पर्यावरण पर निबंध | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में | Essay on Environment in Hindi | Environment Essay in Hindi | पर्यावरण के बारे में निबंध
पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment in Hindi):
“पर्यावरण पर निबंध” विषय का महत्व अत्यधिक है क्योंकि पर्यावरण, हमारे पृथ्वी पर रहने और जीवन जीने के लिए आवश्यक है। यह विषय हमें पर्यावरण की आवश्यकता और महत्व को समझाता है जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रभाव डालती है। यह विषय विद्यार्थियों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि छात्रों को पर्यावरण के प्रति सहयोगी और सजग बनाने की आवश्यकता है। इसके माध्यम से उन्हें पर्यावरण संरक्षण के अपने कर्तव्यों का पता चलता है और वे यह सिखते हैं कि उनके क्रियाकलापों का पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, “पर्यावरण पर निबंध” विषय समाज में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी हो सकता है। यह विषय लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक करता है और उन्हें उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों की ओर आग्रहित करता है।
आज हम पर्यावरण पर निबंध लिखेंगे जिससे आपको पर्यावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और आप जानेंगे कि पर्यावरण के बारे में निबंध कैसे लिखें? पर्यावरण का क्या अर्थ है? सरल निबंध में पर्यावरण क्या है? पर्यावरण के बारे में क्या लिखें? पर्यावरण क्या है संक्षेप में लिखें? आइये शुरू करते हैं, पर्यावरण पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment in Hindi).
पर्यावरण पर निबंध (700-1000 शब्द) | Environment Essay in Hindi
प्रस्तावना
पर्यावरण (अंग्रेज़ी: Environment) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है “परि” और “आवरण” जिसका अर्थ है “चारो ओर से घेरा हुआ है”। पर्यावरण हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समूह से बना होता है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसके भीतर घटित होती है। इसके साथ ही हम मनुष्य भी अपनी सभी गतिविधियों से इस वातावरण को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीव और उसके पर्यावरण के बीच एक पारस्परिक संबंध होता है।
पर्यावरण क्या है?
पर्यावरण हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा है.पर्यावरण से ही जीव-जंतु जीवित रहते है। केवल पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जिसपर जीवन योग्य पर्यावरण है। वे सभी प्राकृतिक संसाधन जो हमें चारों ओर से घेरते हैं और हमें कई तरह से सहायता देते हैं, पर्यावरण कहलाते हैं। यह हमें सब कुछ देता है जो इस ग्रह पर जीवित रहने के लिए आवश्यक है, साथ ही हमें बढ़ने और विकसित होने का एक बेहतर माध्यम भी देता है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ सहायता चाहता है ताकि वह हमारा पालन-पोषण कर सके, हमारा जीवन बनाए रख सके और कभी नष्ट नहीं हो। धरती के पर्यावरण को नष्ट करने का कारण कोई जंतु- जानवर नहीं बल्कि मनुष्य ही है।
दूसरे शब्दों में, पर्यावरण उस वातावरण का प्रतिनिधित्व करने का कार्य करता है जो सभी जीवित प्राणियों को घेरता है और उनके जीवन को प्रभावित करता है। पृथ्वी का वातावरण जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल से बना है। मिट्टी, जल, वायु, अग्नि और आकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें हम पंचतत्व भी कहते हैं। पर्यावरण वह स्थिति है जिसमें कोई जीव जन्म लेता है, फिर उसकी जीवन प्रक्रिया चलती है और फिर एक समय आता है जब उसका अंत हो जाता है। यह जीवित जीवों की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है। पर्यावरण ने हमें आरामदायक जीवन जीने की सभी आवश्यकताएं प्रदान की हैं। पर्यावरण का संबंध उन वस्तुओं से है जो किसी वस्तु के बहुत करीब होती हैं और उस पर सीधा प्रभाव डालती हैं।
पर्यावरण की प्रकार
पर्यावरण के निम्नलिखित प्रकार हैं:
- प्राकृतिक पर्यावरण: प्राकृतिक पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीजें शामिल हैं। इस वातावरण में सभी जीवित प्रजातियों, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक संसाधनों की परस्पर क्रिया शामिल है जो मानव अस्तित्व और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करते हैं।
- मानव निर्मित पर्यावरण: मानव निर्मित वातावरण वे वातावरण हैं जो मानव द्वारा मानव की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं। मानव ज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण हम अपने आस-पास बहुत सी चीजें देख सकते हैं जो मानव निर्मित वातावरण हैं। मानव निर्मित वातावरण के उदाहरण सड़कें, वाहन, भवन और उद्योग, अस्पताल, स्कूल और मंदिर इत्यादि हैं।
- भौतिक पर्यावरण: भौतिक पर्यावरण में मानव द्वारा निर्मित सांसारिक वस्तुएं और अवसंरचनाएं होती हैं, जो प्राकृतिक पर्यावरण से अलग होती हैं। भौतिक पर्यावरण के माध्यम से हम संरचित और अनुकूल स्थानों की निर्माण करते हैं और इसका ध्यान रखते हैं कि वहां जीवन शैली को सुखद बनाए रखा जा सके।
- जैविक पर्यावरण: जैविक पर्यावरण, हमारे प्राकृतिक पर्यावरण में जीवन के विविध प्रकार का समूह है। इसमें वनस्पतियों, पशु-पक्षियों, माइक्रो-ऑर्गेनिज्म, कीट-पतंग और अन्य संरचनात्मक और अवरक्त जीवन जगत का समावेश होता है। जैविक पर्यावरण का महत्व विशेष रूप से इस वजह से है कि यह पर्यावरण में संतुलन बनाने में मदद करता है।
पर्यावरण के मुद्दें
भारत की पर्यावरण (Environment) समस्याओं में विभिन्न प्राकृतिक खतरे हैं जिनमे विशेष रूप से चक्रवात और वार्षिक मानसून बाढ़, जनसंख्या वृद्धि, बढ़ती व्यक्तिगत खपत, औद्योगीकरण, ढांचागत विकास, खराब कृषि पद्धतियाँ और संसाधनों का असमान वितरण शामिल हैं। भारत का प्राकृतिक दबाव काफ़ी बढ़ गया है। पानी की कमी, मिट्टी का कटाव और कमी, वनों की कटाई, वायु और जल प्रदूषण के कारण कई क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हैं। भारत में कई तरीके के कारखानो से निकलती हुए रसायन (केमिकल) जो जल को प्रदूषित करती है और कई सारे कारखानों से प्रदूषित गैसे निकलती है जो हमारे वायु वातावरण को प्रदूषित करती है। इन सभी चीजों का कारण भारत की बढ़ती हुयी आबादी है। आने वाले समय में लोगो को बहुत सारे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस
पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को बनाया जाता है । 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। वर्ष 1972 में पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था।
पर्यावरण प्रदूषण पर रोक (नियत्रंण)
पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी हो गया है, जिसके लिए अब वैश्विक स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना आवश्यक है क्योंकि जितनी अधिक जनसंख्या होगी, मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही अधिक दुरुपयोग होगा। इसके साथ ही वनों की कटाई पर रोक लगाकर पेड़-पौधे लगाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के उद्देश्य से वर्ष 1981 में संसद द्वारा वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया था। खाद्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। जब कूड़ा-कचरा दोबारा खाद में परिवर्तित हो जाता है तो जैविक खाद बनती है। फलस्वरूप यह धरती कूड़े-कचरे का ढेर बनने से बच जायेगी।
निष्कर्ष
पर्यावरण के प्रति हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। भविष्य में यदि हम अपने आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ, सुन्दर एवं उपयोगी देखना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने पर्यावरण के साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार करना बंद करना होगा। हमें प्राकृतिक पर्यावरण के लिए जितनी मदद की जरूरत है, उससे कहीं अधिक हमें प्रकृति को बचाने के लिए भी करना होगा। क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहकर ही मनुष्य स्वस्थ अपना विकास कर सकता है।
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आशा करते हैं कि आपको पर्यावरण पर निबंध (Essay on environment in Hindi) पसंद आया होगा और आपके कक्षा में होने वाले निबंध प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में यह पर्यावरण पर निबंध (environment essay) सहायक होगा। अब विद्यार्थियों से अनुरोध है कि इसकी प्रैक्टिस करें और स्वयं के अनुभव पर पर्यावरण पर निबंध (essay on environment in hindi) खुद से लिखिए। – Thanks form Team Curious Kids Kingdom