Best Essay on Unemployment in Hindi 2023: बेरोजगारी पर निबंध
बेरोजगारी पर निबंध | बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi | Unemployment Essay in Hindi
बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Berojgari Essay in Hindi)
बेरोजगारी पर निबंध (Essay on Unemployment in Hindi): बेरोजगारी, एक ऐसी समस्या है जो आजकल हमारे समाज के मुख्य चर्चा के विषयों में से एक है। युवा पीढ़ी के लिए रोजगार की अवसरों की कमी ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। विभिन्न क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या ने युवाओं के भविष्य की कल्पनाओं को क्षीण करने का काम किया है। आज हम बेरोजगारी पर निबंध लिखने सीखेंगे। इस “बेरोजगारी की समस्या पर निबंध” में हम बेरोजगारी की मुख्य कारणों और समस्या के समाधान पर विचार करेंगे।
बेरोजगारी पर निबंध 150 – 200 शब्दों में ( Short Essay on Unemployment in Hindi)
बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो आजकल हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह समस्या न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हमारे युवा जन पर प्रभाव डाल रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी इसका परिणाम दिख रहा है। दूसरे शब्दों में बेरोजगारी की समस्या को राष्ट्रीय समस्या कहना गलत नही होगा।
बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी प्रगति और उद्योगों के न के बराबर विकास की अवस्था है। नौकरीयां उपलब्ध नहीं होने के कारण युवा पीढ़ी निराश हो रही है और उनकी प्रतिभा बेकार जा रही है। बेरोजगारी के कारण युवाओं का आत्मविश्वास घट सकता है और समाज में असहमति और असमानता की भावना पैदा हो सकती है। युवा अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं और कुछ तो गलत रास्ते पर भी चलने को मजबूर हो रहे हैं।
इस समस्या का समाधान हमें औद्योगिकीकरण, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में नए योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार को युवाओं के लिए रोजगार सृजन के उपायों पर विचार करना चाहिए और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। सिर्फ परंपरागत शिक्षा से अब काम नहीं चलेगा बल्कि अब कुशलता परक शिक्षा योजना पर बल देना चाहिए।
अंत में, हमें बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और समस्या के समाधान के लिए तेज़ गति से कदम उठाने चाहिए। यह समस्या सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि देश की समृद्धि और विकास के लिए भी हानिकारक है।
बेरोजगारी पर निबंध PDF (PDF of Essay on Unemployment in Hindi)
हमने बेरोजगारी पर निबंध का PDF उपलब्ध कराया है। विद्यार्थी इस बेरोजगारी पर निबंध PDF download करके इसका प्रिंट निकाल सकते हैं। यह बेरोज़गारी की समस्या पर निबंध लिखने में आपसब के लिए बहुत सहायक होंगे।
यह भी पढ़ें: पर्यावरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment in Hindi)
बेरोजगारी पर निबंध 1000+ शब्दों में ( Essay on Unemployment in Hindi)
प्रस्तावना
बेरोजगारी अथवा बेकारी हमारे देश की बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो योग्यता रखने पर भी और कार्य की इच्छा रखते हुए भी रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता। शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्षम होते हुए भी जब योग्य व्यक्ति बिना किसी काम के रहता है तो उस स्थिति को बेरोजगार की संज्ञा दी जाती है। बेरोजगारी समाज के लिए अभिशाप है इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है।
बेरोजगारी के प्रमुख कारण
बेरोजगारी के अनेक कारण हो सकते हैं, भारत में बेरोजगारी बढ़ने के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं:
- जनसंख्या वृद्धि
- मशीनीकरण
- कुटीर उद्योग में गिरावट
- कृषि क्षेत्र का पिछड़ापन
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली
जनसंख्या में वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती, क्योंकि रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित है। जिस हिसाब से जनसंख्या में वृद्धि हुई उस हिसाब से उद्योग और उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई जिससे बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 6 बिलियन से अधिक हो चुकी है और हमारा देश भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को भी पीछे छोड़ चुका है। भारत में यदि जनसंख्या में इसी प्रकार निरंतर वृद्धि होती रहेगी तो आने वाले समय में यह समस्या एक विकराल रूप ले लेगी।
मशीनीकरण
मशीनीकरण से आशय कार्यों को पूरा करने के लिए मशीनों के उपयोग से है। पहले रोजगार के आधे से ज्यादा कार्य लोगों द्वारा पूरे किए जाते थे और बेरोजगारी जैसी समस्या कम ही थी। परंतु वर्तमान में लगभग सभी कार्य मशीनों द्वारा ही किए जाते हैं। मशीन आदमी की तुलना में अधिक कुशलता से एवं अधिक गुणवत्ता से कम कीमत पर कार्य संपन्न कर देती हैं अतः स्वाभाविक रूप से आदमी को हटाकर मशीन से काम लिया जाने लगा। फिर एक मशीन सैकड़ों श्रमिकों का काम अकेले ही कर देती है, परिणामत: मशीनीकरण से कई लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि होने लगी है।
लघु एवं कुटीर उद्योगों का ढीला विकास
आजादी के पूर्व लघु एवं कुटीर उद्योग भारी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते थे परंतु आजादी के बाद से इन उद्योगों की उपेक्षा कर दी गई और बड़े उद्योगों को लगाने को महत्व दिया गया। बड़े-बड़े कपड़े के मिलो के खुलने से हथकरघा उद्योग चौपट हो गया इसी तरह चूड़ी, धागे, खिलौने, कोल्हू के बैल से तेल पेरना जैसे उद्योगों को औद्योगिकीकरण ने चौपट कर दिया है और भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं।
कृषि क्षेत्र का पिछड़ापन
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसमें देश के 70% लोगों को खेती से जुड़े व्यवसाय से रोजगार प्राप्त होता है तो स्वाभाविक है कि अगर देश में कृषि का विकास होगा तो देश में रोजगार में बढ़ोतरी आएगी। लेकिन कई कारणों से हमारे देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति नहीं हो पा रही है। कृषि क्षेत्र का विकास की गति धीमी होने के कारण कृषि कोई करना नहीं चाहता क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है। कृषि में किसान केवल 6 महीने के लिए ही सक्रिय होते हैं लेकिन बाकी के 6 महीने बिना काम के बेकार रहते हैं। इसलिए हमारे देश में किसानों की दुर्दशा दयनीय है, किसान सबसे पिछड़े हैं। इसलिए हमारे देश में बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्या समाज के हर स्तर पर पैदा हुई है। सरकार द्वारा कृषि को विशेष प्रोत्साहन एवं सुविधाएं देना चाहिए जिससे युवा गांव को छोड़कर शहरों की ओर ना जाए।
दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली
दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली बेरोजगारी का एक मुख्य कारण है। स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा का अधिक विस्तार हुआ है। परन्तु यह शिक्षा मुख्यतः पुस्तकीय है। अतः इस शिक्षा को प्राप्त करते छात्रों में किसी व्यवसाय अथवा व्यापार करने की क्षमता नहीं है। यह केवल सरकारी नौकरी चाहते हैं। यह शारीरिक श्रम नहीं करना चाहते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक परामर्श की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यार्थी जो भी शिक्षा प्राप्त करते हैं, वह व्यवसाय से परे, उद्देश्य रहित होती है.अतः शिक्षार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा व्यवसाय पर परामर्श भी देना चाहिए। इस प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी बेरोजगारी की एक विशेष समस्या है। शिक्षा नीति इस प्रकार की होना चाहिए के छात्र में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी खोजने की नहीं अपितु नौकरी देने की क्षमता हो।
बेरोजगारी के दुष्परिणाम
बेरोजगारी की वजह से गंभीर सामाजिक,आर्थिक तथा मानसिक दुष्परिणाम होते हैं। इससे न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। बेरोजगारी के कुछ प्रमुख परिणाम हैं जैसे गरीबी में वृद्धि। यह कथन बिल्कुल सत्य है कि बेरोजगारी दर में वृद्धि से देश में गरीबी की दर में वृद्धि हुई है। देश के आर्थिक विकास को बाधित करने के लिए बेरोजगारी मुख्यतः जिम्मेदार है।
अपराध दर में वृद्धि भी बेरोजगारी का एक दुष्परिणाम है। एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थ बेरोजगार आमतौर पर अपराध का रास्ता लेता है। क्योंकि यह पैसा बनाने का एक आसान तरीका है। चोरी, डकैती और अन्य भयंकर अपराधों के तेजी से बढ़ते मामलों के मुख्य कारणों में से एक बेरोजगारी है।
श्रम का शोषण भी बेरोजगारी का ही एक परिणाम है कर्मचारी आमतौर पर कम वेतन की पेशकश कर बाजार में नौकरियों की कमी का लाभ उठाते हैं। अपने कौशल से जुड़ी नौकरी खोजने में असमर्थ लोग आमतौर पर कम वेतन वाले नौकरी के लिए भी तैयार हो जाते हैं। कर्मचारियों को प्रत्येक दिन निर्धारित समय से भी ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बेरोजगार लोगों में असंतोष का स्तर बढ़ता है जिससे यह धीरे-धीरे चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बदलने लगती हैं।
बेरोजगारी को कम करने के उपाय
- बेरोजगारी को कम करने के लिए सर्वप्रथम हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करना पड़ेगा। हाईस्कूल तक सामान्य साक्षरता के बाद में व्यवसायिक शिक्षा का व्यापक प्रबंध करना चाहिए। व्यावसायिक शिक्षा इस प्रकार होनी चाहिए शिक्षा पूरी करने के बाद नवयुवक अपनी रूचि के अनुसार रोजगार तलाश करने के बजाय अपना छोटा मोटा काम शुरू कर सकें, इससे देश में बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।
- रोजगार को कम करने के लिए लघु और कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना आवश्यक है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित उद्योग रोजगार प्रदान करते हैं इसमें पूंजी कम लगती है और यह परिवार के सदस्यों द्वारा ही संचालित हो सकते हैं। इसके द्वारा बेकार बैठे किसान और उनके घर के सदस्य अपनी क्षमता, श्रम, कला कौशल और छोटी जमा राशि का उपयोग कर अधिक आय और रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। सरकार को इनके विकास के लिए पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।
- बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाना होगा क्योंकि जनसंख्या के निरंतर बढ़ने से देश में अपेक्षाकृत काम कम मिल रहा है। जबकि श्रमिकों की तादाद में भारी वृद्धि हो रही है। अतः जनसंख्या में लगातार वृद्धि होना बेरोजगारी का एक मुख्य कारण बन गया है।
- कृषि में विभिन्न नए कार्यक्रम और सरकारी योजनाएं लागू करना चाहिए। बहु-फसल योजना, उन्नत बीज,उर्वरक, कृषि यंत्रों का उपयोग, नई तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए। सिंचाई योजनाओं का विस्तार होना चाहिए। इससे कृषि आय बढ़ेगी और रोजगार सृजन हो सकेंगे।
- बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना। यदि अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी। जिससे बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।
कोविड-19 का बेरोजगारी पर प्रभाव (Unemployment in the time of COVID-19)
कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में असीमित दुष्परिणाम दिया है, लेकिन इसने आर्थिक संदर्भ में भी गंभीर क्षति पहुचायी हैं, खासकर बेरोजगारी के क्षेत्र में। कोविड-19 के समय में बेरोजगारी और बढ़ गयीं। कोविड-19 महामारी ने व्यवसायों, उद्योगों और विभिन्न क्षेत्रों में विस्थापन की कई स्थितियों का परिणामस्वरूप बेरोज़गारी में वृद्धि को उत्पन्न किया है।
कई व्यवसायों के बंद होने, उद्योगों के कम काम की वजह से लाखों लोग बेरोज़गार हो गए हैं। खासकर नौकरी करने वाले वर्ग के लोगों के लिए यह समय काफी कठिन है, क्योंकि नौकरी की खोज में कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
निष्कर्ष / उपसंहार
बेरोज़गारी किसी भी देश के लिए बहुत गम्भीर समस्या होती है। बेरोजगारी समाज को ख़राब एवं लोगो में असंतोष की भावना पैदा करती है। यह ऐसी सामाजिक समस्या है जोकि नए प्रकार की समस्या को जन्म देने का कारण भी है जैसे: चोरी, अवैध कार्य, नशाखोरी एवं हत्या इत्यादि। बेरोज़गार व्यक्ति समाज एवं परिवार में प्रताड़ना झेलकर गलत व्यक्तियों के लिए काम करने लगता है। वैसे सरकार भी बेरोज़गारी को खत्म करने के लिए उचित कदम उठा रही है।
यह सही है कि बेरोजगारी देश में बहुत बढ़ गई है लेकिन सच्चाई यह भी है कि रोजगार की भी कोई कमी नहीं है। आपकी चाहे जो योग्यता हो रोजगार करने और उसमें सफल होने के लिए केवल 2 चीजें चाहिए लीक से हटकर थोड़ा अलग “नजरिया” और “हौसला”। यदि बेरोजगारी को काबू कर लिया जाए तो हमारी बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जाएंगी।
एक बात स्पष्ट है कि बेरोज़गारी के प्रभाव को समझते हुए हमें और सरकार को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि हम बेरोज़गारी के प्रति समस्याओं का समाधान निकाल सकें और लोगों को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकें।