15+ कबीर के प्रसिद्द दोहे हिंदी में अर्थ सहित (Kabir Das ke Dohe with Meaning in Hindi and English)

Kabir Das Popular Dohe with Meaning in Hindi and English | कबीर के प्रसिद्द दोहे हिंदी और अंग्रेजी में अर्थ सहित

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय |
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ||

इस दोहे के माध्यम से संत कबीर दास जी कहते हैं कि हमें हमेशा ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे सुनकर सामने वाले हो अच्छा लगे। जिसे सुनकर उनका मन शांत हो हो और स्वयं को भी सुख और शांति का अनुभव हो।

Aisi vaani boliye, man ka aapa khoy!
Auran ko sheetal kare, aaphu sheetal hoy
!!

Through this couplet, Sant Kabir Das Ji says that we should always speak in such a manner that it pleases the listener. The words should calm their mind, bringing them peace and happiness, and in turn, provide us with a sense of comfort and tranquility.


गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥

कबीर दास जी कहते हैं कि यदि गुरु और गोविंद अर्थात भगवान दोनों मेरे सामने खड़ें हो जाएँ तो मुझे किसका चरण स्पर्श पहले करना चाहिए? फिर वो कहते हैं की मैं पहले अपने गुरु के चरण स्पर्श करूँगा क्योंकि मेरे गुरु ने ही तो मुझे गोविन्द अर्थात भगवान से मिलाया है यानि मेरे गुरु ने ही मुझे बताया है की भगवान कौन हैं, उनका ज्ञान कराया है।

Guru Govind dou khade, kake lagu paay।
Balihari Guru aapne, Govind diyo milay।।

Kabir Das Ji says that if both the Guru and Govind (God) stand before me, whose feet should I touch first? He then says that I would first touch my Guru’s feet because it is my Guru who has led me to Govind, meaning my Guru has introduced me to God and imparted the knowledge of who God is.


निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय ।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय ॥

कबीर दास जी कहते हैं कि अपनी निंदा अर्थात आलोचना करने वाले व्यक्ति हो हमेशा अपने पास रखना चाहिए। जिस प्रकार साबुन और पानी से नहाकर हमारा शरीर स्वच्छ होता है उसी प्रकार ऐसे व्यक्ति हमें हमारी कमियां बताकर हमारा स्वभाव साफ़ करतें हैं यानि हमे अति आत्मविश्वास और अहंकार से बचाते हैं।

Nindak niyare rakhiye, aangan kuti chhavaay।
Bin paani, saabun bina, nirmal kare subhaay॥

Kabir Das says that one should always keep a person who criticizes them close. Just as our body is cleansed by bathing with soap and water, similarly, such a person helps cleanse our nature by pointing out our flaws. This prevents us from becoming overly self-confident and arrogant.


काल करे सो आज कर, आज करै सो अब |
पल में परलय होयगी, बहुरी करेगा कब ||

इस दोहे में संत कबीर दास जी बताते हैं कि हमें समय की कीमत पहचाननी चाहिए। हमे जो काम आने वाले कल करना हैं उसे आज ही कर लेना चहिये और जो काम आज करना उसे अभी इसी समय कर लेना चहिये। हमे क्या पता कि अगले ही पल प्रलय आ जाए तो अपना काम कब कर पाएंगे।

Kal kare so aaj kar, aaj kare so ab|
Pal mein pralaya hoyegi, bahuri karega kab||

In this couplet, Saint Kabir Das tells us that we should recognize the value of time. The work we have to do tomorrow should be done today, and the work we have to do today should be done right now. Who knows, the next moment might bring a catastrophe, and when will we be able to complete our tasks?


बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।

कबीरदास के इस प्रसिद्ध दोहे में कहा है कि जब मैं किसी और व्यक्ति की बुराई खोजने चला तो मुझे ऐसा व्यक्ति कोई नहीं मिला। किंन्तु जब मैंने अपने अंतर्मन को देखा तो मुझे पता चला कि मैं ही सबसे बुरा हूँ, जो दूसरों की बुराई खोजता है। अतः हमे दूसरों की कमी निकालने से अच्छा अपनी अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिये।

Bura jo dekhan main chala, bura na miliya koy।
Jo dil khoja aapana, mujhse bura na koy।।

Kabir Das has said in this famous doha that when I went looking for the faults of others, I found none. However, when I looked within myself, I realized that I am the worst, as I am the one who searches for the faults of others. Therefore, instead of finding flaws in others, we should focus on our own virtues.


करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥

कबीर दास का यह प्रेरणादायक दोहा हमें हर काम सोच समझकर करने के लिए प्रेरित करता है। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि हे मनुष्य, जब तुम बिना सोचे समझे बुरे कार्यों को करता था, तो अब पछताने से क्या फायदा। जिस प्रकार यदि कोई बबूल (कांटेदार) का पेड़ बोता है तो उसे आम का फल पाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिये, उसे तो कांटे ही मिलेंगे। बाद में पछताने से अच्छा है कि पहले ही परिणाम सोचकर काम किया जाये।

Karta tha so kyon kiya, ab kar kyon pachitaya।
Boya ped babool ka, aam kahan se khaya ॥

This inspirational couplet by Kabir Das encourages us to think carefully before doing any work. In this doha, Kabir Das says that if a person engages in bad deeds without thinking, then what’s the use of regretting later? Just as if someone sows a babool (thorny) tree, they should not expect to get mangoes from it; they will only get thorns. It’s better to consider the consequences before acting.


दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

इस प्रेरणादायक दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख अथवा संकट के समय सभी भगवान को स्मरण करते हैं। किन्तु जब समय अच्छा चलता है अर्थात सुख के समय सभी भगवान को याद करना भूल जाते हैं। कबीर दास जी बोलते हैं की यदि मनुष्य सुख के समय भी भगवान को याद करे तो उसे दुःख होगा ही क्यों?अर्थात भगवत कृपा से उसपर आने वाला सारा दुःख और संकट पहले हो समाप्त हो जाएगा। इसलिए हमें हर समय सुख हो या दुःख भगवान् को याद करना चाहिए।

Dukh mein sumiran sab kare sukh mein karai na koy।
Jo sukh mein sumiran kare dukh kaahe ko hoy॥

In this inspirational doha, Kabir Das ji says that during times of sorrow or adversity, everyone remembers God. However, when times are good, meaning during times of happiness, they forget to remember God. Kabir Das ji states that if a person remembers God even during times of happiness, why would they experience sorrow? That is, through the grace of the Divine, all the sorrows and adversities that are destined for them will be resolved beforehand. Therefore, whether in times of joy or sorrow, we should always remember God.


मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ॥

कबीर दास जी के इस प्रसिद्ध दोहे का अर्थ है कि मनुष्य की जय और पराजय अर्थात हार और जीत उसके मन के भाव यानि मनोबल पर निर्भर करती है। जिस मनुष्य का मनोबल ऊँचा रहता है उसकी हमेशा जीत होती है और जिस व्यक्ति का मनोबल कम या दुर्बल होता है, उसकी जीत की संभावना क्षीण हो जाती है। कबीर दास जी कहते हैं कि यदि मनुष्य ठान ले और दृढ़ निश्चय कर ले तो वह हरी अर्थात परमात्मा को भी प्राप्त कर सकता है। इसलिए हमेशा अपना मनोबल ऊँचा रखना चाहिए।

Mann ke haare haar hai, mann ke jeete jeet।
Kahe Kabir hari paaiye, manm hi ki parateet॥

The famous couplet by Kabir Das ji means that victory and defeat, or success and failure in a person’s life depend on their mental strength, that is, their determination and morale. A person with high mental strength always achieves victory, whereas someone with low or weak mental strength finds their chances of success diminished. Kabir Das ji advises that if a person remains determined and firm in their resolve, they can achieve victory, even attaining the divine (Paramatma). Therefore, one should always strive to keep their morale high.


जब तू आया जगत में, लोग हँसे तू रोय ।
ऐसी करनी ना करो, पीछे हँसे सब कोय ॥

कबीर दास जी के इस प्रसिद्ध दोहे में कहते हैं कि जब तुम इस संसार में आये थे तो रो रहे थे और सब हंस रहे थे। इसका तात्पर्य है की जब कोई बच्चा पैदा होता है तो वह रोता है और उसके सगे सम्बन्धी खुशियां मानते हैं और खुश होते हैं। हे मनुष्य! तुम्हे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे तुम्हारे इस संसार से जाने के बाद भी लोग तुम पर हँसे यानि तुम्हार मज़ाक उड़ाएं ! कबीर दास का तात्पर्य है की हमे इस संसार में इतने अच्छे काम करने चाहिए कि हमारे पीछे लोग हमे याद करें और हमारी अनुपस्थिति के लिए दुखी हों।

Jab tu aaya jagat mein, log hanse tu roy।
Aisi karni na karo, peeche hanse sab koy॥

In this famous couplet, Kabir Das Ji says that when you came into this world, you were crying, and everyone else was laughing. This means that when a child is born, he cries, and his relatives celebrate and are happy. Oh, human! You should not do anything that makes people laugh at you, mock you, or ridicule you after you leave this world. Kabir Das implies that we should do such good deeds in this world that people remember us and feel sorrowful in our absence.


कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं ।
पारै पहुंचे नाव ज्यौं मिलिके बिछुरी जाहिं ॥

इस प्रेरणादायक दोहे में कबीर दास कहते हैं कि इस संसार में हे मनुष्य ना कोई हमारा है और ना ही हम किसी के हैं अर्थात इस जगत में कोई किसी का नहीं है। जिस तरह किसी नाव के नदी के किनारे पहुँचने पर उसमे बैठे सभी यात्री उतर जाते हैं और अपने -अपने गंतव्य को निकल जाते हैं। कबीर का तात्पर्य है कि इस संसार में बने सारे संबंध इसी जग में छूट जाने वाले हैं।

Kabir hamaara koi nahin hum kaahu ke naahin ।
Paarai pahunche naav jyon milike bichhuri jaahin॥

Kabir Das says in this inspirational couplet that in this world, neither do we belong to anyone, nor does anyone belong to us. It means that in this universe, no one truly belongs to anyone else. Just like travelers disembark from a boat on reaching the shore and each goes their own way to their destination. Kabir’s intention is that all relationships formed in this world will eventually dissolve here.


संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
100+ Sanskrit Shlok with Meaning in Hindi & English | संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक | संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlok with Meaning in Hindi and English | Sanskrit Slokas for Competition with Meaning

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlok with Meaning

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) : सभी बच्चों को सीखना बहुत आवश्यक है। जैसा कि आप जानते हैं कि संस्कृत विश्व की भाषाओँ में से एक है और यह बहुत समृद्ध भाषा है। अनेक संस्कृत श्लोक ऐसे हैं जिन्हे पड़ने और समझने से केवल बच्चे ही नहीं अपितु हम सब जीवन और मानव मूल्यों को अच्छे से समझ सकते हैं। आजकल सभी स्कूलों में संस्कृत श्लोक competition प्रारभिक कक्षाओं से ही शुरू कर दिया जाता है। आज हम Curious Kids Kingdom पर कुछ ऐसे प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक का संग्रह लेकर आएं हैं जो हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। संस्कृत श्लोक को अर्थ सहित हिंदी और English में दिया गया है ताकि बच्चे सिर्फ श्लोक को रटे नहीं बल्कि उनसे अच्छे से समझे और उनसे सीख लें। आइये शुरू करते है 100+ संस्कृत श्लोक सहित:

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित पढ़ाने के मुख्य कारण:

संस्कृत श्लोक का महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में गहरा है। यह शब्द, वाक्य और छंद की श्रेष्ठतम रचना है जो संस्कृत भाषा में लिखी जाती है। बच्चों को संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) पढ़ाने के कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं:

  • संस्कृति और धार्मिकता का परिचय: संस्कृत श्लोक बच्चों को भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के मूल सिद्धांतों का परिचय कराते हैं। संस्कृत श्लोक अर्थ सहित समझाने से ये श्लोक बच्चों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति समर्पित करते हैं।
  • भाषा और व्याकरण कौशल: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) के पठन-पाठन से बच्चों की भाषा कौशल में सुधार होता है। यह उन्हें व्याकरण, शब्दावली, और वाक्य रचना में मदद करता है।
  • मानवता के मूल मूल्यों की समझ: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित समझाने से बच्चों में मानवता के मूल मूल्यों की समझ बढ़ती है, जैसे कि नैतिकता, सहानुभूति, और सद्भावना। ये श्लोक बच्चों को आदर्श मानवता के दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं।
  • शिक्षात्मक महत्व: संस्कृत श्लोक पढ़ने से बच्चों की शिक्षा-संस्कृति में वृद्धि होती है। ये उनके मानसिक विकास, विचारशीलता, और समस्या-समाधान कौशल को भी प्रोत्साहित करते हैं।
  • श्रुति और स्मृति का संरक्षण: भारतीय परंपरा में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता आदि के महत्वपूर्ण श्लोक हैं, जो बच्चों को सुनाये जाते हैं। संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) पढ़ाने से यह बच्चों में भारतीय परम्परा और मानव जीवन के मूलों के बारे में जानकार उसे याद रखते हैं।।
  • शिक्षकता और विचार स्पर्श: संस्कृत श्लोक बच्चों के मन में नए विचार और सोच का संवाद खड़ा कर सकते हैं। इन्हें विचारने की क्षमता और समस्याओं का समाधान निकालने की क्षमता भी मिलती है।
  • आध्यात्मिक विकास: संस्कृत श्लोक आध्यात्मिक विकास को भी प्रोत्साहित करते हैं। बच्चों को आत्मज्ञान, मानवता के मूल सिद्धांत, और आध्यात्मिक उन्नति का पथ प्रदान करते हैं।

इन कारणों से, बच्चों को संस्कृत श्लोक अर्थ सहित पढ़ाने से उनकी सामाजिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है।

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning)

1. गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

sanskrit shloka with meaning

हिंदी अर्थ: यह श्लोक गुरु की महिमा को प्रकट करने के लिए बोला जाता है। इस संस्कृत श्लोक का अर्थ निम्नलिखित है:

“गुरु अर्थात शिक्षक ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महेश्वर अर्थात शंकर भगवान हैं।
गुरु ही साक्षात परब्रह्म है अर्थात गुरु परमात्मा हैं, उन महान गुरु को नमस्कार है।”

Gurur Brahma, Gurur Vishnu, Gurur Devo Maheshwara,
Gurur Saakshat Parabrahma, Tasmai Sri Guruve Namaha.

English Meaning: This shloka extols the significance of the Guru and pays tribute to their guidance in students’ lives, attributing Guru to various divine forms while emphasizing their ultimate connection with the Supreme Reality. The meaning of this sanskrit shlok is:

“The Guru, meaning the teacher, is indeed Brahma; the Guru is indeed Vishnu; the Guru is indeed Maheshvara, that is, Lord Shiva. The Guru is the Parabrahma meaning the Guru is the Supreme Soul; salutations to great Guru.”


2. ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात॥

हिंदी अर्थ: यह एक प्राचीन वेद मंत्र है, जिसे गायत्री मंत्र के नाम से जाना जाता है। इस गायत्री मंत्र का अर्थ हिंदी में निम्नलिखित रूप में होता है:

हम पमात्मा की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस तीनो लोकों (संसार) को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है। इस मंत्र का अर्थ है- हे आदरणीय माँ गायत्री, आपका दिव्य प्रकाश हमारे अस्तित्व के सभी क्षेत्रों (शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक) को प्रकाशित करे। हमें सच्चे ज्ञान की दिशा में प्रवृत्त करें।

“Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ, Tat Savitur Vareṇyaṃ Bhargo Devasya Dhīmahi, Dhiyo Yo Naḥ Prachodayāt.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

“Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ Tatsaviturvareṇyaṃ Bhargo Devasya Dhīmahi Dhiyo Yo Nah Prachodayāt”

This mantra is a salutation to the divine light, wisdom, and guidance, seeking enlightenment and blessings from the divine source that illuminates our existence, Goddess Gayatri.


3. त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव !!

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित:

“तुम ही माता हो, तुम ही पिता हो, तुम ही बंधु हो और तुम ही सखा हो। तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, तुम ही सब कुछ हो, मेरे देवता हे देव।”

यह श्लोक भारतीय संस्कृति में एक अद्वितीय आदर्श को स्पष्ट करता है, जिसमें ईश्वर और सभी रिश्तों की महत्वपूर्णता को दर्शाया गया है। इसका तात्पर्य है कि सभी रिश्ते और धन, विद्या आदि सब कुछ ईश्वर में ही विद्यमान हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

“Tvameva mātā cha pitā tvameva, tvameva bandhuścha sakhā tvameva.
Tvameva vidyā draviṇaṁ tvameva, tvameva sarvaṁ mama deva deva!!”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

You are my mother, you are my father, you are my sibling, and you are my friend. You are my knowledge, you are my wealth, you are my everything, O God of gods!

This shloka conveys a unique ideal in Indian culture, emphasizing the importance of both the divine and human relationships. Its essence lies in recognizing that all relationships, as well as wealth and knowledge, exist within the divine presence, and it encourages us to respect and honor them.


4. कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम्।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

लक्ष्मी माता हमारे हाथ के अंगुलियों के अग्रभाग में वास करती है, सरस्वती माता हमारे हाथों के बीच में वास करती है, भगवान गोविन्द अर्थ विष्णु हमारे हाथों की जड़ में वास करते हैं, सुबह के समय उनका दर्शन करना चाहिए।

इस श्लोक का मूल अर्थ है कि हमें समृद्धि, ज्ञान, और भगवान की शरण में कार्य करना चाहिए ताकि हमारा जीवन संपूर्ण और शुभ हो।

“Karagre vasate Lakshmi, karamadhye Saraswati,
Karamoole tu Govindam, prabhāte karadarshanam.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

At the tip of the hand resides Goddess Lakshmi, in the middle of the hand resides Goddess Saraswati. At the base of the hand resides Lord Govinda. Therefore, in the morning, one should have a look at one’s hands.

The essence of this shloka is that one should start their day by acknowledging the presence of Goddess Lakshmi, the deity of wealth and prosperity, at the tip of their fingers; Goddess Saraswati, the deity of knowledge and wisdom, in the middle of their fingers; and Lord Govinda (a name for Lord Krishna), as the foundation of their actions. This acknowledgment is believed to bring blessings and positivity for the day ahead.


5. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।

sanskrit shlok with meaning

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जो व्यक्ति सुशील और विनम्र होते हैं, बड़ों का अभिवादन व सम्मान करने वाले होते हैं तथा निरंतर वृद्धों की सेवा करने वाले होते हैं। उनकी आयु (उम्र), विद्या (शिक्षा), यश (कीर्ति) और बल (शारीरिक ताकत) इन चारों में वृद्धि होती है।

“Abhivādanashīlasya nityam vṛddhopasevinaḥ,
Chatvāri tasya vardhante āyuḥ vidyā yaśo balam.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

One who greets respectfully and serves the elderly consistently, experiences fourfold increase in life span, knowledge, reputation, and physical strength.


6. सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है।

यह श्लोक मानवीय संवाद में सत्य की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समझाता है कि सत्य और प्रियता का संतुलन बनाए रखना धर्म है।

“Satyaṁ brūyāt priyaṁ brūyāt na brūyāt satyaṁ priyam,
Priyaṁ cha nānṛitaṁ brūyāt eṣha dharmaḥ sanātanaḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English

One should speak the truth and speak it pleasantly. However, speaking an unpleasant truth should be avoided, and likewise, speaking a pleasing falsehood should also be avoided. This is the sanatan dharma.


7. पृथ्वीयां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

पृथ्वी पर तीन रत्न होते हैं – जल, अन्न और सुभाषित (मधुर वचन)। लेकिन मूर्खों के द्वारा पत्थर के टुकड़ों अर्थात हीरे-जवाहरात को ही रत्न का नाम दिया जाता है।

यह श्लोक बुद्धि और समझदारी की महत्वपूर्णता को बताता है और यह समझाता है कि हमें भौतिक वस्तुओं, मोती माणिक्य पर नहीं प्राकृतिक संसाधन जल और अन्न तथा अच्छे व्यवहार और बोली को महत्व देना चाहिए।

“Pṛthvīyāṁ trīṇi ratnāni jalamagnnaṁ subhāṣhitam,
Mūḍhaiḥ pāṣāṇakhaṇḍeṣhu ratnasangyā vidhīyate.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

on Earth, there are three precious things – water, food, and good speech. However, fools consider fragments of gems to be most valuable.

The verse emphasizes the value of essential elements like water, food, and wise words on Earth, while also metaphorically highlighting how foolish individuals may overlook true worth and focus on insignificant things.


8. काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

विद्या के लिए प्रतिबद्ध विद्यार्थी (छात्र) मे यह पांच लक्षण होने चाहिए – कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह सोना / निंद्रा, अल्पाहारी अर्थात कम आहार वाला और गृह-त्यागी होना चाहिए।

यह श्लोक विद्यार्थी के विशेष गुणों को व्यक्त करता है और उनके समृद्धि के लिए आदर्श प्रक्रियाओं को प्रस्तुत करता है।

“Kāka cheṣhṭā, bako dhyānaṁ, svān nidrā tathaiva cha,
Alpahārī, gṛhatyāgī, vidyārthī pañcha lakṣhaṇam.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English

The crow’s movement, the swan’s concentration while hunting, the dog’s ability to sleep with alertness, being content with minimal food, being detached from one’s home, these are the five characteristics of a student, dedicated to learning.


9. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मनुष्यों के लिए आलस्य उनके शरीर में बसा महान शत्रु है। उद्यमी व्यक्ति के लिए परिश्रम जैसा कोई मित्र नहीं होता, क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता।

यह श्लोक आलस्य की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समझाता है कि आलस्य व्यक्ति की प्रगति को रोकने वाला शत्रु होता है, जो उसकी सफलता के मार्ग में बड़ी बाधा डाल सकता है।

“Aalasyam hi manuṣhyāṇām śarīrastho mahān ripuḥ,
Nāstyudyamasamo bandhuḥ kṛtvā yaṁ nāvasīdati.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Laziness resides within the human body as a formidable enemy. For an industrious individual, there is no friend like hard work, as someone who works diligently is never unhappy.

This quote emphasizes that laziness is a significant obstacle to human progress, while hard work acts as a steadfast companion for those who embrace it, ensuring both personal growth and contentment.


10. आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

सबसे पहले आदिदेव सूर्य को मेरा नमस्कार, प्रकाश देने वाले हे भास्कर (दिनकर, सूर्यदेव) आप प्रसन्न हो। दिवाकर को मेरा नमस्कार, प्रभाकर (सूर्यदेव) को मेरा नमन है।

यह श्लोक सूर्य देवता की पूजा और आराधना करते हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना को व्यक्त करता है।

“Aadi devo namastubhyam praseeda mama bhaaskara,
Divaakara namastubhyam prabhaakara namo’stute.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

First and foremost, I offer my salutations to the primeval deity, the Sun, the illuminator. O Bhaskar (Surya Dev), the one who bestows light, may you be pleased. I bow to Divakar (Surya Dev), and I pay my respects to Prabhakar (Surya Dev).

This verse expresses reverence and prayers to the Sun God, the source of light and energy, seeking blessings and favor from the divine.


11. भूमे: गरीयसी माता, स्वर्गात उच्चतर: पिता।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

माता भूमि से भी श्रेष्ठ होती है, पिता स्वर्ग से भी उच्च होते हैं। जननी (माता) और जन्मभूमि, दोनों ही स्वर्ग से भी अधिक महँ और महत्वपूर्ण होते हैं।

यह श्लोक मातृभूमि की महत्वपूर्णता और मातृभूमि के सम्मान का संदेश देता है, और यह बताता है कि जन्मभूमि और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा होता है।

“Bhūmeḥ garīyasī mātā, swargāt uchchataraḥ pitā,
Jananī janmabhūmiśhcha swargāt api garīyasī.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Mother is more precious than the Earth, and father is higher than heaven. Mother and the birthplace are both greater even than heaven.

This verse conveys the importance of mother and birthplace, highlighting their significance above all, including heavenly realms. It emphasizes the deep reverence and connection one should have with their motherland and the maternal figure.


12. वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया।
लक्ष्मी: दानवती यस्य, सफलं तस्य जीवितं।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जिस मनुष्य की वाणी मधुर होती है, जिसकी क्रियाएं परिश्रम पूर्वक होती हैं। जिसका धन दान करने में प्रयोग होता है, उसका जीवन सफल होता है।

यह श्लोक व्यक्ति की वाणी, मेहनत, और दान के महत्व को बताता है और यह समझाता है कि यदि ये तीन चीजें सही रूप से निर्वहन की जाएं, तो उसका जीवन सफलतापूर्वक जीता जा सकता है।

“Vāṇī rasavatī yasya, yasya śramavatī kriyā,
Lakṣhmīḥ dānavatī yasya, saphalaṁ tasya jīvitaṁ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The person whose speech is sweet, whose actions are done with diligence, and whose wealth is used for charitable purposes, leads a successful life.


13. आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया।
कालेन पादमादत्ते पादं स ब्रह्मचारिभिः।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

शिष्य अपने गुरु से पाव हिस्सा (1/4) ज्ञान प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपनी बुद्धि से प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपने सहपाठियों से प्राप्त करता हैं और पाव हिस्सा (1/4) समय के साथ स्वयं के अनुभव से प्राप्त करता रहता हैं।

यह श्लोक शिक्षा की प्राप्ति के प्रति विभिन्न स्तरों का महत्व दिखाता है – गुरु से, बुद्धि से, सहपाठियों से, और समय के साथ आत्मानुभव से।

“Aachāryāt pādamādatte, pādaṁ śiṣhyaḥ svamedhayā,
Kālena pādamādatte, pādaṁ sa brahmachāribhiḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The disciple obtains one fourth from the teacher, one fourth through his own intelligence, one fourth from fellow students, and one fourth through time and self-experience.


14. अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

आठ गुण पुरुष का आभूषण होते हैं: ज्ञान, सुशीलता, आत्म-संयम, शास्त्रविद्या, वीरता, मितभाषिता (कम बोलना), अपनी क्षमता के अनुसार दान, और कृतज्ञता॥

यह श्लोक आठ गुणों की महत्वपूर्णता को व्यक्त करता है जो एक व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं।

“Aṣṭau guṇā puruṣaṁ dīpayanti, prajñā suśīlatvadamau śrutaṁ cha,
Parākramaśchabahubhāṣhitā cha, dānaṁ yathāśakti kṛtajñatā cha.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The eight qualities adorn a person: knowledge, gentleness, self-discipline, scholarly wisdom, courage, measured speech, giving according to one’s capacity, and gratitude.


15. ते पुत्रा ये पितुभक्ता: स: पिता यस्तु पोषक:।
तन्मित्र यत्र विश्वास: सा भार्या या निर्वती ।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

पुत्र वही है जो पितृभक्ति करने वाला हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करने वाला हो। मित्र वही है जिन पर आप विश्वास कर सकते हों और भार्या (पत्नी) वही है जिससे सुख प्राप्त हो।

यह श्लोक परिवार के सदस्यों के आपसी संबंधों के महत्व को बताता है और विभिन्न संबंधों में विश्वास, प्रेम, और समर्पण की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

“Te putrā ye pitubhaktāḥ, saḥ pitā yastu poṣhakaḥ,
Tanmitra yatra viśhvāsaḥ, sā bhāryā yā nirvatī.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

A son is the one who is devoted to his father, a father is the one who nurtures and supports his sons. A friend is the one in whom you can place your trust, and a spouse (wife) is the one from whom you find happiness.


16. यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं।
लोचनाभ्याम विहीनस्य, दर्पण: किं करिष्यति।।

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जिस मनुष्य में स्वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिए शास्त्र क्या कर सकता है। जैसे बिना आंखों के एक व्यक्ति, अर्थात् अंधे मनुष्य के लिए दर्पण क्या कर सकता है।


यह श्लोक व्यक्ति की आत्म-ज्ञान की महत्वपूर्णता को दर्शाता है, और यह समझाता है कि यदि किसी के पास स्वयं की सही समझ नहीं है, तो वह विद्या या कौशल का उपयोग कैसे कर सकता है।

“Yasya nāsti svayaṁ pragyā, śāstraṁ tasya karoti kiṁ,
Lochanābhyām vihīnasya, darpaṇaḥ kiṁ kariṣhyati.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

For a person who lacks self-awareness, consciousness, and understanding, what can scriptures achieve? Just as a mirror holds no value for a blind person, similarly, for someone who lacks inner insight, knowledge from scriptures might not hold much significance.


17. विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

एक राजा और विद्वान में कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। क्योंकि एक राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है जबकि एक विद्वान कभी जगहों पर पूज्य होता है।

यह श्लोक विद्या के महत्व को दर्शाता है और साथ ही यह बताता है कि एक विद्वान व्यक्ति का सम्मान सभी जगहों पर होना चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थिति में हो।

“Vidvatvaṁ cha nṛpatvaṁ cha naiva tulyaṁ kadāchana,
Svadeśe pūjyate rājā vidvān sarvatra pūjyate.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

A king and a scholar can never be compared, for a king earns respect only in his kingdom, whereas a scholar is revered everywhere.


18. अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं।
चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

घोड़े के लिए उसकी तेजी (दौड़ने की गति) ही भूषण होती है, हाथी के लिए उसकी मस्ती (मदमस्त चाल) ही भूषण होती है। और नारी के लिए उसका चातुर्य (विभिन्न कार्यों मे दक्षता) ही भूषण होता है, पुरुष के लिए उसका उद्यमशील होना ही भूषण होता है।

यह श्लोक विभिन्न प्राणियों के विशेषताओं और उनके कार्यों को भूषण के रूप में व्यक्त करता है और यह दिखाता है कि व्यक्ति के आचरण और कृतित्व ही उसकी सबसे बड़ी भूषण होती है।

“Aśhwasya bhūṣhaṇaṁ vego mattaṁ syād gajabhūṣhaṇaṁ,
Chāturyam bhūṣhaṇaṁ nāryā udyogo narabhūṣhaṇaṁ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

For a horse, its swiftness (running speed) is its ornament; for an elephant, its playfulness (majestic gait) is its ornament. And for a woman, her intelligence (skillfulness in various tasks) is her ornament; for a man, his industriousness is his ornament.


19. दुर्जन: परिहर्तव्यो विद्यालंकृतो ऽसन्।
मणिना भूषितो सर्प: किमसौ न भयंकर:।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

दुर्जन (दुष्ट व्यक्ति) यदि विद्या से सुशोभित भी हो अर्थात वह विद्यावान भी हो, फिर भी उसका त्याग कर देना चाहिए। जैसे मणि से भूषित सर्प भी कितना भयंकर हो सकता है?

इस श्लोक में व्यक्त किया गया है कि विद्या से लब्धि प्राप्त करने वाले दुर्जन को भी त्यागना चाहिए, और यह भी दिखाने का प्रयास किया गया है कि किसी भी बुरे व्यक्ति के वस्त्र, सामग्री, या आभूषण से उसकी बुराई का गुण नहीं बदल जाता, जैसे मणियों से भूषित सर्प की भयंकरता नहीं बदलती।

“Durjanaḥ parihartavyo vidyālaṅkṛito ‘san,
Maṇinā bhūṣhito sarpaḥ kimasau na bhayankaraḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Even if a wicked person is adorned with knowledge, that is, even if they are knowledgeable, they should still be avoided. Just like a snake adorned with jewels, how terrifying it can be.


20. असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥

असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले जाओ। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाओ। मुझे मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाओ।

यह श्लोक ज्ञान की प्राप्ति और सत्य की ओर प्रार्थना को व्यक्त करता है, और अन्धकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरत्व की प्राप्ति की कामना को दर्शाता है।

“Asato mā sadgamaya, Tamaso mā jyotirgamaya, Mṛtyormāamṛtam gamaya.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

O Lord, lead me from falsehood to truth. Lead me from darkness to light. Lead me from mortality to immortality.


21. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥

हिंदी अर्थ: यह श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:

इस आत्मा को शस्त्र छेद (काट) नहीं सकते, आग जला नहीं सकती है। पानी इसे नम (गीला) नहीं कर सकता, वायु इसे सुखा नहीं सकती है।

यह श्लोक आत्मा की अविनाशिता और अचलता को व्यक्त करता है। इसमें आत्मा की अद्वितीयता और अचलता का संकेत दिया गया है, जिससे यह दिखता है कि कोई भी शस्त्र, आग, पानी या वायु इसे प्रभावित नहीं कर सकते।

“Nainaṁ chhindanti śhastrāṇi nainaṁ dahati pāvakaḥ,
Na chainaṁ kledayantyāpo na śhoṣhayati mārutaḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Weapons cannot pierce the soul, fire cannot burn it, water cannot wet it, and the wind cannot dry it.


22. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों। सभी का जीवन मंगलमय हो, कोई भी दुःख का भागी न बने।

यह मंत्र लोगों को सुख, स्वास्थ्य और शांति की कामना करता है और सभी के मंगल और शांतिमय जीवन जीने की प्रार्थना करता है।

“Sarve bhavantu sukhinaḥ, sarve santu nirāmayāḥ,
Sarve bhadrāṇi paśhyantu, mā kashchid duḥkha bhāgbhavet.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

May everyone be happy, may everyone be healthy. May everyone’s life be full of auspiciousness, may no one be a partaker of sorrow.


23. सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

माँ सभी तीर्थों के समान है, पिता सभी देवताओं के समान हैं। इसलिए माता और पिता को सब प्रकार से पूजनीय मानना चाहिए और सदैव संम्मान करना चाहिए।।

यह श्लोक माता-पिता के महत्व को बताता है और उन्हें पूजनीय मानने की प्रेरणा देता है।

“Sarvatīrthamayī mātā, sarvadevamayaḥ pitā,
Mātaraṁ pitaraṁ tasmāt sarvayatnena pūjayet.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Mother is equivalent to all pilgrimage sites, father is equivalent to all deities. Therefore, one should honor and respect parents in every possible way and always show them reverence.


24. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥

हिंदी अर्थ: यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:

कर्म करना ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसलिए कर्मों के फल की चिंता किये बगैर, तुम कर्मों में ही संलग्न हो।

यह श्लोक भगवद गीता के द्वादश अध्याय में आता है और यह मनुष्य को कर्मों के प्रति उनके अधिकार को समझाता है, लेकिन कर्मों के परिणाम के लिए नहीं करने की सलाह देता है।

“Karmanye vādhikāraste mā phaleṣhu kadāchana,
Mā karmaphalahetur bhūr mā te saṅgo ‘stvakarmaṇi.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit gita shlok with meaning

You have the right to perform your prescribed duties, but you are not entitled to the fruits of your actions. Never consider yourself to be the cause of the results of your activities, and never be attached to not doing your duty.


25. परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।

हिंदी अर्थ: श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:

साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्कर्मियों (पाप करने वालों) का नाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगों-युगों में प्रकट होता हूँ।

“Paritrāṇāya sādhūnāṁ vināśhāya cha duṣhkṛitām,
Dharma-saṁsthāpanārthāya sambhavāmi yuge yuge.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit gita shlok with meaning

I manifest myself in every age to protect the righteous, to annihilate the wicked, and to reestablish the principles of dharma


26. धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।⁠।

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसी का नाश कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि धर्म को नष्ट करने से हम भी नष्ट हो जाएंगे।

“Dharma eva hato hanti, dharma rakṣhati rakṣhitaḥ,
Tasmād dharmaṁ na tyajāmi mā no dharma hato’vadhīt.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Whosoever destroys dharma, dharma destroys him. Whosoever protects dharma, dharma protects him. Hence, never should one abandon dharma, for by doing so, one would be forsaking their own well-being.


27. वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा – न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

हिंदी अर्थ: यह श्लोक संसारिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए है और इसका मतलब है कि

जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, उसी प्रकार आत्मा अपने पुराने शरीरों को छोड़कर नए शरीरों को प्राप्त करता है।

इस श्लोक अर्थ है कि जीवन परिवर्तनशील है और जीवन का चक्र सदैव चलता रहता है।

“Vāsānsi jīrṇāni yathā vihāya, navāni gṛhṇāti naro’parāṇi,
Tathā śharīrāṇi vihāya jīrṇā-nyanyāni sanyāti navāni dehī.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Just as a person discards old and worn-out clothes to wear new ones, similarly, an individual leaves behind their old bodies to attain new bodies. This illustrates the cyclical nature of life where beings go through a continuous process of birth and rebirth.


28. सुखार्थिनः कुतो विद्या नास्ति विद्यार्थीः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां विद्यार्थीं वा त्यजेत्सुखम्॥

हिंदी अर्थ: यह श्लोक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करता है और इसका मतलब है कि:

सुख की खोज में जो व्यक्ति है, उसे विद्या कहाँ मिल सकती है? और जो विद्या के लिए प्रयत्नशील है, उसको सुख कहाँ मिल सकता है? सुखार्थी व्यक्ति विद्या को त्याग दे या विद्यार्थी व्यक्ति सुख को त्याग दे।

“Sukhārthinaḥ kuto vidyā nāsti vidyārthīḥ sukham,
Sukhārthī vā tyajed vidyāṁ vidyārthīṁ vā tyajetsukham.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The person who seeks pleasure, where can they find knowledge? And the person who strives for knowledge, where can they find pleasure? Should a pleasure-seeker abandon knowledge or should a knowledge-seeker abandon pleasure?


29. नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

सिंह को जंगल का राजा घोषित करने के लिए ना कोई अभिषेक किया जाता है और ना कोई संस्कार किया जाता है। वह अपने गुणों एवं पराक्रम से स्वयं ही मृगेन्द्र अर्थात जंगल के राजा का पद प्राप्त करता है।

“Nābhiṣheko na sanskāraḥ siṁhasya kriyate mṛgaiḥ,
Vikramārjit rājyasya svayameva mṛgendratā.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

A lion is not declared the king of the jungle through any coronation or ritual, nor is it adorned with any ceremonies. It attains the position of the king of the jungle through its qualities and prowess, and thus naturally becomes the ‘Mṛigendra’, meaning the king of animals in the jungle.


30. आलसस्य कुतो विद्या ,अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्रम् ,अमित्रस्य कुतः सुखम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता। जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और जिनके मित्र न हों उन्हें सुख की प्राप्ति नहीं होती।

“Aalasasya kuto vidyā, avidyasya kuto dhanam,
Adhanasya kuto mitram, amitrasya kutaḥ sukham.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Those who are lazy do not attain knowledge; those without knowledge cannot accumulate wealth. The poor lack friends, and those without friends do not find happiness.


31. सुखस्य मूलं धर्म:। धर्मस्य मूलं अर्थ:।
अर्थस्य मूलं राजस्य। राजस्य मूलं इन्द्रियजय:।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

सुख का मूल (जड़) धर्म है। धर्म का मूल (जड़) आर्थिक उपलब्धियों में है। अर्थ का मूल (जड़) राज्य में है। और राज्य का मूल (जड़) इन्द्रियों के वशीभूत होने में है अर्थात इन्द्रियों पर विजय में है।

यह श्लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह बताता है कि सुख की खोज में धर्म का महत्व होता है, जो फिर आर्थिक स्थिति की प्राप्ति के लिए आवश्यक होता है, और आर्थिक स्थिति के बिना साम्राज्य स्थापित नहीं किया जा सकता है। अंत में, साम्राज्य की स्थापना भी स्वाधीनता और इंद्रियों के वशीभूत होने से होती है। इस तरह, यह श्लोक मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं के अभिवादन करता है।

“Sukhasya mūlaṁ dharmaḥ, dharmasya mūlaṁ arthaḥ,
Arthasya mūlaṁ rājasya, rājasya mūlaṁ indriyajayaḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

The root of happiness is righteousness (dharma). The root of righteousness is in acquiring wealth. The root of wealth lies in the state (power and governance). And the root of the state lies in conquering the senses, meaning, in controlling and mastering one’s own senses and desires.


32. येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः |
ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति ||

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न धर्म – वे मनुष्यलोक में मनुष्य रूप आकर भी में आकर मृग (पशु) के रूप में घूमते हैं, पृथ्वी पर बोझ (भार) होते हैं।

यह श्लोक जीवन में नैतिकता, शिक्षा, साधना, सेवा और गुणों की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह कहता है कि जिन लोगों के पास ये गुण और धार्मिकता नहीं होती, वे मानवीय मानवता से विच्छेदित हो जाते हैं और उन्हें केवल शरीर में मृग की तरह घूमना पड़ता है, उनका जीवन अधम और अर्थहीन हो जाता है।

“Yeṣhāṁ na vidyā na tapo na dānaṁ, jñānaṁ na śhīlaṁ na guṇo na dharmaḥ,
Te martya-loke bhuvi bhāra-bhūtā, manuṣhya-rūpeṇa mṛigaśh-charanti.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Those who lack knowledge, austerity, charity, wisdom, character, virtues, and righteousness, they wander in the human world in the form of humans but are burdened as beasts, roaming the Earth.


33. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

कार्यों की सिद्धि उद्यम से होती है, मनोरथों (सोचने) से नहीं। जैसे कि सोते हुए सिंह के मुख में मृग अपने आप नहीं आते हैं।

यह श्लोक उद्यम, परिश्रम, और संघर्ष की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। यह बताता है कि किसी कार्य की सफलता मन की इच्छाओं से नहीं, बल्कि समर्पण, परिश्रम, और प्रतिबद्धता के माध्यम से होती है। विलीन होने वाली इच्छाओं से कुछ नहीं होता, जैसे कि सोते हुए सिंह के मुख में मृग (पशु) नहीं आते हैं।

“Udyamena hi sidhyanti kāryāṇi na manorathaiḥ,
Nahi suptasya siṁhasya praviśanti mukhe mṛgāḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

The success of actions comes through effort, not mere wishes. Just as prey animals do not enter the mouth of a sleeping lion on their own.


34. पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतं धनम् ।
कार्यकाले समुत्पन्ने नसा विद्या न तद्धनम्।।

हिंदी अर्थ: इस श्लोक का निम्नलिखित अर्थ है:

पुस्तकों में रखी गई विद्या और दूसरे के हाथों में गया धन। कार्य के समय जब विद्या और धन आवश्यक्ता होती है, तब दोनों हमारे काम नहीं आते हैं।

“Pustakasthā tu yā vidyā parahastagataṁ dhanaṁ,
Kāryakāle samutpanne nasā vidyā na taddhanam.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

The knowledge stored in books and wealth that has passed into someone else’s hands—when the need arises during the time of action, neither knowledge nor wealth comes to our aid.


35. सेवितव्यो महावृक्ष: फलाच्चया समन्विता:।
यदि देवदा फलं नास्ति, छाया केन निवार्यते।।

हिंदी अर्थ: इस श्लोक का निम्नलिखित अर्थ है:

एक बड़े वृक्ष की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि उस महान वृक्ष के फल किसी कारण नहीं भी होते हैं तो क्या उसकी छाया कोई रोक सकता है? अर्थात वह छाया तो देगा ही।

“Sevitavyo mahāvṛkṣhaḥ phalāchchayā samanvitāḥ,
Yadi devadā phalaṁ nāsti, chhāyā kena nivāryate.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

One should serve a large tree because it is adorned with fruits and shade. Even if, for some reason, the fruits of that great tree are not there, can anyone prevent its shade? In other words, the shade will still be provided.


36. पिता धर्म: पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तप:।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता:।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

पिता धर्म होते हैं, पिता स्वर्ग होते हैं और पिता ही परम तपस्या (श्रेष्ठ) तप होते हैं। पिता को प्रिय होने से अर्थात पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं।

यह श्लोक पिता के महत्व को बताता है और उसके संबंधित योगदानों और आदर्शों को प्रस्तुत करता है। यह पिता को सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करता है और उसके संबंधित गुणों की महत्वपूर्णता को स्वरूपित करता है।

“Pitā dharmaḥ pitā svargaḥ pitā hi paramaṁ tapaḥ,
Pitari prītimāpanne prīyante sarvadevatāḥ.””

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Fathers embody righteousness, fathers are heaven, and fathers represent the ultimate form of penance. When a father is pleased or honored, just due to his pleasure, all deities also become pleased.


37. कोऽतिभारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

किसी भी समर्थ (शक्तिशाली) व्यक्ति के लिए कोई भार कितना ही भारी होता है? व्यापारियों के लिए कौन सी जगह दूर है?, विद्वानों के लिए कोई देश, विदेश नहीं होता है और मधुभाषियों के लिए कौन अप्रिय अर्थात शत्रु हो सकता है?

यह श्लोक विचार करने पर जीवन के विभिन्न पहलुओं की गहराईयों को दिखाता है और विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से व्यक्ति को सोचने पर प्रोत्साहित करता है।

“Ko’tibhāraḥ samarthānāṁ kiṁ dūraṁ vyavasāyinām,
Ko videshaḥ savidyānāṁ kaḥ paraḥ priyavādinām.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

For any capable individual, no burden is too heavy. For businessmen, there is no place too far. For the knowledgeable, there is no foreign land, and for those who speak sweetly, who could be considered an enemy?


38. मनसा सततं स्मरणीयम्, वचसा सततं वदनीयम्।
लोकहितं मम करणीयम्, लोकहितं मम करणीयम्।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मुझे मन से सदा योग्य स्मरण करना चाहिए, और बोलते समय भी सदा योग्य बातें बोलनी चाहिए। लोगों के हित में काम करना मेरी प्राथमिकता होनी चाहिए अर्थात मुझे जगत कल्याण करना चाहिए।

“Manasā satataṁ smaraṇīyam, vacasā satataṁ vadanīyam,
Lokahitaṁ mama karaṇīyam, lokahitaṁ mama karaṇīyam.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

I should always remember worthy thoughts in my mind and speak worthy words when communicating. Working for the welfare of people should be my priority, meaning I should strive to contribute to the well-being of the world.


39. नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा।।

नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं होता। माता के समान कोई सुरक्षा नहीं और माता के समान कोई जीवनदाता नहीं।

“Nāsti mātṛisamā chhāyā nāsti mātṛisamā gatiḥ,
Nāsti mātṛisamaṁ trāṇaṁ nāsti mātṛisamā prapā.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

There is no shade like a mother, no refuge like a mother. There is no security like a mother, and there is no life-giver like a mother in this world.


40. भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।
तत्रापि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

सभी भाषाओं में प्रमुख तो मधुर और दिव्य देवभाषा संस्कृत है। उसके काव्य भी मधुर है और काव्य में उसके उत्तम सुभाषित (सरल एवं उपयुक्त) वचन होते हैं।

“Bhāṣhāsu mukhyā madhurā divyā gīrvāṇa-bhāratī,
Tatrāpi kāvyaṁ madhuraṁ tasmādapi subhāṣhitam.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

In all languages, the most prominent is the sweet and divine language, Sanskrit. Its poetry is also sweet, and in poetry, there are excellent and appropriate words of wisdom.


41. प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम्।
तृतीये नार्जितं पुण्यं चतुर्थे किं करिष्यसि॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जिस व्यक्ति ने प्रथम अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्या अर्जित नहीं की, द्वितीय अर्थात गृहस्थ आश्रम में धन अर्जित नहीं किया, तृतीय अर्थात वानप्रस्थ आश्रम में पुण्य अर्जित नहीं किया, वह चतुर्थ अर्थात संन्यास आश्रम में क्या करेगा?

“Prathame nārjitā vidyā dvitīye nārjitaṁ dhanam,
Tṛitīye nārjitaṁ puṇyaṁ chaturthe kiṁ kariṣhyasi.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

The individual who hasn’t acquired knowledge in the first stage, wealth in the second stage, and virtue in the third stage of life, what will they do in the fourth stage of renunciation?


42. योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे धनञ्जय! तू कर्मों में योगस्थित रहकर कर्म कर, संग को त्यागकर। सिद्धि और असिद्धि में सम स्थित होकर समत्व को योग कहा जाता है।

इस श्लोक में भगवद गीता का मुख्य संदेश है कि कर्मों में लगे रहकर और संग से दूर रहकर मनुष्य को समत्व की प्राप्ति होती है, जिससे उसे सिद्धि और असिद्धि में समान भाव बना रहता है।

“Yogasthaḥ kuru karmaṇi saṅgaṁ tyaktvā dhanañjaya,
Siddhyasiddhyoḥ samo bhūtvā samatvaṁ yoga uchyate.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Arjuna, remain established in yoga while performing your actions, and relinquish attachment. Being equipoised in success and failure is called yoga.


43. अप्राप्यं नाम नेहास्ति धीरस्य व्यवसायिनः।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

कर्म करने वाले पुरुष के लिए न तो यहाँ कोई अप्राप्य चीज है, न कोई अप्राप्य बात है।

इस श्लोक का भाव यह है कि एक उद्यमशील, निर्णयी और संघटनशील व्यक्ति के लिए कुछ अप्राप्य नहीं होता, क्योंकि वह अपने निर्णयों को ध्यान में रखता है और समर्थ होता है उन्हें प्राप्त करने के लिए।

“Aprāpyam nāma nehāsti dhīrasya vyavasāyinaḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

For a person engaged in action, there is neither anything unattainable here, nor is there any unworthy action.


44. बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम् |
वेने सिंहो यदोन्मत्त: मशाकेन निपतित: ||

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जिस मनुष्य के पास विद्या (बुद्धि) है, वह शक्तिशाली है। जिस पुरुष के पास ज्ञान ना हो, उसकी शक्ति कहाँ? जैसे एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है।

“Buddhirasya balaṁ tasya nirbuddheśhcha kuto balam,
Vene siṁho yadonmattaḥ maśhākena nipatitaḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

A person who possesses knowledge (intelligence) is powerful. What power does a person have if they lack knowledge? Nothing. Just as a small clever rabbit can lead a powerful elephant into a pond.


45. शोकेन रोगा वर्धन्ते पयसा वर्धते तनु: |
घृतेन वर्धते वीर्यं मानसंमांसं प्रवर्धते ||

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

शोक (दुख) से रोग बढ़ते हैं। दूध का सेवन करने से शरीर वृद्धि पाता है। घी का सेवन करने से शारीरिक बल (वीर्य) वृद्धि पाता है और मन, बुद्धि और मांस शरीर में वृद्धि पाते हैं।

“Śhokena rogā vardhante payasā vardhate tanuḥ,
Ghṛtena vardhate vīryaṁ mānasaṁmāṁsaṁ pravardhate.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Suffering (grief) leads to illness. Consumption of milk results in bodily growth. Consumption of ghee enhances physical strength (virility), and mind, intellect, and flesh grow in the body.


46. शान्तितुल्यं तपो नास्ति न संतोषात्परं सुखम् |
अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च ||

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

शांति के तुल्य कोई तप नहीं है, और संतोष से बढ़कर कोई सुख नही है। अच्छे पुत्र और पत्नी का साथ, और सत्पुरुषों की सभा ही सच्चा संगति है।

“Śhāntitulyaṁ tapo nāsti na saṁtoṣhāt param sukham,
Apatyaṁ cha kalatraṁ cha satāṁ saṅgatireva cha.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

There is no austerity like equanimity, and no happiness surpasses contentment. The companionship of good offspring and a devoted spouse, along with the company of wise individuals, are indeed true associations.


47. मूर्खस्य पञ्च चिन्हानि गर्वो दुर्वचनं तथा।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

एक मूर्ख की पहचान पाँच चीजों से होती है – गर्व (घमण्ड), दुर्वचन, क्रोध, वाणी की दृढ़ता और दूसरों की बातों का अनादर।

यह श्लोक मूर्खता की पहचान और उसके लक्षणों को बताता है और यह दिखाता है कि मूर्ख कैसे अपने व्यवहार और विचारों से पहचाने जा सकते हैं।

“Mūrkhasya pañcha chinhāni garvo durvachanaṁ tathā,
Krodhaśhcha dṛiḍhavādaśhcha paravākyeṣhv anādaraḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The identification of a fool is based on five characteristics – pride, harsh speech, anger, obstinacy in speech, and disrespect for others’ words.


48. आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः।
परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

इस जीवलोक में स्वार्थ के लिए कौन नहीं जीता है? उस मनुष्य जीना ही सार्थक है जो दूसरों की हित के लिए जीता है।

यह श्लोक यह बताता है कि इस दुनियाँ में सभी लोग अपने आत्मार्थ के लिए ही जीते हैं, लेकिन वही व्यक्ति वास्तव में जीता है जो दूसरों की मदद और हित के लिए जीते हैं।

“Ātmārthaṁ jīvaloke’smin ko na jīvati mānavaḥ,
Paraṁ paropakārārthaṁ yo jīvati sa jīvati.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

In this world, who doesn’t strive for their own self-interest? Living becomes meaningful for that person who lives for the well-being of others.


49. मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥

मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जिनकी कृपा से मूक (गूंगा) को बोलने की क्षमता प्रदान मिलती है, लंगड़ा व्यक्ति भी बड़े पहाड़ को लांघ जाता है। मैं उन परमानंद स्वरुप माधव (कृष्ण) की वंदना करता हूँ।

“Mūkaṁ karoti vāchālaṁ paṅguṁ laṅghayate giriṁ,
Yat-kṛipā tama-haṁ vande paramānanda mādhavam.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Those who bestow their grace grant the ability to speak to the mute, and even a lame person can overcome great obstacles. I offer my salutations to that embodiment of supreme bliss, Madhava (Krishna).


50. शनैः पन्थाः शनैः कन्था शनैः पर्वतलङ्घनम्।
शनैर्विद्या शनैर्वित्तं पञ्चैतनि शनैः शनैः॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

धीरे-धीरे मार्ग काटता है, धीरे-धीरे कपड़ा सिला जाता है, धीरे-धीरे पहाड़ों की ऊंचाई को पार करना होता है। विद्या और धन भी धीरे-धीरे प्राप्त होते हैं, इसलिए मूलतः ये पांचों काम धीरे ही करने चाहिए।

“Śhanaiḥ panthāḥ śhanaiḥ kanthā śhanaiḥ parvata-laṅghanam,
Śhanair vidyā śhanair vittaṁ pañcha-aitāni śhanaiḥ śhanaiḥ.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Slowly but steadily, paths are traversed, clothes are sewn gradually, and even the heights of mountains are overcome gradually. Knowledge and wealth are also acquired gradually. Therefore, fundamentally, all these five tasks should be done gradually.


आगे पढ़िए: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning in Hindi and English)


51. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान गणेश की प्रार्थना है, जिन्हें हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता और सर्वकार्य सिद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। इसका अर्थ होता है:

घुमावदार सूंड वाले, महाकाय (विशाल शरीर) वाले, और जो कोटि (करोड़ों) सूर्य के समान प्रकाशवान हैं। हे देव, मेरे सभी कार्यों को सर्वदा बिना विघ्न के पूरा करें।

“Vakratuṇḍa mahākāya sūryakoṭi samaprabha,
Nirvighnaṁ kuru me deva sarvakāryeṣhu sarvadā.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

O Lord with a curved trunk, massive body, and radiance like a million suns, remove obstacles from all my endeavors forever.


52. कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

मैं कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले, करुणा (दया) के सागर, संसार के आदर्श, गले में भुजंग (सर्प) की माला पहने और जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय में सदा वास (निवास) करते हैं, भगवान शिव को प्रणाम (नमस्कार) करता हूँ।

“Karpūragauraṁ karuṇāvatāraṁ sansāra-sāram bhujagendra-hāram,
Sadāvasantam hṛdayāravinde bhavaṁ bhavānī-sahitaṁ namāmi.”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

I bow to Lord Shiva, whose complexion is as bright as camphor, who is an ocean of compassion, the embodiment of worldly wisdom, adorned with a snake around his neck, and who always resides in the hearts of devotees along with Mother Bhavani.


53. या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

हे देवी, जो सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको बारम्बार नमस्कार करता हूँ।

“Yā devī sarva-bhūteṣhu śhakti-rūpeṇa sansthita,
Namastasyai namastasyai namastasyai namo namah.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Goddess, who exists as the embodiment of power in all living beings, I bow down to you, I bow down to you, I bow down to you, again and again I offer my salutations to you.


54. सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जो सबके लिए मंगलकर्ता है, जो सभी का कल्याण करने वाली है, सारे पुरुषार्थ को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली है, जो शरणागतों की रक्षा करती है, जो त्रियम्बका अर्थात तीन नेत्रों वाली और गौरी है, वो नारायणी (लक्ष्मी) को मेरा नमस्कार है।

“Sarva-maṅgala-māṅgalye śhiva sarvārtha-sādhike,
Śaraṇye tryambake gauri nārāyaṇi namo’stu te.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

She is the one who brings auspiciousness to all, who works for the well-being of everyone, who fulfills all human endeavors (dharma, artha, kama, moksha), who protects the refuge-seekers, who is known as Triyamibaka with three eyes and also as Gauri. I offer my respectful salutations to that Narayani (Lakshmi).


55. कस्तूरीतिलकं लालतपटले वक्षस्थले कौस्तुभं।
नासाग्रे नवमुक्तकं करतले वेणुं करे कङ्कनम् ।।
सर्वाङ्गे हरिचंदनं सल्लितं कण्ठे च मुक्तावलिं।
गोपास्त्री पूर्वेष्टितो विजयते गोपाल चूड़ामणिः ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

जिनके माथे पर कस्तूरी तिलक है, उनके वक्षस्थल पर देदीप्यमान कौस्तुभ मणि विराजित है। उनकी नाक पर मोती हैं, हथेलियाों में बांसुरी है, हाथ में कंगन सुशोभित है। सम्पूर्ण शरीर पर सुगन्धित चंदन लगा है, कण्ठ (गले) में मोतीयों की माला है। गोपियों से घिरे हुए भगवान गोपाल (कृष्ण) उनके बीच में एक आभूषण की तरह चमक रहे हैं, आपकी जय हो।

“Kastūrī-tilakaṁ lālatapatale vakṣhasthale kaustubhaṁ,
Nāsāgre nava-muktakaṁ karatale veṇuṁ kare kaṅkanam.
Sarvāṅge harichandanam sallitaṁ kaṇṭhe cha muktāvaliṁ,
Gopāstṛī pūrveṣhṭito vijayate gopāla chūḍāmaṇiḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

On his forehead there is the mark of kasturi (musk), on his chest the radiant Kaustubha gem is shining. Pearls are on his nose, in his hands there is the enchanting flute, and his wrists are adorned with beautiful bangles. Sandalwood fragrances their entire body, around his neck there is a garland of pearls. Surrounded by the gopis, Lord Gopala (Krishna) shines like a precious ornament among them. Hail to you!


56. नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च।
जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

गायों और ब्राह्मणों के साथ सभी प्राणियों के शुभचिंतक, हितैषी भगवान को प्रणाम करता हूं। जगत् का हित करने वाले, गोविंदा के नाम से जाने जाने वाले भगवान कृष्ण को मेरा प्रणाम है।

“Namo brahmaṇya devāya gobrāhmaṇa hitāya cha,
Jagat hitāya kṛiṣhṇāya govindāya namo namaḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

I bow down to the benevolent protector of cows, Brahmins, and all beings. I offer my respects to the Lord who is concerned about the welfare of the world, known by the name Govinda, and Krishna.


57. कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च।
नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

श्रीकृष्ण जो वासुदेव और देवकी के पुत्र हैं। जो नंद और गोप कुमारों के प्रिय हैं, और जिन्हें गोविंद के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ।

“Kṛiṣhṇāya vāsudevāya devakī nandana-ya cha,
Nandagopa-kumārāya govindāya namo namaḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

I offer my respects to Lord Krishna, who is the son of Vasudeva and Devaki, the beloved of Nanda and the cowherd boys, and who is also known as Govinda.


58. अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

हे अच्युत (अमर और अविनाशी), हे केशव (बालकृष्ण), जो राम और नारायण हैं।
हे कृष्ण जो दामोदर के रूप में जाने जाते हैं, जो वासुदेव (श्रीकृष्ण) है।
हे हरि (विष्णु), जो श्रीधर (श्रीकृष्ण) हैं, जो माधव (कृष्ण) हैं, जो गोपियों का वल्लभ (प्रिय) हैं।
जो जानकी के नायक (राम) हैं, हे रामचंद्रं, मैं उनका भजन करता हूँ।

“Achyutaṁ Keshavaṁ Rāma-Nārāyaṇaṁ Kṛiṣhṇa-Dāmodaraṁ Vāsudevaṁ Harim, Śrīdharaṁ Mādhavaṁ Gopikā-vallabhaṁ Jānakī-nāyakaṁ Rāma-Chandraṁ bhaje.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Achyuta (the Imperishable), O Keshava (Krishna), who is both Rama and Narayana,
O Krishna, who is known as Damodara (Krishna in His childhood form with a rope around His waist),
O Vasudeva (Krishna), the divine and all-pervading, O Hari (Vishnu),
O Shridhara (Krishna), O Madhava (Krishna), who is dear to the Gopis (cowherd girls),
O Lord of Sita (Janki), O Rama Chandra (Rama), I offer my worship to you.


59. स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो वृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हिंदी अर्थ: स्वस्तिक मंत्र या स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए बोला जाट है, इसका अर्थ है:

इन्द्र, जो महँ कीर्ति वाले हैं, हमारा कल्याण करें।
पूषा (सूर्य देव), जो सभी (पूरे ब्रह्माण्ड) को जानने वाला है, हमारा कल्याण करें।
गरुड़देव, जिनकी गति को कोई रोक नहीं सकता, हमारा कल्याण करें।
बृहस्पति, जो वेद वाणी (विद्या) के देवता है, हमारा कल्याण करें।
ॐ, शांति, शांति, शांति॥

“Swasti na indro vṛiddha-śhravāḥ,
Swasti naḥ pūṣhā vishva-vedāḥ,
Swasti nastārḵṣhyo ariṣhṭa-nemiḥ,
Swasti no vṛihaspatir-dadhātu.
Om śhāntiḥ śhāntiḥ śhāntiḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

May Indra, who possesses great glory, bring us welfare.
May Pushadev, who knows all and watches over the world, bring us welfare.
May Garuda, whose speed no one can hinder, bring us welfare.
May Brihaspati, the deity of wisdom, bring us welfare.
Om, peace, peace, peace.


60. ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

पूरे आकाश में शांति हो, अन्तरिक्ष में शांति हो,
पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो,
औषधीय जड़ी-बूटी में शांति हो, पेड़-पौधों की शांति हो,
सभी देवताओं में शांति हो, ब्रह्म अर्थात ब्रह्माण्ड में शांति हो,
सभी का शांतिरूप हो, वास्तव में शांतिरूप सभी को शांति प्रदान करें, वह शांति मुझे और सभी प्राणियों को शांति दें।
ॐ शान्ति हो, शान्तिः हो, शान्तिः हो।

“Om dyauḥ śhāntirantarikṣhaṁ śhāntiḥ
pṛithivī śhāntirāpaḥ śhāntiroṣhadhayaḥ śhāntiḥ.
Vanaspatayaḥ śhāntirviśhvedevāḥ śhāntirbrahma śhāntiḥ
sarvaṁ śhāntiḥ śhāntireva śhāntiḥ sā mā śhāntiredhi.
Om śhāntiḥ śhāntiḥ śhāntiḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

May there be peace in the entire universe, peace in the space between the stars, peace on Earth, peace in the waters,
May there be peace in the healing herbs and plants, peace among the trees and plants,
May there be peace among all the deities, peace in the realm of Brahma,
May there be peace for all, and may true peace pervade all of us, granting peace to me and all living beings.


61. ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हिंदी अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है:

प्रभु! हम शिष्य और शिक्षक साथ आगे चले, हम दोनों साथ विद्या के फल का भोग करें, हमारा किया हुआ अध्ययन प्रभावशाली हो,
हम एक-दूसरे की शक्ति बनें, और हम दोनों में परस्पर द्वेष न हो।
हमारा वातावरण,और हमारा मन शांत और निर्मल हो।

“Om saha nāvavatu
Saha nau bhunaktu
Saha vīryaṁ karavāvahai
Tejasvi nāvadhītamastu mā vidviṣāvahai
Om śhāntiḥ śhāntiḥ śhāntiḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Lord, let us, as student and teacher, move forward together. Let us both partake in the fruits of knowledge. May our learning be impactful. May we draw strength from each other and not harbor any animosity. May our environment be peaceful, and our minds be calm and pure.


62. ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्ँरसस्तनूभिः ।
व्यशेम देवहितं यदायुः । ।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

ॐ, देवताओं! हम अपने कर्णों (कानों) से शुभ वचन सुनें, हम अपनी आँखों से शुभ ही देखें। हम अपनी स्थिर इंद्रियों और शरीर से आपकी स्तुति करते हुए, अर्थात अपने रूप तन मन और वचनों द्वारा प्रार्थना करते हुए, हमारा देवों द्वारा दी गयी आयु (जीवन) देवों के लिए व्यतीत हो।

“Om bhadraṁ karṇebhiḥ śhṛiṇuyāma devāḥ
bhadraṁ paśhyemākṣhabhir yajatrāḥ
sthirair aṅgais tuṣhṭu vāgṁ sastanūbhiḥ
vyashe ma devahitaṁ yadāyuḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Devas! May we hear auspicious words through our ears. May we see auspicious things with our eyes. May we, with steady limbs and healthy bodies, praise and worship the Devas through our entire being. May our life be devoted to the service of the Devas.


63. ॐ वाङ् मे मनसि प्रतिष्ठिता । मनो मे वाचि प्रतिष्ठितम् ।
आविराविर्म एधि । वेदस्य म आणीस्थः ।
श्रुतं मे मा प्रहासीः । अनेनाधीतेनाहोरात्रान्सन्दधामि ।

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

मेरी वाणी में मन प्रतिष्ठित हो, और मेरे मन में वाणी प्रतिष्ठित हो अर्थात मन और वाणी स्थिर हो जाये।मुझमें स्वयं प्रकट आत्मा का ज्ञान बढ़े और मैं वेदों को जानूं। वेद के ज्ञान अर्जन के लिए मेरे स्थिर मन और वाणी आधार बनें। जो मेरे द्वारा सुना गया है वह एक रूप नहीं है, लेकिन मैं इस वेद का अध्ययन, दिन और रात्रि करके इसे संयोजित करता हूँ।

“Om vaṅ me manasi pratiṣhṭhitā
mano me vāchi pratiṣhṭhitam
āvirāvirma edhi
vedasya ma āṇīsthaḥ
śhrutaṁ me mā prahāsīḥ
anenādītenāhorātrān sandadhāmi.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

In my speech, let my thoughts be established, and in my thoughts, let my speech be established. In other words, may my speech and thoughts be in harmony. May my understanding of the self, which is self-evident, increase, and may I gain knowledge of the Vedas. May the knowledge from the Vedas become the foundation for my stable mind and speech. What I have heard is not just a mere sound, but by studying the Vedas day and night, I integrate and internalize their teachings.


64. पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती ।
यज्ञं वष्टु धियावसुः ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

हे देवी सरस्वती, आप हमें पावक (यज्ञ की आग) की तरह शुद्ध और शक्तिशाली ज्ञान प्रदान करें। आप हमें वाजेभिः (यज्ञोपवीत) के साथ युक्त और विजयी बनाएं। आपकी कृपा से हमारी बुद्धि को वष्टु (यज्ञ की सामग्री) में समर्पित करें ताकि हमारे ज्ञान और कर्म से हमारा जीवन रुपी यज्ञ सफल बने।

“Pāvakā naḥ Sarasvatī vājebhirvājinīvatī. Yajñaṁ vaṣhṭu dhiyāvasuḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Goddess Saraswati, please bless us with pure and powerful knowledge, just like the sacred fire of a yagya (ritualistic offering). Empower us with wisdom that illuminates our minds and hearts. Guide us towards triumph. May your grace infuse our intellect into the offerings of knowledge, so that our life’s journey, like a yagya, becomes successful through knowledge and actions.


65. चोदयित्री सूनृतानां चेतन्ती सुमतीनाम् ।
यज्ञं दधे सरस्वती ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

सच्चे विचारशील लोगों की प्रोत्साहित करने वाली, सच्चे मनवालों की बुद्धि को जागरूक करने वाली, सरस्वती देवी जीवन रुपी यज्ञ में मेरी आहुति मेरे भीतर आपकी प्रेरणा से जो बुद्धि है उसे मजबूत करे (अर्थात् मेरी ज्ञान और बुद्धि को समृद्ध बनाएं।

“Chodayitrī sūnṛtānāṁ chetantī sumatīnām.
Yajñaṁ dadhe Sarasvatī.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Saraswati Devi, the goddess of knowledge and wisdom, inspires and motivates those who have genuine and thoughtful perspectives. She awakens the intellect of those with sincere intentions. In the journey of life, symbolized as a Yagya (sacred ritual), I offer my contribution. With your guidance and inspiration, may my intellect become stronger and more enriched, enhancing my knowledge and wisdom.


66. महो अर्णः सरस्वती प्र चेतयति केतुना ।
धियो विश्वा वि राजति ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे देवी सरस्वती, आप ज्ञान का महासागर हैं, अपने ज्ञान की ज्योति द्वारा पूरे संसार को अपार बुद्धि और ज्ञान से प्रकाशित करती हैं।

“Maho arṇaḥ Sarasvatī pra cetayati ketunā.
Dhiyo viśvā vi rājati.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Goddess Saraswati, you are the vast ocean of knowledge, and through the light of your wisdom, you illuminate the entire world with boundless intellect and knowledge.


67. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हम त्र्यम्बकम् (तीन नेत्रों वाले भगवान शिव) का पूजन करते हैं, जो सुगंधित और जगल का पोषण करने वाले हैं। जैसे कि फलों को बेल (शाखा) के बंधन से मुक्त कर दिया जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु से अमृतत्व की प्राप्ति हो, यही प्रार्थना है।

“Om tryambakam yajāmahe
Sugandhim puṣhṭivardhanam.
Urvārukamiva bandhanān
Mṛtyormukṣīya māmṛitāt.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

We worship the three-eyed Lord Shiva, who is fragrant and nourishes all beings. Just as a ripe cucumber is effortlessly separated from the vine, may we be liberated from the cycle of birth and death and attain immortality.


68. आपः यस्या हृदयं परमे व्योमन्त्सत्येनावृतममृतं पृथिव्याः!!

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

धरती माँ, जिनका हृदय उच्चतम व्योम (आध्यात्मिक आकाश) है, जिनका शरीर सत्य और अमृत से आवृत है, वह पृथ्वी देवी हैं।

“Āpah yasyā hṛdayam parame vyomant-satyenāvṛitam-amṛtaṁ pṛthivyāḥ.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Mother Earth, whose heart is the highest spiritual sky, whose body is adorned with truth and immortality, is the goddess Earth.


69. मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बितसूत्र ।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जिनका वाहन चूहा है और जिनके हाथ में मोदक है,
जिसके पंखे के समान बड़े कान हैं और जो लंबा पवित्र धागा पहना है,
जो कद में छोटे हैं और श्री महेश्वर (भगवान शिव) के पुत्र हैं,
अपने भक्तों की बाधाओं को दूर करने वाले श्री विघ्न विनायक के चरणों में नमस्कार है।

“Mūṣikavāhana modakahasta cāmarakarṇa vilambitasūtra ।
Vāmanarūpa maheśvaraputra vighnavināyaka pāda namaste.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Whose mount is a mouse and who holds a modak (sweet delicacy) in hand,
Whose ears resemble large fans and who wears a long holy thread,
Who is short in stature and is the son of Lord Maheshwara (Lord Shiva),
I bow to the feet of Lord Vighna Vinayaka, who removes obstacles for his devotees.


70. गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारणं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हाथी (गज) के मुख वाले, भूत गणों के द्वारा सेवा किए जाने वाले, आप कपिथा (कैथा फल) और जामुन को ग्रहण करने वाले हैं। जो उमा (देवी पार्वती) के पुत्र हैं। आप समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्न-बाधा को दूर करने वाले श्री गणेश जी को, जिनके चरण कमल के समान हैं, नमन करता हूँ।

“Gajānanam bhūtagaṇādi sevitaṁ
Kapitthajambūphalasāra bhakṣitam ।
Umāsutam śokavināśakāraṇaṁ
Namāmi vighneśvara pādapankajam.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

You are the one with an elephant’s face (Gaj), served by various supernatural beings (Bhoot Gana),
You consume the Kapittha and Jamun fruits,
You are the son of Uma (Goddess Parvati), the destroyer of sorrow,
I bow to the lotus-like feet of Lord Ganesha, the remover of obstacles and difficulties.


71. रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् ।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे भगवति! आप ही मेरे रोग, शोक, ताप और पाप को नष्ट करने वाली हैं। आप कुमति के दूषित विचारों को हरने वालीहैं। आप ही त्रिभुवन के सार हैं और इस पृथ्वी की धारक हैं, और आप ही संसार में मेरी एकमात्र गति हैं।

“Rogam śokam tāpam pāpam hara me bhagavati kumati-kalāpam ।
Tribhuvana-sāre vasudhāhāre tvamasi gatir mama khalu sansāre.”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Oh Goddess! You are the one who destroys my diseases, sorrows, sufferings, and sins. You dispel the tainted thoughts of my mind. You are the essence of the three worlds, the bearer of the Earth, and my sole refuge in this world.


72. हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे ।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे गंगा माता! तुम्हारे जल की तरंगे, श्रीहरि के चरणों में है, और तुम्हारी तरंगें हिम, चन्द्रमा और मोती की भाँति श्वेत हैं। कृपा करके मेरे पापों के भार को दूर करें, और मुझे भवसागर (संसार की बंधन) को पार करने में सहायता करें।

“Hari-pada-pādyataraṅgiṇi gaṅge hima-vidhu-muktā-dhavala-taraṅgiṇe ।
Dūrīkuru mama duṣkṛti-bhāraṁ kuru kṛipayā bhava-sāgara-pāram ॥”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

O Mother Ganga! The waves of your water is beneath the footsteps of Lord Hari (Vishnu), and your waves, as pure as the pearls and moonlight, carry the divine essence. Please relieve me of the burden of my sins and help me cross the ocean of worldly existence.


73. देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे देवि गंगा! आप देवगणों की ईश्वरी हो, हे भगवति गंगा! आप तीनों लोकों की उद्धार करने वाली हैं, आपकी तरंगें सदैव चलती रहती हैं और सुंदरता से बहती हैं। आप भगवान शंकर के सिर पर विराजमान हैं, और आपके निर्मल पदकमल में ही मेरे विचार लगे रहें।

“Devi sureśvari bhagavati gaṅge tribhuvana-tāriṇi tarala-taraṅge ।
Śaṅkara-mauli-vihāriṇi vimale mama matirāstāṃ tava pada-kamale ॥”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Goddess, Queen of Devas, Bhagavati Ganga! You are the savior of the three worlds, with waves that are ever-moving and graceful. You dwell on the head of Lord Shankara (Shiva), and your pure lotus feet are the abode of my thoughts. May my mind rest upon your immaculate lotus feet.


74. रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणंपरतरं रामस्य दासोस्म्यहं
रामे चित्तलयस्सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

राम (श्रीराम) ही सभी राजाओं में श्रेष्ठ हैं, वे सदा विजयी होते हैं। मैं उन लक्ष्मीपति राम का भजन करता हूँ, जिन्होंने सम्पूर्ण राक्षसों को पराजित किया। राम को नमस्कार है। श्रीराम के समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं, मैं शरणागतों की रक्षा करने वाले श्री राम का दास हूँ। मेरा मन राम में ही लगा रहे, हे भगवान राम, आप मेरा उद्धार करें।

“Rāmo rājamaṇiḥ sadā vijayate rāmaṁ raśeśaṁ bhaje
Rāmeṇābhahitā niśācaracamuḥ rāmāya tasmai namaḥ ।
Rāmānnāsti parāyaṇaṁ parataraṁ rāmasya dāsosmīhaṁ
Rāme cittalayassadā bhavatu me bho rāma māmuddhara ॥”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Rama (Lord Rama) is indeed the best among all kings; He is always victorious. I worship Lord Rama, the consort of Goddess Lakshmi, who defeated all the demons. I offer my salutations to Lord Rama. There is no other refuge like Lord Rama. I am a servant of Lord Rama, who protects the devotees. May my mind always remain focused on Lord Rama. O Lord Rama, please save me.


75. राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जब कोई व्यक्ति मन में ‘राम राम राम’ इस नाम का जाप करता है, तो वह आनंदित और मनोहर भाव में रहता है। इसका तात्पर्य है कि ‘राम’ नाम का जाप करने से मन की शान्ति, सुख, और सुरुचिपूर्णता होती है। इस जाप की महिमा है कि यह राम नाम विष्णु जी के सहस्रनाम के तुल्य है।

“Rāma rāma rāmeti rame rāme manorame
Sahasranāma tattulyaṁ rāmanāma varānane”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

When a person repetitively chants the name ‘Rama Rama Rama’ within their mind, they experience joy and delightful emotions. The essence of this is that by chanting the name ‘Rama’, one attains inner peace, happiness, and contentment. The significance of this chanting is that it holds the same magnitude as reciting the thousand names of Lord Vishnu.


76. माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

माता के रूप में भगवान राम हैं, पिता के रूप में भगवान रामचंद्र हैं। स्वामी के रूप में भी भगवान राम हैं, मेरे सखा के रूप में भगवान रामचंद्र हैं। मेरा सब कुछ भगवान रामचंद्र हैं, वह दयालु हैं। मैं उनके सिवा किसी और को नहीं जानता।

Mātā rāmo mat-pitā rāma-candraḥ
Swāmī rāmo mat-sakhā rāma-candraḥ
Sarvasvaṁ me rāma-candro dayālu
Nānyaṁ jāne naiva jāne na jāne”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

As a mother, there is Lord Rama; as a father, there is Lord Rama Chandra. As a master, there is Lord Rama; as a friend, there is Lord Rama Chandra. Everything is my Lord Rama Chandra; He is compassionate. I do not know anyone else except Him.


77. लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरुपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जो तीनों लोकों को प्रिय हैं, जो युद्ध क्रीड़ा में धीर हैं, जिनकी आँखें कमल के पुष्प के समान हैं, जो रघु वंश के नायक हैं, जो करुणा की मूर्ति हैं, मैं उन करुणा करने वाले, श्रीरामचंद्र की शरण में आया हूँ।

“Lokābhiraṁ raṇaraṅga-dhīraṁ rājīva-netraṁ raghuvaṁśa-nātham
Kāruṇya-rūpaṁ karuṇā-karaṁtaṁ śrī-rāma-candraṁ śaraṇaṁ prapadye”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

Who is beloved to all three realms, who is courageous in the battlefield, whose eyes are like lotus petals, who is the hero of the Raghu dynasty, who is the embodiment of compassion, I seek refuge in the compassionate Lord Sri Rama.


78. प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥

हिंदी अर्थ: इस श्लोक का अर्थ है:

मैं प्रातः (सुबह), संसार के भय को हरने वाले, देवताओं के ईश्वर, गंगाधर (जिनके जटाओं में देवी गंगा हैं), वृषभ वाहन वाले, देवी पार्वती के पति, हाथों में खट्वाङ्ग और त्रिशूल लेने वाले, वरदान देने वाले, अभय के हस्त वाले, ईश्वर को याद करता हूँ। वे संसार के रोगों को हरने वाले औषधि स्वरुप हैं, और मेरे लिए अद्वितीय आश्रय हैं।

“Prātaḥ smarāmi bhava-bhīti-haraṁ sureśaṁ
Gaṅgādharaṁ vṛṣhabhavāhana-mambikeśam
Khaṭvāṅga-śūla-varadābhaya-hastam-īśaṁ
Saṁsāra-roga-haram-auṣhadham-advitīyam”

English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

I remember in the morning, the one who dispels the fear of the world, the Lord of the deities, the bearer of the Ganges (whose hair holds the sacred river Ganga), the one with the bull as his vehicle, the consort of Goddess Parvati, holding the Khadga (sword) and Trishula (trident) in his hands, the giver of boons, the one with the reassuring hand gesture, I remember that Divine Being. They are the medicine to cure the illnesses of the world, and they are my unparalleled refuge.


79. नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै न_काराय नमः शिवाय ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जिनके गले में नागराज (सर्पों के राजा) की माला है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिनके शरीर पर भस्म की धूलि है, जिनका नाम महेश्वर है, जो सदा अनन्त और पूर्ण रूप से पवित्र हैं, जो सर्वदा शुद्ध है, जो आकाश को वस्त्र के रूप में धारण करते हैं, मैं उन शिव को नमस्कार करता हूँ जिन्हे “न” कार रूप में दर्शाया जाता है।

“Nāgendra-hārāya trilochanāya
Bhasmāṅga-rāgāya maheśhvarāya
Nityāya śhuddhāya digambarāya
Tasmai na-kārāya namah śhivāya”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Salutations to Lord Shiva, who wears the serpent king as a garland around his neck, who has three eyes, whose body is adorned with ashes, whose name is Maheshwara, who is eternally limitless and pure, who is always immaculate, who adorns the sky as his clothing, and who is symbolized by the sound ‘Na’.


80. भूताधिपं भुजगभूषणभूषिताङ्गं
व्याघ्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम् ।
पाशाङ्कुशाभयवरप्रदशूलपाणिं
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जो भूतों के राजा हैं, जिनके शरीर को सर्पभूषण (नागराज की माला) से सजाया गया है, जो व्याघ्र की खाल धारण करते हैं, जिनके शिर पर जटा और तीन नेत्र हैं, जिनके हाथ में पाश और अंकुश हैं, जो भय को हरने वाले हैं, जिनके हाथ में त्रिशूल हैं, और जो वाराणसीपति हैं (काशीपति – काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।

“Bhūtādhipam bhujaga-bhūṣhaṇa-bhūṣhitāṅgam
Vyāghra-jināmbara-dharam jaṭilaṁ trinetram
Pāśhāṅkuśhābhaya-vara-prada-śhūla-pāṇiṁ
Vārāṇasī-pura-patiṁ bhaja viśhvanātham”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Worship the great Lord Shiva, the ruler of all beings, adorned with a serpent necklace, wearing the skin of a tiger, with matted hair and three eyes. He holds the noose and goad in his hands, dispelling fear, and carrying a trident. He is the lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.


81. गङ्गातरङ्गरमणीयजटाकलापं
गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम् ।
नारायणप्रियमनङ्गमदापहारं
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जिनके सिर की जटाओं में गंगा की तरंगे मनोहर लगती हैं, जिनका वाम भाग गौरी (पार्वती) द्वारा सुंदरता से अलंकृत है, जो नारायण के प्रिय हैं, जिन्होंने कामदेव के अङ्ग (शरीर) सौंदर्य के मद को नष्ट किया है, और जो वाराणसीपति हैं (काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।

“Gangā-taraṅga-ramaṇīya-jaṭā-kalāpaṁ
Gaurī-nirantara-vibhūṣhita-vāma-bhāgam
Nārāyaṇa-priyamanaṅga-madāpahāraṁ
Vārāṇasī-pura-patiṁ bhaja viśhvanātham”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Worship the Lord Vishwanath (Shiva), whose jata (matted hair) is adorned with the charming waves of the Ganga, whose left side is adorned with the beauty of Goddess Gauri (Parvati), who is dear to Narayana (Vishnu), and whose form has destroyed the pride of Kamadeva (the god of desire). He is the Lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.


82. प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा ।
सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमम् ॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

प्रथम स्वरुप शैलपुत्री, दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी, तीसरा स्वरुप चंद्रघण्टा, चौथा स्वरुप कूष्माण्डा, पांचवा स्वरुप स्कन्दमाता, छठा स्वरुप कात्यायनी, सातवा स्वरुप कालरात्रि, आठवा स्वरुप महागौरी, नौवा स्वरुप सिद्धिदात्री हैं। ये देवी दुर्गा के नौ स्वरुप हैं, जिनके नाम ब्रह्मा के द्वारा बताए गए हैं और प्रसिद्ध हैं।

“Prathamam Shailaputrīti dvitīyaṁ Brahmachāriṇī
Tṛtīyaṁ Chandraghaṇṭeti Kūṣhmāṇḍeti chaturthakam
Pañchamaṁ Skandamāteti Ṣhaṣhṭhaṁ Kātyāyanī tathā
Saptamaṁ Kālarātrischa Mahāgaurīti chāṣhṭamam
Navamaṁ Siddhidātrī cha Navadurgāḥ prakīrtitāḥ
Uktānyetāni nāmāni Brahmaṇaiva mahātmanā”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

The first form is Shailaputri, the second form is Brahmacharini, the third form is Chandraghanta, the fourth form is Kushmanda, the fifth form is Skandamata, the sixth form is Katyayani, the seventh form is Kalratri, the eighth form is Mahagauri, and the ninth form is Siddhidatri. These are the nine forms of Goddess Durga, whose names are mentioned by Brahma and are well-known.


83. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥

हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है।

जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं।
जो समस्त गुणों के स्वामी हैं और वानरों के प्रमुख हैं। जो प्रभु श्रीराम के प्रिय भक्त हैं, जिन्हे वायुपुत्र (हनुमान) कहा जाता है, मैं उनका नमन करता हूँ।

“Atulitabala-dhāmaṁ hemashailābhadehaṁ
Danujavana-krishānuṁ jñāninām-agragaṇyam
Sakala-guṇa-nidhānaṁ vānarāṇāmadhīśhaṁ
Raghupati-priya-bhaktaṁ vātātmajaṁ namāmi”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Whose power is incomparable, whose body is as massive as a mountain of gold. Who defeated the demons and is foremost among the knowledgeable. Who possesses all qualities and is the chief of the monkeys. Who is the beloved devotee of Lord Rama and is known as the son of the wind (Hanuman). I pay my respects to him.


84. यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम्
वाष्पवारिपरिपूर्णालोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जहाँ जहाँ श्रीराम की कीर्ति का गान होता है, वहाँ वहाँ भगवान हनुमान हाथों की जोड़कर खड़े रहते है। उनकी आंखें प्रेम के आँसूओं से पूरी भरी होती हैं, मैं उस राक्षसों का नाश करने वाले हनुमान जी को नमस्कार करता हूँ, जो मारुती नाम से जाने जाते हैं।

“Yatra yatra raghunātha-kīrtanaṁ tatra tatra kṛtam-astakāñjalim, Vāṣpa-vāri-paripūrṇālochanam mārutaṁ namata rākṣasāntakam”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Wherever the glory of Lord Rama’s deeds is being sung, right there, Lord Hanuman stands with folded hands. His eyes are filled with tears of love. I pay my respects to Hanuman ji, the destroyer of demons, known by the name Maruti.


85. बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम्
अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता (वचन कौशल) हनुमान के स्मरण से प्राप्त होते हैं।

“Buddhir balam yasho dhairyam nirbhayatvam arogatām
Ajāḍyam vāk paṭutvam ca hanumad smaraṇāt bhavet”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Through the remembrance of Hanuman, one attains intellect (wisdom), strength, fame, courage, fearlessness, good health, freedom from laziness, and skill in speech.


86. ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम् ।
बुद्धो नाम्नाञ्जनसुतः कीकटेषु भविष्यति ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश (बिहार या उड़ीसा) में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। जबकि गौतम का जन्म वर्तमान नेपाल में राजा शुद्धोदन के घर हुआ था।

“Tataḥ kalau sampravṛtte sammohāya suradviṣām
Buddho nāmnāñjana-sutaḥ kīkaṭeṣu bhaviṣyati”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

In the Kali Yuga, to delude and mislead those who are against the gods, God will manifest as the son of Anjana in the region of Keekata (modern-day Bihar or Odisha). Meanwhile, Gautama Buddha was born in present-day Nepal, in the household of King Shuddhodana.


87. समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे देवी पृथ्वी, आप जिनका वस्त्र समुद्र है और पर्वतों के मण्डल आपके पयोधर हैं। हे विष्णुपत्नि आपको नमस्कार है। कृपया मेरे चरणों द्वारा आपको होने वाले स्पर्श के लिए मुझे क्षमा करें।

“Samudra-vasane devi parvata-stana-maṇḍale
Viṣṇu-patni namastubhyaṁ pāda-sparśaṁ kṣamasvame”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Goddess Earth, you whose clothing is the oceans and whose breasts are the mountain ranges, I offer my salutations to you, the consort of Lord Vishnu. Please forgive me for the touch that will be caused by my feet.


88. हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

हिंदी अर्थ: इस श्लोक में देवी लक्ष्मी की प्रार्थना की गयी है। आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

हे सभी वेदों को जानने वाले अग्निदेव, मैं आपसे यह प्रार्थना करता हूँ कि आप हिरण्य वर्णा अर्थात सुनहरे रंग वाली और सोने – चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्न कांति वाली लक्ष्मी देवी का मेरे लिए आह्वान करिये।

Hiraṇyavarṇāṁ harinīṁ suvarṇarajatasrajām
Chandrāṁ hiraṇmayīṁ lakṣmīṁ jātavedo ma āvaha

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

O Agnidev, knower of all the Vedas, I beseech you to invoke for me the Goddess Lakshmi, who is adorned with golden hue, wearing ornaments of gold and silver, radiant as the moon, and who bestows prosperity


89. अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, हास्य (मुस्कान) मधुर है, हृदय मधुर है और चाल (गति) भी मधुर है॥

Adharaṁ madhuraṁ vadanaṁ madhuraṁ nayanaṁ madhuraṁ hasitaṁ madhuram,
Hṛdayaṁ madhuraṁ gamanaṁ madhuraṁ madhurādhipaterakhilaṁ madhuram.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Lord Madhurādhipati (Lord Krishna) is entirely sweet. His lips are sweet, His mouth is sweet, His eyes are sweet, His laughter (smile) is sweet, His heart is sweet, and even His gait (movement) is sweet.


90. करारविन्देन पदारविन्दं
मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मैं, कमल रूपी हाथ से पकड़कर, कमल रुपी पैरों के अंगूठे को, कमल रुपी मुख में डालते हुए अर्थात चूसते हुए , वट वृक्ष के पत्तों में शयन करने वाले बालक मुकुंद (भगवान् कृष्ण) को मन से स्मरण करता हूँ।

Karāravinde padāravindaṁ
Mukhāravinde viniveśayantam
Vaṭasya patrasya puṭe śayānaṁ
Bālaṁ mukundaṁ manasā smarāmi

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

I mentally contemplate upon the boy Mukunda (Lord Krishna), who is holding his lotus-like feet, with his lotus-like hands and gently kiss the lotus-like mouth with his lotus-like toe, all the while He rests on the leaves of the banyan tree.


91. एकोनविंशे विंशतिमे वृष्णिषु प्राप्य जन्मनी ।
रामकृष्णाविति भुवो भगवानहरद्भरम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

वृष्णिवंशी कुल में उन्नीसवें तथा बीसवें अवतारों में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और इस तरह उन्होंने संसार के भार को दूर किया।

“Ekona-vinśe vinśatim vṛṣṇiṣu prāpya janmanī
Rāma-Kṛṣṇāviti bhuvo bhagavān haradbharam”

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

In the lineage of the Vrishni dynasty, Bhagavan (God) appeared as the nineteenth and twentieth incarnations, manifesting in the form of Lord Krishna. Through these incarnations, he alleviated the burdens of the world.


92. कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च ।
नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण को, और देवकी नंदन है अर्थात देवकी के पुत्र को, ग्वाल नंद के पुत्र को, जो स्वयं भगवान श्री गोविंद हैं, मैं नमस्कार करता हूँ।

Kṛṣṇāya Vāsudevāya Devakī Nandanāya cha
Nandagopa Kumārāya Govindāya Namo Namah

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

I offer my repeated salutations to Lord Krishna, the son of Vasudev and Devaki, the divine child of Nanda, the cowherd’s son, who is none other than the supreme deity Govinda.


93. सत्यमेव जयते नानृतम् सत्येन पन्था विततो देवयानः ।
येनाक्रमत् मनुष्यो ह्यात्मकामो यत्र तत् सत्यस्य परं निधानं ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

सत्य ही हमेशा विजयी होता है, असत्य कभी नहीं। देव मार्ग जिससे परमात्मा की ओर जाते हैं सत्य ही है। जिस मार्ग से मनुष्य आत्म-सुख प्राप्त करता है, वह मार्ग ही सत्य के परम धाम की ओर जाता है।

Satyameva Jayate Naanritam Satyena Panthaa Vitato Devayaanah
Yenaakramat Manushyo Hyaatmakaamo Yatra Tat Satyasya Param Nidhaanam.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Truth alone triumphs; not falsehood. Through truth, the divine path is spread out by which the sages whose desires have been completely fulfilled, travel to where that supreme treasure of Truth resides.


94. विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च ।
व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय के लिए धर्म मित्र होता है।

Vidya Mitram Pravaaseshu, Bhaaryaa Mitram Gruheshu Cha
Vyaadhitasyaushadham Mitram, Dharma Mitram Mritasya Cha.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Knowledge is a friend during travels, a spouse is a friend at home. Medicine is a friend for the sick, and righteousness is a friend for the deceased.


95. संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे ।
सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

संसार के कड़वे पेड़ के दो फल होते हैं जो अमृत के समान होते हैं। एक है मधुर शब्दों का स्वाद और दूसरा सज्जन व्यक्तियों की संगति।

Sansaara-kaṭu-vṛkṣasya dve phale amṛtopame,
Subhāṣita-rasāsvādaḥ saṅgatiḥ sujane jane

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

In the bitter tree like world, there are two fruits that are like nectar. The taste of good words and the company of noble individuals.


96. श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः ।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जो करोडो ग्रंथों में कहा है, वह मैं आधे श्लोक में कहता हूँ; दूसरों की हित करना पुण्यकारी है, दूसरों को पीड़ित करना पापकारी है।

Shlokārdhena pravakṣhyāmi yaduktaṁ granthakoṭibhiḥ,
Paropakāraḥ puṇyāya pāpāya parapīḍanam.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

I will now convey the meaning of the verse in half: Doing good to others is virtuous, causing harm to others is sinful.


97. कर्मफल-यदाचरित कल्याणि !
शुभं वा यदि वाऽशुभम् ।
तदेव लभते भद्रे! कर्त्ता कर्मजमात्मनः ॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मनुष्य जैसा भी कर्म करता है, वह चाहे अच्छा या बुरा हो, उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है।

Karmaphala-yadācharita kalyāṇi,
śubhaṁ vā yadi vā’shubham.
Tadeva labhate bhadrē! kartā karmajamātmanaḥ.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

As a person performs actions, whether they are good or bad, they receive corresponding outcomes. The doer must inevitably experience the results of their deeds.


98. दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च।
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।।

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

दारिद्र्य, रोग, दुख, बंधन और व्यसन व्यक्ति द्वारा किये गए पाप रूपी वृक्ष के फल अर्थात परिणाम होते हैं। इन फलों का उपभोग मनुष्य को करना ही पड़ता है।

Daridraya roga duḥkhāni bandhana vyasanāni cha,
Atmāparādha vṛkṣasya phalānyetāni dehinām.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning

Poverty, diseaase, sorrows, bonds, and addictions,
Are the fruits of the tree of self’s transgressions.


99. मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मूर्ख शिष्य के उपदेश देने से और दुष्ट स्त्री के साथ रहने से, संकटपूर्ण परिस्थितियों के कारण पंडित भी दुःखित हो जाता है।

Mūrkha-śiṣhyopadeśena duṣhṭāstrībharaṇena cha, duḥkhitaḥ samprayogeṇa paṇḍito’pyavasīdati.

English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English

Through teaching a foolish student and associating with a wicked woman, even a wise person becomes dejected due to the unhappiness arising from such circumstances.


100. धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

जो धर्म को जानने वाला है, उसे धर्म का पालन करने वाला, और सदैव धर्मपरायण है। जो सभी शास्त्रों के अर्थ को समझकर उनका उपदेश करता है, वह गुरु कहलाता है।

Dharmajño dharmakartā cha sadā dharmaparāyaṇaḥ, tattvebhyaḥ sarvaśāstrārthādeshako gururuchyate.

English Meaning: Let’s understand this Sanskrit shlok with meaning

A person who knows and practices righteousness, and is always dedicated to righteous conduct, is considered a true follower of dharma. One who imparts the essence of all scriptures, their meanings, and teachings is known as a guru.


101. सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:॥

हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

मैं, वाणी अर्थात आवाज़ की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ।

जिनकी कृपा से मनुष्य देव तुल्य बन जाता है।

Sanskrit shlokas with hindi meaning

Saraswatim cha taam naumi vaagadhishthatri-devataam!
Devatvam pratipadyante yadanugrahato janaah!!

English Meaning: Let’s understand this Sanskrit shlok with meaning

I bow to Goddess Saraswati, the presiding deity of speech, by whose grace a human being becomes like God.


102. रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।।

इस संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: आइये जानते हैं श्री राम पर इस प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में

भगवान श्रीराम धर्म के विग्रह स्वरूप हैंअर्थात मूर्त रूप हैं, वे धर्म को साधने वाले व सच्चे पराक्रमी हैं। जिस प्रकार इन्द्र देवताओं के नायक है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम सम्पूर्ण विश्व के नायक हैं।

Ramo vigrahavaan dharmassadhussatyaparakramah.
Raja sarvasya lokasya devaanaam maghavaniva.

English Meaning of Popular Sanskrit Shloka: Let’s understand the meaning of this Sanskrit shlok in English

Lord Shri Ram is the embodiment of righteousness, meaning he is its personification. He upholds righteousness and is truly valiant. Just as Indra is the leader of the gods, similarly, Lord Shri Ram is the leader of the entire world.


यह भी पढ़ें: वाक्यांश के लिए एक शब्द

sarvnam ki paribhasha bhed aur udahran
सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण सरल शब्दों में

सर्वनाम परिभाषा, भेद और उदाहरण (Sarvnam Ki Paribhasha, Bhed Aur Udahran)

सर्वनाम किसे कहते हैं? (Sarvanam Kise Kahate Hain)

सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को कहते हैं। “सर्वनाम” शब्द का विशिष्टार्थिक अर्थ होता है कि यह वे शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, तथा व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भावना, आदि की स्थिति का बोध कराते हैं। सर्वनाम प्रयुक्त संज्ञा शब्द की पहचान करने में मदद करते हैं, जैसे कि “मैं”, “तुम”, “वह”, “हम”, “आप”, “यह”, “वो”, आदि।

दूसरे शब्दों में सर्वनाम की परिभाषा ऐसे दी जा सकती है कि, संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द ‘सर्व’ और ‘नाम’ शब्दों से मिलकर बना है, सर्व+नाम, इसका यह अर्थ है कि जो नाम शब्द के स्थान पर उपयुक्त होता है उसे सर्वनाम कहते हैं।

सर्वनाम के उदाहरण:

मैं: यह सर्वनाम व्यक्ति की स्थिति का बोध करता है, और यह निश्चित व्यक्ति की बजाय संज्ञा का नाम नहीं लेता। उदाहरण: “मैं खुश हूँ.”

वह: यह सर्वनाम किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु की स्थिति का बोध करता है। उदाहरण: “वह किताब पढ़ रहा है.”

तुम: यह सर्वनाम संभाषण के संदर्भ में उपयोग होता है और बातचीत में वक्ता की बात सुनने वाले की ओर संकेत करता है। उदाहरण: “तुम कैसे हो?”

कोई: यह सर्वनाम अनिश्चितता या अनजानी स्थिति का बोध करता है। उदाहरण: “कोई आया था.”

यह: यह सर्वनाम किसी विशिष्ट व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति की ओर संकेत करता है। उदाहरण: “यह गाड़ी मेरी है.”

ये उदाहरण सर्वनाम के विभिन्न प्रकारों को व्यक्ति, स्थान,तथा वास्तु को स्पष्ट करने में मदद कर सकते हैं।

सर्वनाम के 10 उदाहरण (Sarvanam Ke 10 Udaharan in Hindi)

सर्वनाम के 10 उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. मैं: मैं आज स्कूल नहीं जा सकता।
  2. तुम: क्या तुमने वह किताब पढ़ी?
  3. वह: वह शहर बहुत अच्छा है।
  4. हम: हमें आपके साथ चलने में ख़ुशी होगी।
  5. यह: यह फ़ोन मेरा है।
  6. उनका: उनका घर बड़ा है।
  7. कोई: क्या कोई मुझे मदद कर सकता है?
  8. किसी: क्या किसी को यहाँ जानकारी है?
  9. सभी: सभी छात्र पुस्तकालय में जा रहे हैं।
  10. कुछ: क्या कुछ लोग खाने के लिए रुक सकते हैं?

सर्वनाम कितने तथा कौन-कौन से होते हैं? 11 सर्वनाम शब्द कौन कौन से हैं?

हिंदी भाषा में मुख्यतः 11 सर्वनाम शब्द होते हैं जिन्हे मूल सर्वनाम कहते हैं।

मैं, तू, आप, यह, वह, सो, जो, कोई, कुछ, कौन, क्या 11 सर्वनाम शब्द प्रचलित हैं।

सर्वनाम के भेद (Sarvnam ke Bhed)

सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? यह प्रश्न हिंदी व्याकरण में अक्सर पूछा जाता है। आइये जानते हैं कि सर्वनाम के कितने भेद या प्रकार होते हैं:

सर्वनाम के 6 भेद होते हैं या कह सकते हैं की सर्वनाम 6 प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. निश्चयवाचक (संकेतवाचक) सर्वनाम
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  4. संबंधवाचक सर्वनाम
  5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
  6. निजवाचक सर्वनाम

1. पुरुषवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? (Purush Vachak Sarvnam)

पुरुषवाचक सर्वनाम हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाले वह सर्वनाम हैं जिनका प्रयोग व्यक्ति के लिंग और पुरुष गुण के आधार पर होता है। इन सर्वनामों का प्रयोग किसी वाक्य में पुरुष या स्त्री के रूप, संख्या, वचन आदि के अनुसार किया जाता है।

उदाहरण स्वरूप, कुछ प्रमुख पुरुषवाचक सर्वनाम हैं:

“मैं” (उत्तम पुरुष)
“तुम” (मध्यम पुरुष)
“वह” (अन्य पुरुष)
इन सर्वनामों का प्रयोग वाक्यों में व्यक्ति के स्थान, भाग, बातचीत के प्रति संवेदना आदि के आधार पर होता है और यह भाषा के संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दूसरे शब्दों में, सर्वनाम जो उत्तम पुरुष (बोलने वाले), मध्यम पुरुष (सुनने वाले) और अन्य पुरुष (जिसके बारे में बात की जाये) के लिए आता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। या जिन शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। पुरुषवाचक सर्वनाम व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) दोनों के लिए प्रयोग किये जाते हैं।

कुछ उदाहरण जो पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रयोग की दिखाते हैं:

उत्तम पुरुष:

  • मैं खुश हूँ।
  • मैंने खाना खाया।

मध्यम पुरुष:

  • तुम कैसे हो?
  • तुमने कहाँ जाना है?

अन्य पुरुष:

  • वह बच्चे के साथ खेल रहा है।
  • उसने किताब पढ़ी।

यहाँ पर उपयोग किये गए सर्वनाम “मैं”, “तुम”, और “वह” हैं, जो उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के लिए प्रतिस्थापित होते हैं।

पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद एवं प्रकार (Purushvachak Sarvanam ke Bhed)

पुरूषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम
  3. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम

उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम परिभाषा (Uttam Purush Vachak Sarvnam)

उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग वक्ता के लिए किया जाता है, और यह वाक्य में उत्तम पुरुष की प्रतिष्ठा और महत्वपूर्णता को दर्शाने में मदद करता है। उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग व्यक्ति के स्वयं के लिए होता है जैसे कि उनकी व्यक्तिगतता, स्थान, समय, क्रिया आदि के संदर्भ में।

“मैं” और “हम” ये उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं, जो वक्ता की पहचान करने में मदद करते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों को संकेत करते हैं। “मैं” व्यक्ति के एकल रूप के लिए और “हम” समूह के लिए प्रयुक्त होते हैं।

दूसरे शब्दों में, जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अर्थात वक्ता अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘मैं’ एवं ‘हम’ उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम है।

जैसे: मैं हमारा, मैंने, मुझको, मुझसे, हमको, हमने आदि।

उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

मैं: यदि कोई व्यक्ति बोलता है, “मैं खुश हूँ,” तो यह सर्वनाम “मैं” वक्ता की व्यक्तिगतता को दिखा रहा है। यह बताता है कि खुशी वाक्ता की अपनी भावना है।

हम: जब किसी समूह का प्रतिष्ठित सदस्य बोलता है, “हम कल पार्टी में आएंगे,” तो सर्वनाम “हम” उस समूह के सदस्यों की पहचान कराता है और यह दिखाता है कि पार्टी में आने की योजना समूह की संयुक्त निर्णय की है।

मैंने: मैंने आज नाश्ता नहीं किया है। इस वाक्य में ‘कर्ता’ कारक की वजह से ‘मैं’ का परिवर्तित रूप ‘मैंने’ बनकर वाक्य में प्रयुक्त हुआ है। इस वाक्य में भी जो व्यक्ति बात कर रहा है, वह स्वयं के बारे में बता रहा है। अतः इसमें भी ‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम है।

इन उदाहरणों में, “मैं” और “हम” उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम हैं, जिन्हें बोलने वाले व्यक्ति अपने लिए प्रयोग कर रहे हैं ताकि वे अपनी व्यक्तिगत या समूहिक पहचान को प्रकट कर सकें।

उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण

  1. मैं आज किताब पढ़ रहा हूँ।
  2. मुझे यहाँ आने में थोड़ी समय लगा।
  3. हमने मिलकर यह निर्णय लिया कि हम आज पार्टी में नहीं जाएंगे।
  4. आपका साथ देने से मुझे खुशी होगी।
  5. हम बच्चों के साथ खेल रहे थे जब बारिश हुई।
  6. मेरे पास एक बड़ा स्वागत करने का रूख़ है।
  7. हम आपके सुझाव पर यह निर्णय लेंगे।
  8. तुम्हारे बिना यह काम मुश्किल हो सकता है।
  9. मैंने तुम्हें वह फ़िल्म देखने के लिए पास बुलाया है।
  10. हमने समझाया कि यह समस्या समूह के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

इन उदाहरणों में “मैं” और “हम” सर्वनाम उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त हो रहे हैं, और वे बोलने वाले व्यक्ति या समूह के लिए क्रियाओं और संवाद की प्रतिस्था को दर्शाते हैं।

मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा (Madhyam Purush Vachak Sarvnam)

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा बात सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘तू, तुम, तथा ‘आप मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम होते हैं।

ये सर्वनाम वाक्य में व्यक्ति के संदर्भ, स्थिति, उपस्थिति, या सम्बोधन के आधार पर प्रयुक्त होते हैं और उसके बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। “तू” एक व्यक्ति को संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, “तुम” समूह या व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, और “आप” भी समूह या व्यक्तियों के लिए संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, लेकिन यह आदरपूर्ण रूप में होता है।

यह सर्वनाम वाक्य की संरचना और अर्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और संवाद को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करने में मदद करते हैं।

मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम 10 के उदाहरण:

  1. तू कैसा है?
  2. तुम कल क्या करने वाले हो?
  3. तू यह कैसे किया?
  4. तुझे यह कैसे पसंद आया?
  5. तुम्हारी आवाज बहुत मधुर है।
  6. तुम कहाँ जा रहे हो?
  7. तू क्या कर रहा है?
  8. तुम लोग मिलकर यह काम कर सकते हो।
  9. तुझे उसके बारे में क्या खबर है?
  10. तुम यहाँ कैसे पहुँचे?

इन उदाहरणों में “तू”, “तुम”, और “तुझे” सर्वनाम मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जो बोलने वाले के संवाद साथियों या लोगों के साथ किए जा रहे हैं।

अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा (Anya Prush vachak Sarvnam)

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता एवं बात सुनने वाला किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु के लिए करते हैं, उन्हें अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘यह’ एवं ‘वह’ अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम शब्द हैं।

“यह” वाक्य में नजर आने वाले व्यक्ति या वस्तु के बारे में बात करते समय प्रयुक्त होता है, जो निकट होता है। जैसे, “यह किताब मेरी है” – यहाँ “यह” किताब की ओर संकेत कर रहा है जो वाक्य में परिचय की जा रही है।

“वह” वाक्य में उस तीसरे व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होता है, जो दूर होता है। जैसे, “वह किताब लाइब्रेरी में है” – यहाँ “वह” किताब की ओर संकेत कर रहा है जो वाक्य में उल्लिखित नहीं है, लेकिन दूर लाइब्रेरी में होती है।

इस तरीके से, “यह” और “वह” अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं जो व्यक्ति या वस्तु की स्थिति और संदर्भ को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।

अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण

  1. यह किताब पुस्तकालय में रखी थी।
  2. वह गाड़ी बहुत तेज चलती है।
  3. यह मौसम बहुत गरम हो गया है।
  4. वह डॉक्टर बनना चाहता है।
  5. यह बच्चे किताब पढ़ रहे हैं।
  6. वह घर का दरवाज़ा खुला है।
  7. यह फूल बहुत सुंदर दिख रहा है।
  8. इसकी पढ़ाई में कोई रुचि नहीं है।
  9. यह स्थान पर्याप्त बड़ा नहीं है।
  10. उसका सपना एक दिन पूरा होगा।

इन उदाहरणों में “यह” और “वह” अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जो बोलने वाले के द्वारा उस व्यक्ति, वस्तु या स्थिति की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जो सुनने वाले कर रहे होते हैं।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? (निश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा)

“निश्चयवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की पहचान होती है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी निश्चित तत्व से जुड़े होने का संकेत करते हैं और संवाद को स्पष्टता से प्रस्तुत करते हैं। ‘यह’ एवं ‘वह’ निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

निश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जो वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के स्थान पर किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति की पहचान किसी निश्चित तत्व से होती है जिससे भ्रम या संदेह कम होता है।

निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

खुद अपना काम करूंगा।
वही लड़का प्रथम आया था।
इसी किताब को पढ़ो।
उसने स्वयं काम किया।
खुद ही मैंने यह किया।

इन उदाहरणों में ये सर्वनाम निश्चयवाचक हैं क्योंकि वे व्यक्ति या वस्तु की पहचान को स्पष्ट करते हैं और किसी निश्चित तत्व से जुड़े होते हैं।

निश्चयवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण:

  1. मैं अपना काम खुद करूंगा।
  2. तुमको मेरी बात समझ में आ गई?
  3. वह लड़का मेरे घर के बगल के स्कूल जाता है।
  4. यह फूल सुंदर दिखता है।
  5. इसी जगह पर हमने फोटो ली थी।
  6. उसका घर बड़ा है।
  7. खुद उसने यह काम किया।
  8. स्वयं मैंने तैयारी की है।
  9. यही जवाब सही है।
  10. तुम्हारा पेन कहाँ है?

इन उदाहरणों में यह सर्वनाम व्यक्ति या वस्तु की पहचान को स्पष्टता से करने में मदद करते हैं और वाक्य को संवाद के संदर्भ में स्पष्टीकरण प्रदान करते हैं।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? अनिश्चयवाचक सर्वनाम का परिभाषा

जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘कोई’ एवं ‘कुछ’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

“कोई” और “कुछ” दोनों ही अनिश्चयवाचक सर्वनाम होते हैं जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं होता। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं जिनकी पहचान वाक्य में नहीं होती है।

“कोई” वाक्य में उस व्यक्ति या वस्तु की पहचान के लिए प्रयुक्त होता है जो स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं है, जैसे, “कोई आया था” – यहाँ व्यक्ति की पहचान नहीं हो रही है कि कौन आया था।

“कुछ” वाक्य में उस वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होता है जो स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं है, जैसे, “कुछ खाने को दो” – यहाँ खाने की विशिष्ट वस्तु का नाम नहीं दिया गया है।

सरल शब्दों में, अनिश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग वाक्य में किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध कराता है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं, जिनकी पहचान वाक्य में नहीं होती है। ये सर्वनाम वाक्य को अधिक अस्पष्ट और सामान्य बनाते हैं।

अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

कोई: कोई आया था द्वार पर।
इस वाक्य में “कोई” शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति की पहचान नहीं हो रही है, बल्कि यह बताता है कि कोई व्यक्ति द्वार पर आया था, लेकिन व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती।

कुछ: मैंने कुछ खाया।
इस वाक्य में “कुछ” शब्द से खाने की विशिष्ट वस्तु का बोध नहीं हो रहा है, बल्कि यह बताता है कि मैंने कुछ खाया है, लेकिन वस्तु की प्रकृति नहीं बताई गई है।

इन उदाहरणों से आपको स्पष्ट होना चाहिए कि “कोई” और “कुछ” अनिश्चयवाचक सर्वनाम होते हैं, जिनका प्रयोग वाक्य में किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं करने के लिए किया जाता है।

अनिश्चयवाचक सर्वनाम का 10 उदाहरण

  1. कोई व्यक्ति यहाँ पर था, लेकिन अब वह गया है।
  2. मैंने कुछ समय पहले खाना खाया था।
  3. क्या आपने कोई नया किताब पढ़ी है?
  4. क्या तुमने कुछ खरीदा है बाजार से?
  5. कोई खिड़की खुली हुई है, शायद कोई घर में है।
  6. मुझे कुछ सुनाना है, क्या तुम ध्यान से सुनोगे?
  7. मेरी आंख में कुछ गिर गया है।
  8. क्या तुमने कुछ नया सिखा है इन दिनों?
  9. कोई यहाँ पर रहता है जो गाने का शौक रखता है।
  10. उसने कुछ साल पहले एक बड़ी परियोजना पूरी की थी।

इन उदाहरणों में “कोई” और “कुछ” अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं होता है।

4. संबंधवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? संबंधवाचक सर्वनाम का परिभाषा

“संबंधवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जो किसी दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध दिखाने के लिए प्रयुक्त हो। संबंधवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में दो शब्दों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। यह सर्वनाम व्यक्ति के रिश्तों, संबंधों, दिशाओं आदि को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।
जैसे: इस -उस, जो-सो, जैसे-वैसे, जिसकी-उसकी, जितना-उतना आदि।

सरल शब्दों में, जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाए, उसे ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।

संबंधवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जो कर्म करेगा, सो फल पावेगा।
उपरोक्त वाक्य में जो-सो शब्दों का प्रयोग दोनों वाक्यों के मध्य संबंध बताने के लिए किया गया है। इस वाक्य में ‘जो’ संबंध वाचक शब्द है और ‘सो, नित्यसंबंधी या सह-संबंधवाचक शब्द है।

जिसके पास धन होता है उसके पास सब होता है।
उपरोक्त वाक्य में संबंध सूचक शब्द जिसके और उसके हैं। इन दोनों शब्दों को संबंध कारक के विभक्ति चिह्न ‘के’ को जोड़कर बनाया गया है।

संबंधवाचक सर्वनाम का 10 उदाहरण

  1. जिसकी लाठी उसकी भैंस।
  2. जिसका काम उसका नाम।
  3. वह कौन है, जो पड़ा रो रहा है।
  4. जो आज आएगा, सो इनाम पावेगा।
  5. जो मेहनत करेगा, सो सफल होगा।
  6. जो कर भला, तो सो हो भला।
  7. तुमनें जो कार मांगी थी, यह वही कार है।
  8. यह वही आदमी है, जिसका पुत्र परीक्षा में अव्वल आया है।
  9. जिसको आना है, वह आ सकता है।
  10. राम बहुत समय से गायब है, उसने कुछ नहीं बताया

इन संबंधवाचक सर्वनामों का प्रयोग संबंध की स्थितियों को स्पष्ट करने और संवाद को और भी स्पष्ट बनाने में किया जाता है।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? प्रश्नवाचक सर्वनाम की परिभाषा

“प्रश्नवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जिनसे वाक्य में प्रश्न का भाव प्रकट होता है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके वाक्य प्रश्नवाचक बनता है और उसके द्वारा संदर्भित व्यक्ति, वस्तु या स्थिति के बारे में प्रश्न पूछा जाता है।

प्रश्नवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण

  1. क्या तुमने खाना खाया?
  2. कौन वह लड़का है?
  3. कहाँ जा रहे हो आप?
  4. कब तक तुम वहाँ रुकोगे?
  5. किसनेयह खबर सुनाई?
  6. कैसे आपने यह काम किया?
  7. कितना/कितनी बार आपने यह फिल्म देखी?
  8. क्यों तुमने यह कदर नहीं की?
  9. किसका/किसकी यह बच्चा है?
  10. किस/किसे तुम यह बता रहे हो?

इन प्रश्नवाचक सर्वनामों का प्रयोग करके वाक्य में प्रश्न का भाव प्रकट होता है और संवाद को प्रश्नात्मक बनाने में मदद मिलती है।

6. निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? निजवाचक सर्वनाम का परिभाषा

जो सर्वनाम तीनों पुरुष (उत्तम, मध्यम और अन्य) में अपना होने की अवस्था या निजता का भाव प्रकट करते हैं, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।

वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग किसी वाक्य में कर्ता को व्यक्त करने के लिए होता है, लेकिन कर्ता का व्यक्तित्व या व्यक्तिगतता बताने के लिए नहीं होता।
निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग व्यक्ति की क्रिया के संदर्भ में किया जाता है जब कर्ता उसी क्रिया का प्राप्तकर्ता होता है।

निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है।
जैसे –
मैं आप वहीं से आया हूँ
हम आप वही कार्य कर रहे थे।

निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है।
जैसे –
उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बने।
वह औरों को नहीं, अपने को सुधार रहा है।

सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है।
जैसे –
आप भला तो जग भला।
अपने से बड़ों का आदर करना उचित है।

निजवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण:

  1. वह स्वयं स्कूटी से स्कूल चली जाती है।
  2. मैं अपना काम जानता हूँ।
  3. मैं खुद आ जाऊंगा।
  4. अपने आप काम करो।
  5. उसे अपना काम खुद करने दो।
  6. वह गया है तो अपने आप आ जायेगा।
  7. अपनी मदद स्वयं करना सीखो।
  8. तुम्हे अपने आप खाना बनाना चाहिए।
  9. उसे अपना काम खुद करने दो।
  10. मैं अपनी बाइक लेकर जा रहा हूं।

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sangya paribhasha bhed prakar udahran
संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के प्रकार, संज्ञा के भेद उदाहरण सहित (Sangya ki Paribhasha)

संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya Kise Kahte Hain?)

संज्ञा की परिभाषा:

संज्ञा को अंग्रेज़ी में “Noun” कहते हैं। संज्ञा एक आम हिंदी व्याकरण शब्द है जो वस्तुओं, इंसानों, स्थानों, भावनाओं आदि के नाम को दर्शाता है। इसके अलावा, संज्ञा एक वस्तु, व्यक्ति या स्थान के विशेष गुण, परिदृश्य या प्रकार को भी प्रदर्शित कर सकता है। संज्ञा व्याकरण में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और व्याकरण के सभी भागों में इसका इस्तेमाल होता है।

दूसरे शब्दों में, संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव, स्थान, गुण और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।

जैसे – मोहन (व्यक्ति), कलम (वस्तु), सुन्दरता (गुण), प्रेम (भाव), दिल्ली (स्थान), आदि।

संज्ञा के 10 उदाहरण (Sangya Ke 10 Udaharan Hindi Mein)

  1. किताब (Kitab): “मेरे पास एक किताब है।” (I have a book.)
  2. फल (Phal): “कृपया मुझे एक फल दीजिए।” (Please give me a fruit.)
  3. शहर (Shahar): “वह नगर शहर में रहता है।” (He/she lives in a big city.)
  4. भारत (Bharat): “भारत एक समृद्ध देश है।” (India is a prosperous country.)
  5. पुस्तकालय (Pustakalay): “मैं पुस्तकालय जा रहा हूँ।” (I am going to the library.)
  6. गांव (Gaon): “मेरे दादा-दादी गांव में रहते थे।” (My grandparents used to live in the village.)
  7. बच्चा (Baccha): “वह एक मस्त बच्चा है।” (He/she is a lively child.)
  8. ट्रेन (Train): “हम ट्रेन से सफर करेंगे।” (We will travel by train.)
  9. सूरज (Sooraj): “सूरज उगता है और डूबता है।” (The sun rises and sets.)
  10. बिल्कुल (Bilkul): “मैं आपके विचार से बिल्कुल सहमत हूँ।” (I completely agree with your thoughts.)

ये संज्ञा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, जीव, और स्थानों को दर्शाते हैं।

संज्ञा के अन्य उदाहरण (Sangya Ke Example)

व्यक्ति का नाम – आरव, प्रिया, सोनाली, शिवम्, अदिति
वस्तु का नाम – कलम, लाठी, चौकी, अलमारी, पंखा
गुण का नाम – सुन्दरता, ईमानदारी, चालाकी, बेईमानी, बुद्धिमानी
भाव का नाम – प्रेम, दया, ग़ुस्सा, आश्चर्य, क्रोध, दुख
स्थान का नाम – बनारस, दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, पटना

संज्ञा कितने प्रकार की होती है? संज्ञा के प्रकार (Sangya Ke Prakar)

संज्ञा 5 प्रकार की होती है। इसका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है:

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
  2. जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
  3. भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)
  4. द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya)
  5. समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)

व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Vyaktivachak Sangya Kise Kahate Hain)

व्यक्तिवाचक संज्ञा को हिंदी व्याकरण में “व्यक्ति के नाम को प्रकट करने वाली संज्ञा” के रूप में वर्णित किया जाता है। यह संज्ञा वह शब्द होती है जिससे किसी व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, जैसे कि व्यक्ति, शहर या वस्तु के नाम, उपनाम, इत्यादि। इसे नामसंज्ञा भी कहा जाता है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएं वाचक के साथ अविच्छेद्य रूप से संबंधित होती हैं, अर्थात् व्यक्ति के नाम को अलग कर दिया जाए तो वाक्य का अर्थ परिवर्तित हो जाएगा।

जैसे राम, मोहन, जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका – ये सभी व्यक्तिवाचक संज्ञाएं हैं। परन्तु शेर, बाघ, हाथी, शहर, किताब आदि व्यक्तिवाचक संज्ञाएं नहीं हैं क्योंकि इनसे सीधे किसी व्यक्ति, स्थान तथा वस्तु का नाम नहीं प्रकट होता है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण

  1. नमन गाता है।
  2. आरुषि मेरी दोस्त है।
  3. महेंद्र सिंह धोनी एक महान बल्लेबाज है।
  4. दिल्ली में लाल किला है।
  5. दिल्ली भारत की राजधानी है।
  6. मैं जयपुर में रहता हूँ।
  7. आगरा में ताजमहल है।
  8. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश गए हैं।
  9. रमेश दौड़ रहा है।
  10. शौर्य खेल रहा है।
  11. नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री है।
  12. उज्जवल गांव गया है।
  13. राघव के पिता अध्यापक हैं।

यहाँ ध्यान देने योग्य यह है कि यदि किसी वाक्य में किसी व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उस वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा होती है, न कि जातिवाचक संज्ञा।

इसलिए, वाक्य में जब व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उसमें व्यक्तिवाचक संज्ञा का होना सही होता है, क्योंकि वह संज्ञा व्यक्ति के नाम को प्रकट कर रही होती है।

उदाहरण के लिए:

  1. “राम एक ब्राह्मण है।” – यहां “राम” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
  2. “नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं।” – यहां “नरेंद्र मोदी” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
  3. “रामायण के बहुत अच्छी पुस्तक है।” – यहां “रामायण” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह पुस्तक विशेष को प्रकट कर रही है।
  4. “गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है।” – यहां “गंगा” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह नदी विशेष को प्रकट कर रही है।
  5. “सचिन तेंदुलकर महान क्रिकेटर है।” – यहां “सचिन तेंदुलकर” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह क्रिकेटर विशेष को प्रकट कर रही है।
  6. “जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे।” – यहां “जवाहर लाल नेहरू” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
  7. “महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट खेलते हैं।” – यहां “महेंद्र सिंह धोनी” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह खिलाड़ी विशेष को प्रकट कर रही है।

जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Jativachak Sangya kise Kahate Hain)

जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। इस संज्ञा से समस्त जाति की पहचान होती है, जैसे कि व्यक्ति की जाति, प्राणी की जाति, या वस्तु की जाति।

दूसरे शब्दों में, जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण:

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “राम एक ब्राह्मण है।” में “ब्राह्मण” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति की जाति को बता रही है।

गाय, भैंस, बिल्ली, कुत्ता – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे प्राणी की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “यह भैंस दूध देती है।” में “भैंस” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो प्राणी की जाति को बता रही है।

दिल्ली, मुंबई, वाराणसी – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे स्थान की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “वाराणसी भारत के पवित्र शहरों में से एक है।” में “वाराणसी” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो स्थान की जाति को बता रही है।

इस प्रकार, जातिवाचक संज्ञा से व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है।

जातिवाचक संज्ञा के 20 उदाहरण

  1. राधा को सोने की चीज़े बहुत पसंद है।
  2. लक्ष्मी का घर नदी के पास है। 
  3. अमिताभ बच्चन एक एक्टर है।
  4. सचिन तेंदुलकर एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं।
  5. मछली पानी में रहती है।
  6. गाय को भारत में माता कहा जाता है।
  7. कुत्ता वफादार जानवर होता है।
  8. महिलाएं बहुत खरीदारी करती है।
  9. मुझे पुस्तक पढ़ना अच्छा लगता है।
  10. अमीरी आदमी में घमंड ले आता है।
  11. जानवर नदियों में पानी पीते हैं।
  12. गांव में फैसले पंचायत करती है।
  13. भारत में बहुत सारे जिले हैं।
  14. तुम कभी हवाई जहाज में बैठे हो?
  15. लड़के शहर जा रहे हैं।
  16. मुझे बिल्ली पालना पसंद है।
  17. मुझे ट्रेन का सफर पसंद है।
  18. कार सड़क से जा रही है।
  19. मानव सबसे पुरानी प्रजाति है।
  20. शेर एक जानवर है।

भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Bhavvachak Sangya Kise Kahte Hain?

भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जिससे किसी व्यक्ति या पदार्थ की भाव या स्थिति का बोध होता है। इसके जरिए हम किसी की भावना, विचार, भाव, अनुभूति, या वर्तमान स्थिति को प्रकट करते हैं। इन संज्ञाओं का वाक्य में प्रयोग करने से हम उन व्यक्तियों की भावनाओं और स्थितियों को समझते हैं जो वाक्य के विषय होते हैं।

दूसरे शब्दों में, वह शब्द जिनसे हमें भावना का बोध होता हो, उन शब्दों को भाव वाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya) कहा जाता है। अर्थात् वह शब्द जो किसी पदार्थ या फिर चीज का भाव, दशा या अवस्था का बोध कराते हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण:

खुशी, दुख, प्रेम, विश्वास, घबराहट – ये सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसका दुखी होना दिल को छू गया।” में “दुखी” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।

डर, सम्मोहन, आश्चर्य, भयानकता, सफलता – ये भी सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसे अपने सम्मोहक अंदाज से सभी को आकर्षित कर लिया।” में “सम्मोहक” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।

प्रेम, भला, महता, सुन्दरता, मदुर्ता,सत्य, कोमलता, क्रोध, प्रसन्नता, बचपन, जवानी, बुढ़ापा, आश्चर्य, लालच, जवानी इत्यादि भी भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। इस प्रकार, भाववाचक संज्ञाएं व्यक्ति या पदार्थ की भावनाओं या स्थितियों को प्रकट करने में मदद करती हैं।

भाववाचक संज्ञा के 20 उदाहरण:

  • सोनाली की आवाज  मिठास से भरी है।

यहां पर मिठास शब्द से आवाज के मीठेपन का बोध होता है। अतः मिठास एक भाववाचक संज्ञा है।

  • तुमसे मिलने के बाद हमारे स्कूल की यादें ताजा हो गई है।

यहां पर यादें शब्द से भाव का बोध हो रहा है। यादें भाववाचक संज्ञा है।

  • समीर का पूरा बचपन खेलने और कूदने में बिता है।

यहां पर बचपन शब्द हमारे बचपन से सम्बन्ध रखता है अर्थात् बच्चे का भाव होने का बोध करा रहा है, इसलिए बचपन यहाँ भाववाचक संज्ञा है।

  • मेरी लम्बाई मेरे दोस्त से अधिक है।

यहां पर मेरे लम्बे होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लम्बाई में भाववाचक संज्ञा है।

  • भारत एक अमीर देश है।

यहां पर भारत के अमीर होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर अमीर में भाववाचक संज्ञा है।

  • ईमानदारी से बड़ा कोई धर्म नहीं।

यहां पर ईमानदारी शब्द एक भावना प्रकट कर रहा है, इसलिए यहां पर ईमानदारी भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।

  • आज के समय में हमारी दोस्ती मजबूत हो रही है।

यहां पर दोस्ती शब्द हमारे भाव को दर्शा रहा है, इसलिए यहां पर भाववाचक संज्ञा है।

  • बगीचे में फूल सुंदर है।

यहां पर सुंदर बगीचे के सुंदर होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर सुंदर में भाववाचक संज्ञा है।

  • मैं तुम्हे बहुत प्रेम करता हूँ।

यहां पर प्रेम शब्द हमारे भाव का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर प्रेम में भाववाचक संज्ञा है।

  • मैं बहुत गुस्सा हूँ।

यहां पर मेरे गुस्सा होने का बोध हो रहा है, अतः यहां पर गुस्सा भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।

भाववाचक संज्ञा बनाने की विधि (भाववाचक संज्ञा की पहचान कैसे करें?)

भाववाचक संज्ञाएं बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संज्ञा और विशेषणों का प्रयोग किया जा सकता है। नीचे कुछ नियम दिए गए हैं जो भाववाचक संज्ञाएं बनाने में मदद करते हैं:

नामधारी विशेषणों का प्रयोग: विशेषणों के द्वारा व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, खुशीयों की संज्ञा – खुश, आनंदित, प्रसन्न, खिलखिलाता इत्यादि।

वाच्य विशेषणों का प्रयोग: कुछ विशेषण वाच्य की भावनाओं को प्रकट करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दुखीयों की संज्ञा – पीड़ित, दु:खी, दुखी, विकलांग इत्यादि।

अव्यय का प्रयोग: अव्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, आश्चर्यचकित की संज्ञा – अचंभित, आश्चर्यचकित, अचरजित इत्यादि।

प्रत्यय का प्रयोग: कुछ प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, भयानकता की संज्ञा – भयानक, भयावह, दरावना इत्यादि।

विशेष प्रत्यय का प्रयोग: कुछ विशेष प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दु:खद की संज्ञा – दु:खदा, दु:खदायी, दु:खदायक इत्यादि।

अर्थात जातिवाचक संज्ञा, क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय में ता, आस, पा, अ, पन, ई, आव, वट, य, हट, त्व आदि लगाकर भाववाचक संज्ञा में बदला जाता है।

भाववाचक संज्ञा के अन्य उदाहरण:

  • हमारी मित्रता हमेशा याद रहेगी।
  • अपनी ताकत को कम मत समझो।
  • उसे अच्छी शिक्षा का लाभ मिला।
  • उसका इतना बड़ा अहंकार था।
  • मुझे तुम पर बहुत विश्वास है।
  • उसे ऊंचाई से डर लगता है।
  • मुझे उनसे ज्यादा सहानुभूति नहीं है।
  • क्या आप दर्द से पीड़ित हैं?
  • उसे अपने पिता के प्रति बहुत गुस्सा आता है
  • आपको अपने काम पर अधिक गर्व करना चाहिए।
  • अहंकार सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन है।
  • उन्होंने अफवाह पर विश्वास नहीं किया।
  • मुझे कल रात बिल्कुल भी नींद नहीं आई।

समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Samuh Vachak Sangya ki Paribhasha)

“समूहवाचक संज्ञा” वह शब्द है जिससे किसी वस्तु या व्यक्ति के समूह होने का बोध होता है। इसका अर्थ है कि जब हम एक समूह के सदस्यों को एक ही शब्द से संबोधित करते हैं, जिससे उनके समूह की पहचान हो जाती है, तो उसे “समूहवाचक संज्ञा” कहते हैं।

जब हम किसी समूह को एक समूहवाचक संज्ञा से संबोधित करते हैं, तो वह संज्ञा उस समूह की पहचान करवाती है और हमें वह समूह की बारे में सारी जानकारी देती है। समूहवाचक संज्ञाएँ व्यक्ति, जीव, वस्तु, या अवस्था के एक विशिष्ट समूह को संक्षेप में सूचित करती हैं।

उदाहरण के लिए, “छात्र” एक व्यक्ति के लिए एक शब्द है, लेकिन जब हम कहते हैं “छात्र समूह” तो यह एक समूह की पहचान हो जाती है, जिसमें कई छात्र शामिल हो सकते हैं। इसी तरह “परिवार”, “गण”, “सेना”, “समुदाय” आदि भी समूहवाचक संज्ञाएँ हैं।

परिवार: “परिवार” एक समूहवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति के नाते-बंधों से मिलता-जुलता है। एक परिवार में अधिकतर समय एकत्रित होते हैं और एक साथ रहते हैं।

समुदाय: जब हम “समुदाय” कहते हैं, तो इससे हमें किसी स्थान के लोगों का एक समूह समझ में आता है, जो अपनी संस्कृति, भाषा, और सांस्कृतिक परंपराओं में समानता रखते हैं।

सेना: “सेना” एक समूहवाचक संज्ञा है जिससे हमें युद्ध के लिए संगठित किया गया व्यक्तियों का समूह समझ में आता है।

समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे संवाद को सरल और संक्षेप्त बनाती हैं, और लोगों के बीच संवाद को सुगम बनाने में मदद करती हैं। इसलिए, समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा का महत्वपूर्ण तत्व हैं जो संवाद में स्पष्टता प्रदान करते हैं।

समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण:

  • भारतीय सेना बहुत ही साहसी सेना है।
    यहां पर सेना शब्द से सैनिकों के समूह का बोध होता है, इसलिए यहां पर सेना में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • मेरे परिवार में पांच सदस्य है।
    यहां पर परिवार में हमें सदस्यों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए परिवार शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • जंगल में हिरणों का झुण्ड रहता है।
    यहां पर झुण्ड शब्द से हमें यह बोध होता है कि हिरण अधिक संख्या में है, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
  • मैंने आज एक अंगूरों का गुच्छा खाया।
    यहां पर गुच्छा अधिक अंगूरों के होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर गुच्छा शब्द में समूहवाचक संज्ञा है।
  • आज मेरी कक्षा नहीं लगेगी।
    यहां पर कक्षा शब्द से विद्यार्थियों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • वहां पर हाथियों का झुण्ड आया था।
    यहां पर झुण्ड में अधिक हाथी थे, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • आज मैंने 2 दर्जन आम खरीदे।
    यहां आपर दर्जन शब्द से हमने पता चलता है कि आम की संख्या अधिक है, इसलिए यहां पर दर्जन शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • आज हमारी सभा में हुई।
    यहां पर सभा शब्द से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोगों की उपस्तिथि थी, इसलिए सभा शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
  • मेरी कक्षा में मैं सबसे पहले स्थान पर हूँ।
    यहां पर कक्षा शब्द से बोध होता है कि विद्यार्थियों का समूह है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • मैंने बधाई के रूप में उसको फूलों का गुलदस्ता दिया है।
    यहां पर गुलदस्ता शब्द यह होता है कि फूल का समूह है, इसलिए यहां पर गुलदस्ता शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • सुरेश ने एक करतब दिखाया तो वहां पर भीड़ जमा हो गई।
    यहां पर भीड़ से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोग है अर्थात् लोगों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर भीड़ शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • भारतीय टीम ने वर्ड कप जीता है।
    यहां पर टीम शब्द से खिलाडियों के समूह का बोध होता है, इसलिए टीम शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • कल रात में पुलिस ने रंगे हाथों चोरों के गिरोह को गिरफ्तार किया।
    यहां पर गिरोह शब्द से चोरों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर गिरोह शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
  • केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है।
    केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है, इस वाक्य में घार शब्द से केले के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में घार समूहवाचक संज्ञा है।
  • वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है।
    वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है, इस वाक्य में गुच्छा शब्द से चारों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में गुच्छा समूहवाचक संज्ञा है।
  • बगीचे में बहुत ही छांव है।
    बगीचे में बहुत ही छांव है, इस वाक्य में बगीचे शब्द से वृक्षों के समूह होने का बोध हो रहा है अतः इस वाक्य में बगीचा समूहवाचक संज्ञा है।
  • कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है।
    कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है, इस वाक्य में मेला शब्द से लोगों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात मेला इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।
  • आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है।
    आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है, इस वाक्य में छत्ता शब्द से मधुमक्खियों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात छत्ता इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।

द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Dravya Vachak Sangya ki Paribhsha)

द्रव्यवाचक संज्ञा वह शब्द है जिससे किसी विशेष द्रव्य के बोध का अर्थ होता है। द्रव्य किसी भी वस्तु, पदार्थ, धातु, अधातु, या तत्त्व को संदर्भित कर सकता है। यह संज्ञा विशेष वस्तुओं को अन्य वस्तुओं से अलग करने में मदद करता है और उनके पहचानने में सहायक होता है।

दूसरे शब्दों में, वह शब्द जो किसी तरल, ठोस, धातु, अधातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध कराते हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है। द्रव्यवाचक संज्ञा का पदार्थ एक साथ ढेर के रूप में तोली या मापा जाता है।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण:

पानी: यह एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो पानी को संदर्भित करता है।

चाय: यह भी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो चाय को संदर्भित करता है।

वायु: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो वायु को संदर्भित करता है।

सोना: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो सोने को संदर्भित करता है।

इसलिए, द्रव्यवाचक संज्ञा विशेष वस्तुओं के बोध के लिए उपयोगी होती है।

इसी तरह, कागज, पेंसिल, दूध, धूप, पतंग, खाली बोतल, आदि के लिए भी उनके नामों का उपयोग करके हम द्रव्यों की पहचान करते हैं।

द्रव्यवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण

  • कोहिनूर हीरा सबसे महंगा है।
    यहां पर हमें हीरा शब्द से बोध हो रहा है कि यह द्रव्य है, इसलिए यहां पर हीरा द्रव्यवाचक संज्ञा का एक उदाहरण है।
  • सुनार के पास सोना है।
    यहां पर सोना शब्द से द्रव्य का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सोना शब्द में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • मैं पानी पीने के लिए जा रहा हूँ।
    यहां पर हमें पानी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए पानी द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • सोने का रंग सुनहरा होता है।
    यहां पर सोना द्रव्य का बोध करा रहा है, इसलिए सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • चाँदी के आभूषण बहुत सुंदर होते हैं।
    यहां पर चाँदी से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर चाँदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • मुझे फल बहुत पसंद है।
    यहां पर फल हमें द्रव्य होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • मैं सब्जी लेकर आया हूँ।
    यहां पर सब्जी शब्द से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सब्जी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • लोहा बहुत महंगा हो रहा है।
    यहां पर लोहा से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
  • आज मैंने दूध पिया है।
    यहां पर दूध से द्रव्य होने का हमें बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर दूध में द्रव्यवाचक संज्ञा है।

vilom shabd in hindi
1000+ Vilom Shabd in Hindi : विलोम शब्द हिंदी में, विपरीतार्थक शब्द

Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) | विलोम शब्द | Vilom Shabd in Hindi | महत्वपूर्ण विलोम शब्द | विलोम शब्द हिंदी में PDF | Opposite Words in Hindi

विलोम शब्द हिंदी में (Vilom Shabd in Hindi)

विलोम शब्द किसे कहते हैं?

विलोम शब्द हिंदी में (Vilom Shabd in Hindi): “विलोम शब्द” को हिंदी में “विपरीतार्थक शब्द” या “विलोमार्थी शब्द” भी कहा जाता है। विलोम शब्द (Vilom Shabd) एक ऐसा शब्द है जो किसी दूसरे शब्द का विपरीतार्थक (उल्टा) अर्थ बताता है। विलोम शब्द का अंग्रेज़ी पर्याय ‘Antonyms’ या “Opposite Words” होता है। इन शब्दों के अर्थ एक दूसरे से बिल्कुल उलटे होते हैं। उदाहरण के लिए, “अच्छा” का विलोम शब्द “बुरा” है, और “सफल” का विलोम शब्द “असफल” है।

यहां कुछ प्रसिद्ध हिंदी विलोम शब्दों के उदाहरण दिए गए हैं:

अच्छा – बुरा
सफल – असफल
प्रसन्न – दुखी
दयालु – क्रूर
आत्मविश्वास – अविश्वास
उपर्युक्त – नीचे दिया गया
इस तरह विलोम शब्द भाषा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें शब्दों के अर्थों के साथ उनके विपरीत शब्दों को समझने में मदद करते हैं।

विलोम शब्द बनाने की विधि: विलोम शब्द कैसे बनाये जाते हैं?

विलोम शब्द बनाने की विधि आसान होती है। विलोम शब्द बनाने के लिए आपको उस शब्द के अर्थ के विपरीतार्थक शब्द खोजने होते हैं, जिससे उस शब्द के विलोम शब्द मिल जाएं। निम्नलिखित हैं कुछ विलोम शब्द बनाने की विधियां:

उपरोक्त और नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द बनाएं:

अच्छा – बुरा
सफल – असफल
प्रसन्न – दुखी
दयालु – क्रूर
आत्मविश्वास – अविश्वास
उपर्युक्त – नीचे दिया गया


पूरक और अपूरक के विलोम शब्द बनाएं:

समृद्धि – कंगाली
सुख – दुःख
प्रशांत – अशांति
जीवन – मृत्यु
ज्ञान – अज्ञान


संख्या के विलोम शब्द बनाएं:

एक – शून्य
दो – शून्य
तीन – शून्य
छह – शून्य
सौ – शून्य


विशेषण के विलोम शब्द बनाएं:

उच्च – नीच
सुंदर – बदसूरत
छोटा – बड़ा
ताज़ा – पुराना
मजबूत – कमज़ोर


नाम के विलोम शब्द बनाएं:

राम – रावण
सीता – सूर्पणखा
भारत – लंका
पाण्डव – कौरव
द्रौपदी – दुष्शासन

यहां दिए गए उदाहरण विलोम शब्दों के लिए एक साधारण विधि है। आप भाषा में और भी विलोम शब्द (Vilom Shabd) बनाने के लिए विभिन्न शब्दों का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान दें कि विलोम शब्दों के अर्थ एक-दूसरे से बिलकुल उलटे होते हैं।

10 विलोम शब्द कैसे लिखें? 10 महत्वपूर्ण विलोम शब्द

अच्छा – बुरा
सफल – असफल
प्रसन्न – दुखी
जीवंत – मृत
शांत – अशांत
भविष्य – भूत
दृढ़ – कमज़ोर
आनंद – विषाद
सत्य – झूठ
भारी – हल्का

विलोम शब्द के 50 उदाहरण क्या हैं? 50 Vilom Shabd in Hindi

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
अँधेरा - उजालाअकाल - सुकाल
अंकुश - निरंकुशअकेला - साथ
स्वीकार - अस्वीकारअक्रूर - क्रूर
अंगीकार - इनकारअक्षम - सक्षम
अंडज़ - पिंडजअक्षर - क्षर
अंत - अनंतअक्सर - कभी कभार
अंत - आदिअखाद्य - खाद्य
अंत - प्रारम्भअगठित - गठित
अंतरंग - बहिरीअगम - गम
अंतर - बाह्यअगला - पिछला
अंतर - सततअग्नि - जल
अंतर्द्वन्द - बहिर्द्वन्दअग्र - पश्च
अंतर्मुखी - वहिर्मुखीअग्राह्य - ग्राह्य
अंतिम - प्रथमअग्रिम - अन्तिम
अंतिम - प्रारंभिकअघम - उत्तम
अंदर - बाहरअचल - चल
अंदरूनी - बाहरीअचिंतनीय - चिंतनीय
अंधकार - प्रकाश, आलोकअचेत - सचेत
अंशतः - पूर्णतःअछूत - छूत
अंसंतुष्ट - संतुष्टअजल - निर्जल
अकर्त्तव्य - कर्त्तव्यअजीब - अनोखा
अकर्मण्य - कर्मण्यअजेय - जय
अकलुष - कलुषअज्ञ - प्रज्ञ,विज्ञ
अकाम - सकामअज्ञान - ज्ञान
अकाम - सुकामअज्ञानी - ज्ञानी

100 का विलोम शब्द क्या है? 100 Vilom Shabd in Hindi

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
अटल - चंचलअनैतिक - नैतिक
अतल - वितलअनैतिहासिक - ऐतिहासिक
अति - अल्पअन्तरंग - बहिरंग
अतिथि - आतिथेयअन्तर्मुखी - बर्हिमुखी
अतिरिक्त - अनतिरिक्तअन्दर - बाह्य
अतिवृष्टि - अनावृष्टिअपकर्ष - प्रकर्ष, उत्कर्ष
अत्यधिक - स्वल्पअपकार - उपकार
अत्यन्त - अनत्यन्तअपकीत्ति - सुकीर्ति
अत्र - तत्रअपचय - उपचय
अथ - इतिअपचार - उपचार
अदोष - सदोषअपना - पराया
अधः - उपरिअपमान - सम्मान
अधम - उत्तम, श्रेष्ठ, महानअपराधी - निर्दोष, निरपराध
अधर्म - धर्मअपराह्न - पूर्वाह्न
अधर्म - सधर्मअपव्यय - मितव्यय
अधिकतम - न्यूनतमअपूर्ण - पूर्ण
अधिक - न्यून, कमअपेक्षा - उपेक्षा
अधिकारी - अनधिकारीअपेक्षित - अनपेक्षित
अधिकारी - अनाधिकारीअपेक्षित - उपेक्षित
अधुनातन - पुरातनअप्रत्यक्ष - प्रत्यक्ष
अधूरा - पूराअप्रभावि - प्रभावित
अधोगामी - ऊर्ध्वगामीअप्रसन्न - प्रसन्न
अधोमुखी - ऊर्ध्वमुखीअप्रिय - प्रिय
अध्यवसाय - अनध्यवसायअबला - सबला
अनभिज्ञ - अभिज्ञ, भिग, भिज्ञअभिमान - नम्रता
अनय - नयअभिमान - निरभिमान
अनवसर - सुअवसरअभिमानी - निराभिमानी
अनागत - आगतअभिमुख - विमुख
अनातुर - आतुरअभिव्यक्त - अनाभिव्यक्त
अनादर - आदरअभिशाप - आशीर्वाद, वरदान
अनाम - नामअभीष्ट - अन्भिष्ट
अनाहूत - आहूतअभ्यंतर - बाहूय
अनिच्छा - इच्छाअनभ्यस्त - अभ्यास, अभ्यस्त
अनिवार्य - वैकल्पिकअमंगल - मगल
अनिष्ट - इष्टअमर - मर्त्य
अनुकूल - प्रतिकूलअमावस्या - पूर्णिमा
अनुग्रह - निग्रह, विग्रहअमीर - गरीब
अनुचित - उचितअमृत - विष
अनुज - अग्रजअराग - सुराग
अनुपमा - उपमेयअरुचि - सुरुचि
अनुमति देना - मना करनाअर्थ - अनर्थ
अनुरक्त - विरक्तअर्पण - ग्रहण
अनुरक्ति - विरक्तिअर्पित - गृहीत
अनुराग - विराग, द्वेषअर्वाचीन - प्राचीन
अनुर्तीण - उर्तीणअलभ्य - लभ्य
अनुर्वरा - उर्वराअलौकिक - लौकिक
अनुलोम - विलोम, प्रतिलोमअल्प - अधिक, बहुत
अनृत - ऋत, तथ्यअल्पकालीन - दीर्घकालीन
अनेक - एकअल्पज्ञ - बहुज्ञ
अनेकता - एकताअल्पसंख्यक - बहुसंख्यक

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100 विलोम शब्द हिंदी में (100 Opposite Words in Hindi)

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
अल्पायु - दीर्घायु, चिरायुआद्र - शुष्क
अवकाश - अनवकाशआधार - निराघार, अनाधार
अवनत - उन्न्तआधुनिक - प्राचीन
अवनति - उन्नतिआध्यात्मिक - आधिभौतिक
अवनि - अम्बरआध्यात्मिक - भौतिक
अवर - प्रवरआना - जाना
अवरोध - अनवरोधआपद - निरापद
अवरोह - आरोहआबाल - वृद्ध
अवलम्ब - निरालम्बआभ्यंतर - बाह्य
अवसा - प्रसादआम - ऱवास
अशुभ - शुभआमिष - निरामिष, सामिष
असंतोष - संतोषआयत - निर्यात
असभ्य - सभ्यआय - व्यय
असमय - सुसमयआयात - निर्यात
असली - नकलीआरम्भ, आदि - अन्त
असाधारण - साधारणआरूढ़ - अनारूढ़
असाध्य - साध्यआरोह - अवरोह
असीम - सीमितआरोही - अवरोही
अस्त - उदयआर्द्र - शुष्क, अनार्द्र
अस्पृश्य - स्पृश्यआर्य - अनार्य
अस्वस्थ - स्वस्थआर्ष - अनार्ष
आकम्पित - निष्कंपआलंब - निरालंब
आकर्षक - अनाकर्षकआलोक - अंधकार
आकर्षक - विकर्षण, प्रतिकर्षणआलोक - अन्धकार, तिमिर
आकर्ष - विकर्षआवक - जावक
आकांक्षा - अनाकांक्षाआवरण - निरावरण
आकार - निराकारआवर्तक - अनावर्तक
आकाश - पातालआवश्यक - अनावश्यक
आकुंचन - प्रसारणआवाहन - विसर्जन
आकुंच - प्रसारणआविर्भाव - तिरोभाव
आगत - अनागतआवृत - अनावृत
आगमन - प्रस्थान, गमनआशा - निराशा
आगामी - गत, विगतआशीर्वाद - अभिशाप
आग्रह - दुराग्रहआश्रित - अनाश्रित
आचार - अनाचारआसक्त - अनासक्त, निरासक्त
आच्छादित - अनाछ्दितआस्तिक - नास्तिक
आजादी - गुलामीआस्था - अनास्था
आज्ञा - अवज्ञाआहत - अनाहत
आडंबर - निराडंबरआहार - अनाहार, निराहार
आतप - छाया, अनातपआह्वान - विसर्जन
आतप - निरातपइंसाफ - गैंर - इंसाफ
आतुर - अनातुरइकट्टा - अलग
आतुर - शांतइकहरा - दुहरा
आत्मा - परमात्माइच्छा - अनिच्छ
आत्मावलंबी - परावलंबीइच्छुक - अनिच्छुक
आदर - निरादरइति - अथ, आदि
आदान - प्रदानइधर - उधर
आदि - अनादिइश्वर - अनीश्वर, जीव
आदिष्ट - निषिद्धइष्ट - अनिष्ट
आदृत - अनादृतइहलोक - परलोक

200 Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) विलोम शब्द

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
ईद - मुहरंमऐन्द्री - इन्द्र
ईप्सित - अनीप्सितऐश्वर्य - अनैश्वर्य
ईमानदार - बेइमानऐहिक - पारलौकिक
ईमानदार - बेईमानओछा - गम्भीर
ईर्ष्या - प्रेमओजस्वी - निस्तेज
ईश - अनीशओतप्रोत - विहीन
ईश्वर - जीव, अनीश्वरओदीच्य - दाक्षिणात्य
ईहा - अनीहाऔचित्य - अनौचित्य
उऋण - ऋणऔदत्य - अनौदात्य
उक्त - अनुक्तऔद्धत्य - अनौद्धत्य
उगना - डूबनाऔपचारिक - अनौपचारिक
उग्र - सौम्यऔरत - आदमी
उचित - अनुचितऔरस - दत्तक
उच्च - निम्नऔषधि - अनौषधि
उज्ज्वल - धूमिलकंटक - निष्कंटक
उतर - दक्षिणकच्चा - पक्का
उतार - चढावकटु - मघु, मृदु
उतीर्ण - अनुत्तीर्णकठिन - सरल, सहज
उत्कर्ष - अपकर्षकठोर - दयालु, कोमल
उत्कर्ष - विकर्ष, निकृष्टकड़वा - मीठा
उत्तम - अनुत्तम, अधमकड़ा - मुलायम, नरम
उत्तमर्ण - अधमर्णकडुवा - मीठा
उत्तर - दक्षिणकदाचार - सदाचार
उत्तरायण - दक्षिणायनकदाचित - निश्चित
उत्तरार्द्ध - पूर्वार्द्धकनिष्ठ - वरिष्ठ, ज्येष्ठ
उत्तीर्ण - अनुत्तीर्णकन्या - वर
उत्तेजित - शमितकपटी - निष्कपट
उत्थान - पतनकपूत - सपूत
उत्थित - पतितकम - अधिक, ज्यादा
उत्पतन - निपतन, अवतरणकरीबी - दूर के
उत्पत्ति - प्रलय, विनाशकरुण - क्रूर, निष्ठुर
उत्साह - निरुत्साह, अनुत्साहकरुण - निष्करुण, अकरुण, निष्ठुर
उदय - अस्तकरुण - निष्ठुर
उदयाचल - अस्ताचलकरुणा - क्रूरता, निष्ठुरता
उदान्त - अनुदान्तकर्कश - क्रोमल, मधुर, सुशील
उदार - अनुदार, कृपणकर्कश - मधुर
उदास - प्रसन्न, प्रफुल्लकर्म - अकर्म, निष्कर्म
उदित - अस्तकर्मठ - अकर्मण्य
उदीची - प्रतीचीकर्मठ - आलसी
उद्गम - विलयकर्मण्य - अकर्मण्य
उद्घाटन - समापनकर्षण - विकर्षण
उद्देश्य - निरुद्देश्यकलयुग - सतयुग
उद्धत - विनत, विनीतकलुष - निष्कलुष
उद्यम - निरुद्यमकल्पनातीत - काल्पनिक
उद्यमी - आलसी, निरुद्यमीकल्पित - वास्तविक
उधार - नकद, नगदकसूरवार - बेकसूर
उन्नत - अवनतकानूनी - गैरकानूनी
उन्नयन - अवनयनकाम - आराम, निष्कर्म, निष्काम
उन्मीलन - निमीलनकायर - साहसी, निडर
उन्मुख - विमुखकार्य - अकार्य
उन्मुलन - मुलन, रोपणकिनारा - बीच
उपकार - अपकारकीर्ति - अपकीर्ति
उपकारक - अपकारककुकर्म - सुकर्म
उपचार - अनुपचार, अपचारकुकृत्य - सुकृत्य
उपजाऊ - बंजरकुटिल - सरल
उपजीव्य - उपजीवीकुत्सा - प्रशंसा, स्तुति
उपमेय - अनुपमेयकुपात्र - सुपात्र
उपयोगी - अनुपयोगीकुपुत्र - सुपुत्र
उपर्सग - प्रत्ययकुपोषण - पोषण
उपस्थित - अनुपस्थितकुमार्ग - सुमार्ग, सन्मार्ग
उपादेय - अनुपादेयकुरूप - सुरूप, सुन्दर
उपार्जित - स्वयंप्राप्तकुलटा - पतिव्रता
उपेक्षा - अपेक्षाकुलदीप - कुलांगर
उरुकृष्ट - निकृष्टकुसंगति - सत्संगति
उर्वर - अनुर्वरकुसंग - सुसंग
उर्वरा - बंजरकुसुम - वज्र
उष्ण - शीत, शीतलकृतज्ञ - कृतघ्न
उष्ण - शीतलकृत्रिम - प्रकृत, स्वाभाविक, नैसर्गिक
ऊँच - नीचकृपण - उदार, दानी, दाता
ऊँचा - नीचाकृपणता - उदारता
ऊर्द्ध - अधरकृपा - कोप, अकृपा
ऊर्ध्वमुख - अधोमुखकृश - पुष्ट, स्थूल, प्रवृद्ध
ऊषा - संध्याकृष्ण - शुक्ल, श्वेत
ऊष्मा - शीतलताकैद - छूट
ऊसर - उपजाऊक्रमबद्ध - क्रमहीन
ऋजु - कुटिल, वक्रक्रय - विकय
ऋजु - वक्रक्रुद्ध - शांत
ऋण - धनक्रूर - सदय
ऋणात्मक - धनात्मकक्रोध - क्षमा
ऋत - अनृतक्रोधी - अक्रोधी, प्रस्रन्न
ऋद्धि - विपन्नक्षमा - क्रोध
एक - अनेकक्षुद्र - महान्
एकतंत्र - बहुतंत्रखंडित - अखंडित
एकता - अनेकताखग - मृग
एकत्र - विकीर्णखगोल - भूगोल
एकनिष्ठ - सर्वनिष्ठखण्ड - अखण्ड
एकमुखी - बहुमुखीखण्डन - मण्डन
एकल - बहुलखरा - खोटा
एकश्रुत - बहुश्रुतखरीदना - बेंचना
एकांकी - अनेकांकीखरीद - बिक्री
एकांगी - सर्वांगीणखलनायक - नायक
एकाकी - दुकेलाखाद्य - अखाद्य
एकाग्र - चंचलखास - आम
एकाधिकार - सर्वाधिकारखिलना - मुरझाना
एकेश्वरवाद - बहुदेववादखीझना - रीझना
एड़ी - चोटीखुबसूरत - बदसूरत
एषणा - अनैषणाखुला - बन्द
ऐक्य - अनैक्यखुश - नाखुश, गमगीन, दुखी
ऐच्छिक - अनैच्दिकखुशबु - बदबू
ऐतिहासिक - अनैतिहासिकखुशी - गम

400+ विलोम शब्द हिंदी में | विपरीतार्थक शब्द | Vilom Shabd in Hindi

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
खेचर - भूचरतिक्त - मधुर
खेद - प्रसन्नता, हर्षतिमिर - ज्योति, आलोक
खोलना - बाँधनातिमिर - प्रकाश, ज्योति
ख्यात - कुख्याततीक्ष्ण - कुँठित
गंधदायक - गंधाहारकतीक्ष्ण - कुन्द
गंभीर - चंचलतीव्र - मन्द
गगन - धरा, पृथ्वीतुकान्त - अतुकान्त
गठियाना - खोलनातुक्ष - महान्
गड़बड़ - सहीतुच्छ - महान
गणतंत्र - राजतन्त्रतुलनीय - अतुलनीय
गण्य - नगण्यतुष्ट - रूष्ट
गत - आगततृप्त - अतृप्त, तृषित
गतिमान - स्थिरतृषा - तृप्ति
गतिरोध - निर्विरोधतृषित - तृप्त
गति - विराम, अवरोधतृष्णा - वितृष्णा, तृप्ति
गद्य - पद्यतेज - धीमा
गन्दा - साफ़तेजस्वी - निस्तेज
गमन - आगमनत्तटस्थ - पक्षपाती
गमनीय - अगमनीयत्यक्त - ग्रहीत
गम्भीर - उथला, वाचाल, चपलत्यागी - स्वार्थी
गरल - सुधा, अमृतत्याज्य - अत्याज्य
गरिमा - लघिमात्याज्य - ग्राह्य
गरीब - अमीर, धनीथकावट - स्फूर्ति
गर्म - ठंडाथल - जल
गर्मी - सर्दीथाह - अथाह
गलत - सहीथोक - फुटकर, खुदरा
गहरा - छिछलाथोड़ा - बहुत, अपार, ज्यादा
गाँव - शहरदंड - क्षमा
गाड़ना - उखाड़नादंड - क्षमा, पुरस्कार
गाढ़ा - पतलादक्षिण - उत्तर, वाम
गाय - बैलदमित - उत्तेजित
गीत - अगीतदयालु - क्रूर, निर्दयी
गीर्ण - उदगीर्णदयालु - निर्दय
गीला - सूखादरिद्र - सम्पन्न, धनी
गुण - दोष, अवगुणदाएँ - बाएँ
गुणाढ्य - गुणहीनदाता - कृपण, कंजूस
गुणी - निर्गुणी, दोषीदाता - शूम, भिखारी, भिक्षुक, याचक
गुप्त, गुह्य - प्रकटदानी - कृपण
गुरु - शिष्य, लघुदास - प्रभु
गूढ़ - प्रकटदास - स्वामी
गृहस्थ - सन्यासीदिनचर्या - रात्रिचर्या
गृही - त्यागी, अगृही, सन्यासीदिवा - रात्रि, निशि
गेय - अगेयदीर्घकाय - लघुकाय, कृशकाय, क्षीणकाय
गोचर - अगोचर, गोतीतदीर्घ - हस्व
गोपनीय - प्रकाशनीयदीर्घ - ह्रस्व, सूक्ष्म, लघु
गोरी - साँवलीदीर्घायु - अल्पायु
गौण - मुख्यदुःखी - सुखी
गौरव - लाघवदुःशील - सुशील
ग्रस्त - मुक्तदुःसाध्य - सुसाध्य
ग्रहीता - दातादुराग्रह - आग्रह
ग्राम - विशिष्टदुराचार - सदाचार
ग्रामीण - शहरी, नागरिकदुराचारी - सदाचारी
ग्राम्य - नगरदुर्गति - सद्गति
ग्राम्य - शिष्टदुर्गम - सुगम
ग्राह्य - त्याज्य, अग्राह्यदुर्जन/दुष्ट - सज्जन
ग्रिहत/गृहस्थ - संन्यस्त, संन्यासी, ब्रह्मचारीदुर्दान्त - शान्त
ग्रीष्म - शरददुर्दिन - सुदिन
घटक - समुदायदुर्निवार - निर्वार्य
घटना - बढनादुर्बल - सबल
घटना - बढ़नादुर्बुद्धि - सुबुद्धि
घटिया - बढ़ियादुर्भाग्य - सौभाग्य
घना - विरलदुर्भाव - सद्भाव
घनिष्ट - दूरस्थदुर्लभ - सुलभ
घनेरा - नगण्यदुष्कृति - सुकृति
घमंड - विनयदुष्ट - सज्जन
घमासान - सामान्यदूर के - करीबी
घर - बाहरदूर - पास, निकट
घरेलू - बाहरी, वन्यदूरवर्ती - निकटवर्ती
घाटा - मुनाफादूश्यकाव्य - श्रव्यकाव्य
घाटी - पर्वतदूषित - स्वच्छ
घातक - रक्षकदूषित - स्वच्छ, सित
घात - प्रतिघातदृढ़ - विचलित
घृणा - स्नेह, प्रेमदृदांत - शांत
घोष - निर्घोष, अघोषदृश्य - अदृश्य
घोषित - अघोषितदृष्ट - अदृष्ट
चंचलता - स्थिरतादेय - अदेय
चंचल - स्थिरदेर - सबेर, जल्द
चढना - ढलनादेर - सबेर, जल्दी
चढ़ाव - उतारदेवता - राक्षस
चतुर - मूढ़, मूर्खदेवत्व - दानवत्व
चपल - गंभीरदेव - दानव
चपल - स्थिरदेश - परदेश, विदेश
चमकदार - चमकहीनदेह - विदेह
चमकहीन - चमकदारदेहाती - शहरी
चय - अपचयदैत्य/दानव - देव, देवता
चर - अचरदैविक - भौतिक
चरित्रवान - चरित्रहीनदैहिक - ऐहिक
चर्चित - अचर्चितदोष - गुण
चल - अचलदोषी - निर्दोष
चाँदनी - अँधेरीद्रुत - विलंबित
चांचल्य - स्थैर्यद्वन्द्व - शान्ति
चाटुकार - स्वाभिमानीधनवान - निर्धन, दरिद्र
चातुर्य - मूढ़ता, मूर्खताधनी, धनिक - निर्धन, दरिद्र
चारु - अचारुधनी - निर्धन, गरीब
चालाक - बेवकूफधरा - गगन
चालू - सुस्त, बंदधर्म - अधर्म
चिंतत - निश्चिन्तधवल - कृष्ण, श्याम
चिंतित - निश्चिंतधीर - अधीर
चिकना - खुरदराधीरोदात्त - धीरोद्वत्त
चिकना - रुखड़ाधूप - छाँह
चित्र - विचित्रधृष्ट - नम्र
चिन्मय - अचिन्मयधैर्य - अधैर्य
चिन्मय - जड़, अचिन्मयध्रुव - अस्थिर
चिरंजीवी - अल्पजीवीध्वंस - निर्माण
चिरंतर - नश्वरनकली - असली
चिर - नवीन, अचिरनगर - ग्राम
चिरन्तर - नश्वरनगर - ग्रामीण
चिरायु/दीर्घायु - अल्पायुनजदीक - दूर
चुस्त - ढीलानज़रबंद - नजरमुक्त
चुस्त - सुस्त, ढीला, शिथिलनद - नदी
चेतन - अचेतन, जड़नफा - नुकसान
चेतना - मूर्च्छानमकहराम - नमकहलाल
चेष्ट - निष्चेष्टनम - शुष्क, खुश्क
चोर - पुलिसनमाज - कलमा
चोर - साधुनया - पुराना
च्युत - संयुतनर - नारी, मादा
छंदबद्ध - छंदहीननराघम - नरोत्तम
छद्म - व्यक्तनश्वर - अनश्वर, शाश्वत
छल - निश्छल, निष्कपटनागरिक - ग्रामीण
छली, छल - निश्छल, निष्कपटीनापाक - पाक
छाँह - धूपनारी - नर
छात्र - छात्रानास्तिक - आस्तिक
छादन - प्रकाशननिंदा - स्तुति
छाया - आतप, धूप, प्रकाश, रोशनीनिकास - प्रवेश
छिन्न - संलग्ननिगलना - उगलना
छूट - कैदनिजी - सरकारी, सार्वजनिक
छूत - अछूतनिडर - डरपोक
छेद्य - अछेद्यनिदा - स्तुति
छोटा - बड़ानिद्रा - जागरण
जंगम - स्थावरनिम् - उच्च
जंगल - मरुभूमिनिरर्थक - सार्थक
जंगली - पालतूनिरामिष - सामिष
जटिल - सरलनिरालम्ब - अवलम्ब
जड़ - चेत्तननिर्जीव - सजीव
जनता - सरकारनिर्दोष - सदोष
जब - तबनिर्मल - मलिन
जमीन - आसमाननिर्माण - विनाश
जय - पराजयनिर्लज्ज - सलज्ज
जरा - जवानीनिर्विरोध - गतिरोध
जल्लाद - देवतानिशीथ - मध्याहृ
जवानी - बुढ़ापानिश्चिंत - चिंतित
जागरण - निद्रानिश्चेष्ट - सचेष्ट
जागृति - सुषुप्तिनिषिद्ध - विहित
जाग्रत - सुषुप्तनिषेध - विधि
जाड़ा - गर्मीनिष्काम - सकाम
जात - परजातनीरस - सरस
जाति - कुजातिनेकी - बदी
जीना - मरनानेम - कुनेम
जीव - निर्जीवनैतिक - अनैतिक
जीवात्मा - परमात्मानैसर्गिक - कृत्रिम
जीवित - मृतन्याय - अन्याय
जेय - अजेयन्यून - अधिक
जोड़ - घटावपंडित - मूर्ख
ज्ञान - अज्ञानपक्ष - विपक्ष
ज्योति - तम, तिमिरपतन - उत्थान
ज्योतिर्मय - तपोमयपतनोन्मुख - विकासोन्मुख
ज्वार - भाटापता - खोज, लापता
झंकृत - निस्तब्धपदावनति - पदोन्नति
झगड़ा - मेल, मिलापपनी - आग
झगड़ा - शान्तिपमुख - सामान्य
झीना - गाढ़ापरकीय - स्वकीय
झूठ - सचपरतंत्रता - सवतंत्रता
झूठा - सच्चापरतंत्र - स्वतंत्र
झोपड़ी - महलपरमार्थ - स्वार्थ, आत्मार्थ
टल - अटलपराया - अपना
टीका - भाष्यपरिचित - अपरिचित
टूटना - जुड़नापरिश्रम - विश्राम
ठंडा - गर्मपरिश्रमी - आलसी, कामचोर
ठहरना - जानापरोपकारी - स्वार्थी
ठिगना - लम्बापर्णकुटी - महल, प्रासाद
ठीक - गलतपल - घंटा
ठोस - तरलपवित्र - अपवित्र
ठोस - द्रव, तरल, खोखलापश्चिम - पूर्व
डरपोक - निडर, साहसीपहुँचना - छूटना, खुलना
डाल - पत्तीपाप - पुण्य
ढंग - बेढंग, कुढंगपालक - संहारक
ढलना - चढ़नापालतू - जंगली
ढाढस - त्रासपालन - संहार, पीड़न
ढाल - तलवारपाश्चात्य - पूर्वीय
ढालवाँ - चढ़ाव, चढ़ाईपास - दूर
ढालू - समतलपुरस्कार - तिरस्कार, दंड
ढीठ - विनम्रपुरातन - कूस्वा नवीन
ढीठ - संकोचीपुरुष - स्त्री
तट - मझधारपुष्ट - अपुष्ट, क्षीण
तटस्थ - सापेक्षपूरब - पश्चिम
तनय - तनयापूरा - अधुरा
तनुता - पुष्टतापूर्चाह्न - अपराह्न
तन्द्रा - जागरणपूर्णतः - अंशतः
तन्वंगी - स्थूलंगीपूर्णता - अपूर्णता
तप्त - शीतपूर्णिमा - अमावस्या
तम - आलोकपूर्व - पश्चिम, उतर, उपर
तम - प्रकाश, आलोकपूर्ववर्ती - परवर्ती, उत्तरवर्ती
तरल - ठोसपृथु - तनु
तरुण - वृद्धपेट - पीठ
तल - अतलपोषक - शोषक
तलवार - ढालप्रकट - गुप्त
ताप - शीतप्रकाश - अंधकार, - छाया, - तिमिर
तामसिक/तमस - सात्विकप्रख्यात - अख्यात
तारीफ - शिकायतप्रघान - गौण
तारुण्य - वार्द्धक्यप्रज्ञ - मूढ़

Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) विलोम शब्द | विपरीतार्थक शब्द

शब्द - विलोमशब्द - विलोम
प्रतिकूल - अनुकूलवाग्मी - अल्पभाषी, मितभाषी
प्रत्यक्ष - परोक्षवाचाल - मूक
प्रत्यक्ष - परोक्ष, अप्रत्यक्षवाद - प्रतिबाद
प्रथम - अंतिमवादी - प्रतिवादी
प्रदोष - प्रत्युषविकर्ष - आकर्ष
प्रभु - भृत्यविकर्षण - आकर्षण
प्रयोग - अप्रयोगविकसित - अविकसित
प्रलय - सृष्टिविकासशील - अविकासशील
प्रवृत्ति - निवृतिविकास - ह्रास
प्रशंसा - निंदाविकीर्ण - संकीर्ण
प्रश्न - उत्तरविक्रय - क्रय
प्रसाद - विषाद, कोपविख्यात - कुख्यात
प्रसिद्ध - अप्रसिद्ध, अज्ञातविजय - पराजय
प्रस्कूटित - सकुंचितविजातीय - जातीय
प्रस्थान - आगमनवितल - अतल
प्राकृतिक - अप्राकृतिकविद्वान - मूर्ख
प्राचीन - अर्वाचीनविनाश - निर्माण
प्राण - निष्प्राणविनीत - उद्धत
प्रातः - सायंविपत्ति - सम्पत्ति
प्राप्त - अप्राप्तविपद - सम्पद
प्राय: - विरलाविपन्न - सम्पन्न
प्रारंभ - अंतविपुल - न्यून
प्रारंभिक - अंतिमविफलता - सफलता
प्रारब्ध - पौरुषविमुख - उन्मुख, सम्मुख
प्रूर्णिमा - अमावस्यावियोग - मिलन, संयोग
प्रेम - घृणाविरक्त - अनुरक्त
फलदायक - निष्कलविरत - निरत, रत
फायदा - नुकसानविरह - मिलन
फूलना - मुरझानाविरोध - समर्थन
फैला - सिमटा, सिकुड़ाविलास - तपस्या
बंद - खुलाविवाद - निर्णय, निर्विवाद
बंधन - मुक्ति, मोक्षविशालकाय - क्षीणकाय, लघुकाय
बच्चा - बुढाविशिष्ट - साधारण
बड़ा - छोटाविशिष्ट - सामान्य, साधारण
बढ़िया - घटियाविशुद्ध - दूषित
बद - नेकविशेष - सामान्य
बदबू - खुशबूविश्राम - काम
बनाना - बिगाडनाविश्लेषण - संश्लेषण
बर्बर - सभ्यविश्वासी - अविश्वासी
बलवान - बलहीनविष - अमृत
बली - निर्बलविषम - सम
बसाना - उजाड़नाविषाद - आहद
बहार - पतझड़, खिजाँविसर्जन - अहान, सर्जन
बहिरंग - अंतरंगविस्तार - संक्षेप
बहिरंग - अन्तरंगविस्तीर्ण - संकीर्ण
बहिस्कार - स्वीकार, अंगीकारविस्तृत - संक्षिप्त
बहुत - थोडाविस्वास - अविस्वास
बाढ़ - सूखावीर - कायर
बालक - बालिकावुरा - भला
बालक - वृद्धवृद्ध - तरुण
बालिका - वृद्धावृद्ध - बालक
बाहर - अंदर, भीतरवृद्धि - ह्रास
बाहूय - अभ्यतरवृष्टि - अनावृष्टि
बिना - साथवृहत - लघु, क्षुद्र
बीच - किनारावैतनिक - अवैतनिक
बीमार - नीरोग, स्वस्थवैध - अवैध
बुद्धिमान - बुद्धिहीन, मूर्खवैधानिक - अवैधानिक
बुराई - भलाईवैभव - दरिद्रत्ता
बेगम - बादशाहवैमनस्य - सौमनस्य
बेचना - खरीदनावैर - मित्रता, दोस्ती
बैर - मित्रत्ताव्यक्ति - समाज .
ब्रह्म - जीवव्यय - आय
भक्षक - रक्षकव्यर्थ - अव्यर्थ
भक्ष्य - भक्षकव्यर्थ - अव्यर्थ, सार्थक
भद्र - अभद्रव्यवहारिक - अव्यावहारिक
भय - साहसव्यस्त - अकर्मण्य, अव्यस्त
भरा - खालीव्यस्त - अव्यस्त
भर्ता - भृत्य, भार्याव्यावहारिक - अव्यावहारिक
भलाई - बुराईव्यास - समास
भला - बुराशगुन - अपशगुन
भाई - बहनशत्रु - प्रित्र
भाग्य - अभाग्यशयन - जागरण
भारतीय - अभारतीय, विदेशीशांति - अशांति, क्रांति
भाव - अभावशाकाहारी - मांसाहारी
भिज्ञ - अनभिज्ञशाम - सुबह
भूत - भविष्यशासक - शासित
भूमा - अल्पत्ताशिक्षित - अशिक्षित
भूलोक - द्युलोकशिष्ट - अशिष्ट
भेद - अभेदशुभ - अशुभ
भोक्ता - भोग्यशुष्क - आर्द्र
भोगी - योगीसंकरी - चौड़ी
भौतिक - आध्यात्मिकसंकल्प - विकल्प
मंगल - अमंगलसंकीर्णि - विस्तीर्ण
मधुर - कटुसंकोच - असंकोच
मनुज - दनुजसंगत - असंगत
मनुष्यता - पशुत्तासंग - निःसंग
मनुष्य - पशु, राक्षससंघटन - विघटन
मरना - जीनासंजीव - निर्जीव
मलिन - निर्मलसंधि - विच्छेद
मसृण - रूक्षसंन्यासी - गृहस्थ
महँगा - सस्तासंयोग - वियोग
महत् - तुच्छ, क्षुद्र, लघुसकर्म - निष्कर्म
महात्मा - दुरात्मासक्षम - अक्षम
माता - पितासखा - शत्रु
मान - अपमानसजल - निर्जल
मानव - दानवसत्कर्म - दुष्कर्म
मामूली - गैरमामूलीसत्कार - तिरस्कार
मारी - हलकासदय - निदय
मालिक - नौकरसदाचार - कदाचार, दुराचार
मिटटी - सोनासदाशय - दुराशय
मितव्यय - अपव्ययसध्दर्म - अधर्म
मितव्ययी - अपव्यथीसन्तोष - असन्तोष
मित्र - शत्रुसन्धि - विग्रह
मिथ्या - सत्यसफल - विफल
मिलन - विरहसबल - दुर्बल, निर्बल
मीठा - कडवा, तीखासबाध - निर्बाध
मुक्त - ग्रस्तसभय - निर्भय
मुख - पृष्ठ, प्रत्तिमुखसभ्य - असभ्य
मुख्य - गौणसम - विषम
मुनाफा - नुकसानसमष्टि - व्यष्टि
मुमकिन - नामुमकिनसमाज - व्यक्ति
मूक - वाचाल, मुखरसमास - व्यास
मृत - जीवितसमूल - निर्मल
मृत्य - अमृत्य, अमरसम्मान - अपमान
मृदुल - कठोर, निर्ममसम्मुख - विमुख
मेल - बेमेल, झगडा, फूटसरल - कठिन, जटिल
मेहनती - आलसीसलज्ज - निर्लज्ज
मोघ - अमोघसविकार - निर्विकार
मोटा - पतलासशंक - निश्शंक
मोहयुक्त - निर्मोहीसहयोगी - प्रतियोगी
मौन - मुखरसाकार - निराकार
यथार्थ - कल्पित. कल्पनासादर - निरादर
यहाँ - वहाँसाधु - असाधु
युद्ध - शांतिसापेक्ष - निरपेक्ष
युवक - वृद्ध, जठरसामान्य - विशिष्ट
युवा - बुढा, वृद्धसार्थक - निरर्थक
योग - वियोगसावधान - असावधान
योगी - भोगीसुकर्म - कुकर्म
योग्य - अयोग्यसुकाल - अकाल
रंगीन - रंगहीन. बेरंगसुख - दुःख
रचना - ध्वंससुगम - दुर्गम
रत - विरतसुजन - दुर्जन
राग - विरागसुदूर - अदूर
रागी - विरागीसुधा - गर्ल
राजतंत्र - गणतंत्रसुन्दर - असुंदर
राजतंत्र - जनतंत्र, प्रजातंत्रसुपथ - कुपथ
राजा - रंक, प्रजासुपरिणाम - दुष्परिणाम
राजा - रानीसुपुत्र - कुपुत्र
रात - दिनसुबह - शाम
राति - रकसुभग - दुभग
राम - रावणसुमति - कुमति
रिक्त - पूर्णसुर - असुर
रुखड़ा - चिकनासुलभ - दुर्लभ
रुग्ण - नीरोग, स्वस्थसुशील - दुःशील
रूपवान - कृरूपसुषुप्त - जाग्रत
रेगिस्तान - नखलिस्तानसुसंसगति - कुसंगति
रोगी - नीरोगसूखाग्रस्त - बाढ़ग्रस्त
रोपण - उन्मूलनसृष्टि - प्रलय
लक्षण - कुलक्षणसौम्य - असौम्य
लक्षित - अलक्षितस्तुति - निन्द
लगभग - पूरास्थावर - जंगम
लगाव - विलगाव, अलगाव, हटानास्थिर - , चंचल
लचीला - कठोरस्थूल - सूक्ष्म
लज्जाशील - निर्लजस्मरण - विस्मरण
लड़ना - मिलनास्वजाति - विजाति
लधु - दीर्घ, महत्स्वतन्त्रा - परतन्त्रा
लहू - पसीनास्वदेश - विदेश
लाभ - हानिस्वदेशी - परदेशी
लालची - संतुष्टस्वधर्म - विधर्म
लिप्त - अलिप्तस्वप्न - जागरण
लुप्त - प्रकटस्वर्ग - नरक
लेन - देनस्वल्पायु - चिरायु
लेना - देनास्वस्थ - अस्वस्थ
लोक - परलोकस्वाधीन - पराधीन
लोभ - त्यागस्वामी - सेवक
लौकिक - अलौकिकस्वार्थ - निस्वार्थ
लौह - स्वर्णहर्ष - शोक
वंघ - निंघहार - जीत
वक्र - सरल, ऋजु
वन - मठ
वन - मरु
वन्य - पालित
वयष्टि - समष्टि
वसंत - पतझड़
वहिष्कार - स्वीकार, अंगीकार

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vakyansh ke liye ek shabd hindi me
600+ वाक्यांश के लिए एक शब्द 2023: Vakyansh Ke Liye Ek Shabd Hindi Me

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वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi)

वाक्यांश किसे कहते हैं?

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi): वाक्यांश एक वाक्य का एक छोटा सा भाग होता है जो सम्पूर्ण अर्थ को नहीं प्रस्तुत करता, लेकिन एक सम्पूर्ण वाक्य का अंश होता है। इसमें कम से कम एक पूर्ण क्रिया होती है। वाक्य के पूर्ण अर्थ को समझने के लिए वाक्यांशों को संयोजित किया जाता है। वाक्यांश के द्वारा विचारों, कार्यों, समय और स्थान के बारे में संक्षेप्त जानकारी प्रदान की जाती है। इन वाक्यांशों को सम्बोधन, आदेश, सवाल, अभिवादन, और विचार प्रकट करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, वाक्यांश भाषा में अधिक संघटित विचारों को संक्षेप्त रूप में प्रस्तुत करते हैं और वाक्य को संयोजित करके विस्तृत विचार प्रस्तुत करने में मदद करते हैं। यह भाषा के संबोधन, आदेश, प्रश्न, अभिवादन आदि के रूप में उपयोगी होते हैं।

वाक्यांश का उदाहरण:
पूर्ण वाक्य: “श्याम अपने दोस्तों के साथ खेल रहा है।”
वाक्यांश: “श्याम खेल रहा है।”

इस उदाहरण में, पूर्ण वाक्य में सम्पूर्ण अर्थ है कि श्याम खेल रहा है, और वाक्यांश में भी यही बात कही जा रही है। लेकिन, पूर्ण वाक्य और वाक्यांश में अंतर यह है कि वाक्यांश में कुछ शब्द हैं जो पूर्ण वाक्य के बाकी हिस्से के बिना एक सम्पूर्ण विचार को प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं।

वाक्यांश के कुछ और उदाहरण:

  • राम पानी पी रहा है।
  • माला मिठाई खा रही है।
  • बच्चे खेलते हुए हँस रहे हैं।
  • पक्षियों को आकर्षित कर रही है।
  • गुलाबी फूल खिल रहे हैं।
  • बैंक में लोग कतार में खड़े हैं।
  • नेहा गाना गा रही है।
  • सोनिया खुशी से नाच रही है।
  • दादा पुस्तक पढ़ रहे हैं।
  • प्रदीप अपनी बाइक चला रहा है।

वाक्य और वाक्यांश में अंतर होता है?

वाक्य और वाक्यांश में अंतर निम्नलिखित हैं:

पूर्णता: वाक्य एक पूर्ण अवस्था में होता है, जिसमें वह एक सम्पूर्ण विचार को प्रकट करता है और सम्पूर्ण भाषा संरचना का पालन करता है। इसके विपरीत, वाक्यांश अधूरा रहता है और वह एक पूर्ण विचार को प्रकट नहीं करता, यह एक अध्यात्मिक और अपूर्ण अवस्था में होता है।

विस्तार: वाक्य अधिक विस्तृत होता है और एक या एक से अधिक वाक्यांशों से मिलकर बनता है। वाक्यांश छोटे और संक्षिप्त होते हैं और अक्सर एक वाक्य के भीतर होते हैं।

वाक्यता: वाक्य अपने आप में पूर्णता का प्रतीक होता है और वह अपने में एक अखंड विचार प्रस्तुत करता है। विपरीत, वाक्यांश एक अपूर्ण विचार को प्रस्तुत करता है और अपने में एक सम्पूर्ण वाक्य का अंश होता है।

अन्तर्भाव: वाक्य और वाक्यांश का अन्तर्भाव भाषा की एक महत्वपूर्ण भेद है। वाक्य भाषा का मूल इकाई होता है, जो विचारों को समझाने के लिए पूर्णता प्रदान करता है। विपरीत रूप से, वाक्यांश वाक्य के भाग के रूप में एक छोटा सा अंश होता है, जो विचार को संक्षेप्त रूप से प्रस्तुत करता है।

वाक्यांश के लिए एक शब्द

वाक्यांश के लिए एक शब्द किसे कहते हैं?

किसी भी वाक्य में निहित वाक्यांश का अपना एक अर्थ होता है, उसी अर्थ को एक शब्द में लिखने की कला को वाक्यांश के लिए एक शब्द कहते हैं। इस एक शब्द में वाक्यांश का वास्तविक अर्थ समझ आता है। चूँकि वाक्यांश 2 या 2 से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है इसलिए इस प्रक्रिया को हम अनेक शब्दों के लिए एक शब्द भी कहते हैं। जब हम किसी वाक्यांश को सिर्फ एक शब्द में लिखते हैं, तो उसे “संक्षेपित वाक्य” या “अभिलेखित वाक्य” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह एक प्रकार की क्षमता है जिससे भाषा का उपयोग प्रतियोगिताओं, छोटे संकेतिक लेखों, या सामान्य संदेशों में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक वाक्यांश या दो-तीन शब्दों में पूरा संदर्भ या विचार व्यक्त होता है। इसका उद्देश्य बहुत सारी भाषा का इस्तेमाल करते हुए लफ्जों को कम करके जल्द से जल्द विचार का प्रकट करने में सहायक होना होता है।

Vakyansh ke liye ek shabd (वाक्यांश के लिए एक शब्द के उदाहरण)

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
1 महीने में होने वाला- मासिक
1 सप्ताह में होने वाला -साप्ताहिक
100 वर्षों का समय- शताब्दी
4 राहों वाला -चौराहा
अंडे से जन्म लेने वाला- अंडज
अचानक हो जाने वाला- आकस्मिक
अच्छा बुरा समझने की शक्ति का अभाव - अविवेक
अण्डे से जन्म लेने वाला — अण्डज
अत्यधिक बढ़ा–चढ़ा कर कही गई बात — अतिशयोक्ति
अधिक दिनों तक जीने वाला -चिरंजीवी
अधिक देर तक रहने वाला या चलने वाला – टिकाऊ
अधिकार या कब्जे में आया हुआ -अधिकृत
अधिकारी जो अपने अधीन कार्य करने वाले कर्मचारी पर निगरानी रखें -अधीक्षक
अध्ययन( पढ़ने) का काम करने वाला -अध्येता
अध्यापन( पढ़ाने) का काम करने वाला- अध्यापक
अनुकरण करने योग्य - अनुकरणीय
अनुभव प्राप्त -अनुभवी
अनुमान किया हुआ -अनुमानित
अनुवाद करने वाला -अनुवादक
अनुवाद किया हुआ -अनुदित
अनेक राष्ट्रों में आपस में होने वाली बात -अंतरराष्ट्रीय
अपनी इच्छा के अनुसार काम करने वाला- इच्छाचारी
अपनी इच्छा से दूसरों की सेवा करने वाला- स्वयंसेवक
अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए किया गया अग्नि प्रवेश – जौहर
अपने आप अपनी हत्या करना। – आत्महत्या
अपने आप पर विश्वास- आत्मविश्वास
अपने देश के साथ विश्वासघात करने वाला -देशद्रोही
अपने देश से प्यार करने वाला -देशभक्त
अपने पति के प्रति अनन्य अनुराग रखने वाली -पतिव्रता
अपने पद से हटाया हुआ -पदच्युत
अपने परिवार के साथ सपरिवार
अपने बल पर निर्भर रहने वाला- स्वावलंबी
अभिनय करने वाला पुरुष- अभिनेता
अभिनय करने वाली स्त्री - अभिनेत्री
अभी-अभी जन्म लेने वाला -नवजात
अविवाहित महिला — अनूढ़ा
अविवाहित लड़की -कुमारी
आंख की बीमारी -दृष्टि दोष
आंखों के सामने- प्रत्यक्ष
आंखों से परे - परोक्ष
आकाश के पिंडों का विवेचन करने वाला शास्त्र – खगोलशास्त्र
आकाश को. चूमने वाला – गगनचुंबी
आकाश में रहने वाले जीव - नभचर
आगे आने वाला — आगामी
आगे का विचार न कर सकने वाला — अदूरदर्शी
आगे होने वाला - भावी
आज्ञा का पालन करने वाला- आज्ञाकारी
आदेश की अवहेलना — अवज्ञा
आदेश जो निश्चित अवधि तक लागू हो — अध्यादेश
आधे से अधिक लोगों की सम्मिलित एक राय- बहुमत
आय से अधिक व्यय करने वाला -फिजूलखर्ची
आलस करने वाला - आलसी
आलोचना करने वाला – आलोचक
आलोचना करने वाला- आलोचक
आवश्यकता से अधिक धन का संचय न करना — अपरिग्रह
आवश्यकता से अधिक बरसात — अतिवृष्टि
आश्चर्य में डाल देने वाला कार्य – चमत्कार
इंद्रियों की पहुंच से बाहर - अतींद्रिय
इंद्रियों को जीतने वाला- जितेंद्रिय
इंद्रियों को वश में करने वाला- इंद्रजीत
इतिहास का ज्ञाता -इतिहासज्ञ
इतिहास से संबंध रखने वाला -ऐतिहासिक
ईश्वर में आस्था ना रखने वाला -नास्तिक
ईश्वर में आस्था रखने वाला - आस्तिक
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश- न्यायमूर्ति
उच्च वर्ण के पुरुष के साथ निम्न वर्ण की स्त्री का विवाह- अनुलोम विवाह
उतरती युवावस्था का- अधेर
उत्तर दिशा- उदीची
उपकार की प्रति किया हुआ उपकार - प्रत्युपकार
उपचार या ऊपरी दिखावे के रूप में होने वाला- औपचारिक
उपर लिखा गया – उपरिलिखित
उसी समय का -तत्कालीन
ऊपर आने वाला श्वास- उच्छवास
ऊपर कहा हुआ - उपर्युक्त
ऊपर की ओर जाने वाली- उर्ध्वगामी
ऊपर की ओर बढ़ती हुई साँस- उर्ध्वश्वास
ऊपर लिखा गया- उपरिलिखित
एक देश से माल दूसरे देश में आने की प्रक्रिया -आयात
एक देश से माल दूसरे देश में जाने की प्रक्रिया -निर्यात
एक स्थान से दूसरे स्थान को हटाया हुआ- स्थानांतरित
एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला – जंगम
ऐतिहासिक युग के पूर्व का - प्रागैतिहासिक
ऐसा जो अंदर से खाली हो - खोखला
कच्चे मांस की गंध- विस्र
कठिनाई से प्राप्त होने वाला – दुर्लभ
कठिनाई से समझने योग्य- दुर्बोध
कम अक्ल वाला- अल्पबुद्धि
कम खर्च करने वाला- मितव्ययी
कम जानने वाला- अल्पज्ञ
कम बोलने वाला- मितभाषी
कमर के नीचे पहने जाने वाला वस्त्र — अधोवस्त्र
कमल के समान गहरा लाल रंग- शोण
कर या शुल्क का वह अंश जो किसी कारणवश अधिक से अधिक लिया जाता है-अधिभार
करने की इच्छा- चिकीर्षा
करने योग्य- करणीय, कर्तव्य
करुण स्वर में चिल्लाना- चित्कार
कलम की कमाई खाने वाले- मसिजीवी
कल्पना से परे हो – कल्पनातीत
कार्य करने वाला -कार्यकर्ता
काला पीला मिला रंग- कपिश

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वाक्यांश के लिए एक शब्द के उदाहरण (Vakyansh ke liye ek shabd)

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
कालापानी की सजा पाया कैदी- दामुल कैदी
किये हुए उपकार को मानने वाला – कृतज्ञ
किसी एक पक्ष से संबंधित - एकपक्षीय
किसी कथा के अंतर्गत आने वाली दूसरी कथा- अंतःकथा
किसी कलाकार की कला पूर्ण रचना -कलाकृति
किसी काम में दखल देना- हस्तक्षेप
किसी काम में दूसरे से बढ़ने की इच्छा या उद्योग - स्पर्द्धा
किसी कार्य के लिए दी जाने वाली सहायता -अनुदान
किसी कार्य को बार-बार करना - अभ्यास
किसी कार्यालय या विभाग का वह अधिकारी जो अपने अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों की निगरानी रखे- अधीक्षक
किसी की उपकार को मानने वाला -कृतज्ञ
किसी की कृपा से पूरी तरह संतुष्ट -कृतार्थ
किसी की हँसी उड़ाना – उपहास
किसी की हँसी उड़ाना- उपहास
किसी के इर्द-गिर्द घेरा डालना- घेराबंदी
किसी के उपकार को न मानने वाला - कृतघ्न
किसी के काम में दखल देना -हस्तक्षेप
किसी के दुःख से दुखी होकर उस पर दया करना- अनुकम्पा
किसी के पास रखी हुई दूसरे की वस्तु -अमानत/ धरोहर
किसी के पास रखी हुई दूसरे की सम्पत्ति- थाती / न्यास
किसी के बाद उसकी संपत्ति प्राप्त करने वाला- उत्तराधिकारी
किसी के शरीर की रक्षा करने वाला -अंगरक्षक
किसी के संपूर्ण जीवन के कार्यों का विवरण- जीवन चरित्र
किसी को भय से बचाने का वचन देना- अभयदान
किसी को सावधान करने के लिए कही जाने वाली बात -चेतावनी
किसी छोटे से प्रसन्न हो उसका उपकार करना- अनुग्रह
किसी टूटी फूटी चीज का फिर से निर्माण- पुनर्निर्माण
किसी देवता पर चढ़ाने के लिए मारा गया - बली
किसी नई चीज का बनना- इजाद/अविष्कार
किसी पक्ष का समर्थन करने वाला - अधिवक्ता
किसी पद पर जो पहले रहा हो -भूतपूर्व
किसी प्राणी को ना मारना - अहिंसा
किसी बात का गहरा रहस्य जानने वाला- मर्मज्ञ
किसी बात की इच्छा रखने वाला- इच्छुक
किसी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना -अतिशयोक्ति
किसी बात को बार बार जोर देकर कहना -आग्रह
किसी मत या प्रस्ताव का समर्थन करने की क्रिया- अनुमोदन
किसी वस्तु का भीतरी भाग- अभ्यन्तर
किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा- अभीप्सा
किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा- अभिलापा
किसी विषय को विशेष रूप से जाने वाला -विशेषज्ञ
किसी विषय वस्तु की हार्दिक इच्छा -अभिलाषा
किसी व्यक्ति या सिद्धांत का समर्थन करने वाला- अनुयायी
किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत- अभिनन्दन
किसी श्रेष्ठ का मान् या स्वागत- अभिवादन
किसी सभा या संस्था का प्रधान -अध्यक्ष
किसी से भी न डरने वाला - निडर
कीर्तिमान पुरुष -यशस्वी
कुएँ की जगत- वीनाह
कुएँ के मेढ़क के समान संकीर्ण बुद्धिवाला - कूपमंडुक
कुछ खास शर्तों द्वारा कोई कार्य कराने का समझौता- संविदा
कुछ जानने या ज्ञान प्राप्त करने की चाह -जिज्ञासु
कुछ दिनों तक बने रहने वाला -टिकाऊ
कुबेर का पुत्र- नलकूबर
कुबेर का बगीचा- चैत्ररथ
कुबेर का विमान- पुष्पक
कुबेर की नगरी- अलकापुरी
कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष - कलंक
केंचुए की स्त्री - शिली
केवल फल खाकर रहने वाला - फलाहारी
केवल वर्षा पर निर्भर- बारानी
क्रम के अनुसार - क्रमानुसार
क्रम के अनुसार- यथाक्रम
खाने की इच्छा- बुभुक्षा
खाने के योग्य वस्तु – खाद्य
खाने योग्य पदार्थ- खाद्य पदार्थ
खाने से बचा हुआ जूठा भोजन- उच्छिष्ट
खून से रंगा हुआ -रक्त रंजित
खेलने का मैदान -क्रीडा स्थल
गणित का जानकार -गणितज्ञ
गाँव में रहने वाला – ग्रामीण
गुरु के पास रहकर पढ़ने वाला - अन्तेवासी
गोद लिया हुआ पुत्र -दत्तक पुत्र
घर बसा कर रहने वाला- गृहस्थ
घास खाने वाले- तृण भोजी
घास छीलने वाला- घसियारा।
घुलने योग्य पदार्थ- घुलनशील
घूस लेने वाला/ रिश्वत लेने वाला -घूसखोर/ रिश्वतखोर
घृणा करने योग्य -घृणास्पद
चक्र के रूप में घूमती हुई चलने वाली हवा – चक्रवात
चार भुजाओं वाला – चतुर्भुज
चार मुख वाला -चतुरानन
चारों ओर जल से घिरा हुआ भूभाग - टापू
चारों और की सीमा - चौहदी
चारों वेदों को जानने वाला -चतुर्वेदी
चिंता करने योग्य बात – चिन्तनी
चिंता करने वाला- चिंतित
चिर निद्रा को प्राप्त हुआ – चिरनिद्रित
चुनाव में अपना मत देने की क्रिया - मतदान
चौथे दिन आने वाला बुखार – चौथिया
छात्रों के रहने का स्थान- छात्रावास
छिपकर आक्रमण करने वाला – छापामार दल
छुआछूत से फैलने वाला रोग - संक्रामक
छोटे कद का आदमी - बौना
जनता को सूचना देने हेतु बजाया जाने वाला वाद्य – ढिंढ़ोरा
जल में रहने वाले जीव जंतु - जलचर
जहाँ इलाज किया जाता हो – अस्पताल
जहाँ पुस्तके पढने के लिए रखी जाती हो – पुस्तकालय
जहां कई लोगों का मिलन हो- सम्मेलन
जहां तक हो सके- यथासंभव

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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द के उदाहरण (Vakyansh ke liye ek shabd)

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
जहां पहुंचना कठिन हो- दुर्गम
जहां सिक्कों की ढलाई होती है – टकसाल
जहां सैनिक निवास करते हो – छावनी
जिंदा रहने की इच्छा – जिजीविषा
जिस के पार देखा जा सके- पारदर्शी
जिस ग्रहण में सूर्य या चंद्र का पूर्ण बिंब ग्रसित हो जाता है – खग्रास
जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो — अधिकृत
जिस पर कोई नियंत्रण हो- नियंत्रित
जिस पर कोई नियंत्रण ना हो- अनियंत्रित
जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके – अविश्वसनीय
जिस पुरुष की पत्नी मर चुकी हो – विधुर
जिस पुस्तक में आठ अध्याय हो — अष्टाध्यायी
जिस वस्त्र को पहना न गया हो — अप्रहत
जिस स्त्री का पति मर चुका हो – विधवा
जिसका अंत न हो – अनंत
जिसका आकार ना हो- निराकार
जिसका आचार अच्छा हो- सदाचारी
जिसका इलाज ना हो सके- असाध्य
जिसका उपचार नहीं किया जा सके – असाध्य
जिसका कभी अन्त न हो — अनन्त
जिसका कोई अर्थ ना हो- निरर्थक
जिसका कोई आकार हो- साकार
जिसका कोई मूल्य ना हो- अनमोल
जिसका कोई शत्रु ही न जन्मा हो – एक शब्द: अजातशत्रु
जिसका कोई शत्रु ही ना हो- अजातशत्रु
जिसका कोई शुल्क ना लिया जाए - निशुल्क
जिसका चिंतन किया जाना चाहिए- चिंतनीय
जिसका दमन न किया जा सके — अदम्य
जिसका पता न हो — अज्ञात
जिसका भाषा द्वारा वर्णन असंभव हो — अनिर्वचनीय
जिसका मूल्य आका ना जा सके- अमूल्य
जिसका वर्णन नहीं किया जा सके – अवर्णनीय
जिसका विश्वास न किया जा सके — अविश्वस्त
जिसका स्पर्श करना वर्जित हो — अस्पृश्य
जिसकी बहुत अधिक चर्चा हो- बहुचर्चित
जिसकी आत्मा महान हो- महात्मा
जिसकी आयु लंबी हो- दीर्घायु
जिसकी आशा नहीं की जा सके – अप्रत्याशित
जिसकी कोई उपमा न हो – अनुपम
जिसकी कोई उपमा नहीं हो – अनुपम
जिसकी कोई उपमा ना हो- अनुपम
जिसकी कोई संतान ना हो- निसंतान
जिसकी गहराई का पता न लग सके — अथाह
जिसकी घोषणा की गई हो- घोषित
जिसकी तुलना न हो सके — अतुलनीय
जिसकी धर्म में निष्ठा हो- धर्मनिष्ठ
जिसकी सीमा ना हो- असीम
जिसके आदि (प्रारम्भ) का पता न हो — अनादि
जिसके आने की तिथि निश्चित न हो — अतिथि
जिसके टुकड़े न हो सकें। – अखंड
जिसके पार ना देखा जा सके- अपारदर्शी
जिसके पास करोड़ो रुपए हो- करोड़पति
जिसके पास रोजगार ना हो- बेरोजगार
जिसके पास लाखों रुपए हो- लखपति
जिसके बारे में कोई निश्चित न हो — अनिश्चित
जिसके बिना कार्य न चल सके- अपरिहार्य
जिसके माता–पिता न होँ - अनाथ
जिसके विषय में विवाद हो- विवादास्पद
जिसके समान कोई दूसरा न हो – अद्वितीय
जिसके सिर पर चन्द्रकला हो – चन्द्रचूड़
जिसके हस्ताक्षर नीचे अंकित है— अधोहस्ताक्षरकर्ता
जिसके हृदय में दया ना हो - निर्दई
जिसके हृदय में दया हो- दयावान
जिसके हृदय में पाप ना हो- निष्पाप
जिसके हृदय में ममता ना हो- निर्मम
जिसको भेदा न जा सके — अभेद्य
जिसने आत्मा को जीत लिया हो – जितात्मा
जिसने इन्द्रियों को वश में कर लिया हो – जितेन्द्रिय
जिसने मृत्यु को जीत लिया हो- मृत्युंजय
जिसमें दोस ना हो- निर्दोष
जिसमें किसी प्रकार का विकार हो- विकृत
जिसमें तेज ना हो- निस्तेज
जिसमें धैर्य ना हो- अधीर
जिसमें रस ना हो- नीरस
जिसमें सामर्थ्य ना हो - असमर्थ
जिसे किसी का डर न हो – निडर
जिसे किसी बात का पता न हो — अनभिज्ञ/अज्ञ
जिसे छूना वर्जित हो – अछूत
जिसे लाँघा न जा सके — अलंघनीय
जीने की इच्छा- जिजीविषा
जैसा चाहिए वैसा- यथोचित
जो कटु बोलता हो- कटुभाषा
जो छिपाने योग्य हो- गोपनीय
जो बूढ़ा ना हो -अजर
जो शरण में आया हो- शरणागत
जो पुरुष नाचता हो- नर्तक
जो लोक में संभव ना हो अलौकिक
जो अकारण ज़ुल्म ढाका हो – ज़ालिम
जो अक्षर (पढ़ना- लिखना) जानता है- साक्षर/शिक्षित
जो अपनी जगह से ना हिले - अडिग
जो अपनी इच्छा पर निर्भर ना हो- अनैच्छिक
जो अपनी इच्छा पर निर्भर हो- ऐच्छिक
जो अपनी बात से ना टले- अटल
जो अपनी मातृभूमि छोड़ विदेश में रहता हो- प्रवासी
जो अपने पथ से भटक गया हो- पथभ्रष्ट
जो अपने स्थान या स्थिति से अलग न किया जा सके — अच्युत
जो अशिष्ट व्यवहार करता हो – गँवार
जो आगे की ना सोचता हो- अदूरदर्शी
जो आगे की सोचता हो- दूरदर्शी
जो आज तक से सम्बन्ध रखता है — अद्यतन

यह भी पढ़ें: संज्ञा की परिभाषा एवं उदाहरण (Sangya ki Paribhasha aur Udahran in Hindi)

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द के उदाहरण (Vakyansh ke liye ek shabd)

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
जो आसानी से प्राप्त हो- सुलभ हो
जो इंद्रियों द्वारा न जाना जा सके — अगोचर
जो ईश्वर को न मानता हो। – नास्तिक
जो ईश्वर को मानता हो। – आस्तिक
जो उत्तर ना दे सके- निरुत्तर
जो उपकार मानता है – कृतज्ञ
जो ऋण-मुक्त हो गया हो। – उऋण
जो कभी नष्ट ना हो -अनश्वर
जो कभी जन्मा ना हो- अजन्मा
जो कभी न मरे – अमर
जो कभी नष्ट न होने वाला हो — अनश्वर
जो कभी ना मरे- अमर
जो कम बोलता हो — अल्पभाषी / मितभाषी
जो कहा गया हो - कथनीय
जो कहा न जा सके – अकथनीय
जो कानून के अनुसार हो -वैध
जो कानून के विरुद्ध हो -अवैध
जो कामना रहित हो- निष्काम
जो किनारे से सटे हुए हो – तटवर्ती
जो किसी का पक्ष ना ले - तटस्थ
जो किसी कार्य या चिंतन में डूबा हुआ हो – तल्लीन
जो किसी पर अभियोग लगाए — अभियोगी
जो किसी भी गुट में नहीं हो – तटस्थ
जो किसी विशेष समय तक ही लागू हो- अध्यादेश
जो कुछ ना करता हो -अकर्मण्य
जो केवल फल खा कर रहे -फलाहारी
जो क्षमा करने योग्य नहीं हो – अक्षम्य
जो क्षमा की योग्य हो - क्षमय
जो खाने योग्य न हो। – अभक्ष्य
जो गिना ना जा सके - अगणनीय
जो गुप्त रूप से निवास कर रहा हो – छद्मवासी
जो चमत्कारी क्रियाओं का प्रदर्शन करता है – जादूगर
जो चिंतारहित हो- निश्चिंत
जो चित्र बनाता हूं - चित्रकार
जो चीज इस संसार मेँ न हो — अलौकिक
जो चोरी-छिपे माल लाता और ले जाता हो – तस्कर
जो छुआ न गया हो — अछूता
जो छूने योग्य न हो — अछूत
जो छोटे कद का हो – ठिगना
जो जन्म से अंधा हो जन्मांध
जो जल बरसाता हो – जलद
जो जल से उत्पन्न होता हो – जलज
जो जाना नहीं जा सके – अज्ञेय
जो जीतने के योग्य हो जेय जेठ का पुत्र – जेठोत
जो जीव जंतु जल में रहते हो – जलचर
जो जूते ठीक करता है – मोची
जो तर्क के स्थान पर सही सिद्ध हो- तर्कसंगत
जो तर्क योग्य हो- तार्किक
जो तेज चलता हो- शीघ्र गामी
जो दबाया ना जा सके- अदम्य
जो दिखाई ना दे -अदृश्य
जो दूसरे की हत्या करता हो- हत्यारा
जो दूसरों का उपकार करता हो- परोपकारी
जो दूसरों के अधीन हो- पराधीन
जो दूसरों पर अत्याचार करें -अत्याचारी
जो दूसरों में केवल दोषों को ही खोजता हो – छिद्रान्वेषी
जो देखने में प्रिय लगता हो- प्रियदर्शी
जो देखने योग्य हो - दर्शनीय
जो द्वार की रक्षा करता हो- द्वारपाल
जो धन को व्यर्थ ही खर्च करता हो — अपव्ययी
जो धर्म करता है- धर्मात्मा
जो नष्ट ना होने वाला -अविनाशी
जो नष्ट हो जाए- नश्वर
जो नहीं हो सकता - असंभव
जो नाटक का संचालन करता है- सूत्रधार
जो पढ़ा लिखा ना हो -अनपढ़
जो पढ़ा लिखा हो - साक्षर
जो परमार्थ( दूसरों की भलाई) चाहता हो- परमार्थी
जो परिचित ना हो -अपरिचित
जो परीक्षा में पास न हो – अनुत्तीर्ण
जो परीक्षा में पास हो- उत्तीर्ण
जो पहरा देता है - पहरेदार
जो पहले कभी घटित नहीं हुआ हो – अभूतपूर्व
जो पहले कभी नहीं सुना गया - अश्रुतपूर्व
जो पहले जन्मा हो — अग्रज
जो पहले ना पढ़ा हो -अपठित
जो पुरुष कविता लिखता हो कवि
जो प्रशंसा के योग्य हो- प्रशंसनीय
जो बहुत अधिक बोलता हो -वाचाल
जो बहुत समय तक ठहर सके – चिरस्थायी
जो बहुत समय तक ठहरे - चिरस्थाई
जो बाद मे जन्मा हो — अनुज
जो बाह्य संसार के ज्ञान से अनभिज्ञ हो — अलोकज्ञ
जो बिन माँगे मिल जाए — अयाचित
जो बिना बुलाये आ जाए। – अनिमंत्रित
जो बिना वेतन के कार्य करता हो — अवैतनिक
जो बिना वेतन के कार्य करे – अवैतनिक
जो बीत गया हो — अतीत
जो बुद्धि द्वारा जाना जा सके- बुद्धिजीवी
जो भाग्य का धनी हो- भाग्यवान
जो भूमि का हिसाब किताब रखता हो- लेखपाल
जो भूमि के भीतर का शास्त्र जानता हो- भूगर्भ शास्त्री
जो भोजन रोगी के लिए निषिद्ध है — अपथ्य
जो मन को हर ले- मनोहर
जो मांस खाता हो मांसाहारी
जो मांस न खाता हो – शाकाहारी
जो मान सम्मान के योग्य हो- माननीय
जो मिठाई बनाता है – हलवाई
जो रचना अन्य भाषा की अनुवाद हो — अनूदित
जो राजनीति जानता हो- राजनीतिज्ञ

महत्वपूर्ण वाक्यांश के लिए एक शब्द (Vakyansh ke liye ek shabd)

वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
जो रोग से ग्रस्त है – रोगी
जो वन में घूमता हो - वनचर
जो विज्ञान जनता है – वैज्ञानिक
जो विश्वास करने योग्य ना हो - अविश्वसनीय
जो विश्वास करने योग्य हो- विश्वसनीय
जो व्यक्ति अपने हाथ में तलवार लिए रहता है – खड्गहस्त
जो व्यक्ति विदेश मे रहता हो — अप्रवासी
जो व्याकरण जानता हो -वैयाकरण
जो व्याख्या करता हो- व्याख्याता
जो शक्ति का उपासक हो - शाक्त
जो शाक सब्जी खाता हो शाकाहारी
जो शास्त्र जानता हो- शास्त्रज्ञ
जो संगीत जानता हो- संगीतज्ञ
जो सदा से चलता आ रहा हो- अनवरत
जो सब को एक समान देखता हूं - समदर्शी
जो सब को प्यारा हो - सर्वप्रिय
जो सब जगह व्याप्त हो- सर्वव्यापक
जो सब में व्याप्त हो- सर्वव्यापी
जो सबकी मन की जानता हो- अंतर्यामी
जो समय पर ना हो- आसामयिक
जो समय पर हो- सामयिक
जो समाचार भेजता हो – संवाददाता
जो सर्व शक्ति संपन्न हो शक्तिमान
जो सहनशील न हो — असहिष्णु
जो साधा न जा सके — असाध्य
जो स्त्री कविता लिखती हो - कवियत्री
जो स्त्री नाचती हो - नर्तकी
जो स्वार्थ( अपनी ही भलाई) चाहता हो- स्वार्थी
जो हो सकता है- संभव
तीनों लोको का समूह- त्रिलोक
तीनों कालों को देखने वाला- त्रिकालदर्शी
तेज बुद्धि वाला – कुशाग्रबुद्धि
थोड़ा ज्ञान रखने वाला – अल्पज्ञ
दक्षिण दिशा- अवाची
दण्ड दिये जाने योग्य- दण्डनीय
दया करने वाला- दयालु
दर्पण जड़ी अँगूठी, जिसे स्त्रियाँ अँगूठे में पहनती हैं- आरसी
दर्शन के योग्य - दर्शनीय
दर्शन शास्त्र का ज्ञाता हो- दार्शनिक
दशरथ का पुत्र- दशरथि
दस वर्षो का समय- दशक
दागकर छोड़ा गया साँड़- अंकिल
दाव (जंगल) का अनल (आग) - दावानल
दिन के समय अपने प्रिय से मिलने जाने वाली नायिका - दिवा अभिसारिका
दिन पर दिन- दिनानुदिन
दिन पर दिन- दिनोदिन
दिन रात ठाढ़े (खड़े) रहने वाले साधु- ठाढ़ेश्वरी
दिल से देने वाला- हार्दिक
दीवार पर बने हुए चित्र- भित्तिचित्र
दुःख देनेवाला- दुःखद
दुःख, भय आदि के कारण उत्पत्र ध्वनि- काकु
दुखांत नाटक- त्रासदी
दुसरे देश से अपने देश में समान आना- आयात
दूध पिलाने वाली धाय- अन्ना
दूर की सोचने वाला- दूरदर्शी
दूर से मन को आकर्षित करनेवाली गंध- निर्हारी
दूसरे की विवाहित स्त्री — अन्योढ़ा
दूसरे के अन्दर की गहराई ताड़नेवाला- अन्तर्दर्शी
दूसरे के मन की बात जानने वाला- अन्तर्यामी
दूसरे के स्थान पर काम करने वाला- स्थानापन्न
दूसरे के हाथ में गया हुआ- हस्तांतरित
दूसरे के हित में अपने आप को संकट में डालना- आत्मोत्सर्ग
दूसरों की उन्नति को न देख सकना - ईर्ष्या
दूसरों के गुणों में दोष ढूँढने की वृत्ति का न होना- अनसूया
दूसरों के दोष को खोजने वाला- छिद्रान्वेषी
दूसरों के दोषों को खोजना- छिद्रान्वेषण
दूसरों के मत का विरोध करना – खण्डन
दूसरों पर उपकार करने वाला- उपकारी
देखने (दर्शन) वाले लोग - दर्शक
देखने की इच्छा- दिदृक्ष
देने की इच्छा- दित्सा
देवताओं पर चढ़ाने हेतु बनाया गया दही, घी, जल, चीनी, और शहद का मिश्रण - मधुपर्क
देश में विदेश से माल आने की क्रिया- आयात
देह का दाहिना भाग- अपसव्य
दैव या प्रारब्ध संबंधी बातें जानने वाला- देवज्ञ
दैहिक, दैविक व भौतिक ताप या कष्ट- त्रिताप
दो दिशाओं के बीच की दिशा- उपदिशा
दो बातों या कामों में से एक- वैकल्पिक
दो बार जन्म लेने वाला- द्विज
दो भाषाएं बोलने वाला- द्विभाषी
दो या तीन बार कहना- आम्रेडित
दो वेदों को जानने वाला- द्विवेदी
दोपहर का समय – मध्याह्न
दोपहर के पहले का समय – पूर्वाह्न
दोपहर के बाद का समय- अपराह्न
द्रुत गमन करनेवाला- द्रुतगामी
द्रुपद की पुत्री - द्रौपदी
द्वार या आँगन के फर्श पर रंगों से चित्र बनाने या चौक पूरने की कला- अल्पना
द्वीप में जन्मा- द्वैपायन
ध्यान करने योग्य-ध्यय
न जोता गया खेत — अप्रहत
नकल करने योग्य- अनुकरणीय
नगर में रहने वाला – नागरिक
ना टूटने वाला- अटूट
निंदा करने योग्य- निंदनीय
नियम-अनुशासन न मानने वाला – उच्छृखल
नीति को जानने वाला - नीतिज्ञ
न्याय करने वाला- न्यायधीश
पढ़ने वाला व्यक्ति - पाठक
पति पत्नी का जोड़ा - दंपति

अंग्रेजी के Rhyming words की सूची 2023 : Rhyming Words List for Kids

बच्चों को Rhyming words कैसे सिखाएं? Easy English Rhyming Words List

तुकबंदी (rhyming words) वाले शब्द वे होते हैं जिनकी ध्वनि एक जैसी होती है। उदाहरण के लिए ट्री (Tree), बी (Bee), फी (Fee)। सरल शब्दों में, यह समान ध्वनियों की पुनरावृत्ति है। बच्चे नई जानकारी तेज़ी से सीखते हैं, इसलिए आप उन्हें जितनी अधिक rhyming words वे उतना ही अधिक याद रखेंगे। लेकिन कभी-कभी उन्हें एक छोटे effort आवश्यकता होती है।

S. No.Rhyming Words and Their Sound (तुकांतात्मक शब्द)
13 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ab Sound
CabFabDabJab
LabTabNab
23 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ad Sound
AddPadRadTad
MadDadFadLad
BadSadHadWad
33 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ag Sound
BagTagSagWag
RagNagHagGag
43 Letter Rhyming Words that Rhyme with Am Sound
BamHam
DamJam
53 Letter Rhyming Words that Rhyme with An Sound
BanManTanRan
CanPanVanFan
63 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ap Sound
CapLapNapSap
GapMapRapTap
73 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ar Sound
AreFarMarCar
BarJarParTar
83 Letter Rhyming Words that Rhyme with At Sound
BatFatMatSat
CatHatPatRat
93 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ay Sound
BayGayMaySay
DayHayPayWay
Lay
103 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ed Sound
BedRedTed
LedWed
113 Letter Rhyming Words that Rhyme with En Sound
DenMenTen
HenPenBen
123 Letter Rhyming Words that Rhyme with Et Sound
BetJetMetPet
GetLetNetSet
VetWet
133 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ew Sound
DewTwoWho
NewYouzoo
143 Letter Rhyming Words that Rhyme with Id Sound
BidHidLidRid
DidKidMid
153 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ig Sound
BigPigFigWig
DigRigGig
163 Letter Rhyming Words that Rhyme with In Sound
BinFinPinTin
DinKinSinWin
173 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ip Sound
DipLipPipSip
HipNipRipTip
Zip
183 Letter Rhyming Words that Rhyme with It Sound
FitBitLitSit
HitKitPit
193 Letter Rhyming Words that Rhyme with Od Sound
BodGodRodPod
CodNod
203 Letter Rhyming Words that Rhyme with Og Sound
BogDogJogHog
CogFogLog
213 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ot Sound
CotGotJotNot
DotHotLotPot
223 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ow Sound
BowHowPowWow
CowNowVow
234 Letter Rhyming Words that Rhyme with All Sound
BallFallMallTall
CallHallWall
244 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ab Sound
BlabFlabSlabDrab
CrabGrabStab
254 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ip Sound
ChipDripSlipTrip
ClipGripSkipWhip
264 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ap Sound
ClapSlapStrapTrap
FlapSnap
274 Letter Rhyming Words that Rhyme with Op Sound
CropDropClopFlop
ShopStopProp
284 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ay Sound
BrayFlayPlaySlay
ClayGrayPrayStay
Tray
294 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ell Sound
BellFellSellWell
CellHellTellYell
304 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ew Sound
BlewBlueChewDrew
BrewClueCrewFlew
GrewKnew
314 Letter Rhyming Words that Rhyme with In Sound
GrinSkinTwinThin
ChinSpin
324 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ot Sound
BlotKnotShotShot
ClotPlotSlot
334 Letter Rhyming Words that Rhyme with Or Sound
BoreDoorForeMore
CoreRoarGorePore
344 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ake Sound
BakeFakeMakeTake
CakeLakeRakeWake
354 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ane Sound
BaneSaneLaneCane
RainMainPain
364 Letter Rhyming Words that Rhyme with Ale Sound
BailDaleGaleJail
BaleFailHailMail
NailSailTaleSale