दीयों,बल्ब के लड़ियों और लाइटों से सजाते हैं। घरो में अनेक प्रकार के रंगो से रंगोली भी बनाई जाती है। इस त्यौहार को मिठाई और पटाखों की फुलझड़ियों के द्वारा बड़े हर्षों-उल्लास के साथ मनाया जाता है। दिवाली के त्यौहार में बाजारों में कई प्रकार की मिठाइयों की भरमार होती है और साथ ही बाजारों में दिवाली के त्योहार के समय में बहुत भीड़ भरी रहती है। सभी लोगो के द्वारा यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दिवाली की शुभ अवसर में लोगो के द्वारा बड़ी मात्रा में बाजारों से खरीदारी की जाती है।

प्रदूषण मुक्त दीपावली

हमें हमेशा प्रदूषण मुक्त दीपावली (Eco-Friendly Diwali) मनाना चाहिए। हमें दीपावली के समय ज्यादा से ज्यादा दिया जलाकर ही दीपावली का आनंद लेना चाहिए ना की पटाखे फोड़ कर। दिया जलाने से हमारा वातावरण भी शुद्ध होता है। दीपावली के समय पटाखों के कारण कई प्रकार के हादसे होते हैं। पटाखों के धुए से वायु भी प्रदूषित होता है तथा उसके ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। इको फ्रेंडली दीपावली मना कर ही हम हमारे वातावरण को सुरक्षित रख सकते है।


दीपावली पर 10 लाइन निबंध (10 Lines on Diwali Festival)

आइये सीखते हैं, दीपावली पर 10 लाइन कैसे लिखें?

  1. दीपावली हिंदूओ का प्रमुख त्यौहारों में से एक है।
  2. दिवाली का भारत की संस्कृति तथा परम्परा को दर्शाता है।
  3. दिवाली को दीपकों का त्यौहार भी कहा जाता है, मिट्टी के दीये जलाये जातें हैं।
  4. दीपावली श्री राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटने की ख़ुशी तथा उनके स्वागत में मनाई जाती है।
  5. दिवाली का त्यौहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
  6. दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है ताकि घर में ऋद्धि- सिद्धिं बनी रहे।
  7. दीपावली में सभी लोग अपने घरों को अनेक प्रकार की रंग बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।
  8. दीपावली के दिन पटाखे, फुलझड़ी, आदि जलाकर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  9. दीवाली की शाम सभी लोग अपने आस पड़ोस अपने रिश्तेदारों को मिठाइयां बांटते हैं।
  10. दीपावली का पर्व हमे बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश देता है।


आशा करते हैं कि आपको दीपावली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) पसंद आया होगा और आपके कक्षा में होने वाले निबंध प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में यह दीपावली पर निबंध (Diwali Essay) सहायक होगा। अब विद्यार्थियों से अनुरोध है कि इसकी प्रैक्टिस करें और स्वयं के अनुभव पर “आपने दीपावली कैसे मनाई” पर निबंध (How you celebrate Diwali essay) खुद से लिखिए। – Thanks form Team Curious Kids Kingdom

essay on environment in hindi
पर्यावरण पर निबंध हिंदी में 2023: Simple Essay on Environment in Hindi

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पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment in Hindi):

“पर्यावरण पर निबंध” विषय का महत्व अत्यधिक है क्योंकि पर्यावरण, हमारे पृथ्वी पर रहने और जीवन जीने के लिए आवश्यक है। यह विषय हमें पर्यावरण की आवश्यकता और महत्व को समझाता है जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रभाव डालती है। यह विषय विद्यार्थियों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि छात्रों को पर्यावरण के प्रति सहयोगी और सजग बनाने की आवश्यकता है। इसके माध्यम से उन्हें पर्यावरण संरक्षण के अपने कर्तव्यों का पता चलता है और वे यह सिखते हैं कि उनके क्रियाकलापों का पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ता है।

इसके अलावा, “पर्यावरण पर निबंध” विषय समाज में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी हो सकता है। यह विषय लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक करता है और उन्हें उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों की ओर आग्रहित करता है।

आज हम पर्यावरण पर निबंध लिखेंगे जिससे आपको पर्यावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और आप जानेंगे कि पर्यावरण के बारे में निबंध कैसे लिखें? पर्यावरण का क्या अर्थ है? सरल निबंध में पर्यावरण क्या है? पर्यावरण के बारे में क्या लिखें? पर्यावरण क्या है संक्षेप में लिखें? आइये शुरू करते हैं, पर्यावरण पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment in Hindi).

पर्यावरण पर निबंध (700-1000 शब्द) | Environment Essay in Hindi

प्रस्तावना

पर्यावरण (अंग्रेज़ी: Environment) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है “परि” और “आवरण” जिसका अर्थ है “चारो ओर से घेरा हुआ है”। पर्यावरण हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समूह से बना होता है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसके भीतर घटित होती है। इसके साथ ही हम मनुष्य भी अपनी सभी गतिविधियों से इस वातावरण को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीव और उसके पर्यावरण के बीच एक पारस्परिक संबंध होता है।

पर्यावरण क्या है?

पर्यावरण हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा है.पर्यावरण से ही जीव-जंतु जीवित रहते है। केवल पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जिसपर जीवन योग्य पर्यावरण है। वे सभी प्राकृतिक संसाधन जो हमें चारों ओर से घेरते हैं और हमें कई तरह से सहायता देते हैं, पर्यावरण कहलाते हैं। यह हमें सब कुछ देता है जो इस ग्रह पर जीवित रहने के लिए आवश्यक है, साथ ही हमें बढ़ने और विकसित होने का एक बेहतर माध्यम भी देता है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ सहायता चाहता है ताकि वह हमारा पालन-पोषण कर सके, हमारा जीवन बनाए रख सके और कभी नष्ट नहीं हो। धरती के पर्यावरण को नष्ट करने का कारण कोई जंतु- जानवर नहीं बल्कि मनुष्य ही है।
दूसरे शब्दों में, पर्यावरण उस वातावरण का प्रतिनिधित्व करने का कार्य करता है जो सभी जीवित प्राणियों को घेरता है और उनके जीवन को प्रभावित करता है। पृथ्वी का वातावरण जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल से बना है। मिट्टी, जल, वायु, अग्नि और आकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें हम पंचतत्व भी कहते हैं। पर्यावरण वह स्थिति है जिसमें कोई जीव जन्म लेता है, फिर उसकी जीवन प्रक्रिया चलती है और फिर एक समय आता है जब उसका अंत हो जाता है। यह जीवित जीवों की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है। पर्यावरण ने हमें आरामदायक जीवन जीने की सभी आवश्यकताएं प्रदान की हैं। पर्यावरण का संबंध उन वस्तुओं से है जो किसी वस्तु के बहुत करीब होती हैं और उस पर सीधा प्रभाव डालती हैं।

पर्यावरण की प्रकार

पर्यावरण के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  1. प्राकृतिक पर्यावरण: प्राकृतिक पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीजें शामिल हैं। इस वातावरण में सभी जीवित प्रजातियों, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक संसाधनों की परस्पर क्रिया शामिल है जो मानव अस्तित्व और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करते हैं।
  2. मानव निर्मित पर्यावरण: मानव निर्मित वातावरण वे वातावरण हैं जो मानव द्वारा मानव की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं। मानव ज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण हम अपने आस-पास बहुत सी चीजें देख सकते हैं जो मानव निर्मित वातावरण हैं। मानव निर्मित वातावरण के उदाहरण सड़कें, वाहन, भवन और उद्योग, अस्पताल, स्कूल और मंदिर इत्यादि हैं।
  3. भौतिक पर्यावरण: भौतिक पर्यावरण में मानव द्वारा निर्मित सांसारिक वस्तुएं और अवसंरचनाएं होती हैं, जो प्राकृतिक पर्यावरण से अलग होती हैं। भौतिक पर्यावरण के माध्यम से हम संरचित और अनुकूल स्थानों की निर्माण करते हैं और इसका ध्यान रखते हैं कि वहां जीवन शैली को सुखद बनाए रखा जा सके।
  4. जैविक पर्यावरण: जैविक पर्यावरण, हमारे प्राकृतिक पर्यावरण में जीवन के विविध प्रकार का समूह है। इसमें वनस्पतियों, पशु-पक्षियों, माइक्रो-ऑर्गेनिज्म, कीट-पतंग और अन्य संरचनात्मक और अवरक्त जीवन जगत का समावेश होता है। जैविक पर्यावरण का महत्व विशेष रूप से इस वजह से है कि यह पर्यावरण में संतुलन बनाने में मदद करता है।

पर्यावरण के मुद्दें

भारत की पर्यावरण (Environment) समस्याओं में विभिन्न प्राकृतिक खतरे हैं जिनमे विशेष रूप से चक्रवात और वार्षिक मानसून बाढ़, जनसंख्या वृद्धि, बढ़ती व्यक्तिगत खपत, औद्योगीकरण, ढांचागत विकास, खराब कृषि पद्धतियाँ और संसाधनों का असमान वितरण शामिल हैं। भारत का प्राकृतिक दबाव काफ़ी बढ़ गया है। पानी की कमी, मिट्टी का कटाव और कमी, वनों की कटाई, वायु और जल प्रदूषण के कारण कई क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हैं। भारत में कई तरीके के कारखानो से निकलती हुए रसायन (केमिकल) जो जल को प्रदूषित करती है और कई सारे कारखानों से प्रदूषित गैसे निकलती है जो हमारे वायु वातावरण को प्रदूषित करती है। इन सभी चीजों का कारण भारत की बढ़ती हुयी आबादी है। आने वाले समय में लोगो को बहुत सारे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को बनाया जाता है । 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। वर्ष 1972 में पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था।

पर्यावरण प्रदूषण पर रोक (नियत्रंण)

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी हो गया है, जिसके लिए अब वैश्विक स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना आवश्यक है क्योंकि जितनी अधिक जनसंख्या होगी, मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही अधिक दुरुपयोग होगा। इसके साथ ही वनों की कटाई पर रोक लगाकर पेड़-पौधे लगाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के उद्देश्य से वर्ष 1981 में संसद द्वारा वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया था। खाद्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। जब कूड़ा-कचरा दोबारा खाद में परिवर्तित हो जाता है तो जैविक खाद बनती है। फलस्वरूप यह धरती कूड़े-कचरे का ढेर बनने से बच जायेगी।

निष्कर्ष

पर्यावरण के प्रति हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। भविष्य में यदि हम अपने आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ, सुन्दर एवं उपयोगी देखना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने पर्यावरण के साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार करना बंद करना होगा। हमें प्राकृतिक पर्यावरण के लिए जितनी मदद की जरूरत है, उससे कहीं अधिक हमें प्रकृति को बचाने के लिए भी करना होगा। क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहकर ही मनुष्य स्वस्थ अपना विकास कर सकता है।

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आशा करते हैं कि आपको पर्यावरण पर निबंध (Essay on environment in Hindi) पसंद आया होगा और आपके कक्षा में होने वाले निबंध प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में यह पर्यावरण पर निबंध (environment essay) सहायक होगा। अब विद्यार्थियों से अनुरोध है कि इसकी प्रैक्टिस करें और स्वयं के अनुभव पर पर्यावरण पर निबंध (essay on environment in hindi) खुद से लिखिए। – Thanks form Team Curious Kids Kingdom

Essay on Women Empowerment in Hindi
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 2023: Best Essay on Women Empowerment in Hindi

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi): महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका महत्व समाज में महिलाओं के समान अधिकार, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और समाज में उनकी प्रतिभा को पहचानने में होता है। यह एक प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को एक बराबरी का समान अवसर मिलना चाहिए। महिला सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाएं स्वयं को शिक्षित और स्वावलम्बी बना सकती हैं। यह महिलाओं को आत्मविश्वास और स्वानुभव की भावना प्रदान करता है, जिससे वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना कर सकती हैं। आज हम महिला अर्थात नारी सशक्तिकरण पर निबंध लिखेंगे। इस निबंध की सहायता से आप अनेक प्रश्नों जैसे महिला सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखें? महिला सशक्तिकरण क्या है संक्षिप्त नोट लिखें? महिला सशक्तिकरण के लिए क्या करें? महिला सशक्तिकरण क्यों बनाया जाता है? भारत में महिला सशक्तिकरण का मुख्य बिंदु क्या है? आदि का उत्तर उचित प्रकार से दे पाएंगे। महिला सशक्तिकरण पर निबंध लिखने को विभिन्न कक्षाओं की परीक्षा में तोआता ही है इसके साथ ही अनेक प्रतियोगिताओं और महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं तथा सरकारी नौकरी की परीक्षा में भी पूछा जाता है। चलिए शुरू करते हैं, Essay on Women Empowerment in Hindi!

प्रस्तावना

आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय है, खासतौर से पिछड़े और प्रगतिशील देशों में क्योंकि उन्हें इस बात का काफी बाद में ज्ञान हुआ कि बिना महिलाओं तरक्की और सशक्तिकरण के देश की तरक्की संभव नही है।
डॉक्टर ए. पी जे कलाम ने कहा था, “एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे बड़ी शर्त है, जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो समाज के विकास और स्थिरता का आश्वासन दिया जाता है।”

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा कर सकती हैं। भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों का हनन करने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।

महिला सशक्तीकरण क्या है?

समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तीकरण है। यह एक ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकती है। महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है “महिला अर्थात नारी को सभी संभव शक्तियाँ और अधिकार मिलना जो समाज ने पुरुषों को दिया गया है”। महिलाओं के सशक्त होने से वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में और अच्छे से योगदान दे सकती हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण

भारत में लैंगिक असमानता और पुरुष प्रधान समाज ने महिला सशक्तिकरण की जरूरत पैदा की है। महिलाओं को उनके परिवार और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया गया। जिसमें हिंसा और परिवार और समाज में भेदभाव भी शामिल हैं। भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी ऐसा होता है। नए रिती-रिवाजों और परंपरा ने महिलाओं के लिये प्राचीन काल से चले आ रहे गलत और पुराने चलन को बदल दिया। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री या पत्नी के रूप में महिला देवियों को पूजने की परंपरा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि केवल महिलाओं को पूजने से देश का विकास होगा। आज देश की आधी आबादी, यानी महिलाओं, का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के विकास का आधार होंगे।

भारत अपनी “विविधता में एकता” की सोच के लिए विश्व प्रसिद्द है, जिसमें विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों को मानने वाले लोगों का समूह रहता है। हर धर्म में कुछ लोग महिलाओं को पर्दे के पीछे देखना पसंद करते हैं और वर्षों से महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और मानसिक हिंसा को जारी रखते हैं। सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्यस्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह और देवदासी प्रथा सहित अन्य भेदभावपूर्ण परंपराएं प्राचीन भारतीय समाज में थीं। इस तरह की कुप्रथा पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि से प्रेरित है।

नारी के सामाजिक, राजनीतिक अधिकारों, जैसे काम करने की आजादी, शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, पूरी तरह से वर्जित थे। खुले विचारों वाले लोगों और महान भारतीय महापुरुषों ने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई, जिससे कुछ बुरे चलन दूर हो गए। राजा राम मोहन रॉय की निरंतर कोशिशों से ही सती प्रथा को अंग्रेजों ने खत्म कर दिया। बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों, जैसे ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोभा भावे और स्वामी विवेकानंद ने भी महिलाओं के उत्थान के लिये कड़ा संघर्ष किया। भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 बनाया।

महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को दूर करने के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किए हैं। ऐसे बड़े मुद्दे को हल करने के लिये, हालांकि, महिलाओं सहित सभी का निरंतर सहयोग की जरूरत है। महिलाओं के अधिकारों को लेकर आजकल बहुत से स्वयंसेवी समूह और गैर सरकारी संस्थाएं काम कर रहे हैं। आज के समय में महिलाएँ अधिक स्वतंत्र हैं और सभी क्षेत्रों में अपने अधिकारों को पाने के लिये सामाजिक बंधनों को तोड़ रही हैं। हालाँकि अपराध भी जारी है और महिला सशक्तिकरण की राह अभी बहुत लम्बी है।

नारी के सशक्त होने का वास्तविक आशय

पूरे विश्व में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। सशक्त होने का अर्थ केवल घर से बाहर निकलकर काम करना या पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना नहीं है। वास्तव में सशक्त होने का अर्थ है “स्वयं निर्णय लेने का अधिकार और आत्म निर्भरता”।

भारत में महिलाओं को आज भी सभी क्षेत्रों में समान अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हमारे समाज में आज भी कई जगह पितृसत्तात्मक ढांचा देखने को मिलता है। आज भी शहरों और गांवों में खाप पंचायतें और ऐसी ही अन्य संस्थाएं हैं जो नारी के अधिकारों का हनन करती हैं। कभी उसके कपड़े पहनने पर, कभी उसके धर्म स्थलों में जाने में तो कभी सामाजिक व्यवहार को लेकर मोरल पुलिसिंग की सिफारिशें करते रहते हैं। धर्म-जाति, रूढ़िवाद और अंधविश्वास ने महिलाओं को और अधिक शोषित किया है।

इतिहास से आज तक, राजनीति पुरुषों के एकाधिकार का क्षेत्र रही है। महिलाओं का इस पर कभी एकाधिकार नहीं था। राजनीति घरेलू चारदिवारी से बाहर निकलकर समाज को दिशा देती है। विश्व भर में राजनीतिक पदों पर पुरुषों को ही देखा गया है। इससे भारतीय समाज भी अलग नहीं है। पुरुष प्रधान परंपरा प्रारंभिक काल से चली आ रही है। आज देश की लोकसभा में 542 में से केवल 78 महिला सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में केवल 24 सांसद हैं। आज 28 राज्यों में सिर्फ एक महिला मुख्यमंत्री हैं। वर्तमान राष्ट्रपति इस पद पर दूसरी महिला हैं। भारत में प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति से अधिक व्यावहारिक पद माना जाता है, और इस पद पर एकमात्र महिला का आगमन सब कुछ स्पष्ट करता है।

महिलाओं का आर्थिक विकास उनके पूरे भविष्य को प्रभावित करता है। हम पूरी तरह से आजाद हैं अगर हम स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। महिलायें भारतीय समाज में काम करने के लिए बाहर नहीं जाती थीं, इसलिए उनके पास कोई आर्थिक स्वतंत्रता नहीं थी। वे धन के लिए अपने घर के पिता, भाई, पति या पुत्र पर निर्भर रहती थीं। आज ये हालात बदल गए हैं, महिलायें घरों से बाहर निकली हैं, पढ़ लिख कर नौकरी या व्यापार कर रही हैं। उन्हें सरकारी और निजी क्षेत्रों में समान वेतन मिलता है, लेकिन निजी क्षेत्रों में अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

आधुनिक काल में स्थिति को सुधारने का प्रयास फिर से शुरू हुआ। महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करके कई नए अवसर खोले। अब भी इनके साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से समानता का व्यवहार किया जाना बाकी है, जो इस सभ्य समाज में उनका हक़ है। महिलाओं के पास अभी भी बहुत सारी संभावनाएं हैं, जो सिर्फ उनके निरंतर सशक्त होते रहने से खुल सकती हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। इन्हीं में से कुछ मुख्य महिला सशक्तिकरण योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।
1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
2) महिला हेल्पलाइन योजना
3) उज्जवला योजना
4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)
5) महिला शक्ति केंद्र
6) पंचायती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण

भारत का महिला आरक्षण बिल

किसी भी देश को चलाने के लिए सभी महत्वपूर्ण फैसले उसकी संसद में ही लिए जाते हैं। हमारी संसद में महिला सांसदों की संख्या कम है। महिलाओं की भूमिका देश को चलाने में बहुत कम है। इसी कारणवश 2010 में भारत सरकार ने संसद में महिलाओं की कमी को देखते हुए महिला आरक्षण बिल का प्रस्ताव रखा। इस बिल में महिलाओं को संसद की 33 प्रतिशत सीटें देने का प्रस्ताव था। लेकिन उस समय कांग्रेस सरकार केवल राज्यसभा से ही इस बिल को पास कर पाई थी। इस बिल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला, इसलिए इसे पास नहीं किया जा सका।
वहीं साल 1993 में भारत सरकार ने एक संवैधानिक संशोधन पारित किया गया था। जिसमें ग्रामीण परिषद स्तर के होने वाले चुनावों में एक तिहाई सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित थी। जिसकी वजह से आज हर गांव में होने वाले चुनाव में महिला चुनाव लड़ती हैं।

निष्कर्ष

आपने महिला आयोग और सहायता के लिए कई संस्थाओं के बारे में सुना होगा। लेकिन आपने पुरुषों के लिए किसी संगठन के बारे में सुना है? जो उनकी सहायता के लिए बनाया गया है। महिलाओं को लक्षित संगठनों की आखिर हमें क्यों आवश्यकता है? हमारे देश की महिलाओं में इतनी शक्ति नहीं है कि वे हर बात का सामना कर सके?
वहीं हमारे देश की स्त्रियां शिक्षित होंगी। अब हम कह सकते हैं कि हमारे देश में महिलाओं की स्थिति सुधर रही है। जिस तरह पुरुषों को किसी भी तरह की मदद की जरूरत नहीं है। ठीक उसी तरह, एक दिन आएगा जब महिलाओं को किसी भी समस्या का हल निकालने के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना होगा और वह दिन आएगा जब महिलाओं को सशक्त बनाने का सपना सच हो सकेगा।

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महिला सशक्तिकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

  1. महिला सशक्तिकरण का एक वाक्य में क्या अर्थ होता है?

    किसी भी महिला का पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबंध के बिना खुद से निर्णय लेने की स्वन्त्रता, महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

  2. महिला को सशक्त बनाने का सबसे मुख्य स्रोत क्या होता है?

    शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का सबसे मुख्य स्रोत है।

  3. विश्व के किस देश की महिलाओं को सबसे सशक्त माना जाता है?

    डेनमार्क

  4. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है?

    8 मार्च

Essay on Pollution in Hindi
प्रदूषण पर निबंध 2023: Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Long Essay on Pollution, its Types and Causes in Hindi)

प्रस्तावना

आज का युग औद्योगिक युग है। हम अपने विकास के नाम पर अनेक फैक्ट्री, औद्योगिक प्लांट्स, कल-कारखाने आदि का तेज़ी से निर्माण कर रहे हैं साथ ही साथ पृथ्वी पर उपस्थित प्राकृतिक सम्पदा का दोहन भी कर रहे हैं। आज का मानव, औद्योगिकरण में इस तरह फँस गया है कि वह अपने पर्यावरण को शुद्ध नहीं रख पा रहा है। आज के युग की सबसे गंभीर समस्या है जिससे हमारा वातावरण दूषित हो रहा है, प्रदूषण है। प्रदुषण की समस्या मानव तथा जीव-जंतुओं के लिए विभिन्न रूपों में हानिकारक सिद्ध हो रहा है। जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि भी इसके मुख्या कारणों में से एक है। प्रदूषण की समस्या किसी एक व्यक्ति समूह अथवा देश की समस्या नहीं है बल्कि यह विश्व व्यापी समस्या बन चुकी है। प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ मानव जाति पर ही नहीं अपितु सभी जीव जंतुओं तथा निर्जीव पदार्थों पर भी पड़ता है। यह प्रदूषण का ही व्यापक असर है जिस कारण मानव जाति अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही है।

प्रदूषण का कारण

यह हमारी पृथ्वी का पर्यावरण ही है जिस कारण यहॉं मानव जीवन संभव हो पाया है। लेकिन आधुनिक समय में विकास और प्रगति के नाम पर मनुष्य ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना आरंभ कर दिया है। ऐसे में पर्यावरण का संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। इसे ही हम पर्यावरण प्रदूषण के नाम से जानते हैं।पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव और जीव-जंतुओं का अस्तित्व मिटने की कगार पर आ गया है। इसके कारण न जाने कितनी ही जीव-जंतु विलुप्त हो गए और ना जाने कितने मनुष्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए। प्रदूषण मुख्य रूप से हवा, पानी और वातावरण में विद्यमान होकर हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
जैसे जैसे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वैसे वैसे प्राकृतिक संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग और दुरुपयोग भी होने लगा है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुद्ध वातावरण और प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो गया है। औद्योगिकरण और अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों ने भी पर्यावरण को प्रदूषित किया है। इसके साथ में वनों की कटाई, पेड़ों की लकड़ियों का अधिक प्रयोग, कल-कारखानों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खादों के प्रयोग, पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की ध्वनि और धुआं तथा विकास के नाम पर प्रकृति प्रदत्त चीजों का दुरुपयोग प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक है। पर्यावरण प्रदूषण के चलते ही धरती पर भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलती है। ऐसे में प्रदूषण की समस्या आज एक वैश्विक समस्या बन गई है जिसको आपसी सहयोग से जल्दी नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके परिणाम संपूर्ण मानव जाति के विनाश के रूप में सामने आएंगे।

प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. जल प्रदूषण

“जल ही जीवन है” और “पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती” ऐसे वाक्य हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं परन्तु अब इस पर चिंतन का समय आ गया है। जब पानी के विभिन्न स्रोत जैसे नदी, झील, कुआं, तालाब,समुद्र आदि में दूषित तत्व आकर मिल जाए तो उस स्थिति को हम जल प्रदूषण कहते हैं। यह दूषित और जहरीले तत्व प्राकृतिक और अधिकतर मानवीय कारणों की वजह से जल में मिल जाते हैं और जल को प्रदूषित बनाते हैं। जिस वजह से जल अपना प्राकृतिक गुण खो देता है।
जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं वहां से जो कूड़ा कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फेंक देते हैं। जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्रोतों में जाकर मिल जाता है और हमारा जल प्रदूषित कर देता है। कभी शुद्ध साफ-सुथरी और पवित्र मानी जाने वाली हमारी नदियां प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का घर बन गई हैं। इसका एक नहीं बल्कि बहुत से कारण हैं जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरी कई प्रकार के कचरे का पानी में मिल जाना।

2. वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं, वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। कारखानों और वाहनों से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। जिसके कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।

3. मृदा प्रदूषण या भूमि प्रदूषण

जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है फिर वह भूमि पर तथा भूमि पर पड़ी मिट्टी में मिलकर उसे प्रदूषित करता है। प्रदूषण की इसी समस्या को मृदा प्रदूषण कहते हैं। इस प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियां और दूसरी तरह के कीड़े पनपने लगते हैं जिस वजह से मनुष्य में तथा दूसरे जीव जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियां होने लगती है।

4. ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण वह स्थिति होती है जिस समय हमारे आसपास आवाज या शोर का स्तर सामान्य से बहुत अधिक हो। मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए परंतु आजकल कारखानों का शोर, यातायात का शोर तथा जगह-जगह लगे लाउड स्पीकरों की तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई है। यह इंसानों में सुनने की क्षमता को कम कर रही है और मानसिक बीमारियों को बढ़ा रही है।

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडिएशन से होने वाले प्रदूषण है जो कि इंसानों के लिए बहुत खतरनाक है। मुख्य रूप से रेडियोएक्टिव पदार्थों से निकलने वाले विकिरण जैसे कि यूरेनियम, थोरियम,आदि इसका मुख्या कारण है। इसके अलावा दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले गैजेट यंत्र, मोबाइल फोन के टॉवर, विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जिसके उपयोग से यह प्रदूषण बढ़ता है।

6. प्रकाश प्रदूषण

जैसे-जैसे विकास हो रहा है और शहरीकरण बढ़ रहा है वैसे ही कृत्रिम प्रकाश की मांग भी अनेक अवसर पर बढ़ जाती है जिससे आसपास के वातावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे जीव जंतुओं पर पड़ता है।

प्रदूषण के दुष्परिणाम

उपर्युक्त प्रदूषण के कारण मानव के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीजें अशुद्ध होती जा रही है। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है, आज वही सबसे ज्यादा खतरे में है। प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछित तत्व घुलकर उसे दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुंच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। खुली हवा में सांस लेने तक को इंसान तथा जीव जंतु तरस गए हैं। गंदे जल के कारण हानिकारक तत्व हमारी फसलों में चली जाती है, जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियों को पैदा कर रही हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण समय पर ना वर्षा आती है, ना सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चलता है। प्रदूषण के कारण सब्जियां, फल आदि सब दूषित हो रहे हैं जिससे मानव के शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण का असर सिर्फ हमारे शरीर पर ही नहीं बल्कि हमारे पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। विज्ञान के इस युग में हमें सुख सुविधा के लिए कई सारी चीजें मिली हैं लेकिन इन चीजों से हमें कुछ हद तक नुकसान पहुंचता है। इसी के चलते पूरी दुनिया प्रदूषण से परेशान है। प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण दुष्परिणाम हैं: सांस की समस्या, कैंसर की संभावना, भूमि की उर्वरकता का नष्ट होना, प्राचीन स्मारकों पर पद रहे दुष्प्रभाव, ऑक्सीजन की कमी इत्यादि। अतः हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसे जल्द से जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण को दूर करने के उपाय

प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर उसे बीमार कर रहा है। साथ ही जीव-जंतु, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों तथा वनस्पतियों को भी नष्ट कर रहा है अर्थात प्रदूषण के कारण विश्व में प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण करना बहुत ही अधिक आवश्यक हो गया है जिसके लिए अब वैश्विक स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए सर्वप्रथम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना आवश्यक है क्योंकि जितनी अधिक जनसंख्या होगी, मानव आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उतनी अधिक प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग होगा। साथ ही वनों की कटाई पर रोक लगाते हुए वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए। खाद्य उत्पादन में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कम कर के जैविक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। कारखानों की चिमनी में फिल्टर लगाना चाहिए। कम शोर वाले मशीन उपकरणों के निर्माण एवं उपयोग पर जोर देना चाहिए एवं उद्योगों को शहरों या आबादी वाले स्थान से दूर स्थापित करना चाहिए। परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, सिंगल यूज प्लास्टिक एवं अन्य प्लास्टिक के उपयोग को रोकना चाहिए एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। वर्षा के जल को संचित करके उसका उपयोग कर भूमिगत जल को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण की सुरक्षा आज की सबसे बड़ी चुनौती है इसलिए हमें निस्वार्थ होकर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए आगे आना होगा। हमें प्रत्येक कार्य करने से पहले पर्यावरण की अनुकूलता का ध्यान रखना होगा। जब पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी मनुष्य स्वस्थ रहेगा।

उपसंहार / निष्कर्ष

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साथ सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण देना है तो प्रदुषण नियंत्रण की दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं अपितु संपूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है ताकि संपूर्ण पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन संरक्षित हो सके। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती चली जा रही है। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, आदि मनाए जाते हैं। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए कुछ विशेष कदम उठाए जाते हैं।
यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जाएगा। ना खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी भी नहीं मिलेगा। अतः जीवन अत्यंत असंतुलित हो जाएगा। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने होंगे। प्रकृति मनुष्य का पालन-पोषण करती है और अगर यही प्रदूषित होगी तो इसका सीधा असर मानव जाति पर देखने को मिलेगा जो कि अक्सर देखा भी जाता है। आज प्रदूषण की वजह से ऐसी कई लाइलाज बीमारियां पैदा हो गई है जिससे कई लोग ग्रसित हो गए हैं। सच तो यह है कि मनुष्य ने खुद अपने ही हाथों अपना अहित कर लिया है। अगर आज हमने अपने पर्यावरण एवं प्रकृति को दूषित होने से नहीं बचाया तो कल यही हमारे पतन का मुख्य कारण बनेगा इसीलिए हमें समय रहते सचेत हो जाना चाहिए एवं प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण संरक्षण हेतु संभव प्रयास करने चाहिए।

Essay on Terrorism in Hindi
आतंकवाद पर निबंध 2023: Essay on Terrorism in Hindi

भारत में आतंकवाद पर निबंध कैसे लिखें? (How to Write an Essay on Terrorism in Hindi)

आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति आतंक से हुई है आतंक का अर्थ है “भय” | समाज को अपने कुकर्म से अत्यंत भयभीत कर देना ही आतंकवाद है। आतंकवादी लोगों का मुख्य उद्देश्य समाज में भय पैदा करना होता है। आतंकवाद एक बहुत व्यापक शब्द है जिसे विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है। इसका मतलब होता है एक संगठित तरीके से हिंसा का उपयोग करके आम जनता को हानि पहुंचाने का प्रयास करना। आतंकवादी संगठन विभिन्न माध्यमों जैसे धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक उद्देश्यों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद कई प्रकार का हो सकता है। आतंकवाद विभिन्न पृष्ठभूमि जैसे धर्म, समाज, राजनीति के आदरार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

धार्मिक आतंकवाद

जब कोई आतंकवाद धर्म के नाम पर होता है तो उसे धार्मिक आतंकवाद कहते हैं। इसमें आतंकवादी अपने धर्म के नाम पर हिंसा का उपयोग करता है और अपने मकसद को प्राप्त करने की कोशिश करता है।

राजनीतिक आतंकवाद

राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जब किसी संगठन या व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों के नाम पर हिंसा करते हैं। यह मुद्दे किसी भी राजनीतिक टकराव या राजनेताओं के खिलाफ विरोध के कारण हो सकते हैं।

साइबर आतंकवाद

साइबर आतंकवाद आधुनिक समय का चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। यह आतंकवाद का एक नया स्वरूप है जहां आतंकवादी संगठन इंटरनेट और साइबर स्थानों का उपयोग करके अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने की कोशिश करते हैं।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या

केवल भारत देश ही नहीं पूरे विश्व के लिए आतंकवाद एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुका है। यह एक वैश्विक समस्या है जिसमें लगभग सभी राष्ट्रों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया हुआ है। हालांकि बहुत से देशों द्वारा आतंकवाद का सामना करने की कोशिश की जा रही है लेकिन कुछ लोगों के द्वारा इसे आज भी समर्थन दिया जा रहा है। आतंकवाद आम लोगों को किसी भी समय खौफनाक तरीके से डराने का एक हिंसात्मक कुकृत्य है। बहुत आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तथा अपनी बात मनवाने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठन द्वारा आतंकवाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। आतंकवाद ने अपनी जड़े बहुत गहराई तक जमाई हुई है। आतंकवाद के पास कोई नियम और कानून नहीं होता है यह लोग समाज और देश में आतंक के स्तर को बढ़ाने के लिए कई प्रकार के हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते हैं।

आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य

अपनी मांगों को पूरा करवाना ही आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य होता है। जनता और सरकार तक अपनी आवाज को पहुंचाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। धमकी, हिंसा, हत्या, अपहरण और सार्वजनिक संपत्ति को अंधाधुंध नष्ट करके सरकार या शासन पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए दबाव बनाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है। देश की सुरक्षा, शांति व अखंडता के लिए हर संभव खतरा उत्पन्न करना ताकि देश में भय और असुरक्षा का वातावरण बना रहे। आतंकवाद का उद्देश्य दंगे-फसाद को बढ़ावा देना, सरकार के प्रति अविश्वास की भावना का पैदा करना, असुरक्षा की भावना को उत्पन्न करना, राष्ट्र को आर्थिक रूप से कमजोर करना तथा राष्ट्रीय एकता में बाधा डालना है। आतंकवाद देश के सभी युवाओं के विकास को प्रभावित करता है। यह राष्ट्र को उचित विकास से कई वर्ष पीछे धकेल देता है। आज आतंकवाद संपूर्ण मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है।

आतंकवाद को दूर करने का समाधान

आतंकवाद को रोकना वैसे तो बहुत मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है। इसके लिए अगर सभी लोग और सभी देश एकजुट होकर प्रयास करें तो आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। केवल सरकार आतंकवाद को खत्म नहीं कर सकती। इसके लिए जनता को भी सरकार के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई करनी होगी। इसके अलावा आतंकवाद को खत्म करने के लिए सभी देश के लोगों को और सरकार को मिलकर संकल्प करना होगा और आतंकवाद दुनिया में ना बढ़े इसके लिए लगातार कोशिश करनी होगी।

सरकार को लोगों को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करने के लिए अभियान चलाते रहना चाहिए जिससे आम जनता सतर्क रहें। दशकों से कई देश ऐसे हैं जो आतंकवाद की चपेट में आ चुके हैं। हिंसा समाप्त करने का हरसंभव तरीका सरकार अपना चुकी है लेकिन वह असफल रहे। फिर भी हम आतंकवाद की समस्या को समाप्त करने के लिए कुछ उपायों को समझा सकते हैं।

1. नैतिक शिक्षा

आतंकवाद को दूर करने के लिए युवाओं को उचित नैतिक शिक्षा देने की आवश्यकता है। जिससे वह पथभ्रष्ट ना हों और किसी विदेशी शक्ति के हाथ का खिलौना ना बने। साथ ही उनकी तरफ से दिए गए प्रलोभन को कभी स्वीकार ना करें। हमारा देश जितना शिक्षित होगा आतंकवाद उतना ही असफल होगा।

2. आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता

संदिग्ध वस्तु एवं संदिग्ध व्यक्ति के विषय में हमारे देश में अभी तक कोई आम सतर्कता और जागरूकता नहीं है। यह मात्र कुछ विज्ञापनों तक ही सीमित है। बाकी आम जगह, बाजार, शॉपिंग मॉल, मेट्रो, सिनेमा हॉल, भीड़-भाड़ वाली जगह, मेले, उत्सव, और धार्मिक स्थलों पर देश की 90 फ़ीसदी जनता को यह पता ही नहीं है कि अगर आतंकवादी वारदात हमारे सामने हो जाए तो हमें क्या करना चाहिए? आज भी हमारे देश में लावारिस वस्तु का मिलना किस्मत या तोहफा मिलने का नजरिया ही है। आज हम सबको कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें बता रहे हैं जो आतंकवाद को काफी हद तक असफल कर सकती है:

कहीं भी किसी भी लावारिस वास्तु जैसे लैपटॉप, टैब, महंगा बैग, सूटकेस, घड़ी, ट्रांजिस्टर, मोबाइल फोन, टॉर्च, पावर बैंक, खाने का टिफिन, बच्चों के खिलौने, इत्यादि मिले तो उसे न छुए और उसे संदिग्ध मानकर जल्द से जल्द नजदीकी सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करें।

भीड़-भाड़ वाले इलाके में लावारिस खड़ी साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, इत्यादि वाहन कोई छोड़ जाता है या कोई व्यक्ति इन वाहनों में कोई वस्तु रखकर तुरंत निकल जाता हो तो सुरक्षाबलों को जितना जल्दी हो सके सूचित करें।

कहीं किसी बड़े आयोजन जैसे रैली, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिता, धार्मिक आयोजन, कोई सेरिमनी, इत्यादि होने से पहले या उसके दौरान यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखे, जिसके हाव भाव या हरकतें संदेहास्पद हो तो उसे नजरअंदाज ना करें, शीघ्र ही सुरक्षाकर्मियों को सूचित करें।

3. सीमाओं पर कठोर नियंत्रण

सीमा पर नियंत्रण तो अत्यंत कठोर कर देना चाहिए जिससे कोई आतंकवादी सीमा के अंदर प्रवेश ना कर सके और जो प्रवेश करना भी चाहे उसे जड़ से समाप्त कर देना चाहिए। इस स्थिति से निपटने के लिए सीमाओं पर तैनात बल को हमेशा इमानदारी पूर्वक जागरूक रहना आवश्यक है। भूमि, वायु और समुद्री सीमाओं के पास संदिग्ध आतंकवादियों और विदेशी आतंकवादी लड़ाकू के प्रभाव को रोकने और मुकाबला करने के लिए प्रभावी सीमा सुरक्षा और प्रबंधन सुनिश्चित करना आवश्यक है। आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले हथियारों, गोला बारूद तथा विभिन्न प्रकार के विस्फोटक पदार्थों के आवागमन पर अंकुश लगाना जरूरी है। ऐसा करके विदेशी आतंकवाद के प्रवाह को रोका जा सकता है तथा अपनी सीमा को सुरक्षित किया जा सकता है।

आतंकवाद को उसी की भाषा में जवाब देकर ही उसे समाप्त किया जा सकता है। भारत द्वारा किया गया ”सर्जिकल अटैक” इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

आतंकवाद के दुष्परिणाम

आतंकवाद आज विश्व की सबसे मुख्य समस्या बन गया है। विश्व के ज्यादातर देश आतंकवाद से किसी न किसी रूप में पीड़ित है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। आतंकवाद का दुष्परिणाम सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक सिस्टम पर तो पड़ता ही है, साथ ही आतंकवाद का असर सबसे ज्यादा आम जनता पर पड़ता है।आतंकवादी जिस पर जुल्म ढाते हैं वे उन्हीं के भाई-बहन होते हैं, मासूम होते हैं, जिनका सरकार और आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं होता है। एक बार ऐसा कुछ देखने के बाद इंसान के मन में जीवन भर के लिए डर पैदा हो जाता है। वह घर से निकलने तक में हिचकता है। आतंकवाद से लोगों में एक ऐसा डर का माहौल पैदा हो जाता है जिससे वे अपने ही देश में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। आतंकवाद के चलते लाखों की संपत्ति नष्ट हो जाती है, हजारों लाखों मासूमों की जान चली जाती है, मानव जाति का एक दूसरे से भरोसा उठ जाता है।

आतंकवाद से भ्रष्टाचार में भी वृद्धि होती है क्योंकि आतंकवादी अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े अधिकारियों को रिश्वत देते हैं जो इन्हें खुली छूट प्रदान कर देते हैं। परिणाम स्वरूप यह आतंकवादी समाज में भ्रष्टाचार भी फैलाते हैं जो समाज के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। आतंकवाद में हिंसा की घटनाओं में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग होता है जिससे देश में अनेकों प्रकार की घातक बीमारियां फैलती है जिसका परिणाम बहुत ही भयावह होता है। इस प्रकार आतंकवाद का दुष्परिणाम प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से हर जगह पड़ता है।

निष्कर्ष

आतंकवाद एक बहुत बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है जो देश में आतंक मचाने के लिए मानव दिमाग का इस्तेमाल कर रहा है। भारत एक विकासशील देश है जिसने पूर्व और वर्तमान में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है। आतंकवाद उनमें से एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होता, वह केवल अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के ऊपर दबाव बनाने के लिए निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं। यह मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। यह एक बीमारी की तरह है जो नियमित तौर पर फैल रही है और इससे जल्द से जल्द रोकने की आवश्यकता है। पूरे विश्व को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देना होगा अन्यथा यह पूरी दुनिया में फैल जाएगा।
आतंकवाद से निपटने के लिए देश दुनिया को मिलकर काम करना होगा और इसलिए हर साल 21 मई को ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। इस समस्या से लड़ने के लिए एक अकेला देश कुछ नहीं कर सकता क्योंकि यह विश्वव्यापी समस्या है।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi
रक्षाबंधन पर निबंध 2023: Simple Essay on Raksha Bandhan in Hindi

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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi):

रक्षाबंधन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई और बहन के प्यार और संबंध का विशेष अवसर माना जाता है। इसी कारण इसे भाई-बहन का पर्व भी कहा जाता है। इसके साथ ही, रक्षाबंधन समाज में भाई-बहन के प्यार और भरोसे को भी दर्शाता है। रक्षा बंधन का अर्थ होता है “सुरक्षा का बंधन” और इसका महत्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपने प्रियजनों की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए और उनके साथ उनके हर मोड़ पर खड़े रहना चाहिए। आज हम रक्षाबंधन पर निबंध लिखेंगे जिससे आपको रक्षाबंधन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और आप जानेंगे रक्षाबंधन पर निबंध कैसे लिखें? रक्षाबंधन की सच्चाई क्या है? यह रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है उस पर निबंध लिखें? यह लघु निबंध विभिन्न कक्षाओं जैसे Class 1, Class 2, Class 3, Class 4 और Class 5 में भी रक्षाबंधन पर पैराग्राफ या रक्षाबंधन निबंध लेख लिखने में आपकी मदद करेगा। आइये शुरू करते हैं Essay on Raksha bandhan in hindi

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakshabandhan in Hindi)

प्रस्तावना

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है, जिसे राखी का त्यौहार भी कहा जाता है। रक्षाबंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके सुखी जीवन की प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बहन भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है। रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है जिसे पूरे भारत समेत अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

रक्षाबंधन मनाने की परंपरागत विधि

रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व पर पहले बहन सुबह स्नान करके पूजा की थाल सजाती है। पूजा की थाल में राखी, रोली, अक्षत, दीपक तथा मिठाई रखी जाती है। तत्पश्चात घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठा कर उसकी आरती उतारी जाती है। सिर पर अक्षत डाला जाता है, माथे पर कुमकुम का तिलक किया जाता है, और फिर कलाई पर राखी बांधी जाती है, और अंत में मीठा खिलाया जाता है। इसके बाद भाई अपनी बहनों को दक्षिणा स्वरुप पैसे या उपहार देते हैं, साथ ही साथ उनकी सुरक्षा करने का वचन लेते हैं। भाई के छोटे होने पर बहनें भी भाई को उपहार देती हैं।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले इस के अर्थ को समझना होगा। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है रक्षा + बंधन अर्थात एक ऐसा बंधन जो रक्षा का वचन ले। यह पर्व भाई-बहन के रिश्तो की अटूट डोर का प्रतीक है। शास्त्रों में रक्षाबंधन का अत्यंत महत्त्व बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों में भी कई जगह उल्लेख मिलता है कि देवता भी इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। मान्यता है कि सावन माह की पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में बांधे गए रक्षा सूत्र का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है।
बहनों द्वारा अपनी भाइयों की कलाई में बांधी गई इस राखी के प्रभाव से भाइयों की हर संकटों से रक्षा होती है। उन्हें देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

रक्षाबंधन का इतिहास

रक्षाबंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत ग्रन्थ में भी मिलता है। इसका एक उदाहरण कृष्ण और द्रौपदी को माना जाता है। कृष्ण भगवान ने दुष्ट राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगुली से खून बह रहा था, जिसे देखकर द्रौपदी बेहद दुखी हुई और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अंगुली में बांधा, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। तब से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था। कई वर्षों बाद जब पांडव द्रौपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी की लाज बचाई थी और अपने भाई होने के वचन को निभाया। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था, वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। रक्षाबंधन हिंदू धर्म के उन त्योहारों में शुमार है, जो अपने आप में पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को समेटे हुए है। इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्यौहार की शुरुआत की लगभग 6000 साल पहले बताई गई है। इसके कई प्रमाण इतिहास के पन्नों में दर्ज है। रक्षाबंधन का एक महत्वपूर्ण प्रमाण रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं भी हैं।

आधुनिक युग में प्यार के धागे का महंगी मोतियों में बदल जाना

स्वयं को नए जमाने का दिखाने के लिए हम शुरू से हमारी सभ्यता को पुराना फैशन कह कर बुलाते हैं। हमारी पूजा पद्धति भी बदली है। रक्षाबंधन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण धागा होता है जिसे महिलाएं भावपूर्ण होकर भाई की कलाई पर बांधती है किंतु आज बाजार में अनेक प्रकार की महँगी मोती माणिक्य जड़ित राखी उपलब्ध है। जिनमें कुछ तो सोने चांदी से बनी हुई है। धागे के प्यार से बना यह बंधन धीरे-धीरे दिखावे में बदलता जा रहा है। अतः अपने संस्कृति की रक्षा करने हेतु हमें हमारे पर्वों के रीति रिवाज में परिवर्तन नहीं करना चाहिए और राखी के पर्व की महत्वता बनाए रखनी चाहिए।

निष्कर्ष / उपसंहार

रक्षाबंधन हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्यौहार को भावपूर्ण होकर और हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। रक्षाबंधन के पर्व में भाई-बहनों के परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है। जब एक स्त्री किसी भी पुरुष को अपना भाई मानकर राखी बांधती है और उसकी लंबी आयु की प्रार्थना करती है, तो वह पुरुष जन्म जन्मांतर के लिए उसका भाई बन जाता है और उस राखी के बदले बहन की रक्षा करने का वचन देता है। व्यवसायिक या व्यक्तिगत कारणों से कई भाई-बहन एक-दूसरे से मिल नहीं पाते, लेकिन इस खास मौके पर वे एक-दूसरे के लिए समय निकालकर इस पवित्र पर्व को मनाते हैं, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। हमें इस महान और पवित्र त्योहार को संरक्षित करते हुए इसे अच्छे मन से मनाना चाहिए।

यह भी पढ़े: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध : Essay on Kishna Janmashtami in Hindi

आशा करते हैं कि आपको रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakshabandhan in Hindi) पसंद आया होगा और आपके कक्षा में होने वाले निबंध प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में यह रक्षाबंधन पर निबंध (rakshabandhan essay) सहायक होगा। अब विद्यार्थियों से अनुरोध है कि इसकी प्रैक्टिस करें और स्वयं के अनुभव पर रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) खुद से लिखिए। – Thanks form Team Curious Kids Kingdom

Essay on Independence Day in Hindi
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 2023: Best Essay on Independence Day in Hindi

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स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Essay on Independence Day in Hindi): स्वतंत्रता दिवस का महत्त्व सभी देशवासियों के लिए एक सामान होता है। हम सभी 15 अगस्त के दिन गर्व का अनुभव करते हैं। हम सभी के ह्रदय में अपने अनगिनत स्वतंत्रता सैनानियों के लिए कृतज्ञता का भाव होता है, जिन्होंने अपना जीवन हमारी भारत माता को अंगेज़ी हुकूमत से आज़ाद करने के लिए न्योछावर कर दिया। अब जबकि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और हमारे देश भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं, हमारा कर्त्तव्य है कि आज की युवा पीढ़ी को और बच्चों को अपनी स्वतंत्रता का महत्त्व समजायें और भारत के उन महँ विभूतियों के बारे में अवगत करायें जिनके अथक प्रयासों के कारण आज हम स्वतंत्र हैं। इसीलिए हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता दिवस पर निबंध, नाटक मंचन, भाषण तथा फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता को शामिल किया गया है। आज हम अपने Curious Kids Kingdom के पाठको को “स्वतंत्रता दिवस पर निबंध लेखन” सिखाएंगे। आप जानेंगे की “भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में निबंध कैसे लिखें?”

हमारा प्रयास है कि स्वतंत्रता दिवस पर जो भी प्रश्न हो उसका उत्तर देने के लिए आप सक्षम बने। हमारी टीम ने कुछ प्रमुख रूप से प्रश्नो की लिस्ट तैयार की है। आइये पहले देखते हैं कि किस प्रकार के प्रश्न पूछे आपसे पूछे जा सकते हैं ?

Independence Day Essay Writing Related Questions:

  • स्वतंत्रता दिवस का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध कैसे लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 300 शब्द लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 600 शब्दों में लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 150 शब्दों में लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 10 लाइन लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 200 शब्दों में लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 250 शब्द लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध हिंदी में लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 1000 शब्दों में लिखें?
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध in Hindi लिखें?
  • 15 अगस्त पर निबंध कैसे लिखे?
  • 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में लिखें?
  • 15 अगस्त पर निबंध लिखिए?
  • 15 अगस्त के बारे में क्या लिखें?

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 150-200 शब्द (Essay on Independence Day in Hindi)

भारतीय स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन भारत के आज़ाद होने की ख़ुशी तो देता ही है इसके साथी ही हमें उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने देश के लिए अपने जीवन न्योछावरकर दिया। 15 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाकर हम उनकी महानता, साहस और देशभक्ति को सलाम करते हैं।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीयों ने एकजुट होकर अपने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेकर आज़ाद, बिपिन चंद्रपाल, रानी लक्ष्मीबाई आदि के नेतृत्व में हमारे वीर योद्धाओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जंग लड़ी। उनका संघर्ष और त्याग हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने में सफल रहा।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारे देश की आज़ादी कितनी मूल्यवान है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करके देश के विकास में योगदान देना चाहिए। स्वतंत्रता की महानता को समझते हुए, हमें आज भी समाज में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव को कम करने का प्रयास करना चाहिए। हमें समाज में समानता और एकता के महत्व को समझना चाहिए ताकि हमारे देश का विकास और सुधार सही दिशा में और तेज़ी से हो सके।

इस 77वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर, हम अपने वीर स्वतंत्रता सैनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी कुर्बानी को सलाम करते हैं। हम यह मानते है कि हम उनके ऋणी हैं और हम यह ऋण अपने देश को और ज़्यादा शक्तिशाली, समृद्ध बनाने के साथ ही इसे फिर से विश्व गुरु बनाकर चुकाएंगे।

भारत माता की जय!


स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 300-400 शब्द (Essay on Independence Day in Hindi)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

प्रस्तावना:

स्वतंत्रता दिवस भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो 15 अगस्त को प्रतिवर्ष महा उत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन ही हमारा देश भारत, अंग्रेज़ो की पराधीनता से मुक्त होकर आज़ाद हुआ था। यह दिन हमें याद दिलाता है कि किस प्रकार से हमारे वीर पूर्वजों ने दृढ़ विश्वास, संकल्प और महान संघर्ष करके अपने देश को आज़ादी दिलाई थी।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम उन सभी लोगो का हाथ है जिन्होंने अपना घर परिवार त्याग कर, अपना सर्वस्व न्योछावर करके, यहाँ तक कि अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर भी हमारे देश को स्वतंत्र कराया। गांधीजी के अग्रणी नेतृत्व में सत्याग्रह और अहिंसा की बात ने लाखों भारतीयों को एकजुट किया और उन्हें स्वतंत्रता की दिशा में प्रेरित किया। इसकी के साथ नेता जी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंदशेखर आज़ाद आदि देश के सपूतों के नेतृत्व में लाखों भारतियों ने ब्रिटिश हुकूमत के ईंट से ईंट बजा दिए। यह दिखाता है कि विश्वास और संकल्प के साथ हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

स्वतंत्रता का महत्व:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों का अटल संकल्प था कि वे अपने देश को आज़ाद करेंगे, चाहे वो जीवन में कितनी भी मुश्किलें हो। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने सपनों को कभी भी कमजोर नहीं होने दिया। 1947 में हम भारतीयों को आज़ादी मिली, लेकिन वो आज़ादी सिर्फ एक दिन की बात नहीं थी, बल्कि एक नये युग की शुरुआत की थी। नये भारत के निर्माण में हर व्यक्ति की भागीदारी थी, और वो भागीदारी आज भी हमें आगे बढ़ने की सामर्थ्य प्रदान करती है।

स्वतंत्रता का महत्व सिर्फ एक राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं है, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी गहरा प्रभाव डालता है। हमारी आज़ादी का मान और महत्व बरकरार रखने के लिएहम सभी भारतवासियों को देश के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए प्रयास करने चाहिए।

निष्कर्ष:

भारतीय स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हमे स्वतंत्रता किस क़ीमत पर मिली है और हमें इसकी रक्षा के लिए हमे कितना सजग और प्रयासशील रहा चाहिए। हमें अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और स्वतंत्रता दिलाने वाले उन सभी महान वीरों का सम्मान करना चाहिए। आओ, हम सब मिलकर एक सशक्त, समृद्ध और सुदृढ़ भारत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

जय हिंद, जय भारत!


15 अगस्त पर 10 लाइन निबंध हिंदी में | 10 Lines Essay on 15 August in Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 800-1000 शब्द (Essay on Independence Day in Hindi)

आइये शुरू करतें हैं भारत के स्वतंत्रता दिवस पर एक प्रभावशाली निबंध लेखन (Essay on Independence Day 2023 in Hindi):

प्रस्तावना

स्वतंत्रता दिवस, हमारे भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है। 15 अगस्त 1947 एक ऐसी तिथि है जिसे हमारे देश के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। यह भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपूर्ण दिन था जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिए आजादी हासिल की थी| भारत की आजादी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव, पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में किया, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पहली बार फहराया। इस दिन भारत के उन महान नेताओं और स्वतंत्रता सैनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिनके नेतृत्व में भारत आजाद हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के लाल किले पर भारतीय झंडा फहराने की प्रथा को आने वाले दूसरे प्रधानमंत्रियों ने भी आगे बढ़ाया, जहां झंडारोहण परेड तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम हर साल आयोजित किये जाते हैं। कई लोग इस भारतीय राष्ट्रीय पर्व के दिन अपने वस्त्रों पर, घर तथा कार्यालयों पर झंडा लगाते हैं। स्वतंत्रता दिवस को मनाने का अर्थ केवल औपचारिक तौर पर ध्वजारोहण करना नहीं है अपितु स्वतंत्रता के महत्व को समझाने और शहीदों के योगदान का स्मरण करना भी है।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

अंग्रेजों का आगमन भारत में 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के रूप में हुआ था। उनका मुख्य उद्देश्य भारत में अपना व्यापार स्थापित करना था। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपना व्यापार स्थापित कर लिया और बहुत से भारतीय राजाओं को युद्ध में पराजित करके सभी प्रांतो पर अपना शासन पूर्ण रूप से जमा लिया। वर्ष 1757 में भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई जिसके बाद प्लासी के युद्ध में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई और अंग्रेज़ो ने हमारे देश पर नियंत्रण प्राप्त किया लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में लगभग 100 वर्षों तक हुकूमत किया। भारत में ब्रिटिश सरकार का राज भारत में चलने लगा। अपने ही देश में भारतीय गुलाम बन कर रह गए जो ब्रिटिश हुकूमत के आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर थे। हमारी स्वतंत्रता की मांग को लेकर कई स्वतंत्रता सेनानियों ने आवाज उठाई ,महात्मा गांधी, भगत सिंह,सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद ,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, सरदार वल्लभभाई पटेल ,खुदीराम बोस, सुखदेव, लाला लाजपत राय समेत हजारों सेनानियों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाकर आखिरकार अंग्रेजों को भारत से खदेड़ दिया। अंत में 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद भारतवासियों ने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को आजाद हवा में सांस लिया।
“लड़े वीर जवानों की तरह;
ठंडा खून फौलाद हुआ,
मरते मरते भी मार गिराए,
तभी तो देश आजाद हुआ”

भारतीय स्वतंत्रता में महिलाओं का योगदान

भारत वीर और वीरांगनाओं दोनों की धरती है। यहां आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और अनेकों महिलाओं ने अपना बलिदान भी दिया था। रानी लक्ष्मीबाई, रानी चेन्नम्मा, बेगम हजरत महल, एनी बेसेंट, सुचेता कृपलानी, अरूणा आसफ अली, कमला नेहरू ,डॉ लक्ष्मी सहगल, रानी गैदिनल्यू, दुर्गा भाभी, रानी वेलु नचियार और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारतीय महिलाओं का योगदान इसलिए भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उनका सामाजिक उत्थान हुए बहुत लंबा समय नहीं हुआ था। महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में साहस, सहिष्णुता और वीरता से अपनी भूमिका निभाई, चाहे घर में हो या राजनीति में।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व

स्वतंत्रता दिवस भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है। स्वतंत्रता दिवस देशभक्ति और गर्व का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों का सामना करके हमें स्वतंत्र और आजाद देश में जन्म दिया है। इस दिन हमें अपने देश के लिए समर्पित और संघर्षशील रहने की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही 15 अगस्त का दिन युवा पीढ़ी को आजादी का महत्व और देश के प्रति अपना कर्तव्य समझाने का भी दिन है। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी स्वतंत्रता लोगों के त्याग और संघर्ष की वजह से है। इसलिए, हमें स्वतंत्रता दिवस पर अपने देश के प्रति आपनी भावनाओं को समर्पित करना चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस हमें एक-दूसरे के साथ एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ाने का अवसर भी देता है। इस दिन हमें देशभक्ति, स्वाधीनता और सामरिक भावना के महत्व को समझना चाहिए और इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने देश के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और उसकी उन्नति में योगदान देना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है? स्वतंत्रता दिवस पर गतिविधियां/ आजादी का जश्न

“जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।”

स्वतंत्र भारत में जश्न-ए -आज़ादी अर्थात राष्ट्रीय पर्व को मनाने के अलग-अलग तरीके हैं। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है इस दिन के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। उसके बाद राष्ट्रगान गाया जाता है और साथ ही 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। प्रधानमंत्री जी के द्वारा दिया गया भाषण तथा लाल किले पर किए जाने वाले सभी कार्यक्रम टीवी पर लाइव प्रसारण किए जाते हैं। इस भाषण को पूरा देश अपने रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से सुनता है।
हमारे स्कूल और कॉलेज में भी विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इसकी तैयारी हफ्ते भर शुरू हो जाती है। विद्यार्थी अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ भारत का स्वतंत्रता दिवस बनाते हैं। छात्र-छात्राएं कई दिनों पहले से प्रैक्टिस में जुट जाते हैं। कोई स्वतंत्रता दिवस पर शायरी करता है, तो कोई कविता पाठ। कोई स्वतंत्रता दिवस पर भाषण की तैयारी में लग जाता है तो कोई स्वतंत्रता सैनानियों की वेशभूषा में नाटक मंचन का अभ्यास करता है। विभिन्न प्रकार के खेलों का भी स्वतंत्रतता दिवस पर होता है। यह दिन सभी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, हम इसे बड़े ही जोश और धूमधाम से मनाते हैं। यह दिन निजी और सरकारी दोनों संगठनों द्वारा मनाया जाता है।
बाजारों में भी स्वतंत्रता दिवस के लिए रौनक दिखाई पड़ती है। कहीं तिरंगे के तीन रंगों वाली रंगोली दिखती है, तो कहीं तीन रंगों की लाइटें, यहाँ तक की तिरंगे झंडे के रंगो वाली मिठाईयां भी मिलने लगती हैं। पूरा भारत मानो इन तीन केसरिया, सफ़ेद और हरा रंगों में समा जाता है। हर जगह खुशी का माहौल होता है। देशभक्ति गीतों की झंकार के साथ पूरा देश नाच-गाकर आज़ादी का यह उत्सव मनाता है। लोग खुद भी झूमते हैं और दूसरों को भी थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। पूरा देश एकजुट हो जाता है वह भी ऐसे कि क्या हिंदू, क्या मुसलमान, क्या सिख क्या ईसाई, कोई भेद ही नज़र नहीं आता है। प्रत्येक स्थान पर हर्षोल्लास के साथ हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। तिरंगा झंडा फहराया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं।

निष्कर्ष/ उपसंहार

भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, जाति, परंपरा और संस्कृति के साथ रहते हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई ने हर भारतीय को एक साथ किया। चाहे वह किसी भी धर्म,जाति, संप्रदाय और परंपरा को मानने वाला हो। इस दिन भारतीय होने के नाते हमें गर्व करना चाहिए और यह प्रण करना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सदा देशभक्ति से पूर्ण और तत्पर रहेंगे। हम अपने भारत को फिर से “सोने की चिड़िया” बनाएँगे। प्रत्येक भारतवासी को यह भी वचन लेना चाहिए कि हम सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया को सार्थक करेंगे और उसको विश्व गुरु बनाकर सम्पूर्ण विश्व और मानवजाति का विकास करेंगे।


स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 600-800 शब्दों में | 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में (Essay on Independence Day in Hindi)

प्रस्तावना

15 अगस्त 1947 के दिन हमारे देश भारत को अंग्रेजी शासन से आजादी मिली थी। यही कारण है कि हर साल 15 अगस्तको हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस भारत देश का राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन को हर भारतीय नागरिक हर्षोल्लास से मनाता है।

स्वतंत्रता दिवस मनाने का कारण (स्वतंत्रता दिवस क्यों मानते हैं?)

15 अगस्त, 1947 का दिन भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा है। यह भारत की स्वतंत्रता का पहला दिन था। इस दिन भारत को 200 साल के अंग्रेजी शासन से आजादी मिली, यानी मिट्टी, धूल, नदियां, पहाड़, जंगल, आबोहवा और बच्चा-बच्चा सब आजाद हुए। भारत का कण-कण स्वतंत्र हो गए। लेकिन इस एक आजादी को पाने के लिए हमें बहुत समय लगा। इस आजादी को हासिल करने के लिए अनेकों लोगो ने संघर्ष किया, अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों का सामना किया, चोट खाई, शहीद हुए, कइयों ने मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे को अपने गले से लगा लिया, और कई ने अपना पूरा जीवन, अपनी पूरी जवानी इसके लिए त्याग कर दी। भारत माँ के इन सच्चे सपूतों ने स्वतंत्रता का सपना साकार किया। भारत की के वीर सपूतों के इसी उत्साह की वजह से आज हम खुली हवा में तिरंगे को लहराते हुए देख सकते हैं। 15 अगस्त, 1947 का नाम सुनते ही हर भारतीय गर्व से झूम उठता है। उन्ही वीर स्वतंत्रता सैनानियों के सम्मान में और आज़ादी की ख़ुशी में हम सब 15 अगस्त मनाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस समारोह कैसे मनाया जाता है?

यूँ तो पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिंन भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी रौनक अलग ही दिखती है। यहाँ भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस का विशेष आयोजन होता है। दिल्ली का लाल किला इस उत्सव को मनाने का मुख्य स्थान होता है। लाल किले के प्राचीर पर देश ले प्रधानमन्त्री, देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं। भारतीय जल, थल और वायु सेना तिरंगे को 21 तोपों की सलामी देती है फिर प्रधानमंत्री लाल किले से भारत देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। देशवासियों को सन्देश के बाद, राष्ट्रगान होता है। राष्ट्रगान के बाद कार्यक्रम समाप्त हो गया। स्वतंत्रता दिवस वाले दिन भारत के सभी राज्यों के कॉलेज और स्कूलों में झण्डा फहराया जाता है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। विद्यार्थियों के बीच स्वतंत्रता दिवस पर भाषण, निबंध, कविता पाठ, नाटक प्रतियोगिता आदि का आयोजन भी होता है। स्वतंत्रता दिवस की खुशी बच्चो को मिठाईया भी बाटी जाती है। आज के दिन पूरे भारत में अवकाश रहता है।

स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास

17वीं शताब्दी से ही यूरोपीय व्यापारियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना शुरू कर दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाते हुए 18वीं सदी के अंत तक स्थानीय राज्यों को अपने अधीन कर अपना राज्य स्थापित कर लिया था। 1857 में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम, 1858 के अनुसार ब्रिटिश क्राउन यानी ब्रिटेन की राजशाही का भारत पर सीधा अधिकार हो गया। दशकों में नागरिक समाज धीरे-धीरे विकसित हुआ और परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) का गठन हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के बाद के काल को ब्रिटिश सुधारों के काल के रूप में जाना जाता है जिसमें मोंटागु-चेम्सफोर्ड सुधारों को गिना जाता है लेकिन इसे रोलेट एक्ट की तरह एक दमनकारी अधिनियम के रूप में भी देखा जाता है जिसके कारण भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन की अपील की गई। इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों और देशव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरुआत हुई।
1930 के दशक के दौरान ब्रिटिश कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहा; परिणामी चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। अगले दशक को काफी राजनीतिक उथल-पुथल से चिह्नित किया गया: द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी, कांग्रेस द्वारा असहयोग का अंतिम निर्णय, और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय। 1947 में आज़ादी के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ गया। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के साथ ही इस उपमहाद्वीप से ब्रिटिश राज का अंत हो गया।

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी

भारत देश को अंग्रेजो के शासन से आज़ादी दिलाने के संघर्ष में अनेकों वीर योद्धाओं का योगदान रहा किनमे महिलाएं भी शामिल थी। उनमें से कई लोगों ने भारत को अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। भारत के मुख्य स्वतंत्रता सेनानियों में महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, रानी लक्ष्मीबाई, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, गोपाल कृष्ण गोखले, चंद्रशेखर आजाद, डॉ. बी आर अम्बेडकर, लाला लाजपत राय आदि शामिल थे।

निष्कर्ष

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का यह दिन भारत में रहने वाले सभी जाति, पंथ, धर्म, लिंग समुदाय के लोग एक साथ मिलकर बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन, एक भारतीय होने के नाते, हमें गर्व होना चाहिए और वादा करना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। भारत देश को आगे बढ़ाने के प्रयास में हम सदैव अपना योगदान देंगे। इस दिन हम शपथ लेते हैं कि हम भारत की अखंडता को सदैव कायम रखेंगे और अपनी मातृभूमि पर कभी कोई आंच नहीं आने देंगे, “जय हिंद जय भारत”

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स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (faq)

  1. हमारा भारत देश कब आजाद हुआ था ?

    15 अगस्त 1947, को हमारा भारत आजाद हुआ था।

  2. स्वतंत्रता दिवस पर झण्डा कौन फहराता है?

    भारत के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झण्डा फहरातें हैं।

  3. स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?

    प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

  4. भारत के राष्ट्रीय पर्व कौन कौन से हैं?

    भारत के 3 राष्ट्रीय पर्व हैं: स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गाँधी जयंती।