Kabir Das Popular Dohe with Meaning in Hindi and English | कबीर के प्रसिद्द दोहे हिंदी और अंग्रेजी में अर्थ सहित
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय | औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ||
इस दोहे के माध्यम से संत कबीर दास जी कहते हैं कि हमें हमेशा ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे सुनकर सामने वाले हो अच्छा लगे। जिसे सुनकर उनका मन शांत हो हो और स्वयं को भी सुख और शांति का अनुभव हो।
Aisi vaani boliye, man ka aapa khoy! Auran ko sheetal kare, aaphu sheetal hoy!!
Through this couplet, Sant Kabir Das Ji says that we should always speak in such a manner that it pleases the listener. The words should calm their mind, bringing them peace and happiness, and in turn, provide us with a sense of comfort and tranquility.
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥
कबीर दास जी कहते हैं कि यदि गुरु और गोविंद अर्थात भगवान दोनों मेरे सामने खड़ें हो जाएँ तो मुझे किसका चरण स्पर्श पहले करना चाहिए? फिर वो कहते हैं की मैं पहले अपने गुरु के चरण स्पर्श करूँगा क्योंकि मेरे गुरु ने ही तो मुझे गोविन्द अर्थात भगवान से मिलाया है यानि मेरे गुरु ने ही मुझे बताया है की भगवान कौन हैं, उनका ज्ञान कराया है।
Guru Govind dou khade, kake lagu paay। Balihari Guru aapne, Govind diyo milay।।
Kabir Das Ji says that if both the Guru and Govind (God) stand before me, whose feet should I touch first? He then says that I would first touch my Guru’s feet because it is my Guru who has led me to Govind, meaning my Guru has introduced me to God and imparted the knowledge of who God is.
कबीर दास जी कहते हैं कि अपनी निंदा अर्थात आलोचना करने वाले व्यक्ति हो हमेशा अपने पास रखना चाहिए। जिस प्रकार साबुन और पानी से नहाकर हमारा शरीर स्वच्छ होता है उसी प्रकार ऐसे व्यक्ति हमें हमारी कमियां बताकर हमारा स्वभाव साफ़ करतें हैं यानि हमे अति आत्मविश्वास और अहंकार से बचाते हैं।
Nindak niyare rakhiye, aangan kuti chhavaay। Bin paani, saabun bina, nirmal kare subhaay॥
Kabir Das says that one should always keep a person who criticizes them close. Just as our body is cleansed by bathing with soap and water, similarly, such a person helps cleanse our nature by pointing out our flaws. This prevents us from becoming overly self-confident and arrogant.
काल करे सो आज कर, आज करै सो अब | पल में परलय होयगी, बहुरी करेगा कब ||
इस दोहे में संत कबीर दास जी बताते हैं कि हमें समय की कीमत पहचाननी चाहिए। हमे जो काम आने वाले कल करना हैं उसे आज ही कर लेना चहिये और जो काम आज करना उसे अभी इसी समय कर लेना चहिये। हमे क्या पता कि अगले ही पल प्रलय आ जाए तो अपना काम कब कर पाएंगे।
Kal kare so aaj kar, aaj kare so ab| Pal mein pralaya hoyegi, bahuri karega kab||
In this couplet, Saint Kabir Das tells us that we should recognize the value of time. The work we have to do tomorrow should be done today, and the work we have to do today should be done right now. Who knows, the next moment might bring a catastrophe, and when will we be able to complete our tasks?
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।
कबीरदास के इस प्रसिद्ध दोहे में कहा है कि जब मैं किसी और व्यक्ति की बुराई खोजने चला तो मुझे ऐसा व्यक्ति कोई नहीं मिला। किंन्तु जब मैंने अपने अंतर्मन को देखा तो मुझे पता चला कि मैं ही सबसे बुरा हूँ, जो दूसरों की बुराई खोजता है। अतः हमे दूसरों की कमी निकालने से अच्छा अपनी अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिये।
Bura jo dekhan main chala, bura na miliya koy। Jo dil khoja aapana, mujhse bura na koy।।
Kabir Das has said in this famous doha that when I went looking for the faults of others, I found none. However, when I looked within myself, I realized that I am the worst, as I am the one who searches for the faults of others. Therefore, instead of finding flaws in others, we should focus on our own virtues.
करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय। बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥
कबीर दास का यह प्रेरणादायक दोहा हमें हर काम सोच समझकर करने के लिए प्रेरित करता है। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि हे मनुष्य, जब तुम बिना सोचे समझे बुरे कार्यों को करता था, तो अब पछताने से क्या फायदा। जिस प्रकार यदि कोई बबूल (कांटेदार) का पेड़ बोता है तो उसे आम का फल पाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिये, उसे तो कांटे ही मिलेंगे। बाद में पछताने से अच्छा है कि पहले ही परिणाम सोचकर काम किया जाये।
Karta tha so kyon kiya, ab kar kyon pachitaya। Boya ped babool ka, aam kahan se khaya ॥
This inspirational couplet by Kabir Das encourages us to think carefully before doing any work. In this doha, Kabir Das says that if a person engages in bad deeds without thinking, then what’s the use of regretting later? Just as if someone sows a babool (thorny) tree, they should not expect to get mangoes from it; they will only get thorns. It’s better to consider the consequences before acting.
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
इस प्रेरणादायक दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख अथवा संकट के समय सभी भगवान को स्मरण करते हैं। किन्तु जब समय अच्छा चलता है अर्थात सुख के समय सभी भगवान को याद करना भूल जाते हैं। कबीर दास जी बोलते हैं की यदि मनुष्य सुख के समय भी भगवान को याद करे तो उसे दुःख होगा ही क्यों?अर्थात भगवत कृपा से उसपर आने वाला सारा दुःख और संकट पहले हो समाप्त हो जाएगा। इसलिए हमें हर समय सुख हो या दुःख भगवान् को याद करना चाहिए।
Dukh mein sumiran sab kare sukh mein karai na koy। Jo sukh mein sumiran kare dukh kaahe ko hoy॥
In this inspirational doha, Kabir Das ji says that during times of sorrow or adversity, everyone remembers God. However, when times are good, meaning during times of happiness, they forget to remember God. Kabir Das ji states that if a person remembers God even during times of happiness, why would they experience sorrow? That is, through the grace of the Divine, all the sorrows and adversities that are destined for them will be resolved beforehand. Therefore, whether in times of joy or sorrow, we should always remember God.
मन के हारे हार है मन के जीते जीत । कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ॥
कबीर दास जी के इस प्रसिद्ध दोहे का अर्थ है कि मनुष्य की जय और पराजय अर्थात हार और जीत उसके मन के भाव यानि मनोबल पर निर्भर करती है। जिस मनुष्य का मनोबल ऊँचा रहता है उसकी हमेशा जीत होती है और जिस व्यक्ति का मनोबल कम या दुर्बल होता है, उसकी जीत की संभावना क्षीण हो जाती है। कबीर दास जी कहते हैं कि यदि मनुष्य ठान ले और दृढ़ निश्चय कर ले तो वह हरी अर्थात परमात्मा को भी प्राप्त कर सकता है। इसलिए हमेशा अपना मनोबल ऊँचा रखना चाहिए।
Mann ke haare haar hai, mann ke jeete jeet। Kahe Kabir hari paaiye, manm hi ki parateet॥
The famous couplet by Kabir Das ji means that victory and defeat, or success and failure in a person’s life depend on their mental strength, that is, their determination and morale. A person with high mental strength always achieves victory, whereas someone with low or weak mental strength finds their chances of success diminished. Kabir Das ji advises that if a person remains determined and firm in their resolve, they can achieve victory, even attaining the divine (Paramatma). Therefore, one should always strive to keep their morale high.
जब तू आया जगत में, लोग हँसे तू रोय । ऐसी करनी ना करो, पीछे हँसे सब कोय ॥
कबीर दास जी के इस प्रसिद्ध दोहे में कहते हैं कि जब तुम इस संसार में आये थे तो रो रहे थे और सब हंस रहे थे। इसका तात्पर्य है की जब कोई बच्चा पैदा होता है तो वह रोता है और उसके सगे सम्बन्धी खुशियां मानते हैं और खुश होते हैं। हे मनुष्य! तुम्हे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे तुम्हारे इस संसार से जाने के बाद भी लोग तुम पर हँसे यानि तुम्हार मज़ाक उड़ाएं ! कबीर दास का तात्पर्य है की हमे इस संसार में इतने अच्छे काम करने चाहिए कि हमारे पीछे लोग हमे याद करें और हमारी अनुपस्थिति के लिए दुखी हों।
Jab tu aaya jagat mein, log hanse tu roy। Aisi karni na karo, peeche hanse sab koy॥
In this famous couplet, Kabir Das Ji says that when you came into this world, you were crying, and everyone else was laughing. This means that when a child is born, he cries, and his relatives celebrate and are happy. Oh, human! You should not do anything that makes people laugh at you, mock you, or ridicule you after you leave this world. Kabir Das implies that we should do such good deeds in this world that people remember us and feel sorrowful in our absence.
कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं । पारै पहुंचे नाव ज्यौं मिलिके बिछुरी जाहिं ॥
इस प्रेरणादायक दोहे में कबीर दास कहते हैं कि इस संसार में हे मनुष्य ना कोई हमारा है और ना ही हम किसी के हैं अर्थात इस जगत में कोई किसी का नहीं है। जिस तरह किसी नाव के नदी के किनारे पहुँचने पर उसमे बैठे सभी यात्री उतर जाते हैं और अपने -अपने गंतव्य को निकल जाते हैं। कबीर का तात्पर्य है कि इस संसार में बने सारे संबंध इसी जग में छूट जाने वाले हैं।
Kabir Das says in this inspirational couplet that in this world, neither do we belong to anyone, nor does anyone belong to us. It means that in this universe, no one truly belongs to anyone else. Just like travelers disembark from a boat on reaching the shore and each goes their own way to their destination. Kabir’s intention is that all relationships formed in this world will eventually dissolve here.
प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक | संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlok with Meaning in Hindi and English | Sanskrit Slokas for Competition with Meaning
संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlok with Meaning
संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) : सभी बच्चों को सीखना बहुत आवश्यक है। जैसा कि आप जानते हैं कि संस्कृत विश्व की भाषाओँ में से एक है और यह बहुत समृद्ध भाषा है। अनेक संस्कृत श्लोक ऐसे हैं जिन्हे पड़ने और समझने से केवल बच्चे ही नहीं अपितु हम सब जीवन और मानव मूल्यों को अच्छे से समझ सकते हैं। आजकल सभी स्कूलों में संस्कृत श्लोक competition प्रारभिक कक्षाओं से ही शुरू कर दिया जाता है। आज हम Curious Kids Kingdom पर कुछ ऐसे प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक का संग्रह लेकर आएं हैं जो हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। संस्कृत श्लोक को अर्थ सहित हिंदी और English में दिया गया है ताकि बच्चे सिर्फ श्लोक को रटे नहीं बल्कि उनसे अच्छे से समझे और उनसे सीख लें। आइये शुरू करते है 100+ संस्कृत श्लोक सहित:
संस्कृत श्लोक अर्थ सहित पढ़ाने के मुख्य कारण:
संस्कृत श्लोक का महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में गहरा है। यह शब्द, वाक्य और छंद की श्रेष्ठतम रचना है जो संस्कृत भाषा में लिखी जाती है। बच्चों को संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) पढ़ाने के कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं:
संस्कृति और धार्मिकता का परिचय: संस्कृत श्लोक बच्चों को भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के मूल सिद्धांतों का परिचय कराते हैं। संस्कृत श्लोक अर्थ सहित समझाने से ये श्लोक बच्चों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति समर्पित करते हैं।
भाषा और व्याकरण कौशल: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) के पठन-पाठन से बच्चों की भाषा कौशल में सुधार होता है। यह उन्हें व्याकरण, शब्दावली, और वाक्य रचना में मदद करता है।
मानवता के मूल मूल्यों की समझ: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित समझाने से बच्चों में मानवता के मूल मूल्यों की समझ बढ़ती है, जैसे कि नैतिकता, सहानुभूति, और सद्भावना। ये श्लोक बच्चों को आदर्श मानवता के दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं।
शिक्षात्मक महत्व: संस्कृत श्लोक पढ़ने से बच्चों की शिक्षा-संस्कृति में वृद्धि होती है। ये उनके मानसिक विकास, विचारशीलता, और समस्या-समाधान कौशल को भी प्रोत्साहित करते हैं।
श्रुति और स्मृति का संरक्षण: भारतीय परंपरा में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता आदि के महत्वपूर्ण श्लोक हैं, जो बच्चों को सुनाये जाते हैं। संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning) पढ़ाने से यह बच्चों में भारतीय परम्परा और मानव जीवन के मूलों के बारे में जानकार उसे याद रखते हैं।।
शिक्षकता और विचार स्पर्श: संस्कृत श्लोक बच्चों के मन में नए विचार और सोच का संवाद खड़ा कर सकते हैं। इन्हें विचारने की क्षमता और समस्याओं का समाधान निकालने की क्षमता भी मिलती है।
आध्यात्मिक विकास: संस्कृत श्लोक आध्यात्मिक विकास को भी प्रोत्साहित करते हैं। बच्चों को आत्मज्ञान, मानवता के मूल सिद्धांत, और आध्यात्मिक उन्नति का पथ प्रदान करते हैं।
इन कारणों से, बच्चों को संस्कृत श्लोक अर्थ सहित पढ़ाने से उनकी सामाजिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है।
संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning)
हिंदी अर्थ: यह श्लोक गुरु की महिमा को प्रकट करने के लिए बोला जाता है। इस संस्कृत श्लोक का अर्थ निम्नलिखित है:
“गुरु अर्थात शिक्षक ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महेश्वर अर्थात शंकर भगवान हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है अर्थात गुरु परमात्मा हैं, उन महान गुरु को नमस्कार है।”
English Meaning: This shloka extols the significance of the Guru and pays tribute to their guidance in students’ lives, attributing Guru to various divine forms while emphasizing their ultimate connection with the Supreme Reality. The meaning of this sanskrit shlok is:
“The Guru, meaning the teacher, is indeed Brahma; the Guru is indeed Vishnu; the Guru is indeed Maheshvara, that is, Lord Shiva. The Guru is the Parabrahma meaning the Guru is the Supreme Soul; salutations to great Guru.”
हिंदी अर्थ: यह एक प्राचीन वेद मंत्र है, जिसे गायत्री मंत्र के नाम से जाना जाता है। इस गायत्री मंत्र का अर्थ हिंदी में निम्नलिखित रूप में होता है:
हम पमात्मा की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस तीनो लोकों (संसार) को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है। इस मंत्र का अर्थ है- हे आदरणीय माँ गायत्री, आपका दिव्य प्रकाश हमारे अस्तित्व के सभी क्षेत्रों (शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक) को प्रकाशित करे। हमें सच्चे ज्ञान की दिशा में प्रवृत्त करें।
“Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ, Tat Savitur Vareṇyaṃ Bhargo Devasya Dhīmahi, Dhiyo Yo Naḥ Prachodayāt.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
“Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ Tatsaviturvareṇyaṃ Bhargo Devasya Dhīmahi Dhiyo Yo Nah Prachodayāt”
This mantra is a salutation to the divine light, wisdom, and guidance, seeking enlightenment and blessings from the divine source that illuminates our existence, Goddess Gayatri.
3. त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव !!
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित:
“तुम ही माता हो, तुम ही पिता हो, तुम ही बंधु हो और तुम ही सखा हो। तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, तुम ही सब कुछ हो, मेरे देवता हे देव।”
यह श्लोक भारतीय संस्कृति में एक अद्वितीय आदर्श को स्पष्ट करता है, जिसमें ईश्वर और सभी रिश्तों की महत्वपूर्णता को दर्शाया गया है। इसका तात्पर्य है कि सभी रिश्ते और धन, विद्या आदि सब कुछ ईश्वर में ही विद्यमान हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए।
“Tvameva mātā cha pitā tvameva, tvameva bandhuścha sakhā tvameva. Tvameva vidyā draviṇaṁ tvameva, tvameva sarvaṁ mama deva deva!!”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
You are my mother, you are my father, you are my sibling, and you are my friend. You are my knowledge, you are my wealth, you are my everything, O God of gods!
This shloka conveys a unique ideal in Indian culture, emphasizing the importance of both the divine and human relationships. Its essence lies in recognizing that all relationships, as well as wealth and knowledge, exist within the divine presence, and it encourages us to respect and honor them.
लक्ष्मी माता हमारे हाथ के अंगुलियों के अग्रभाग में वास करती है, सरस्वती माता हमारे हाथों के बीच में वास करती है, भगवान गोविन्द अर्थ विष्णु हमारे हाथों की जड़ में वास करते हैं, सुबह के समय उनका दर्शन करना चाहिए।
इस श्लोक का मूल अर्थ है कि हमें समृद्धि, ज्ञान, और भगवान की शरण में कार्य करना चाहिए ताकि हमारा जीवन संपूर्ण और शुभ हो।
“Karagre vasate Lakshmi, karamadhye Saraswati, Karamoole tu Govindam, prabhāte karadarshanam.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
At the tip of the hand resides Goddess Lakshmi, in the middle of the hand resides Goddess Saraswati. At the base of the hand resides Lord Govinda. Therefore, in the morning, one should have a look at one’s hands.
The essence of this shloka is that one should start their day by acknowledging the presence of Goddess Lakshmi, the deity of wealth and prosperity, at the tip of their fingers; Goddess Saraswati, the deity of knowledge and wisdom, in the middle of their fingers; and Lord Govinda (a name for Lord Krishna), as the foundation of their actions. This acknowledgment is believed to bring blessings and positivity for the day ahead.
जो व्यक्ति सुशील और विनम्र होते हैं, बड़ों का अभिवादन व सम्मान करने वाले होते हैं तथा निरंतर वृद्धों की सेवा करने वाले होते हैं। उनकी आयु (उम्र), विद्या (शिक्षा), यश (कीर्ति) और बल (शारीरिक ताकत) इन चारों में वृद्धि होती है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
One who greets respectfully and serves the elderly consistently, experiences fourfold increase in life span, knowledge, reputation, and physical strength.
6. सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है।
यह श्लोक मानवीय संवाद में सत्य की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समझाता है कि सत्य और प्रियता का संतुलन बनाए रखना धर्म है।
“Satyaṁ brūyāt priyaṁ brūyāt na brūyāt satyaṁ priyam, Priyaṁ cha nānṛitaṁ brūyāt eṣha dharmaḥ sanātanaḥ.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English
One should speak the truth and speak it pleasantly. However, speaking an unpleasant truth should be avoided, and likewise, speaking a pleasing falsehood should also be avoided. This is the sanatan dharma.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
पृथ्वी पर तीन रत्न होते हैं – जल, अन्न और सुभाषित (मधुर वचन)। लेकिन मूर्खों के द्वारा पत्थर के टुकड़ों अर्थात हीरे-जवाहरात को ही रत्न का नाम दिया जाता है।
यह श्लोक बुद्धि और समझदारी की महत्वपूर्णता को बताता है और यह समझाता है कि हमें भौतिक वस्तुओं, मोती माणिक्य पर नहीं प्राकृतिक संसाधन जल और अन्न तथा अच्छे व्यवहार और बोली को महत्व देना चाहिए।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
on Earth, there are three precious things – water, food, and good speech. However, fools consider fragments of gems to be most valuable.
The verse emphasizes the value of essential elements like water, food, and wise words on Earth, while also metaphorically highlighting how foolish individuals may overlook true worth and focus on insignificant things.
विद्या के लिए प्रतिबद्ध विद्यार्थी (छात्र) मे यह पांच लक्षण होने चाहिए – कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह सोना / निंद्रा, अल्पाहारी अर्थात कम आहार वाला और गृह-त्यागी होना चाहिए।
यह श्लोक विद्यार्थी के विशेष गुणों को व्यक्त करता है और उनके समृद्धि के लिए आदर्श प्रक्रियाओं को प्रस्तुत करता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English
The crow’s movement, the swan’s concentration while hunting, the dog’s ability to sleep with alertness, being content with minimal food, being detached from one’s home, these are the five characteristics of a student, dedicated to learning.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
मनुष्यों के लिए आलस्य उनके शरीर में बसा महान शत्रु है। उद्यमी व्यक्ति के लिए परिश्रम जैसा कोई मित्र नहीं होता, क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता।
यह श्लोक आलस्य की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समझाता है कि आलस्य व्यक्ति की प्रगति को रोकने वाला शत्रु होता है, जो उसकी सफलता के मार्ग में बड़ी बाधा डाल सकता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Laziness resides within the human body as a formidable enemy. For an industrious individual, there is no friend like hard work, as someone who works diligently is never unhappy.
This quote emphasizes that laziness is a significant obstacle to human progress, while hard work acts as a steadfast companion for those who embrace it, ensuring both personal growth and contentment.
10. आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
सबसे पहले आदिदेव सूर्य को मेरा नमस्कार, प्रकाश देने वाले हे भास्कर (दिनकर, सूर्यदेव) आप प्रसन्न हो। दिवाकर को मेरा नमस्कार, प्रभाकर (सूर्यदेव) को मेरा नमन है।
यह श्लोक सूर्य देवता की पूजा और आराधना करते हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना को व्यक्त करता है।
“Aadi devo namastubhyam praseeda mama bhaaskara, Divaakara namastubhyam prabhaakara namo’stute.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
First and foremost, I offer my salutations to the primeval deity, the Sun, the illuminator. O Bhaskar (Surya Dev), the one who bestows light, may you be pleased. I bow to Divakar (Surya Dev), and I pay my respects to Prabhakar (Surya Dev).
This verse expresses reverence and prayers to the Sun God, the source of light and energy, seeking blessings and favor from the divine.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Mother is more precious than the Earth, and father is higher than heaven. Mother and the birthplace are both greater even than heaven.
This verse conveys the importance of mother and birthplace, highlighting their significance above all, including heavenly realms. It emphasizes the deep reverence and connection one should have with their motherland and the maternal figure.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जिस मनुष्य की वाणी मधुर होती है, जिसकी क्रियाएं परिश्रम पूर्वक होती हैं। जिसका धन दान करने में प्रयोग होता है, उसका जीवन सफल होता है।
यह श्लोक व्यक्ति की वाणी, मेहनत, और दान के महत्व को बताता है और यह समझाता है कि यदि ये तीन चीजें सही रूप से निर्वहन की जाएं, तो उसका जीवन सफलतापूर्वक जीता जा सकता है।
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
शिष्य अपने गुरु से पाव हिस्सा (1/4) ज्ञान प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपनी बुद्धि से प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपने सहपाठियों से प्राप्त करता हैं और पाव हिस्सा (1/4) समय के साथ स्वयं के अनुभव से प्राप्त करता रहता हैं।
यह श्लोक शिक्षा की प्राप्ति के प्रति विभिन्न स्तरों का महत्व दिखाता है – गुरु से, बुद्धि से, सहपाठियों से, और समय के साथ आत्मानुभव से।
“Aachāryāt pādamādatte, pādaṁ śiṣhyaḥ svamedhayā, Kālena pādamādatte, pādaṁ sa brahmachāribhiḥ.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
The disciple obtains one fourth from the teacher, one fourth through his own intelligence, one fourth from fellow students, and one fourth through time and self-experience.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
The eight qualities adorn a person: knowledge, gentleness, self-discipline, scholarly wisdom, courage, measured speech, giving according to one’s capacity, and gratitude.
15. ते पुत्रा ये पितुभक्ता: स: पिता यस्तु पोषक:। तन्मित्र यत्र विश्वास: सा भार्या या निर्वती ।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
पुत्र वही है जो पितृभक्ति करने वाला हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करने वाला हो। मित्र वही है जिन पर आप विश्वास कर सकते हों और भार्या (पत्नी) वही है जिससे सुख प्राप्त हो।
यह श्लोक परिवार के सदस्यों के आपसी संबंधों के महत्व को बताता है और विभिन्न संबंधों में विश्वास, प्रेम, और समर्पण की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
A son is the one who is devoted to his father, a father is the one who nurtures and supports his sons. A friend is the one in whom you can place your trust, and a spouse (wife) is the one from whom you find happiness.
जिस मनुष्य में स्वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिए शास्त्र क्या कर सकता है। जैसे बिना आंखों के एक व्यक्ति, अर्थात् अंधे मनुष्य के लिए दर्पण क्या कर सकता है।
यह श्लोक व्यक्ति की आत्म-ज्ञान की महत्वपूर्णता को दर्शाता है, और यह समझाता है कि यदि किसी के पास स्वयं की सही समझ नहीं है, तो वह विद्या या कौशल का उपयोग कैसे कर सकता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
For a person who lacks self-awareness, consciousness, and understanding, what can scriptures achieve? Just as a mirror holds no value for a blind person, similarly, for someone who lacks inner insight, knowledge from scriptures might not hold much significance.
17. विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
एक राजा और विद्वान में कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। क्योंकि एक राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है जबकि एक विद्वान कभी जगहों पर पूज्य होता है।
यह श्लोक विद्या के महत्व को दर्शाता है और साथ ही यह बताता है कि एक विद्वान व्यक्ति का सम्मान सभी जगहों पर होना चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थिति में हो।
“Vidvatvaṁ cha nṛpatvaṁ cha naiva tulyaṁ kadāchana, Svadeśe pūjyate rājā vidvān sarvatra pūjyate.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
A king and a scholar can never be compared, for a king earns respect only in his kingdom, whereas a scholar is revered everywhere.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
घोड़े के लिए उसकी तेजी (दौड़ने की गति) ही भूषण होती है, हाथी के लिए उसकी मस्ती (मदमस्त चाल) ही भूषण होती है। और नारी के लिए उसका चातुर्य (विभिन्न कार्यों मे दक्षता) ही भूषण होता है, पुरुष के लिए उसका उद्यमशील होना ही भूषण होता है।
यह श्लोक विभिन्न प्राणियों के विशेषताओं और उनके कार्यों को भूषण के रूप में व्यक्त करता है और यह दिखाता है कि व्यक्ति के आचरण और कृतित्व ही उसकी सबसे बड़ी भूषण होती है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
For a horse, its swiftness (running speed) is its ornament; for an elephant, its playfulness (majestic gait) is its ornament. And for a woman, her intelligence (skillfulness in various tasks) is her ornament; for a man, his industriousness is his ornament.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
दुर्जन (दुष्ट व्यक्ति) यदि विद्या से सुशोभित भी हो अर्थात वह विद्यावान भी हो, फिर भी उसका त्याग कर देना चाहिए। जैसे मणि से भूषित सर्प भी कितना भयंकर हो सकता है?
इस श्लोक में व्यक्त किया गया है कि विद्या से लब्धि प्राप्त करने वाले दुर्जन को भी त्यागना चाहिए, और यह भी दिखाने का प्रयास किया गया है कि किसी भी बुरे व्यक्ति के वस्त्र, सामग्री, या आभूषण से उसकी बुराई का गुण नहीं बदल जाता, जैसे मणियों से भूषित सर्प की भयंकरता नहीं बदलती।
“Durjanaḥ parihartavyo vidyālaṅkṛito ‘san, Maṇinā bhūṣhito sarpaḥ kimasau na bhayankaraḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Even if a wicked person is adorned with knowledge, that is, even if they are knowledgeable, they should still be avoided. Just like a snake adorned with jewels, how terrifying it can be.
20. असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले जाओ। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाओ। मुझे मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाओ।
यह श्लोक ज्ञान की प्राप्ति और सत्य की ओर प्रार्थना को व्यक्त करता है, और अन्धकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरत्व की प्राप्ति की कामना को दर्शाता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
O Lord, lead me from falsehood to truth. Lead me from darkness to light. Lead me from mortality to immortality.
21. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
हिंदी अर्थ: यह श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
इस आत्मा को शस्त्र छेद (काट) नहीं सकते, आग जला नहीं सकती है। पानी इसे नम (गीला) नहीं कर सकता, वायु इसे सुखा नहीं सकती है।
यह श्लोक आत्मा की अविनाशिता और अचलता को व्यक्त करता है। इसमें आत्मा की अद्वितीयता और अचलता का संकेत दिया गया है, जिससे यह दिखता है कि कोई भी शस्त्र, आग, पानी या वायु इसे प्रभावित नहीं कर सकते।
“Nainaṁ chhindanti śhastrāṇi nainaṁ dahati pāvakaḥ, Na chainaṁ kledayantyāpo na śhoṣhayati mārutaḥ.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Weapons cannot pierce the soul, fire cannot burn it, water cannot wet it, and the wind cannot dry it.
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Mother is equivalent to all pilgrimage sites, father is equivalent to all deities. Therefore, one should honor and respect parents in every possible way and always show them reverence.
24. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
हिंदी अर्थ: यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
कर्म करना ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसलिए कर्मों के फल की चिंता किये बगैर, तुम कर्मों में ही संलग्न हो।
यह श्लोक भगवद गीता के द्वादश अध्याय में आता है और यह मनुष्य को कर्मों के प्रति उनके अधिकार को समझाता है, लेकिन कर्मों के परिणाम के लिए नहीं करने की सलाह देता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit gita shlok with meaning
You have the right to perform your prescribed duties, but you are not entitled to the fruits of your actions. Never consider yourself to be the cause of the results of your activities, and never be attached to not doing your duty.
हिंदी अर्थ: श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्कर्मियों (पाप करने वालों) का नाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगों-युगों में प्रकट होता हूँ।
“Paritrāṇāya sādhūnāṁ vināśhāya cha duṣhkṛitām, Dharma-saṁsthāpanārthāya sambhavāmi yuge yuge.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit gita shlok with meaning
I manifest myself in every age to protect the righteous, to annihilate the wicked, and to reestablish the principles of dharma
26. धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसी का नाश कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि धर्म को नष्ट करने से हम भी नष्ट हो जाएंगे।
“Dharma eva hato hanti, dharma rakṣhati rakṣhitaḥ, Tasmād dharmaṁ na tyajāmi mā no dharma hato’vadhīt.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Whosoever destroys dharma, dharma destroys him. Whosoever protects dharma, dharma protects him. Hence, never should one abandon dharma, for by doing so, one would be forsaking their own well-being.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Just as a person discards old and worn-out clothes to wear new ones, similarly, an individual leaves behind their old bodies to attain new bodies. This illustrates the cyclical nature of life where beings go through a continuous process of birth and rebirth.
28. सुखार्थिनः कुतो विद्या नास्ति विद्यार्थीः सुखम्। सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां विद्यार्थीं वा त्यजेत्सुखम्॥
हिंदी अर्थ: यह श्लोक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करता है और इसका मतलब है कि:
सुख की खोज में जो व्यक्ति है, उसे विद्या कहाँ मिल सकती है? और जो विद्या के लिए प्रयत्नशील है, उसको सुख कहाँ मिल सकता है? सुखार्थी व्यक्ति विद्या को त्याग दे या विद्यार्थी व्यक्ति सुख को त्याग दे।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
The person who seeks pleasure, where can they find knowledge? And the person who strives for knowledge, where can they find pleasure? Should a pleasure-seeker abandon knowledge or should a knowledge-seeker abandon pleasure?
29. नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः। विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
सिंह को जंगल का राजा घोषित करने के लिए ना कोई अभिषेक किया जाता है और ना कोई संस्कार किया जाता है। वह अपने गुणों एवं पराक्रम से स्वयं ही मृगेन्द्र अर्थात जंगल के राजा का पद प्राप्त करता है।
“Nābhiṣheko na sanskāraḥ siṁhasya kriyate mṛgaiḥ, Vikramārjit rājyasya svayameva mṛgendratā.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
A lion is not declared the king of the jungle through any coronation or ritual, nor is it adorned with any ceremonies. It attains the position of the king of the jungle through its qualities and prowess, and thus naturally becomes the ‘Mṛigendra’, meaning the king of animals in the jungle.
जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता। जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और जिनके मित्र न हों उन्हें सुख की प्राप्ति नहीं होती।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Those who are lazy do not attain knowledge; those without knowledge cannot accumulate wealth. The poor lack friends, and those without friends do not find happiness.
सुख का मूल (जड़) धर्म है। धर्म का मूल (जड़) आर्थिक उपलब्धियों में है। अर्थ का मूल (जड़) राज्य में है। और राज्य का मूल (जड़) इन्द्रियों के वशीभूत होने में है अर्थात इन्द्रियों पर विजय में है।
यह श्लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह बताता है कि सुख की खोज में धर्म का महत्व होता है, जो फिर आर्थिक स्थिति की प्राप्ति के लिए आवश्यक होता है, और आर्थिक स्थिति के बिना साम्राज्य स्थापित नहीं किया जा सकता है। अंत में, साम्राज्य की स्थापना भी स्वाधीनता और इंद्रियों के वशीभूत होने से होती है। इस तरह, यह श्लोक मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं के अभिवादन करता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
The root of happiness is righteousness (dharma). The root of righteousness is in acquiring wealth. The root of wealth lies in the state (power and governance). And the root of the state lies in conquering the senses, meaning, in controlling and mastering one’s own senses and desires.
32. येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः | ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति ||
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न धर्म – वे मनुष्यलोक में मनुष्य रूप आकर भी में आकर मृग (पशु) के रूप में घूमते हैं, पृथ्वी पर बोझ (भार) होते हैं।
यह श्लोक जीवन में नैतिकता, शिक्षा, साधना, सेवा और गुणों की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह कहता है कि जिन लोगों के पास ये गुण और धार्मिकता नहीं होती, वे मानवीय मानवता से विच्छेदित हो जाते हैं और उन्हें केवल शरीर में मृग की तरह घूमना पड़ता है, उनका जीवन अधम और अर्थहीन हो जाता है।
“Yeṣhāṁ na vidyā na tapo na dānaṁ, jñānaṁ na śhīlaṁ na guṇo na dharmaḥ, Te martya-loke bhuvi bhāra-bhūtā, manuṣhya-rūpeṇa mṛigaśh-charanti.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Those who lack knowledge, austerity, charity, wisdom, character, virtues, and righteousness, they wander in the human world in the form of humans but are burdened as beasts, roaming the Earth.
33.उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
कार्यों की सिद्धि उद्यम से होती है, मनोरथों (सोचने) से नहीं। जैसे कि सोते हुए सिंह के मुख में मृग अपने आप नहीं आते हैं।
यह श्लोक उद्यम, परिश्रम, और संघर्ष की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। यह बताता है कि किसी कार्य की सफलता मन की इच्छाओं से नहीं, बल्कि समर्पण, परिश्रम, और प्रतिबद्धता के माध्यम से होती है। विलीन होने वाली इच्छाओं से कुछ नहीं होता, जैसे कि सोते हुए सिंह के मुख में मृग (पशु) नहीं आते हैं।
“Udyamena hi sidhyanti kāryāṇi na manorathaiḥ, Nahi suptasya siṁhasya praviśanti mukhe mṛgāḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
The success of actions comes through effort, not mere wishes. Just as prey animals do not enter the mouth of a sleeping lion on their own.
34. पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतं धनम् । कार्यकाले समुत्पन्ने नसा विद्या न तद्धनम्।।
हिंदी अर्थ: इस श्लोक का निम्नलिखित अर्थ है:
पुस्तकों में रखी गई विद्या और दूसरे के हाथों में गया धन। कार्य के समय जब विद्या और धन आवश्यक्ता होती है, तब दोनों हमारे काम नहीं आते हैं।
“Pustakasthā tu yā vidyā parahastagataṁ dhanaṁ, Kāryakāle samutpanne nasā vidyā na taddhanam.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
The knowledge stored in books and wealth that has passed into someone else’s hands—when the need arises during the time of action, neither knowledge nor wealth comes to our aid.
एक बड़े वृक्ष की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि उस महान वृक्ष के फल किसी कारण नहीं भी होते हैं तो क्या उसकी छाया कोई रोक सकता है? अर्थात वह छाया तो देगा ही।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
One should serve a large tree because it is adorned with fruits and shade. Even if, for some reason, the fruits of that great tree are not there, can anyone prevent its shade? In other words, the shade will still be provided.
36. पिता धर्म: पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तप:। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता:।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
पिता धर्म होते हैं, पिता स्वर्ग होते हैं और पिता ही परम तपस्या (श्रेष्ठ) तप होते हैं। पिता को प्रिय होने से अर्थात पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
यह श्लोक पिता के महत्व को बताता है और उसके संबंधित योगदानों और आदर्शों को प्रस्तुत करता है। यह पिता को सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करता है और उसके संबंधित गुणों की महत्वपूर्णता को स्वरूपित करता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Fathers embody righteousness, fathers are heaven, and fathers represent the ultimate form of penance. When a father is pleased or honored, just due to his pleasure, all deities also become pleased.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
किसी भी समर्थ (शक्तिशाली) व्यक्ति के लिए कोई भार कितना ही भारी होता है? व्यापारियों के लिए कौन सी जगह दूर है?, विद्वानों के लिए कोई देश, विदेश नहीं होता है और मधुभाषियों के लिए कौन अप्रिय अर्थात शत्रु हो सकता है?
यह श्लोक विचार करने पर जीवन के विभिन्न पहलुओं की गहराईयों को दिखाता है और विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से व्यक्ति को सोचने पर प्रोत्साहित करता है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
For any capable individual, no burden is too heavy. For businessmen, there is no place too far. For the knowledgeable, there is no foreign land, and for those who speak sweetly, who could be considered an enemy?
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
मुझे मन से सदा योग्य स्मरण करना चाहिए, और बोलते समय भी सदा योग्य बातें बोलनी चाहिए। लोगों के हित में काम करना मेरी प्राथमिकता होनी चाहिए अर्थात मुझे जगत कल्याण करना चाहिए।
“Manasā satataṁ smaraṇīyam, vacasā satataṁ vadanīyam, Lokahitaṁ mama karaṇīyam, lokahitaṁ mama karaṇīyam.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
I should always remember worthy thoughts in my mind and speak worthy words when communicating. Working for the welfare of people should be my priority, meaning I should strive to contribute to the well-being of the world.
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
In all languages, the most prominent is the sweet and divine language, Sanskrit. Its poetry is also sweet, and in poetry, there are excellent and appropriate words of wisdom.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जिस व्यक्ति ने प्रथम अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्या अर्जित नहीं की, द्वितीय अर्थात गृहस्थ आश्रम में धन अर्जित नहीं किया, तृतीय अर्थात वानप्रस्थ आश्रम में पुण्य अर्जित नहीं किया, वह चतुर्थ अर्थात संन्यास आश्रम में क्या करेगा?
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
The individual who hasn’t acquired knowledge in the first stage, wealth in the second stage, and virtue in the third stage of life, what will they do in the fourth stage of renunciation?
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे धनञ्जय! तू कर्मों में योगस्थित रहकर कर्म कर, संग को त्यागकर। सिद्धि और असिद्धि में सम स्थित होकर समत्व को योग कहा जाता है।
इस श्लोक में भगवद गीता का मुख्य संदेश है कि कर्मों में लगे रहकर और संग से दूर रहकर मनुष्य को समत्व की प्राप्ति होती है, जिससे उसे सिद्धि और असिद्धि में समान भाव बना रहता है।
“Yogasthaḥ kuru karmaṇi saṅgaṁ tyaktvā dhanañjaya, Siddhyasiddhyoḥ samo bhūtvā samatvaṁ yoga uchyate.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Arjuna, remain established in yoga while performing your actions, and relinquish attachment. Being equipoised in success and failure is called yoga.
43. अप्राप्यं नाम नेहास्ति धीरस्य व्यवसायिनः।
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
कर्म करने वाले पुरुष के लिए न तो यहाँ कोई अप्राप्य चीज है, न कोई अप्राप्य बात है।
इस श्लोक का भाव यह है कि एक उद्यमशील, निर्णयी और संघटनशील व्यक्ति के लिए कुछ अप्राप्य नहीं होता, क्योंकि वह अपने निर्णयों को ध्यान में रखता है और समर्थ होता है उन्हें प्राप्त करने के लिए।
“Aprāpyam nāma nehāsti dhīrasya vyavasāyinaḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
For a person engaged in action, there is neither anything unattainable here, nor is there any unworthy action.
जिस मनुष्य के पास विद्या (बुद्धि) है, वह शक्तिशाली है। जिस पुरुष के पास ज्ञान ना हो, उसकी शक्ति कहाँ? जैसे एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
A person who possesses knowledge (intelligence) is powerful. What power does a person have if they lack knowledge? Nothing. Just as a small clever rabbit can lead a powerful elephant into a pond.
शोक (दुख) से रोग बढ़ते हैं। दूध का सेवन करने से शरीर वृद्धि पाता है। घी का सेवन करने से शारीरिक बल (वीर्य) वृद्धि पाता है और मन, बुद्धि और मांस शरीर में वृद्धि पाते हैं।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Suffering (grief) leads to illness. Consumption of milk results in bodily growth. Consumption of ghee enhances physical strength (virility), and mind, intellect, and flesh grow in the body.
46. शान्तितुल्यं तपो नास्ति न संतोषात्परं सुखम् | अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च ||
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
शांति के तुल्य कोई तप नहीं है, और संतोष से बढ़कर कोई सुख नही है। अच्छे पुत्र और पत्नी का साथ, और सत्पुरुषों की सभा ही सच्चा संगति है।
“Śhāntitulyaṁ tapo nāsti na saṁtoṣhāt param sukham, Apatyaṁ cha kalatraṁ cha satāṁ saṅgatireva cha.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
There is no austerity like equanimity, and no happiness surpasses contentment. The companionship of good offspring and a devoted spouse, along with the company of wise individuals, are indeed true associations.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
The identification of a fool is based on five characteristics – pride, harsh speech, anger, obstinacy in speech, and disrespect for others’ words.
48. आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः। परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति।।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
इस जीवलोक में स्वार्थ के लिए कौन नहीं जीता है? उस मनुष्य जीना ही सार्थक है जो दूसरों की हित के लिए जीता है।
यह श्लोक यह बताता है कि इस दुनियाँ में सभी लोग अपने आत्मार्थ के लिए ही जीते हैं, लेकिन वही व्यक्ति वास्तव में जीता है जो दूसरों की मदद और हित के लिए जीते हैं।
“Ātmārthaṁ jīvaloke’smin ko na jīvati mānavaḥ, Paraṁ paropakārārthaṁ yo jīvati sa jīvati.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
In this world, who doesn’t strive for their own self-interest? Living becomes meaningful for that person who lives for the well-being of others.
जिनकी कृपा से मूक (गूंगा) को बोलने की क्षमता प्रदान मिलती है, लंगड़ा व्यक्ति भी बड़े पहाड़ को लांघ जाता है। मैं उन परमानंद स्वरुप माधव (कृष्ण) की वंदना करता हूँ।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Those who bestow their grace grant the ability to speak to the mute, and even a lame person can overcome great obstacles. I offer my salutations to that embodiment of supreme bliss, Madhava (Krishna).
धीरे-धीरे मार्ग काटता है, धीरे-धीरे कपड़ा सिला जाता है, धीरे-धीरे पहाड़ों की ऊंचाई को पार करना होता है। विद्या और धन भी धीरे-धीरे प्राप्त होते हैं, इसलिए मूलतः ये पांचों काम धीरे ही करने चाहिए।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Slowly but steadily, paths are traversed, clothes are sewn gradually, and even the heights of mountains are overcome gradually. Knowledge and wealth are also acquired gradually. Therefore, fundamentally, all these five tasks should be done gradually.
आगे पढ़िए: संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok with Meaning in Hindi and English)
51. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान गणेश की प्रार्थना है, जिन्हें हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता और सर्वकार्य सिद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। इसका अर्थ होता है:
घुमावदार सूंड वाले, महाकाय (विशाल शरीर) वाले, और जो कोटि (करोड़ों) सूर्य के समान प्रकाशवान हैं। हे देव, मेरे सभी कार्यों को सर्वदा बिना विघ्न के पूरा करें।
“Vakratuṇḍa mahākāya sūryakoṭi samaprabha, Nirvighnaṁ kuru me deva sarvakāryeṣhu sarvadā.”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
O Lord with a curved trunk, massive body, and radiance like a million suns, remove obstacles from all my endeavors forever.
मैं कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले, करुणा (दया) के सागर, संसार के आदर्श, गले में भुजंग (सर्प) की माला पहने और जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय में सदा वास (निवास) करते हैं, भगवान शिव को प्रणाम (नमस्कार) करता हूँ।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
I bow to Lord Shiva, whose complexion is as bright as camphor, who is an ocean of compassion, the embodiment of worldly wisdom, adorned with a snake around his neck, and who always resides in the hearts of devotees along with Mother Bhavani.
53. या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
हे देवी, जो सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको प्रणाम करता हूँ, मैं उनको बारम्बार नमस्कार करता हूँ।
“Yā devī sarva-bhūteṣhu śhakti-rūpeṇa sansthita, Namastasyai namastasyai namastasyai namo namah.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Goddess, who exists as the embodiment of power in all living beings, I bow down to you, I bow down to you, I bow down to you, again and again I offer my salutations to you.
जो सबके लिए मंगलकर्ता है, जो सभी का कल्याण करने वाली है, सारे पुरुषार्थ को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली है, जो शरणागतों की रक्षा करती है, जो त्रियम्बका अर्थात तीन नेत्रों वाली और गौरी है, वो नारायणी (लक्ष्मी) को मेरा नमस्कार है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
She is the one who brings auspiciousness to all, who works for the well-being of everyone, who fulfills all human endeavors (dharma, artha, kama, moksha), who protects the refuge-seekers, who is known as Triyamibaka with three eyes and also as Gauri. I offer my respectful salutations to that Narayani (Lakshmi).
जिनके माथे पर कस्तूरी तिलक है, उनके वक्षस्थल पर देदीप्यमान कौस्तुभ मणि विराजित है। उनकी नाक पर मोती हैं, हथेलियाों में बांसुरी है, हाथ में कंगन सुशोभित है। सम्पूर्ण शरीर पर सुगन्धित चंदन लगा है, कण्ठ (गले) में मोतीयों की माला है। गोपियों से घिरे हुए भगवान गोपाल (कृष्ण) उनके बीच में एक आभूषण की तरह चमक रहे हैं, आपकी जय हो।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
On his forehead there is the mark of kasturi (musk), on his chest the radiant Kaustubha gem is shining. Pearls are on his nose, in his hands there is the enchanting flute, and his wrists are adorned with beautiful bangles. Sandalwood fragrances their entire body, around his neck there is a garland of pearls. Surrounded by the gopis, Lord Gopala (Krishna) shines like a precious ornament among them. Hail to you!
गायों और ब्राह्मणों के साथ सभी प्राणियों के शुभचिंतक, हितैषी भगवान को प्रणाम करता हूं। जगत् का हित करने वाले, गोविंदा के नाम से जाने जाने वाले भगवान कृष्ण को मेरा प्रणाम है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
I bow down to the benevolent protector of cows, Brahmins, and all beings. I offer my respects to the Lord who is concerned about the welfare of the world, known by the name Govinda, and Krishna.
श्रीकृष्ण जो वासुदेव और देवकी के पुत्र हैं। जो नंद और गोप कुमारों के प्रिय हैं, और जिन्हें गोविंद के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ।
“Kṛiṣhṇāya vāsudevāya devakī nandana-ya cha, Nandagopa-kumārāya govindāya namo namaḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
I offer my respects to Lord Krishna, who is the son of Vasudeva and Devaki, the beloved of Nanda and the cowherd boys, and who is also known as Govinda.
हे अच्युत (अमर और अविनाशी), हे केशव (बालकृष्ण), जो राम और नारायण हैं। हे कृष्ण जो दामोदर के रूप में जाने जाते हैं, जो वासुदेव (श्रीकृष्ण) है। हे हरि (विष्णु), जो श्रीधर (श्रीकृष्ण) हैं, जो माधव (कृष्ण) हैं, जो गोपियों का वल्लभ (प्रिय) हैं। जो जानकी के नायक (राम) हैं, हे रामचंद्रं, मैं उनका भजन करता हूँ।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Achyuta (the Imperishable), O Keshava (Krishna), who is both Rama and Narayana, O Krishna, who is known as Damodara (Krishna in His childhood form with a rope around His waist), O Vasudeva (Krishna), the divine and all-pervading, O Hari (Vishnu), O Shridhara (Krishna), O Madhava (Krishna), who is dear to the Gopis (cowherd girls), O Lord of Sita (Janki), O Rama Chandra (Rama), I offer my worship to you.
हिंदी अर्थ: स्वस्तिक मंत्र या स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए बोला जाट है, इसका अर्थ है:
इन्द्र, जो महँ कीर्ति वाले हैं, हमारा कल्याण करें। पूषा (सूर्य देव), जो सभी (पूरे ब्रह्माण्ड) को जानने वाला है, हमारा कल्याण करें। गरुड़देव, जिनकी गति को कोई रोक नहीं सकता, हमारा कल्याण करें। बृहस्पति, जो वेद वाणी (विद्या) के देवता है, हमारा कल्याण करें। ॐ, शांति, शांति, शांति॥
“Swasti na indro vṛiddha-śhravāḥ, Swasti naḥ pūṣhā vishva-vedāḥ, Swasti nastārḵṣhyo ariṣhṭa-nemiḥ, Swasti no vṛihaspatir-dadhātu. Om śhāntiḥ śhāntiḥ śhāntiḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
May Indra, who possesses great glory, bring us welfare. May Pushadev, who knows all and watches over the world, bring us welfare. May Garuda, whose speed no one can hinder, bring us welfare. May Brihaspati, the deity of wisdom, bring us welfare. Om, peace, peace, peace.
पूरे आकाश में शांति हो, अन्तरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधीय जड़ी-बूटी में शांति हो, पेड़-पौधों की शांति हो, सभी देवताओं में शांति हो, ब्रह्म अर्थात ब्रह्माण्ड में शांति हो, सभी का शांतिरूप हो, वास्तव में शांतिरूप सभी को शांति प्रदान करें, वह शांति मुझे और सभी प्राणियों को शांति दें। ॐ शान्ति हो, शान्तिः हो, शान्तिः हो।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
May there be peace in the entire universe, peace in the space between the stars, peace on Earth, peace in the waters, May there be peace in the healing herbs and plants, peace among the trees and plants, May there be peace among all the deities, peace in the realm of Brahma, May there be peace for all, and may true peace pervade all of us, granting peace to me and all living beings.
प्रभु! हम शिष्य और शिक्षक साथ आगे चले, हम दोनों साथ विद्या के फल का भोग करें, हमारा किया हुआ अध्ययन प्रभावशाली हो, हम एक-दूसरे की शक्ति बनें, और हम दोनों में परस्पर द्वेष न हो। हमारा वातावरण,और हमारा मन शांत और निर्मल हो।
“Om saha nāvavatu Saha nau bhunaktu Saha vīryaṁ karavāvahai Tejasvi nāvadhītamastu mā vidviṣāvahai Om śhāntiḥ śhāntiḥ śhāntiḥ.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Lord, let us, as student and teacher, move forward together. Let us both partake in the fruits of knowledge. May our learning be impactful. May we draw strength from each other and not harbor any animosity. May our environment be peaceful, and our minds be calm and pure.
ॐ, देवताओं! हम अपने कर्णों (कानों) से शुभ वचन सुनें, हम अपनी आँखों से शुभ ही देखें। हम अपनी स्थिर इंद्रियों और शरीर से आपकी स्तुति करते हुए, अर्थात अपने रूप तन मन और वचनों द्वारा प्रार्थना करते हुए, हमारा देवों द्वारा दी गयी आयु (जीवन) देवों के लिए व्यतीत हो।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Devas! May we hear auspicious words through our ears. May we see auspicious things with our eyes. May we, with steady limbs and healthy bodies, praise and worship the Devas through our entire being. May our life be devoted to the service of the Devas.
63. ॐ वाङ् मे मनसि प्रतिष्ठिता । मनो मे वाचि प्रतिष्ठितम् । आविराविर्म एधि । वेदस्य म आणीस्थः । श्रुतं मे मा प्रहासीः । अनेनाधीतेनाहोरात्रान्सन्दधामि ।
हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
मेरी वाणी में मन प्रतिष्ठित हो, और मेरे मन में वाणी प्रतिष्ठित हो अर्थात मन और वाणी स्थिर हो जाये।मुझमें स्वयं प्रकट आत्मा का ज्ञान बढ़े और मैं वेदों को जानूं। वेद के ज्ञान अर्जन के लिए मेरे स्थिर मन और वाणी आधार बनें। जो मेरे द्वारा सुना गया है वह एक रूप नहीं है, लेकिन मैं इस वेद का अध्ययन, दिन और रात्रि करके इसे संयोजित करता हूँ।
“Om vaṅ me manasi pratiṣhṭhitā mano me vāchi pratiṣhṭhitam āvirāvirma edhi vedasya ma āṇīsthaḥ śhrutaṁ me mā prahāsīḥ anenādītenāhorātrān sandadhāmi.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
In my speech, let my thoughts be established, and in my thoughts, let my speech be established. In other words, may my speech and thoughts be in harmony. May my understanding of the self, which is self-evident, increase, and may I gain knowledge of the Vedas. May the knowledge from the Vedas become the foundation for my stable mind and speech. What I have heard is not just a mere sound, but by studying the Vedas day and night, I integrate and internalize their teachings.
हे देवी सरस्वती, आप हमें पावक (यज्ञ की आग) की तरह शुद्ध और शक्तिशाली ज्ञान प्रदान करें। आप हमें वाजेभिः (यज्ञोपवीत) के साथ युक्त और विजयी बनाएं। आपकी कृपा से हमारी बुद्धि को वष्टु (यज्ञ की सामग्री) में समर्पित करें ताकि हमारे ज्ञान और कर्म से हमारा जीवन रुपी यज्ञ सफल बने।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Goddess Saraswati, please bless us with pure and powerful knowledge, just like the sacred fire of a yagya (ritualistic offering). Empower us with wisdom that illuminates our minds and hearts. Guide us towards triumph. May your grace infuse our intellect into the offerings of knowledge, so that our life’s journey, like a yagya, becomes successful through knowledge and actions.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
सच्चे विचारशील लोगों की प्रोत्साहित करने वाली, सच्चे मनवालों की बुद्धि को जागरूक करने वाली, सरस्वती देवी जीवन रुपी यज्ञ में मेरी आहुति मेरे भीतर आपकी प्रेरणा से जो बुद्धि है उसे मजबूत करे (अर्थात् मेरी ज्ञान और बुद्धि को समृद्ध बनाएं।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Saraswati Devi, the goddess of knowledge and wisdom, inspires and motivates those who have genuine and thoughtful perspectives. She awakens the intellect of those with sincere intentions. In the journey of life, symbolized as a Yagya (sacred ritual), I offer my contribution. With your guidance and inspiration, may my intellect become stronger and more enriched, enhancing my knowledge and wisdom.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे देवी सरस्वती, आप ज्ञान का महासागर हैं, अपने ज्ञान की ज्योति द्वारा पूरे संसार को अपार बुद्धि और ज्ञान से प्रकाशित करती हैं।
“Maho arṇaḥ Sarasvatī pra cetayati ketunā. Dhiyo viśvā vi rājati.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Goddess Saraswati, you are the vast ocean of knowledge, and through the light of your wisdom, you illuminate the entire world with boundless intellect and knowledge.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हम त्र्यम्बकम् (तीन नेत्रों वाले भगवान शिव) का पूजन करते हैं, जो सुगंधित और जगल का पोषण करने वाले हैं। जैसे कि फलों को बेल (शाखा) के बंधन से मुक्त कर दिया जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु से अमृतत्व की प्राप्ति हो, यही प्रार्थना है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
We worship the three-eyed Lord Shiva, who is fragrant and nourishes all beings. Just as a ripe cucumber is effortlessly separated from the vine, may we be liberated from the cycle of birth and death and attain immortality.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जिनका वाहन चूहा है और जिनके हाथ में मोदक है, जिसके पंखे के समान बड़े कान हैं और जो लंबा पवित्र धागा पहना है, जो कद में छोटे हैं और श्री महेश्वर (भगवान शिव) के पुत्र हैं, अपने भक्तों की बाधाओं को दूर करने वाले श्री विघ्न विनायक के चरणों में नमस्कार है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Whose mount is a mouse and who holds a modak (sweet delicacy) in hand, Whose ears resemble large fans and who wears a long holy thread, Who is short in stature and is the son of Lord Maheshwara (Lord Shiva), I bow to the feet of Lord Vighna Vinayaka, who removes obstacles for his devotees.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हाथी (गज) के मुख वाले, भूत गणों के द्वारा सेवा किए जाने वाले, आप कपिथा (कैथा फल) और जामुन को ग्रहण करने वाले हैं। जो उमा (देवी पार्वती) के पुत्र हैं। आप समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्न-बाधा को दूर करने वाले श्री गणेश जी को, जिनके चरण कमल के समान हैं, नमन करता हूँ।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
You are the one with an elephant’s face (Gaj), served by various supernatural beings (Bhoot Gana), You consume the Kapittha and Jamun fruits, You are the son of Uma (Goddess Parvati), the destroyer of sorrow, I bow to the lotus-like feet of Lord Ganesha, the remover of obstacles and difficulties.
71. रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् । त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे भगवति! आप ही मेरे रोग, शोक, ताप और पाप को नष्ट करने वाली हैं। आप कुमति के दूषित विचारों को हरने वालीहैं। आप ही त्रिभुवन के सार हैं और इस पृथ्वी की धारक हैं, और आप ही संसार में मेरी एकमात्र गति हैं।
“Rogam śokam tāpam pāpam hara me bhagavati kumati-kalāpam । Tribhuvana-sāre vasudhāhāre tvamasi gatir mama khalu sansāre.”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Oh Goddess! You are the one who destroys my diseases, sorrows, sufferings, and sins. You dispel the tainted thoughts of my mind. You are the essence of the three worlds, the bearer of the Earth, and my sole refuge in this world.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे गंगा माता! तुम्हारे जल की तरंगे, श्रीहरि के चरणों में है, और तुम्हारी तरंगें हिम, चन्द्रमा और मोती की भाँति श्वेत हैं। कृपा करके मेरे पापों के भार को दूर करें, और मुझे भवसागर (संसार की बंधन) को पार करने में सहायता करें।
“Hari-pada-pādyataraṅgiṇi gaṅge hima-vidhu-muktā-dhavala-taraṅgiṇe । Dūrīkuru mama duṣkṛti-bhāraṁ kuru kṛipayā bhava-sāgara-pāram ॥”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
O Mother Ganga! The waves of your water is beneath the footsteps of Lord Hari (Vishnu), and your waves, as pure as the pearls and moonlight, carry the divine essence. Please relieve me of the burden of my sins and help me cross the ocean of worldly existence.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे देवि गंगा! आप देवगणों की ईश्वरी हो, हे भगवति गंगा! आप तीनों लोकों की उद्धार करने वाली हैं, आपकी तरंगें सदैव चलती रहती हैं और सुंदरता से बहती हैं। आप भगवान शंकर के सिर पर विराजमान हैं, और आपके निर्मल पदकमल में ही मेरे विचार लगे रहें।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Goddess, Queen of Devas, Bhagavati Ganga! You are the savior of the three worlds, with waves that are ever-moving and graceful. You dwell on the head of Lord Shankara (Shiva), and your pure lotus feet are the abode of my thoughts. May my mind rest upon your immaculate lotus feet.
74. रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः । रामान्नास्ति परायणंपरतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयस्सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
राम (श्रीराम) ही सभी राजाओं में श्रेष्ठ हैं, वे सदा विजयी होते हैं। मैं उन लक्ष्मीपति राम का भजन करता हूँ, जिन्होंने सम्पूर्ण राक्षसों को पराजित किया। राम को नमस्कार है। श्रीराम के समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं, मैं शरणागतों की रक्षा करने वाले श्री राम का दास हूँ। मेरा मन राम में ही लगा रहे, हे भगवान राम, आप मेरा उद्धार करें।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Rama (Lord Rama) is indeed the best among all kings; He is always victorious. I worship Lord Rama, the consort of Goddess Lakshmi, who defeated all the demons. I offer my salutations to Lord Rama. There is no other refuge like Lord Rama. I am a servant of Lord Rama, who protects the devotees. May my mind always remain focused on Lord Rama. O Lord Rama, please save me.
75. राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जब कोई व्यक्ति मन में ‘राम राम राम’ इस नाम का जाप करता है, तो वह आनंदित और मनोहर भाव में रहता है। इसका तात्पर्य है कि ‘राम’ नाम का जाप करने से मन की शान्ति, सुख, और सुरुचिपूर्णता होती है। इस जाप की महिमा है कि यह राम नाम विष्णु जी के सहस्रनाम के तुल्य है।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
When a person repetitively chants the name ‘Rama Rama Rama’ within their mind, they experience joy and delightful emotions. The essence of this is that by chanting the name ‘Rama’, one attains inner peace, happiness, and contentment. The significance of this chanting is that it holds the same magnitude as reciting the thousand names of Lord Vishnu.
76. माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः । स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥ सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु । नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
माता के रूप में भगवान राम हैं, पिता के रूप में भगवान रामचंद्र हैं। स्वामी के रूप में भी भगवान राम हैं, मेरे सखा के रूप में भगवान रामचंद्र हैं। मेरा सब कुछ भगवान रामचंद्र हैं, वह दयालु हैं। मैं उनके सिवा किसी और को नहीं जानता।
Mātā rāmo mat-pitā rāma-candraḥ Swāmī rāmo mat-sakhā rāma-candraḥ Sarvasvaṁ me rāma-candro dayālu Nānyaṁ jāne naiva jāne na jāne”
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
As a mother, there is Lord Rama; as a father, there is Lord Rama Chandra. As a master, there is Lord Rama; as a friend, there is Lord Rama Chandra. Everything is my Lord Rama Chandra; He is compassionate. I do not know anyone else except Him.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जो तीनों लोकों को प्रिय हैं, जो युद्ध क्रीड़ा में धीर हैं, जिनकी आँखें कमल के पुष्प के समान हैं, जो रघु वंश के नायक हैं, जो करुणा की मूर्ति हैं, मैं उन करुणा करने वाले, श्रीरामचंद्र की शरण में आया हूँ।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
Who is beloved to all three realms, who is courageous in the battlefield, whose eyes are like lotus petals, who is the hero of the Raghu dynasty, who is the embodiment of compassion, I seek refuge in the compassionate Lord Sri Rama.
मैं प्रातः (सुबह), संसार के भय को हरने वाले, देवताओं के ईश्वर, गंगाधर (जिनके जटाओं में देवी गंगा हैं), वृषभ वाहन वाले, देवी पार्वती के पति, हाथों में खट्वाङ्ग और त्रिशूल लेने वाले, वरदान देने वाले, अभय के हस्त वाले, ईश्वर को याद करता हूँ। वे संसार के रोगों को हरने वाले औषधि स्वरुप हैं, और मेरे लिए अद्वितीय आश्रय हैं।
English Meaning: Let’s know this sanskrit shloka meaning in English
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
I remember in the morning, the one who dispels the fear of the world, the Lord of the deities, the bearer of the Ganges (whose hair holds the sacred river Ganga), the one with the bull as his vehicle, the consort of Goddess Parvati, holding the Khadga (sword) and Trishula (trident) in his hands, the giver of boons, the one with the reassuring hand gesture, I remember that Divine Being. They are the medicine to cure the illnesses of the world, and they are my unparalleled refuge.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जिनके गले में नागराज (सर्पों के राजा) की माला है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिनके शरीर पर भस्म की धूलि है, जिनका नाम महेश्वर है, जो सदा अनन्त और पूर्ण रूप से पवित्र हैं, जो सर्वदा शुद्ध है, जो आकाश को वस्त्र के रूप में धारण करते हैं, मैं उन शिव को नमस्कार करता हूँ जिन्हे “न” कार रूप में दर्शाया जाता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Salutations to Lord Shiva, who wears the serpent king as a garland around his neck, who has three eyes, whose body is adorned with ashes, whose name is Maheshwara, who is eternally limitless and pure, who is always immaculate, who adorns the sky as his clothing, and who is symbolized by the sound ‘Na’.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जो भूतों के राजा हैं, जिनके शरीर को सर्पभूषण (नागराज की माला) से सजाया गया है, जो व्याघ्र की खाल धारण करते हैं, जिनके शिर पर जटा और तीन नेत्र हैं, जिनके हाथ में पाश और अंकुश हैं, जो भय को हरने वाले हैं, जिनके हाथ में त्रिशूल हैं, और जो वाराणसीपति हैं (काशीपति – काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Worship the great Lord Shiva, the ruler of all beings, adorned with a serpent necklace, wearing the skin of a tiger, with matted hair and three eyes. He holds the noose and goad in his hands, dispelling fear, and carrying a trident. He is the lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जिनके सिर की जटाओं में गंगा की तरंगे मनोहर लगती हैं, जिनका वाम भाग गौरी (पार्वती) द्वारा सुंदरता से अलंकृत है, जो नारायण के प्रिय हैं, जिन्होंने कामदेव के अङ्ग (शरीर) सौंदर्य के मद को नष्ट किया है, और जो वाराणसीपति हैं (काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Worship the Lord Vishwanath (Shiva), whose jata (matted hair) is adorned with the charming waves of the Ganga, whose left side is adorned with the beauty of Goddess Gauri (Parvati), who is dear to Narayana (Vishnu), and whose form has destroyed the pride of Kamadeva (the god of desire). He is the Lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
प्रथम स्वरुप शैलपुत्री, दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी, तीसरा स्वरुप चंद्रघण्टा, चौथा स्वरुप कूष्माण्डा, पांचवा स्वरुप स्कन्दमाता, छठा स्वरुप कात्यायनी, सातवा स्वरुप कालरात्रि, आठवा स्वरुप महागौरी, नौवा स्वरुप सिद्धिदात्री हैं। ये देवी दुर्गा के नौ स्वरुप हैं, जिनके नाम ब्रह्मा के द्वारा बताए गए हैं और प्रसिद्ध हैं।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
The first form is Shailaputri, the second form is Brahmacharini, the third form is Chandraghanta, the fourth form is Kushmanda, the fifth form is Skandamata, the sixth form is Katyayani, the seventh form is Kalratri, the eighth form is Mahagauri, and the ninth form is Siddhidatri. These are the nine forms of Goddess Durga, whose names are mentioned by Brahma and are well-known.
हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है।
जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं। जो समस्त गुणों के स्वामी हैं और वानरों के प्रमुख हैं। जो प्रभु श्रीराम के प्रिय भक्त हैं, जिन्हे वायुपुत्र (हनुमान) कहा जाता है, मैं उनका नमन करता हूँ।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Whose power is incomparable, whose body is as massive as a mountain of gold. Who defeated the demons and is foremost among the knowledgeable. Who possesses all qualities and is the chief of the monkeys. Who is the beloved devotee of Lord Rama and is known as the son of the wind (Hanuman). I pay my respects to him.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जहाँ जहाँ श्रीराम की कीर्ति का गान होता है, वहाँ वहाँ भगवान हनुमान हाथों की जोड़कर खड़े रहते है। उनकी आंखें प्रेम के आँसूओं से पूरी भरी होती हैं, मैं उस राक्षसों का नाश करने वाले हनुमान जी को नमस्कार करता हूँ, जो मारुती नाम से जाने जाते हैं।
“Yatra yatra raghunātha-kīrtanaṁ tatra tatra kṛtam-astakāñjalim, Vāṣpa-vāri-paripūrṇālochanam mārutaṁ namata rākṣasāntakam”
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Wherever the glory of Lord Rama’s deeds is being sung, right there, Lord Hanuman stands with folded hands. His eyes are filled with tears of love. I pay my respects to Hanuman ji, the destroyer of demons, known by the name Maruti.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता (वचन कौशल) हनुमान के स्मरण से प्राप्त होते हैं।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Through the remembrance of Hanuman, one attains intellect (wisdom), strength, fame, courage, fearlessness, good health, freedom from laziness, and skill in speech.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश (बिहार या उड़ीसा) में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। जबकि गौतम का जन्म वर्तमान नेपाल में राजा शुद्धोदन के घर हुआ था।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
In the Kali Yuga, to delude and mislead those who are against the gods, God will manifest as the son of Anjana in the region of Keekata (modern-day Bihar or Odisha). Meanwhile, Gautama Buddha was born in present-day Nepal, in the household of King Shuddhodana.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे देवी पृथ्वी, आप जिनका वस्त्र समुद्र है और पर्वतों के मण्डल आपके पयोधर हैं। हे विष्णुपत्नि आपको नमस्कार है। कृपया मेरे चरणों द्वारा आपको होने वाले स्पर्श के लिए मुझे क्षमा करें।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Goddess Earth, you whose clothing is the oceans and whose breasts are the mountain ranges, I offer my salutations to you, the consort of Lord Vishnu. Please forgive me for the touch that will be caused by my feet.
हिंदी अर्थ: इस श्लोक में देवी लक्ष्मी की प्रार्थना की गयी है। आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
हे सभी वेदों को जानने वाले अग्निदेव, मैं आपसे यह प्रार्थना करता हूँ कि आप हिरण्य वर्णा अर्थात सुनहरे रंग वाली और सोने – चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्न कांति वाली लक्ष्मी देवी का मेरे लिए आह्वान करिये।
Hiraṇyavarṇāṁ harinīṁ suvarṇarajatasrajām Chandrāṁ hiraṇmayīṁ lakṣmīṁ jātavedo ma āvaha
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
O Agnidev, knower of all the Vedas, I beseech you to invoke for me the Goddess Lakshmi, who is adorned with golden hue, wearing ornaments of gold and silver, radiant as the moon, and who bestows prosperity
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, हास्य (मुस्कान) मधुर है, हृदय मधुर है और चाल (गति) भी मधुर है॥
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Lord Madhurādhipati (Lord Krishna) is entirely sweet. His lips are sweet, His mouth is sweet, His eyes are sweet, His laughter (smile) is sweet, His heart is sweet, and even His gait (movement) is sweet.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
मैं, कमल रूपी हाथ से पकड़कर, कमल रुपी पैरों के अंगूठे को, कमल रुपी मुख में डालते हुए अर्थात चूसते हुए , वट वृक्ष के पत्तों में शयन करने वाले बालक मुकुंद (भगवान् कृष्ण) को मन से स्मरण करता हूँ।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
I mentally contemplate upon the boy Mukunda (Lord Krishna), who is holding his lotus-like feet, with his lotus-like hands and gently kiss the lotus-like mouth with his lotus-like toe, all the while He rests on the leaves of the banyan tree.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
In the lineage of the Vrishni dynasty, Bhagavan (God) appeared as the nineteenth and twentieth incarnations, manifesting in the form of Lord Krishna. Through these incarnations, he alleviated the burdens of the world.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण को, और देवकी नंदन है अर्थात देवकी के पुत्र को, ग्वाल नंद के पुत्र को, जो स्वयं भगवान श्री गोविंद हैं, मैं नमस्कार करता हूँ।
Kṛṣṇāya Vāsudevāya Devakī Nandanāya cha Nandagopa Kumārāya Govindāya Namo Namah
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
I offer my repeated salutations to Lord Krishna, the son of Vasudev and Devaki, the divine child of Nanda, the cowherd’s son, who is none other than the supreme deity Govinda.
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
सत्य ही हमेशा विजयी होता है, असत्य कभी नहीं। देव मार्ग जिससे परमात्मा की ओर जाते हैं सत्य ही है। जिस मार्ग से मनुष्य आत्म-सुख प्राप्त करता है, वह मार्ग ही सत्य के परम धाम की ओर जाता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
Truth alone triumphs; not falsehood. Through truth, the divine path is spread out by which the sages whose desires have been completely fulfilled, travel to where that supreme treasure of Truth resides.
94. विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय के लिए धर्म मित्र होता है।
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning
As a person performs actions, whether they are good or bad, they receive corresponding outcomes. The doer must inevitably experience the results of their deeds.
English Meaning: Let’s understand this sanskrit shlok with meaning in English
Through teaching a foolish student and associating with a wicked woman, even a wise person becomes dejected due to the unhappiness arising from such circumstances.
100. धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः। तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
जो धर्म को जानने वाला है, उसे धर्म का पालन करने वाला, और सदैव धर्मपरायण है। जो सभी शास्त्रों के अर्थ को समझकर उनका उपदेश करता है, वह गुरु कहलाता है।
Dharmajño dharmakartā cha sadā dharmaparāyaṇaḥ, tattvebhyaḥ sarvaśāstrārthādeshako gururuchyate.
English Meaning: Let’s understand this Sanskrit shlok with meaning
A person who knows and practices righteousness, and is always dedicated to righteous conduct, is considered a true follower of dharma. One who imparts the essence of all scriptures, their meanings, and teachings is known as a guru.
101. सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्। देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:॥
हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
मैं, वाणी अर्थात आवाज़ की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ।
जिनकी कृपा से मनुष्य देव तुल्य बन जाता है।
Saraswatim cha taam naumi vaagadhishthatri-devataam! Devatvam pratipadyante yadanugrahato janaah!!
English Meaning: Let’s understand this Sanskrit shlok with meaning
I bow to Goddess Saraswati, the presiding deity of speech, by whose grace a human being becomes like God.
102. रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः। राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।।
इस संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: आइये जानते हैं श्री राम पर इस प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में
भगवान श्रीराम धर्म के विग्रह स्वरूप हैंअर्थात मूर्त रूप हैं, वे धर्म को साधने वाले व सच्चे पराक्रमी हैं। जिस प्रकार इन्द्र देवताओं के नायक है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम सम्पूर्ण विश्व के नायक हैं।
Ramo vigrahavaan dharmassadhussatyaparakramah. Raja sarvasya lokasya devaanaam maghavaniva.
English Meaning of Popular Sanskrit Shloka: Let’s understand the meaning of this Sanskrit shlok in English
Lord Shri Ram is the embodiment of righteousness, meaning he is its personification. He upholds righteousness and is truly valiant. Just as Indra is the leader of the gods, similarly, Lord Shri Ram is the leader of the entire world.
सर्वनाम परिभाषा, भेद और उदाहरण (Sarvnam Ki Paribhasha, Bhed Aur Udahran)
सर्वनाम किसे कहते हैं? (Sarvanam Kise Kahate Hain)
सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को कहते हैं। “सर्वनाम” शब्द का विशिष्टार्थिक अर्थ होता है कि यह वे शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, तथा व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भावना, आदि की स्थिति का बोध कराते हैं। सर्वनाम प्रयुक्त संज्ञा शब्द की पहचान करने में मदद करते हैं, जैसे कि “मैं”, “तुम”, “वह”, “हम”, “आप”, “यह”, “वो”, आदि।
दूसरे शब्दों में सर्वनाम की परिभाषा ऐसे दी जा सकती है कि, संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द ‘सर्व’ और ‘नाम’ शब्दों से मिलकर बना है, सर्व+नाम, इसका यह अर्थ है कि जो नाम शब्द के स्थान पर उपयुक्त होता है उसे सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम के उदाहरण:
मैं: यह सर्वनाम व्यक्ति की स्थिति का बोध करता है, और यह निश्चित व्यक्ति की बजाय संज्ञा का नाम नहीं लेता। उदाहरण: “मैं खुश हूँ.”
वह: यह सर्वनाम किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु की स्थिति का बोध करता है। उदाहरण: “वह किताब पढ़ रहा है.”
तुम: यह सर्वनाम संभाषण के संदर्भ में उपयोग होता है और बातचीत में वक्ता की बात सुनने वाले की ओर संकेत करता है। उदाहरण: “तुम कैसे हो?”
कोई: यह सर्वनाम अनिश्चितता या अनजानी स्थिति का बोध करता है। उदाहरण: “कोई आया था.”
यह: यह सर्वनाम किसी विशिष्ट व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति की ओर संकेत करता है। उदाहरण: “यह गाड़ी मेरी है.”
ये उदाहरण सर्वनाम के विभिन्न प्रकारों को व्यक्ति, स्थान,तथा वास्तु को स्पष्ट करने में मदद कर सकते हैं।
सर्वनाम के 10 उदाहरण (Sarvanam Ke 10 Udaharan in Hindi)
सर्वनाम के 10 उदाहरण निम्नलिखित हैं:
मैं: मैं आज स्कूल नहीं जा सकता।
तुम: क्या तुमने वह किताब पढ़ी?
वह: वह शहर बहुत अच्छा है।
हम: हमें आपके साथ चलने में ख़ुशी होगी।
यह: यह फ़ोन मेरा है।
उनका: उनका घर बड़ा है।
कोई: क्या कोई मुझे मदद कर सकता है?
किसी: क्या किसी को यहाँ जानकारी है?
सभी: सभी छात्र पुस्तकालय में जा रहे हैं।
कुछ: क्या कुछ लोग खाने के लिए रुक सकते हैं?
सर्वनाम कितने तथा कौन-कौन से होते हैं? 11 सर्वनाम शब्द कौन कौन से हैं?
हिंदी भाषा में मुख्यतः 11 सर्वनाम शब्द होते हैं जिन्हे मूल सर्वनाम कहते हैं।
मैं, तू, आप, यह, वह, सो, जो, कोई, कुछ, कौन, क्या 11 सर्वनाम शब्द प्रचलित हैं।
सर्वनाम के भेद (Sarvnam ke Bhed)
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? यह प्रश्न हिंदी व्याकरण में अक्सर पूछा जाता है। आइये जानते हैं कि सर्वनाम के कितने भेद या प्रकार होते हैं:
सर्वनाम के 6 भेद होते हैं या कह सकते हैं की सर्वनाम 6 प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
पुरुषवाचक सर्वनाम
निश्चयवाचक (संकेतवाचक) सर्वनाम
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
संबंधवाचक सर्वनाम
प्रश्नवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम
1. पुरुषवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? (Purush Vachak Sarvnam)
पुरुषवाचक सर्वनाम हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाले वह सर्वनाम हैं जिनका प्रयोग व्यक्ति के लिंग और पुरुष गुण के आधार पर होता है। इन सर्वनामों का प्रयोग किसी वाक्य में पुरुष या स्त्री के रूप, संख्या, वचन आदि के अनुसार किया जाता है।
उदाहरण स्वरूप, कुछ प्रमुख पुरुषवाचक सर्वनाम हैं:
“मैं” (उत्तम पुरुष) “तुम” (मध्यम पुरुष) “वह” (अन्य पुरुष) इन सर्वनामों का प्रयोग वाक्यों में व्यक्ति के स्थान, भाग, बातचीत के प्रति संवेदना आदि के आधार पर होता है और यह भाषा के संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दूसरे शब्दों में, सर्वनाम जो उत्तम पुरुष (बोलने वाले), मध्यम पुरुष (सुनने वाले) और अन्य पुरुष (जिसके बारे में बात की जाये) के लिए आता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। या जिन शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। पुरुषवाचक सर्वनाम व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) दोनों के लिए प्रयोग किये जाते हैं।
कुछ उदाहरण जो पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रयोग की दिखाते हैं:
उत्तम पुरुष:
मैं खुश हूँ।
मैंने खाना खाया।
मध्यम पुरुष:
तुम कैसे हो?
तुमने कहाँ जाना है?
अन्य पुरुष:
वह बच्चे के साथ खेल रहा है।
उसने किताब पढ़ी।
यहाँ पर उपयोग किये गए सर्वनाम “मैं”, “तुम”, और “वह” हैं, जो उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के लिए प्रतिस्थापित होते हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद एवं प्रकार (Purushvachak Sarvanam ke Bhed)
पुरूषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम
मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम
अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम परिभाषा (Uttam Purush Vachak Sarvnam)
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग वक्ता के लिए किया जाता है, और यह वाक्य में उत्तम पुरुष की प्रतिष्ठा और महत्वपूर्णता को दर्शाने में मदद करता है। उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग व्यक्ति के स्वयं के लिए होता है जैसे कि उनकी व्यक्तिगतता, स्थान, समय, क्रिया आदि के संदर्भ में।
“मैं” और “हम” ये उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं, जो वक्ता की पहचान करने में मदद करते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों को संकेत करते हैं। “मैं” व्यक्ति के एकल रूप के लिए और “हम” समूह के लिए प्रयुक्त होते हैं।
दूसरे शब्दों में, जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अर्थात वक्ता अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘मैं’ एवं ‘हम’ उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम है।
जैसे: मैं हमारा, मैंने, मुझको, मुझसे, हमको, हमने आदि।
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
मैं: यदि कोई व्यक्ति बोलता है, “मैं खुश हूँ,” तो यह सर्वनाम “मैं” वक्ता की व्यक्तिगतता को दिखा रहा है। यह बताता है कि खुशी वाक्ता की अपनी भावना है।
हम: जब किसी समूह का प्रतिष्ठित सदस्य बोलता है, “हम कल पार्टी में आएंगे,” तो सर्वनाम “हम” उस समूह के सदस्यों की पहचान कराता है और यह दिखाता है कि पार्टी में आने की योजना समूह की संयुक्त निर्णय की है।
मैंने: मैंने आज नाश्ता नहीं किया है। इस वाक्य में ‘कर्ता’ कारक की वजह से ‘मैं’ का परिवर्तित रूप ‘मैंने’ बनकर वाक्य में प्रयुक्त हुआ है। इस वाक्य में भी जो व्यक्ति बात कर रहा है, वह स्वयं के बारे में बता रहा है। अतः इसमें भी ‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम है।
इन उदाहरणों में, “मैं” और “हम” उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम हैं, जिन्हें बोलने वाले व्यक्ति अपने लिए प्रयोग कर रहे हैं ताकि वे अपनी व्यक्तिगत या समूहिक पहचान को प्रकट कर सकें।
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण
मैं आज किताब पढ़ रहा हूँ।
मुझे यहाँ आने में थोड़ी समय लगा।
हमने मिलकर यह निर्णय लिया कि हम आज पार्टी में नहीं जाएंगे।
आपका साथ देने से मुझे खुशी होगी।
हम बच्चों के साथ खेल रहे थे जब बारिश हुई।
मेरे पास एक बड़ा स्वागत करने का रूख़ है।
हम आपके सुझाव पर यह निर्णय लेंगे।
तुम्हारे बिना यह काम मुश्किल हो सकता है।
मैंने तुम्हें वह फ़िल्म देखने के लिए पास बुलाया है।
हमने समझाया कि यह समस्या समूह के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
इन उदाहरणों में “मैं” और “हम” सर्वनाम उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त हो रहे हैं, और वे बोलने वाले व्यक्ति या समूह के लिए क्रियाओं और संवाद की प्रतिस्था को दर्शाते हैं।
मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा (Madhyam Purush Vachak Sarvnam)
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा बात सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘तू, तुम, तथा ‘आप मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम होते हैं।
ये सर्वनाम वाक्य में व्यक्ति के संदर्भ, स्थिति, उपस्थिति, या सम्बोधन के आधार पर प्रयुक्त होते हैं और उसके बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। “तू” एक व्यक्ति को संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, “तुम” समूह या व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, और “आप” भी समूह या व्यक्तियों के लिए संबोधित करने के लिए प्रयुक्त होता है, लेकिन यह आदरपूर्ण रूप में होता है।
यह सर्वनाम वाक्य की संरचना और अर्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और संवाद को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करने में मदद करते हैं।
मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम 10 के उदाहरण:
तू कैसा है?
तुम कल क्या करने वाले हो?
तू यह कैसे किया?
तुझे यह कैसे पसंद आया?
तुम्हारी आवाज बहुत मधुर है।
तुम कहाँ जा रहे हो?
तू क्या कर रहा है?
तुम लोग मिलकर यह काम कर सकते हो।
तुझे उसके बारे में क्या खबर है?
तुम यहाँ कैसे पहुँचे?
इन उदाहरणों में “तू”, “तुम”, और “तुझे” सर्वनाम मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जो बोलने वाले के संवाद साथियों या लोगों के साथ किए जा रहे हैं।
अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा (Anya Prush vachak Sarvnam)
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता एवं बात सुनने वाला किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु के लिए करते हैं, उन्हें अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘यह’ एवं ‘वह’ अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम शब्द हैं।
“यह” वाक्य में नजर आने वाले व्यक्ति या वस्तु के बारे में बात करते समय प्रयुक्त होता है, जो निकट होता है। जैसे, “यह किताब मेरी है” – यहाँ “यह” किताब की ओर संकेत कर रहा है जो वाक्य में परिचय की जा रही है।
“वह” वाक्य में उस तीसरे व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होता है, जो दूर होता है। जैसे, “वह किताब लाइब्रेरी में है” – यहाँ “वह” किताब की ओर संकेत कर रहा है जो वाक्य में उल्लिखित नहीं है, लेकिन दूर लाइब्रेरी में होती है।
इस तरीके से, “यह” और “वह” अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं जो व्यक्ति या वस्तु की स्थिति और संदर्भ को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।
अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण
यह किताब पुस्तकालय में रखी थी।
वह गाड़ी बहुत तेज चलती है।
यह मौसम बहुत गरम हो गया है।
वह डॉक्टर बनना चाहता है।
यह बच्चे किताब पढ़ रहे हैं।
वह घर का दरवाज़ा खुला है।
यह फूल बहुत सुंदर दिख रहा है।
इसकी पढ़ाई में कोई रुचि नहीं है।
यह स्थान पर्याप्त बड़ा नहीं है।
उसका सपना एक दिन पूरा होगा।
इन उदाहरणों में “यह” और “वह” अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जो बोलने वाले के द्वारा उस व्यक्ति, वस्तु या स्थिति की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जो सुनने वाले कर रहे होते हैं।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? (निश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा)
“निश्चयवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की पहचान होती है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी निश्चित तत्व से जुड़े होने का संकेत करते हैं और संवाद को स्पष्टता से प्रस्तुत करते हैं। ‘यह’ एवं ‘वह’ निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
निश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जो वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के स्थान पर किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति की पहचान किसी निश्चित तत्व से होती है जिससे भ्रम या संदेह कम होता है।
निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
खुद अपना काम करूंगा। वही लड़का प्रथम आया था। इसी किताब को पढ़ो। उसने स्वयं काम किया। खुद ही मैंने यह किया।
इन उदाहरणों में ये सर्वनाम निश्चयवाचक हैं क्योंकि वे व्यक्ति या वस्तु की पहचान को स्पष्ट करते हैं और किसी निश्चित तत्व से जुड़े होते हैं।
निश्चयवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण:
मैं अपना काम खुद करूंगा।
तुमको मेरी बात समझ में आ गई?
वह लड़का मेरे घर के बगल के स्कूल जाता है।
यह फूल सुंदर दिखता है।
इसी जगह पर हमने फोटो ली थी।
उसका घर बड़ा है।
खुद उसने यह काम किया।
स्वयं मैंने तैयारी की है।
यही जवाब सही है।
तुम्हारा पेन कहाँ है?
इन उदाहरणों में यह सर्वनाम व्यक्ति या वस्तु की पहचान को स्पष्टता से करने में मदद करते हैं और वाक्य को संवाद के संदर्भ में स्पष्टीकरण प्रदान करते हैं।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? अनिश्चयवाचक सर्वनाम का परिभाषा
जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। ‘कोई’ एवं ‘कुछ’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
“कोई” और “कुछ” दोनों ही अनिश्चयवाचक सर्वनाम होते हैं जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं होता। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं जिनकी पहचान वाक्य में नहीं होती है।
“कोई” वाक्य में उस व्यक्ति या वस्तु की पहचान के लिए प्रयुक्त होता है जो स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं है, जैसे, “कोई आया था” – यहाँ व्यक्ति की पहचान नहीं हो रही है कि कौन आया था।
“कुछ” वाक्य में उस वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत करने के लिए प्रयुक्त होता है जो स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं है, जैसे, “कुछ खाने को दो” – यहाँ खाने की विशिष्ट वस्तु का नाम नहीं दिया गया है।
सरल शब्दों में, अनिश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग वाक्य में किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध कराता है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके व्यक्ति किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं, जिनकी पहचान वाक्य में नहीं होती है। ये सर्वनाम वाक्य को अधिक अस्पष्ट और सामान्य बनाते हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
कोई: कोई आया था द्वार पर। इस वाक्य में “कोई” शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति की पहचान नहीं हो रही है, बल्कि यह बताता है कि कोई व्यक्ति द्वार पर आया था, लेकिन व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती।
कुछ: मैंने कुछ खाया। इस वाक्य में “कुछ” शब्द से खाने की विशिष्ट वस्तु का बोध नहीं हो रहा है, बल्कि यह बताता है कि मैंने कुछ खाया है, लेकिन वस्तु की प्रकृति नहीं बताई गई है।
इन उदाहरणों से आपको स्पष्ट होना चाहिए कि “कोई” और “कुछ” अनिश्चयवाचक सर्वनाम होते हैं, जिनका प्रयोग वाक्य में किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं करने के लिए किया जाता है।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम का 10 उदाहरण
कोई व्यक्ति यहाँ पर था, लेकिन अब वह गया है।
मैंने कुछ समय पहले खाना खाया था।
क्या आपने कोई नया किताब पढ़ी है?
क्या तुमने कुछ खरीदा है बाजार से?
कोई खिड़की खुली हुई है, शायद कोई घर में है।
मुझे कुछ सुनाना है, क्या तुम ध्यान से सुनोगे?
मेरी आंख में कुछ गिर गया है।
क्या तुमने कुछ नया सिखा है इन दिनों?
कोई यहाँ पर रहता है जो गाने का शौक रखता है।
उसने कुछ साल पहले एक बड़ी परियोजना पूरी की थी।
इन उदाहरणों में “कोई” और “कुछ” अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं, जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं होता है।
4. संबंधवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? संबंधवाचक सर्वनाम का परिभाषा
“संबंधवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जो किसी दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध दिखाने के लिए प्रयुक्त हो। संबंधवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में दो शब्दों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। यह सर्वनाम व्यक्ति के रिश्तों, संबंधों, दिशाओं आदि को स्पष्ट करने में मदद करते हैं। जैसे: इस -उस, जो-सो, जैसे-वैसे, जिसकी-उसकी, जितना-उतना आदि।
सरल शब्दों में, जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाए, उसे ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।
संबंधवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
जो कर्म करेगा, सो फल पावेगा। उपरोक्त वाक्य में जो-सो शब्दों का प्रयोग दोनों वाक्यों के मध्य संबंध बताने के लिए किया गया है। इस वाक्य में ‘जो’ संबंध वाचक शब्द है और ‘सो, नित्यसंबंधी या सह-संबंधवाचक शब्द है।
जिसके पास धन होता है उसके पास सब होता है। उपरोक्त वाक्य में संबंध सूचक शब्द जिसके और उसके हैं। इन दोनों शब्दों को संबंध कारक के विभक्ति चिह्न ‘के’ को जोड़कर बनाया गया है।
संबंधवाचक सर्वनाम का 10 उदाहरण
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
जिसका काम उसका नाम।
वह कौन है, जो पड़ा रो रहा है।
जो आज आएगा, सो इनाम पावेगा।
जो मेहनत करेगा, सो सफल होगा।
जो कर भला, तो सो हो भला।
तुमनें जो कार मांगी थी, यह वही कार है।
यह वही आदमी है, जिसका पुत्र परीक्षा में अव्वल आया है।
जिसको आना है, वह आ सकता है।
राम बहुत समय से गायब है, उसने कुछ नहीं बताया
इन संबंधवाचक सर्वनामों का प्रयोग संबंध की स्थितियों को स्पष्ट करने और संवाद को और भी स्पष्ट बनाने में किया जाता है।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? प्रश्नवाचक सर्वनाम की परिभाषा
“प्रश्नवाचक सर्वनाम” वे सर्वनाम होते हैं जिनसे वाक्य में प्रश्न का भाव प्रकट होता है। इन सर्वनामों का प्रयोग करके वाक्य प्रश्नवाचक बनता है और उसके द्वारा संदर्भित व्यक्ति, वस्तु या स्थिति के बारे में प्रश्न पूछा जाता है।
प्रश्नवाचक सर्वनाम के 10 उदाहरण
क्या तुमने खाना खाया?
कौन वह लड़का है?
कहाँ जा रहे हो आप?
कब तक तुम वहाँ रुकोगे?
किसनेयह खबर सुनाई?
कैसे आपने यह काम किया?
कितना/कितनी बार आपने यह फिल्म देखी?
क्यों तुमने यह कदर नहीं की?
किसका/किसकी यह बच्चा है?
किस/किसे तुम यह बता रहे हो?
इन प्रश्नवाचक सर्वनामों का प्रयोग करके वाक्य में प्रश्न का भाव प्रकट होता है और संवाद को प्रश्नात्मक बनाने में मदद मिलती है।
6. निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? निजवाचक सर्वनाम का परिभाषा
जो सर्वनाम तीनों पुरुष (उत्तम, मध्यम और अन्य) में अपना होने की अवस्था या निजता का भाव प्रकट करते हैं, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
वे सर्वनाम होते हैं जिनका प्रयोग किसी वाक्य में कर्ता को व्यक्त करने के लिए होता है, लेकिन कर्ता का व्यक्तित्व या व्यक्तिगतता बताने के लिए नहीं होता। निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग व्यक्ति की क्रिया के संदर्भ में किया जाता है जब कर्ता उसी क्रिया का प्राप्तकर्ता होता है।
निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है। जैसे – मैं आप वहीं से आया हूँ हम आप वही कार्य कर रहे थे।
निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे – उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बने। वह औरों को नहीं, अपने को सुधार रहा है।
सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे – आप भला तो जग भला। अपने से बड़ों का आदर करना उचित है।
संज्ञा को अंग्रेज़ी में “Noun” कहते हैं। संज्ञा एक आम हिंदी व्याकरण शब्द है जो वस्तुओं, इंसानों, स्थानों, भावनाओं आदि के नाम को दर्शाता है। इसके अलावा, संज्ञा एक वस्तु, व्यक्ति या स्थान के विशेष गुण, परिदृश्य या प्रकार को भी प्रदर्शित कर सकता है। संज्ञा व्याकरण में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और व्याकरण के सभी भागों में इसका इस्तेमाल होता है।
दूसरे शब्दों में, संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव, स्थान, गुण और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
जैसे – मोहन (व्यक्ति), कलम (वस्तु), सुन्दरता (गुण), प्रेम (भाव), दिल्ली (स्थान), आदि।
संज्ञा के 10 उदाहरण (Sangya Ke 10 Udaharan Hindi Mein)
किताब (Kitab): “मेरे पास एक किताब है।” (I have a book.)
फल (Phal): “कृपया मुझे एक फल दीजिए।” (Please give me a fruit.)
शहर (Shahar): “वह नगर शहर में रहता है।” (He/she lives in a big city.)
भारत (Bharat): “भारत एक समृद्ध देश है।” (India is a prosperous country.)
पुस्तकालय (Pustakalay): “मैं पुस्तकालय जा रहा हूँ।” (I am going to the library.)
गांव (Gaon): “मेरे दादा-दादी गांव में रहते थे।” (My grandparents used to live in the village.)
बच्चा (Baccha): “वह एक मस्त बच्चा है।” (He/she is a lively child.)
ट्रेन (Train): “हम ट्रेन से सफर करेंगे।” (We will travel by train.)
सूरज (Sooraj): “सूरज उगता है और डूबता है।” (The sun rises and sets.)
बिल्कुल (Bilkul): “मैं आपके विचार से बिल्कुल सहमत हूँ।” (I completely agree with your thoughts.)
ये संज्ञा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, जीव, और स्थानों को दर्शाते हैं।
संज्ञा के अन्य उदाहरण (Sangya Ke Example)
व्यक्ति का नाम – आरव, प्रिया, सोनाली, शिवम्, अदिति वस्तु का नाम – कलम, लाठी, चौकी, अलमारी, पंखा गुण का नाम – सुन्दरता, ईमानदारी, चालाकी, बेईमानी, बुद्धिमानी भाव का नाम – प्रेम, दया, ग़ुस्सा, आश्चर्य, क्रोध, दुख स्थान का नाम – बनारस, दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, पटना
संज्ञा कितने प्रकार की होती है? संज्ञा के प्रकार (Sangya Ke Prakar)
संज्ञा 5 प्रकार की होती है। इसका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है:
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)
द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya)
समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Vyaktivachak Sangya Kise Kahate Hain)
व्यक्तिवाचक संज्ञा को हिंदी व्याकरण में “व्यक्ति के नाम को प्रकट करने वाली संज्ञा” के रूप में वर्णित किया जाता है। यह संज्ञा वह शब्द होती है जिससे किसी व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, जैसे कि व्यक्ति, शहर या वस्तु के नाम, उपनाम, इत्यादि। इसे नामसंज्ञा भी कहा जाता है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएं वाचक के साथ अविच्छेद्य रूप से संबंधित होती हैं, अर्थात् व्यक्ति के नाम को अलग कर दिया जाए तो वाक्य का अर्थ परिवर्तित हो जाएगा।
जैसे राम, मोहन, जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका – ये सभी व्यक्तिवाचक संज्ञाएं हैं। परन्तु शेर, बाघ, हाथी, शहर, किताब आदि व्यक्तिवाचक संज्ञाएं नहीं हैं क्योंकि इनसे सीधे किसी व्यक्ति, स्थान तथा वस्तु का नाम नहीं प्रकट होता है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण
नमन गाता है।
आरुषि मेरी दोस्त है।
महेंद्र सिंह धोनी एक महान बल्लेबाज है।
दिल्ली में लाल किला है।
दिल्ली भारत की राजधानी है।
मैं जयपुर में रहता हूँ।
आगरा में ताजमहल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश गए हैं।
रमेश दौड़ रहा है।
शौर्य खेल रहा है।
नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री है।
उज्जवल गांव गया है।
राघव के पिता अध्यापक हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य यह है कि यदि किसी वाक्य में किसी व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उस वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा होती है, न कि जातिवाचक संज्ञा।
इसलिए, वाक्य में जब व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उसमें व्यक्तिवाचक संज्ञा का होना सही होता है, क्योंकि वह संज्ञा व्यक्ति के नाम को प्रकट कर रही होती है।
उदाहरण के लिए:
“राम एक ब्राह्मण है।” – यहां “राम” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
“नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं।” – यहां “नरेंद्र मोदी” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
“रामायण के बहुत अच्छी पुस्तक है।” – यहां “रामायण” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह पुस्तक विशेष को प्रकट कर रही है।
“गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है।” – यहां “गंगा” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह नदी विशेष को प्रकट कर रही है।
“सचिन तेंदुलकर महान क्रिकेटर है।” – यहां “सचिन तेंदुलकर” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह क्रिकेटर विशेष को प्रकट कर रही है।
“जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे।” – यहां “जवाहर लाल नेहरू” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
“महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट खेलते हैं।” – यहां “महेंद्र सिंह धोनी” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह खिलाड़ी विशेष को प्रकट कर रही है।
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Jativachak Sangya kise Kahate Hain)
जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। इस संज्ञा से समस्त जाति की पहचान होती है, जैसे कि व्यक्ति की जाति, प्राणी की जाति, या वस्तु की जाति।
दूसरे शब्दों में, जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण:
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “राम एक ब्राह्मण है।” में “ब्राह्मण” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति की जाति को बता रही है।
गाय, भैंस, बिल्ली, कुत्ता – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे प्राणी की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “यह भैंस दूध देती है।” में “भैंस” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो प्राणी की जाति को बता रही है।
दिल्ली, मुंबई, वाराणसी – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे स्थान की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “वाराणसी भारत के पवित्र शहरों में से एक है।” में “वाराणसी” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो स्थान की जाति को बता रही है।
इस प्रकार, जातिवाचक संज्ञा से व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है।
जातिवाचक संज्ञा के 20 उदाहरण
राधा कोसोने की चीज़े बहुत पसंद है।
लक्ष्मी का घर नदी के पास है।
अमिताभ बच्चन एक एक्टर है।
सचिन तेंदुलकर एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं।
मछलीपानी में रहती है।
गाय को भारत में माता कहा जाता है।
कुत्ता वफादार जानवर होता है।
महिलाएं बहुत खरीदारी करती है।
मुझे पुस्तक पढ़ना अच्छा लगता है।
अमीरी आदमी में घमंड ले आता है।
जानवरनदियों में पानी पीते हैं।
गांव में फैसले पंचायत करती है।
भारत में बहुत सारे जिले हैं।
तुम कभी हवाईजहाज में बैठे हो?
लड़केशहर जा रहे हैं।
मुझे बिल्ली पालना पसंद है।
मुझे ट्रेन का सफर पसंद है।
कारसड़क से जा रही है।
मानव सबसे पुरानी प्रजाति है।
शेर एक जानवर है।
भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Bhavvachak Sangya Kise Kahte Hain?
भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जिससे किसी व्यक्ति या पदार्थ की भाव या स्थिति का बोध होता है। इसके जरिए हम किसी की भावना, विचार, भाव, अनुभूति, या वर्तमान स्थिति को प्रकट करते हैं। इन संज्ञाओं का वाक्य में प्रयोग करने से हम उन व्यक्तियों की भावनाओं और स्थितियों को समझते हैं जो वाक्य के विषय होते हैं।
दूसरे शब्दों में, वह शब्द जिनसे हमें भावना का बोध होता हो, उन शब्दों को भाव वाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya) कहा जाता है। अर्थात् वह शब्द जो किसी पदार्थ या फिर चीज का भाव, दशा या अवस्था का बोध कराते हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
भाववाचक संज्ञाकेउदाहरण:
खुशी, दुख, प्रेम, विश्वास, घबराहट – ये सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसका दुखी होना दिल को छू गया।” में “दुखी” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।
डर, सम्मोहन, आश्चर्य, भयानकता, सफलता – ये भी सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसे अपने सम्मोहक अंदाज से सभी को आकर्षित कर लिया।” में “सम्मोहक” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।
प्रेम, भला, महता, सुन्दरता, मदुर्ता,सत्य, कोमलता, क्रोध, प्रसन्नता, बचपन, जवानी, बुढ़ापा, आश्चर्य, लालच, जवानी इत्यादि भी भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। इस प्रकार, भाववाचक संज्ञाएं व्यक्ति या पदार्थ की भावनाओं या स्थितियों को प्रकट करने में मदद करती हैं।
भाववाचक संज्ञा के 20 उदाहरण:
सोनाली की आवाज मिठास से भरी है।
यहां पर मिठास शब्द से आवाज के मीठेपन का बोध होता है। अतः मिठास एक भाववाचक संज्ञा है।
तुमसे मिलने के बाद हमारे स्कूल की यादें ताजा हो गई है।
यहां पर यादें शब्द से भाव का बोध हो रहा है। यादें भाववाचक संज्ञा है।
समीर का पूरा बचपन खेलने और कूदने में बिता है।
यहां पर बचपन शब्द हमारे बचपन से सम्बन्ध रखता है अर्थात् बच्चे का भाव होने का बोध करा रहा है, इसलिए बचपन यहाँ भाववाचक संज्ञा है।
मेरी लम्बाई मेरे दोस्त से अधिक है।
यहां पर मेरे लम्बे होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लम्बाई में भाववाचक संज्ञा है।
भारत एक अमीर देश है।
यहां पर भारत के अमीर होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर अमीर में भाववाचक संज्ञा है।
ईमानदारी से बड़ा कोई धर्म नहीं।
यहां पर ईमानदारी शब्द एक भावना प्रकट कर रहा है, इसलिए यहां पर ईमानदारी भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।
आज के समय में हमारी दोस्ती मजबूत हो रही है।
यहां पर दोस्ती शब्द हमारे भाव को दर्शा रहा है, इसलिए यहां पर भाववाचक संज्ञा है।
बगीचे में फूल सुंदर है।
यहां पर सुंदर बगीचे के सुंदर होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर सुंदर में भाववाचक संज्ञा है।
मैं तुम्हे बहुत प्रेम करता हूँ।
यहां पर प्रेम शब्द हमारे भाव का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर प्रेम में भाववाचक संज्ञा है।
मैं बहुत गुस्सा हूँ।
यहां पर मेरे गुस्सा होने का बोध हो रहा है, अतः यहां पर गुस्सा भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।
भाववाचक संज्ञा बनाने की विधि (भाववाचक संज्ञा की पहचान कैसे करें?)
भाववाचक संज्ञाएं बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संज्ञा और विशेषणों का प्रयोग किया जा सकता है। नीचे कुछ नियम दिए गए हैं जो भाववाचक संज्ञाएं बनाने में मदद करते हैं:
नामधारी विशेषणों का प्रयोग: विशेषणों के द्वारा व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, खुशीयों की संज्ञा – खुश, आनंदित, प्रसन्न, खिलखिलाता इत्यादि।
वाच्य विशेषणों का प्रयोग: कुछ विशेषण वाच्य की भावनाओं को प्रकट करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दुखीयों की संज्ञा – पीड़ित, दु:खी, दुखी, विकलांग इत्यादि।
अव्यय का प्रयोग: अव्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, आश्चर्यचकित की संज्ञा – अचंभित, आश्चर्यचकित, अचरजित इत्यादि।
प्रत्यय का प्रयोग: कुछ प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, भयानकता की संज्ञा – भयानक, भयावह, दरावना इत्यादि।
विशेष प्रत्यय का प्रयोग: कुछ विशेष प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दु:खद की संज्ञा – दु:खदा, दु:खदायी, दु:खदायक इत्यादि।
अर्थात जातिवाचक संज्ञा, क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय में ता, आस, पा, अ, पन, ई, आव, वट, य, हट, त्व आदि लगाकर भाववाचक संज्ञा में बदला जाता है।
भाववाचक संज्ञा के अन्य उदाहरण:
हमारी मित्रता हमेशा याद रहेगी।
अपनी ताकत को कम मत समझो।
उसे अच्छी शिक्षा का लाभ मिला।
उसका इतना बड़ा अहंकार था।
मुझे तुम पर बहुत विश्वास है।
उसे ऊंचाई से डर लगता है।
मुझे उनसे ज्यादा सहानुभूति नहीं है।
क्या आप दर्द से पीड़ित हैं?
उसे अपने पिता के प्रति बहुत गुस्सा आता है
आपको अपने काम पर अधिक गर्व करना चाहिए।
अहंकार सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन है।
उन्होंने अफवाह पर विश्वास नहीं किया।
मुझे कल रात बिल्कुल भी नींद नहीं आई।
समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Samuh Vachak Sangya ki Paribhasha)
“समूहवाचक संज्ञा” वह शब्द है जिससे किसी वस्तु या व्यक्ति के समूह होने का बोध होता है। इसका अर्थ है कि जब हम एक समूह के सदस्यों को एक ही शब्द से संबोधित करते हैं, जिससे उनके समूह की पहचान हो जाती है, तो उसे “समूहवाचक संज्ञा” कहते हैं।
जब हम किसी समूह को एक समूहवाचक संज्ञा से संबोधित करते हैं, तो वह संज्ञा उस समूह की पहचान करवाती है और हमें वह समूह की बारे में सारी जानकारी देती है। समूहवाचक संज्ञाएँ व्यक्ति, जीव, वस्तु, या अवस्था के एक विशिष्ट समूह को संक्षेप में सूचित करती हैं।
उदाहरण के लिए, “छात्र” एक व्यक्ति के लिए एक शब्द है, लेकिन जब हम कहते हैं “छात्र समूह” तो यह एक समूह की पहचान हो जाती है, जिसमें कई छात्र शामिल हो सकते हैं। इसी तरह “परिवार”, “गण”, “सेना”, “समुदाय” आदि भी समूहवाचक संज्ञाएँ हैं।
परिवार: “परिवार” एक समूहवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति के नाते-बंधों से मिलता-जुलता है। एक परिवार में अधिकतर समय एकत्रित होते हैं और एक साथ रहते हैं।
समुदाय: जब हम “समुदाय” कहते हैं, तो इससे हमें किसी स्थान के लोगों का एक समूह समझ में आता है, जो अपनी संस्कृति, भाषा, और सांस्कृतिक परंपराओं में समानता रखते हैं।
सेना: “सेना” एक समूहवाचक संज्ञा है जिससे हमें युद्ध के लिए संगठित किया गया व्यक्तियों का समूह समझ में आता है।
समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे संवाद को सरल और संक्षेप्त बनाती हैं, और लोगों के बीच संवाद को सुगम बनाने में मदद करती हैं। इसलिए, समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा का महत्वपूर्ण तत्व हैं जो संवाद में स्पष्टता प्रदान करते हैं।
समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण:
भारतीय सेना बहुत ही साहसी सेना है। यहां पर सेना शब्द से सैनिकों के समूह का बोध होता है, इसलिए यहां पर सेना में समूहवाचक संज्ञा हैं।
मेरे परिवार में पांच सदस्य है। यहां पर परिवार में हमें सदस्यों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए परिवार शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
जंगल में हिरणों का झुण्ड रहता है। यहां पर झुण्ड शब्द से हमें यह बोध होता है कि हिरण अधिक संख्या में है, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
मैंने आज एक अंगूरों का गुच्छा खाया। यहां पर गुच्छा अधिक अंगूरों के होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर गुच्छा शब्द में समूहवाचक संज्ञा है।
आज मेरी कक्षा नहीं लगेगी। यहां पर कक्षा शब्द से विद्यार्थियों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
वहां पर हाथियों का झुण्ड आया था। यहां पर झुण्ड में अधिक हाथी थे, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
आज मैंने 2 दर्जन आम खरीदे। यहां आपर दर्जन शब्द से हमने पता चलता है कि आम की संख्या अधिक है, इसलिए यहां पर दर्जन शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
आज हमारी सभा में हुई। यहां पर सभा शब्द से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोगों की उपस्तिथि थी, इसलिए सभा शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
मेरी कक्षा में मैं सबसे पहले स्थान पर हूँ। यहां पर कक्षा शब्द से बोध होता है कि विद्यार्थियों का समूह है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
मैंने बधाई के रूप में उसको फूलों का गुलदस्ता दिया है। यहां पर गुलदस्ता शब्द यह होता है कि फूल का समूह है, इसलिए यहां पर गुलदस्ता शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
सुरेश ने एक करतब दिखाया तो वहां पर भीड़ जमा हो गई। यहां पर भीड़ से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोग है अर्थात् लोगों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर भीड़ शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
भारतीय टीम ने वर्ड कप जीता है। यहां पर टीम शब्द से खिलाडियों के समूह का बोध होता है, इसलिए टीम शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
कल रात में पुलिस ने रंगे हाथों चोरों के गिरोह को गिरफ्तार किया। यहां पर गिरोह शब्द से चोरों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर गिरोह शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है। केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है, इस वाक्य में घार शब्द से केले के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में घार समूहवाचक संज्ञा है।
वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है। वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है, इस वाक्य में गुच्छा शब्द से चारों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में गुच्छा समूहवाचक संज्ञा है।
बगीचे में बहुत ही छांव है। बगीचे में बहुत ही छांव है, इस वाक्य में बगीचे शब्द से वृक्षों के समूह होने का बोध हो रहा है अतः इस वाक्य में बगीचा समूहवाचक संज्ञा है।
कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है। कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है, इस वाक्य में मेला शब्द से लोगों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात मेला इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।
आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है। आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है, इस वाक्य में छत्ता शब्द से मधुमक्खियों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात छत्ता इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।
द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Dravya Vachak Sangya ki Paribhsha)
द्रव्यवाचक संज्ञा वह शब्द है जिससे किसी विशेष द्रव्य के बोध का अर्थ होता है। द्रव्य किसी भी वस्तु, पदार्थ, धातु, अधातु, या तत्त्व को संदर्भित कर सकता है। यह संज्ञा विशेष वस्तुओं को अन्य वस्तुओं से अलग करने में मदद करता है और उनके पहचानने में सहायक होता है।
दूसरे शब्दों में, वह शब्द जो किसी तरल, ठोस, धातु, अधातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध कराते हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है। द्रव्यवाचक संज्ञा का पदार्थ एक साथ ढेर के रूप में तोली या मापा जाता है।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण:
पानी: यह एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो पानी को संदर्भित करता है।
चाय: यह भी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो चाय को संदर्भित करता है।
वायु: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो वायु को संदर्भित करता है।
सोना: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो सोने को संदर्भित करता है।
इसलिए, द्रव्यवाचक संज्ञा विशेष वस्तुओं के बोध के लिए उपयोगी होती है।
इसी तरह, कागज, पेंसिल, दूध, धूप, पतंग, खाली बोतल, आदि के लिए भी उनके नामों का उपयोग करके हम द्रव्यों की पहचान करते हैं।
द्रव्यवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण
कोहिनूर हीरा सबसे महंगा है। यहां पर हमें हीरा शब्द से बोध हो रहा है कि यह द्रव्य है, इसलिए यहां पर हीरा द्रव्यवाचक संज्ञा का एक उदाहरण है।
सुनार के पास सोना है। यहां पर सोना शब्द से द्रव्य का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सोना शब्द में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
मैं पानी पीने के लिए जा रहा हूँ। यहां पर हमें पानी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए पानी द्रव्यवाचक संज्ञा है।
सोने का रंग सुनहरा होता है। यहां पर सोना द्रव्य का बोध करा रहा है, इसलिए सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
चाँदी के आभूषण बहुत सुंदर होते हैं। यहां पर चाँदी से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर चाँदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
मुझे फल बहुत पसंद है। यहां पर फल हमें द्रव्य होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
मैं सब्जी लेकर आया हूँ। यहां पर सब्जी शब्द से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सब्जी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
लोहा बहुत महंगा हो रहा है। यहां पर लोहा से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
आज मैंने दूध पिया है। यहां पर दूध से द्रव्य होने का हमें बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर दूध में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) | विलोम शब्द | Vilom Shabd in Hindi | महत्वपूर्ण विलोम शब्द | विलोम शब्द हिंदी में PDF | Opposite Words in Hindi
विलोम शब्द हिंदी में (Vilom Shabd in Hindi)
विलोम शब्द किसे कहते हैं?
विलोम शब्द हिंदी में (Vilom Shabd in Hindi): “विलोम शब्द” को हिंदी में “विपरीतार्थक शब्द” या “विलोमार्थी शब्द” भी कहा जाता है। विलोम शब्द (Vilom Shabd) एक ऐसा शब्द है जो किसी दूसरे शब्द का विपरीतार्थक (उल्टा) अर्थ बताता है। विलोम शब्द का अंग्रेज़ी पर्याय ‘Antonyms’ या “Opposite Words” होता है। इन शब्दों के अर्थ एक दूसरे से बिल्कुल उलटे होते हैं। उदाहरण के लिए, “अच्छा” का विलोम शब्द “बुरा” है, और “सफल” का विलोम शब्द “असफल” है।
यहां कुछ प्रसिद्ध हिंदी विलोम शब्दों के उदाहरण दिए गए हैं:
अच्छा – बुरा सफल – असफल प्रसन्न – दुखी दयालु – क्रूर आत्मविश्वास – अविश्वास उपर्युक्त – नीचे दिया गया इस तरह विलोम शब्द भाषा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें शब्दों के अर्थों के साथ उनके विपरीत शब्दों को समझने में मदद करते हैं।
विलोम शब्द बनाने की विधि: विलोम शब्द कैसे बनाये जाते हैं?
विलोम शब्द बनाने की विधि आसान होती है। विलोम शब्द बनाने के लिए आपको उस शब्द के अर्थ के विपरीतार्थक शब्द खोजने होते हैं, जिससे उस शब्द के विलोम शब्द मिल जाएं। निम्नलिखित हैं कुछ विलोम शब्द बनाने की विधियां:
उपरोक्त और नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द बनाएं:
अच्छा – बुरा सफल – असफल प्रसन्न – दुखी दयालु – क्रूर आत्मविश्वास – अविश्वास उपर्युक्त – नीचे दिया गया
पूरक और अपूरक के विलोम शब्द बनाएं:
समृद्धि – कंगाली सुख – दुःख प्रशांत – अशांति जीवन – मृत्यु ज्ञान – अज्ञान
संख्या के विलोम शब्द बनाएं:
एक – शून्य दो – शून्य तीन – शून्य छह – शून्य सौ – शून्य
विशेषण के विलोम शब्द बनाएं:
उच्च – नीच सुंदर – बदसूरत छोटा – बड़ा ताज़ा – पुराना मजबूत – कमज़ोर
नाम के विलोम शब्द बनाएं:
राम – रावण सीता – सूर्पणखा भारत – लंका पाण्डव – कौरव द्रौपदी – दुष्शासन
यहां दिए गए उदाहरण विलोम शब्दों के लिए एक साधारण विधि है। आप भाषा में और भी विलोम शब्द (Vilom Shabd) बनाने के लिए विभिन्न शब्दों का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान दें कि विलोम शब्दों के अर्थ एक-दूसरे से बिलकुल उलटे होते हैं।
10 विलोम शब्द कैसे लिखें? 10 महत्वपूर्ण विलोम शब्द
अच्छा – बुरा
सफल – असफल
प्रसन्न – दुखी
जीवंत – मृत
शांत – अशांत
भविष्य – भूत
दृढ़ – कमज़ोर
आनंद – विषाद
सत्य – झूठ
भारी – हल्का
विलोम शब्द के 50 उदाहरण क्या हैं? 50 Vilom Shabd in Hindi
शब्द - विलोम
शब्द - विलोम
अँधेरा - उजाला
अकाल - सुकाल
अंकुश - निरंकुश
अकेला - साथ
स्वीकार - अस्वीकार
अक्रूर - क्रूर
अंगीकार - इनकार
अक्षम - सक्षम
अंडज़ - पिंडज
अक्षर - क्षर
अंत - अनंत
अक्सर - कभी कभार
अंत - आदि
अखाद्य - खाद्य
अंत - प्रारम्भ
अगठित - गठित
अंतरंग - बहिरी
अगम - गम
अंतर - बाह्य
अगला - पिछला
अंतर - सतत
अग्नि - जल
अंतर्द्वन्द - बहिर्द्वन्द
अग्र - पश्च
अंतर्मुखी - वहिर्मुखी
अग्राह्य - ग्राह्य
अंतिम - प्रथम
अग्रिम - अन्तिम
अंतिम - प्रारंभिक
अघम - उत्तम
अंदर - बाहर
अचल - चल
अंदरूनी - बाहरी
अचिंतनीय - चिंतनीय
अंधकार - प्रकाश, आलोक
अचेत - सचेत
अंशतः - पूर्णतः
अछूत - छूत
अंसंतुष्ट - संतुष्ट
अजल - निर्जल
अकर्त्तव्य - कर्त्तव्य
अजीब - अनोखा
अकर्मण्य - कर्मण्य
अजेय - जय
अकलुष - कलुष
अज्ञ - प्रज्ञ,विज्ञ
अकाम - सकाम
अज्ञान - ज्ञान
अकाम - सुकाम
अज्ञानी - ज्ञानी
100 का विलोम शब्द क्या है? 100 Vilom Shabd in Hindi
शब्द - विलोम
शब्द - विलोम
अटल - चंचल
अनैतिक - नैतिक
अतल - वितल
अनैतिहासिक - ऐतिहासिक
अति - अल्प
अन्तरंग - बहिरंग
अतिथि - आतिथेय
अन्तर्मुखी - बर्हिमुखी
अतिरिक्त - अनतिरिक्त
अन्दर - बाह्य
अतिवृष्टि - अनावृष्टि
अपकर्ष - प्रकर्ष, उत्कर्ष
अत्यधिक - स्वल्प
अपकार - उपकार
अत्यन्त - अनत्यन्त
अपकीत्ति - सुकीर्ति
अत्र - तत्र
अपचय - उपचय
अथ - इति
अपचार - उपचार
अदोष - सदोष
अपना - पराया
अधः - उपरि
अपमान - सम्मान
अधम - उत्तम, श्रेष्ठ, महान
अपराधी - निर्दोष, निरपराध
अधर्म - धर्म
अपराह्न - पूर्वाह्न
अधर्म - सधर्म
अपव्यय - मितव्यय
अधिकतम - न्यूनतम
अपूर्ण - पूर्ण
अधिक - न्यून, कम
अपेक्षा - उपेक्षा
अधिकारी - अनधिकारी
अपेक्षित - अनपेक्षित
अधिकारी - अनाधिकारी
अपेक्षित - उपेक्षित
अधुनातन - पुरातन
अप्रत्यक्ष - प्रत्यक्ष
अधूरा - पूरा
अप्रभावि - प्रभावित
अधोगामी - ऊर्ध्वगामी
अप्रसन्न - प्रसन्न
अधोमुखी - ऊर्ध्वमुखी
अप्रिय - प्रिय
अध्यवसाय - अनध्यवसाय
अबला - सबला
अनभिज्ञ - अभिज्ञ, भिग, भिज्ञ
अभिमान - नम्रता
अनय - नय
अभिमान - निरभिमान
अनवसर - सुअवसर
अभिमानी - निराभिमानी
अनागत - आगत
अभिमुख - विमुख
अनातुर - आतुर
अभिव्यक्त - अनाभिव्यक्त
अनादर - आदर
अभिशाप - आशीर्वाद, वरदान
अनाम - नाम
अभीष्ट - अन्भिष्ट
अनाहूत - आहूत
अभ्यंतर - बाहूय
अनिच्छा - इच्छा
अनभ्यस्त - अभ्यास, अभ्यस्त
अनिवार्य - वैकल्पिक
अमंगल - मगल
अनिष्ट - इष्ट
अमर - मर्त्य
अनुकूल - प्रतिकूल
अमावस्या - पूर्णिमा
अनुग्रह - निग्रह, विग्रह
अमीर - गरीब
अनुचित - उचित
अमृत - विष
अनुज - अग्रज
अराग - सुराग
अनुपमा - उपमेय
अरुचि - सुरुचि
अनुमति देना - मना करना
अर्थ - अनर्थ
अनुरक्त - विरक्त
अर्पण - ग्रहण
अनुरक्ति - विरक्ति
अर्पित - गृहीत
अनुराग - विराग, द्वेष
अर्वाचीन - प्राचीन
अनुर्तीण - उर्तीण
अलभ्य - लभ्य
अनुर्वरा - उर्वरा
अलौकिक - लौकिक
अनुलोम - विलोम, प्रतिलोम
अल्प - अधिक, बहुत
अनृत - ऋत, तथ्य
अल्पकालीन - दीर्घकालीन
अनेक - एक
अल्पज्ञ - बहुज्ञ
अनेकता - एकता
अल्पसंख्यक - बहुसंख्यक
100 विलोम शब्द हिंदी में PDF (Download PDF of 100 Vilom Shabd in Hindi)
हमने 100 महत्वपूर्ण विलोम शब्दों की सूची बनायीं है, आप 100 विलोम शब्द हिंदी में PDF download कर सकते हैं। 100 विलोम शब्द हिंदी में PDF download करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
100 विलोम शब्द हिंदी में (100 Opposite Words in Hindi)
शब्द - विलोम
शब्द - विलोम
अल्पायु - दीर्घायु, चिरायु
आद्र - शुष्क
अवकाश - अनवकाश
आधार - निराघार, अनाधार
अवनत - उन्न्त
आधुनिक - प्राचीन
अवनति - उन्नति
आध्यात्मिक - आधिभौतिक
अवनि - अम्बर
आध्यात्मिक - भौतिक
अवर - प्रवर
आना - जाना
अवरोध - अनवरोध
आपद - निरापद
अवरोह - आरोह
आबाल - वृद्ध
अवलम्ब - निरालम्ब
आभ्यंतर - बाह्य
अवसा - प्रसाद
आम - ऱवास
अशुभ - शुभ
आमिष - निरामिष, सामिष
असंतोष - संतोष
आयत - निर्यात
असभ्य - सभ्य
आय - व्यय
असमय - सुसमय
आयात - निर्यात
असली - नकली
आरम्भ, आदि - अन्त
असाधारण - साधारण
आरूढ़ - अनारूढ़
असाध्य - साध्य
आरोह - अवरोह
असीम - सीमित
आरोही - अवरोही
अस्त - उदय
आर्द्र - शुष्क, अनार्द्र
अस्पृश्य - स्पृश्य
आर्य - अनार्य
अस्वस्थ - स्वस्थ
आर्ष - अनार्ष
आकम्पित - निष्कंप
आलंब - निरालंब
आकर्षक - अनाकर्षक
आलोक - अंधकार
आकर्षक - विकर्षण, प्रतिकर्षण
आलोक - अन्धकार, तिमिर
आकर्ष - विकर्ष
आवक - जावक
आकांक्षा - अनाकांक्षा
आवरण - निरावरण
आकार - निराकार
आवर्तक - अनावर्तक
आकाश - पाताल
आवश्यक - अनावश्यक
आकुंचन - प्रसारण
आवाहन - विसर्जन
आकुंच - प्रसारण
आविर्भाव - तिरोभाव
आगत - अनागत
आवृत - अनावृत
आगमन - प्रस्थान, गमन
आशा - निराशा
आगामी - गत, विगत
आशीर्वाद - अभिशाप
आग्रह - दुराग्रह
आश्रित - अनाश्रित
आचार - अनाचार
आसक्त - अनासक्त, निरासक्त
आच्छादित - अनाछ्दित
आस्तिक - नास्तिक
आजादी - गुलामी
आस्था - अनास्था
आज्ञा - अवज्ञा
आहत - अनाहत
आडंबर - निराडंबर
आहार - अनाहार, निराहार
आतप - छाया, अनातप
आह्वान - विसर्जन
आतप - निरातप
इंसाफ - गैंर - इंसाफ
आतुर - अनातुर
इकट्टा - अलग
आतुर - शांत
इकहरा - दुहरा
आत्मा - परमात्मा
इच्छा - अनिच्छ
आत्मावलंबी - परावलंबी
इच्छुक - अनिच्छुक
आदर - निरादर
इति - अथ, आदि
आदान - प्रदान
इधर - उधर
आदि - अनादि
इश्वर - अनीश्वर, जीव
आदिष्ट - निषिद्ध
इष्ट - अनिष्ट
आदृत - अनादृत
इहलोक - परलोक
200 Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) विलोम शब्द
शब्द - विलोम
शब्द - विलोम
ईद - मुहरंम
ऐन्द्री - इन्द्र
ईप्सित - अनीप्सित
ऐश्वर्य - अनैश्वर्य
ईमानदार - बेइमान
ऐहिक - पारलौकिक
ईमानदार - बेईमान
ओछा - गम्भीर
ईर्ष्या - प्रेम
ओजस्वी - निस्तेज
ईश - अनीश
ओतप्रोत - विहीन
ईश्वर - जीव, अनीश्वर
ओदीच्य - दाक्षिणात्य
ईहा - अनीहा
औचित्य - अनौचित्य
उऋण - ऋण
औदत्य - अनौदात्य
उक्त - अनुक्त
औद्धत्य - अनौद्धत्य
उगना - डूबना
औपचारिक - अनौपचारिक
उग्र - सौम्य
औरत - आदमी
उचित - अनुचित
औरस - दत्तक
उच्च - निम्न
औषधि - अनौषधि
उज्ज्वल - धूमिल
कंटक - निष्कंटक
उतर - दक्षिण
कच्चा - पक्का
उतार - चढाव
कटु - मघु, मृदु
उतीर्ण - अनुत्तीर्ण
कठिन - सरल, सहज
उत्कर्ष - अपकर्ष
कठोर - दयालु, कोमल
उत्कर्ष - विकर्ष, निकृष्ट
कड़वा - मीठा
उत्तम - अनुत्तम, अधम
कड़ा - मुलायम, नरम
उत्तमर्ण - अधमर्ण
कडुवा - मीठा
उत्तर - दक्षिण
कदाचार - सदाचार
उत्तरायण - दक्षिणायन
कदाचित - निश्चित
उत्तरार्द्ध - पूर्वार्द्ध
कनिष्ठ - वरिष्ठ, ज्येष्ठ
उत्तीर्ण - अनुत्तीर्ण
कन्या - वर
उत्तेजित - शमित
कपटी - निष्कपट
उत्थान - पतन
कपूत - सपूत
उत्थित - पतित
कम - अधिक, ज्यादा
उत्पतन - निपतन, अवतरण
करीबी - दूर के
उत्पत्ति - प्रलय, विनाश
करुण - क्रूर, निष्ठुर
उत्साह - निरुत्साह, अनुत्साह
करुण - निष्करुण, अकरुण, निष्ठुर
उदय - अस्त
करुण - निष्ठुर
उदयाचल - अस्ताचल
करुणा - क्रूरता, निष्ठुरता
उदान्त - अनुदान्त
कर्कश - क्रोमल, मधुर, सुशील
उदार - अनुदार, कृपण
कर्कश - मधुर
उदास - प्रसन्न, प्रफुल्ल
कर्म - अकर्म, निष्कर्म
उदित - अस्त
कर्मठ - अकर्मण्य
उदीची - प्रतीची
कर्मठ - आलसी
उद्गम - विलय
कर्मण्य - अकर्मण्य
उद्घाटन - समापन
कर्षण - विकर्षण
उद्देश्य - निरुद्देश्य
कलयुग - सतयुग
उद्धत - विनत, विनीत
कलुष - निष्कलुष
उद्यम - निरुद्यम
कल्पनातीत - काल्पनिक
उद्यमी - आलसी, निरुद्यमी
कल्पित - वास्तविक
उधार - नकद, नगद
कसूरवार - बेकसूर
उन्नत - अवनत
कानूनी - गैरकानूनी
उन्नयन - अवनयन
काम - आराम, निष्कर्म, निष्काम
उन्मीलन - निमीलन
कायर - साहसी, निडर
उन्मुख - विमुख
कार्य - अकार्य
उन्मुलन - मुलन, रोपण
किनारा - बीच
उपकार - अपकार
कीर्ति - अपकीर्ति
उपकारक - अपकारक
कुकर्म - सुकर्म
उपचार - अनुपचार, अपचार
कुकृत्य - सुकृत्य
उपजाऊ - बंजर
कुटिल - सरल
उपजीव्य - उपजीवी
कुत्सा - प्रशंसा, स्तुति
उपमेय - अनुपमेय
कुपात्र - सुपात्र
उपयोगी - अनुपयोगी
कुपुत्र - सुपुत्र
उपर्सग - प्रत्यय
कुपोषण - पोषण
उपस्थित - अनुपस्थित
कुमार्ग - सुमार्ग, सन्मार्ग
उपादेय - अनुपादेय
कुरूप - सुरूप, सुन्दर
उपार्जित - स्वयंप्राप्त
कुलटा - पतिव्रता
उपेक्षा - अपेक्षा
कुलदीप - कुलांगर
उरुकृष्ट - निकृष्ट
कुसंगति - सत्संगति
उर्वर - अनुर्वर
कुसंग - सुसंग
उर्वरा - बंजर
कुसुम - वज्र
उष्ण - शीत, शीतल
कृतज्ञ - कृतघ्न
उष्ण - शीतल
कृत्रिम - प्रकृत, स्वाभाविक, नैसर्गिक
ऊँच - नीच
कृपण - उदार, दानी, दाता
ऊँचा - नीचा
कृपणता - उदारता
ऊर्द्ध - अधर
कृपा - कोप, अकृपा
ऊर्ध्वमुख - अधोमुख
कृश - पुष्ट, स्थूल, प्रवृद्ध
ऊषा - संध्या
कृष्ण - शुक्ल, श्वेत
ऊष्मा - शीतलता
कैद - छूट
ऊसर - उपजाऊ
क्रमबद्ध - क्रमहीन
ऋजु - कुटिल, वक्र
क्रय - विकय
ऋजु - वक्र
क्रुद्ध - शांत
ऋण - धन
क्रूर - सदय
ऋणात्मक - धनात्मक
क्रोध - क्षमा
ऋत - अनृत
क्रोधी - अक्रोधी, प्रस्रन्न
ऋद्धि - विपन्न
क्षमा - क्रोध
एक - अनेक
क्षुद्र - महान्
एकतंत्र - बहुतंत्र
खंडित - अखंडित
एकता - अनेकता
खग - मृग
एकत्र - विकीर्ण
खगोल - भूगोल
एकनिष्ठ - सर्वनिष्ठ
खण्ड - अखण्ड
एकमुखी - बहुमुखी
खण्डन - मण्डन
एकल - बहुल
खरा - खोटा
एकश्रुत - बहुश्रुत
खरीदना - बेंचना
एकांकी - अनेकांकी
खरीद - बिक्री
एकांगी - सर्वांगीण
खलनायक - नायक
एकाकी - दुकेला
खाद्य - अखाद्य
एकाग्र - चंचल
खास - आम
एकाधिकार - सर्वाधिकार
खिलना - मुरझाना
एकेश्वरवाद - बहुदेववाद
खीझना - रीझना
एड़ी - चोटी
खुबसूरत - बदसूरत
एषणा - अनैषणा
खुला - बन्द
ऐक्य - अनैक्य
खुश - नाखुश, गमगीन, दुखी
ऐच्छिक - अनैच्दिक
खुशबु - बदबू
ऐतिहासिक - अनैतिहासिक
खुशी - गम
400+ विलोम शब्द हिंदी में | विपरीतार्थक शब्द | Vilom Shabd in Hindi
शब्द - विलोम
शब्द - विलोम
खेचर - भूचर
तिक्त - मधुर
खेद - प्रसन्नता, हर्ष
तिमिर - ज्योति, आलोक
खोलना - बाँधना
तिमिर - प्रकाश, ज्योति
ख्यात - कुख्यात
तीक्ष्ण - कुँठित
गंधदायक - गंधाहारक
तीक्ष्ण - कुन्द
गंभीर - चंचल
तीव्र - मन्द
गगन - धरा, पृथ्वी
तुकान्त - अतुकान्त
गठियाना - खोलना
तुक्ष - महान्
गड़बड़ - सही
तुच्छ - महान
गणतंत्र - राजतन्त्र
तुलनीय - अतुलनीय
गण्य - नगण्य
तुष्ट - रूष्ट
गत - आगत
तृप्त - अतृप्त, तृषित
गतिमान - स्थिर
तृषा - तृप्ति
गतिरोध - निर्विरोध
तृषित - तृप्त
गति - विराम, अवरोध
तृष्णा - वितृष्णा, तृप्ति
गद्य - पद्य
तेज - धीमा
गन्दा - साफ़
तेजस्वी - निस्तेज
गमन - आगमन
त्तटस्थ - पक्षपाती
गमनीय - अगमनीय
त्यक्त - ग्रहीत
गम्भीर - उथला, वाचाल, चपल
त्यागी - स्वार्थी
गरल - सुधा, अमृत
त्याज्य - अत्याज्य
गरिमा - लघिमा
त्याज्य - ग्राह्य
गरीब - अमीर, धनी
थकावट - स्फूर्ति
गर्म - ठंडा
थल - जल
गर्मी - सर्दी
थाह - अथाह
गलत - सही
थोक - फुटकर, खुदरा
गहरा - छिछला
थोड़ा - बहुत, अपार, ज्यादा
गाँव - शहर
दंड - क्षमा
गाड़ना - उखाड़ना
दंड - क्षमा, पुरस्कार
गाढ़ा - पतला
दक्षिण - उत्तर, वाम
गाय - बैल
दमित - उत्तेजित
गीत - अगीत
दयालु - क्रूर, निर्दयी
गीर्ण - उदगीर्ण
दयालु - निर्दय
गीला - सूखा
दरिद्र - सम्पन्न, धनी
गुण - दोष, अवगुण
दाएँ - बाएँ
गुणाढ्य - गुणहीन
दाता - कृपण, कंजूस
गुणी - निर्गुणी, दोषी
दाता - शूम, भिखारी, भिक्षुक, याचक
गुप्त, गुह्य - प्रकट
दानी - कृपण
गुरु - शिष्य, लघु
दास - प्रभु
गूढ़ - प्रकट
दास - स्वामी
गृहस्थ - सन्यासी
दिनचर्या - रात्रिचर्या
गृही - त्यागी, अगृही, सन्यासी
दिवा - रात्रि, निशि
गेय - अगेय
दीर्घकाय - लघुकाय, कृशकाय, क्षीणकाय
गोचर - अगोचर, गोतीत
दीर्घ - हस्व
गोपनीय - प्रकाशनीय
दीर्घ - ह्रस्व, सूक्ष्म, लघु
गोरी - साँवली
दीर्घायु - अल्पायु
गौण - मुख्य
दुःखी - सुखी
गौरव - लाघव
दुःशील - सुशील
ग्रस्त - मुक्त
दुःसाध्य - सुसाध्य
ग्रहीता - दाता
दुराग्रह - आग्रह
ग्राम - विशिष्ट
दुराचार - सदाचार
ग्रामीण - शहरी, नागरिक
दुराचारी - सदाचारी
ग्राम्य - नगर
दुर्गति - सद्गति
ग्राम्य - शिष्ट
दुर्गम - सुगम
ग्राह्य - त्याज्य, अग्राह्य
दुर्जन/दुष्ट - सज्जन
ग्रिहत/गृहस्थ - संन्यस्त, संन्यासी, ब्रह्मचारी
दुर्दान्त - शान्त
ग्रीष्म - शरद
दुर्दिन - सुदिन
घटक - समुदाय
दुर्निवार - निर्वार्य
घटना - बढना
दुर्बल - सबल
घटना - बढ़ना
दुर्बुद्धि - सुबुद्धि
घटिया - बढ़िया
दुर्भाग्य - सौभाग्य
घना - विरल
दुर्भाव - सद्भाव
घनिष्ट - दूरस्थ
दुर्लभ - सुलभ
घनेरा - नगण्य
दुष्कृति - सुकृति
घमंड - विनय
दुष्ट - सज्जन
घमासान - सामान्य
दूर के - करीबी
घर - बाहर
दूर - पास, निकट
घरेलू - बाहरी, वन्य
दूरवर्ती - निकटवर्ती
घाटा - मुनाफा
दूश्यकाव्य - श्रव्यकाव्य
घाटी - पर्वत
दूषित - स्वच्छ
घातक - रक्षक
दूषित - स्वच्छ, सित
घात - प्रतिघात
दृढ़ - विचलित
घृणा - स्नेह, प्रेम
दृदांत - शांत
घोष - निर्घोष, अघोष
दृश्य - अदृश्य
घोषित - अघोषित
दृष्ट - अदृष्ट
चंचलता - स्थिरता
देय - अदेय
चंचल - स्थिर
देर - सबेर, जल्द
चढना - ढलना
देर - सबेर, जल्दी
चढ़ाव - उतार
देवता - राक्षस
चतुर - मूढ़, मूर्ख
देवत्व - दानवत्व
चपल - गंभीर
देव - दानव
चपल - स्थिर
देश - परदेश, विदेश
चमकदार - चमकहीन
देह - विदेह
चमकहीन - चमकदार
देहाती - शहरी
चय - अपचय
दैत्य/दानव - देव, देवता
चर - अचर
दैविक - भौतिक
चरित्रवान - चरित्रहीन
दैहिक - ऐहिक
चर्चित - अचर्चित
दोष - गुण
चल - अचल
दोषी - निर्दोष
चाँदनी - अँधेरी
द्रुत - विलंबित
चांचल्य - स्थैर्य
द्वन्द्व - शान्ति
चाटुकार - स्वाभिमानी
धनवान - निर्धन, दरिद्र
चातुर्य - मूढ़ता, मूर्खता
धनी, धनिक - निर्धन, दरिद्र
चारु - अचारु
धनी - निर्धन, गरीब
चालाक - बेवकूफ
धरा - गगन
चालू - सुस्त, बंद
धर्म - अधर्म
चिंतत - निश्चिन्त
धवल - कृष्ण, श्याम
चिंतित - निश्चिंत
धीर - अधीर
चिकना - खुरदरा
धीरोदात्त - धीरोद्वत्त
चिकना - रुखड़ा
धूप - छाँह
चित्र - विचित्र
धृष्ट - नम्र
चिन्मय - अचिन्मय
धैर्य - अधैर्य
चिन्मय - जड़, अचिन्मय
ध्रुव - अस्थिर
चिरंजीवी - अल्पजीवी
ध्वंस - निर्माण
चिरंतर - नश्वर
नकली - असली
चिर - नवीन, अचिर
नगर - ग्राम
चिरन्तर - नश्वर
नगर - ग्रामीण
चिरायु/दीर्घायु - अल्पायु
नजदीक - दूर
चुस्त - ढीला
नज़रबंद - नजरमुक्त
चुस्त - सुस्त, ढीला, शिथिल
नद - नदी
चेतन - अचेतन, जड़
नफा - नुकसान
चेतना - मूर्च्छा
नमकहराम - नमकहलाल
चेष्ट - निष्चेष्ट
नम - शुष्क, खुश्क
चोर - पुलिस
नमाज - कलमा
चोर - साधु
नया - पुराना
च्युत - संयुत
नर - नारी, मादा
छंदबद्ध - छंदहीन
नराघम - नरोत्तम
छद्म - व्यक्त
नश्वर - अनश्वर, शाश्वत
छल - निश्छल, निष्कपट
नागरिक - ग्रामीण
छली, छल - निश्छल, निष्कपटी
नापाक - पाक
छाँह - धूप
नारी - नर
छात्र - छात्रा
नास्तिक - आस्तिक
छादन - प्रकाशन
निंदा - स्तुति
छाया - आतप, धूप, प्रकाश, रोशनी
निकास - प्रवेश
छिन्न - संलग्न
निगलना - उगलना
छूट - कैद
निजी - सरकारी, सार्वजनिक
छूत - अछूत
निडर - डरपोक
छेद्य - अछेद्य
निदा - स्तुति
छोटा - बड़ा
निद्रा - जागरण
जंगम - स्थावर
निम् - उच्च
जंगल - मरुभूमि
निरर्थक - सार्थक
जंगली - पालतू
निरामिष - सामिष
जटिल - सरल
निरालम्ब - अवलम्ब
जड़ - चेत्तन
निर्जीव - सजीव
जनता - सरकार
निर्दोष - सदोष
जब - तब
निर्मल - मलिन
जमीन - आसमान
निर्माण - विनाश
जय - पराजय
निर्लज्ज - सलज्ज
जरा - जवानी
निर्विरोध - गतिरोध
जल्लाद - देवता
निशीथ - मध्याहृ
जवानी - बुढ़ापा
निश्चिंत - चिंतित
जागरण - निद्रा
निश्चेष्ट - सचेष्ट
जागृति - सुषुप्ति
निषिद्ध - विहित
जाग्रत - सुषुप्त
निषेध - विधि
जाड़ा - गर्मी
निष्काम - सकाम
जात - परजात
नीरस - सरस
जाति - कुजाति
नेकी - बदी
जीना - मरना
नेम - कुनेम
जीव - निर्जीव
नैतिक - अनैतिक
जीवात्मा - परमात्मा
नैसर्गिक - कृत्रिम
जीवित - मृत
न्याय - अन्याय
जेय - अजेय
न्यून - अधिक
जोड़ - घटाव
पंडित - मूर्ख
ज्ञान - अज्ञान
पक्ष - विपक्ष
ज्योति - तम, तिमिर
पतन - उत्थान
ज्योतिर्मय - तपोमय
पतनोन्मुख - विकासोन्मुख
ज्वार - भाटा
पता - खोज, लापता
झंकृत - निस्तब्ध
पदावनति - पदोन्नति
झगड़ा - मेल, मिलाप
पनी - आग
झगड़ा - शान्ति
पमुख - सामान्य
झीना - गाढ़ा
परकीय - स्वकीय
झूठ - सच
परतंत्रता - सवतंत्रता
झूठा - सच्चा
परतंत्र - स्वतंत्र
झोपड़ी - महल
परमार्थ - स्वार्थ, आत्मार्थ
टल - अटल
पराया - अपना
टीका - भाष्य
परिचित - अपरिचित
टूटना - जुड़ना
परिश्रम - विश्राम
ठंडा - गर्म
परिश्रमी - आलसी, कामचोर
ठहरना - जाना
परोपकारी - स्वार्थी
ठिगना - लम्बा
पर्णकुटी - महल, प्रासाद
ठीक - गलत
पल - घंटा
ठोस - तरल
पवित्र - अपवित्र
ठोस - द्रव, तरल, खोखला
पश्चिम - पूर्व
डरपोक - निडर, साहसी
पहुँचना - छूटना, खुलना
डाल - पत्ती
पाप - पुण्य
ढंग - बेढंग, कुढंग
पालक - संहारक
ढलना - चढ़ना
पालतू - जंगली
ढाढस - त्रास
पालन - संहार, पीड़न
ढाल - तलवार
पाश्चात्य - पूर्वीय
ढालवाँ - चढ़ाव, चढ़ाई
पास - दूर
ढालू - समतल
पुरस्कार - तिरस्कार, दंड
ढीठ - विनम्र
पुरातन - कूस्वा नवीन
ढीठ - संकोची
पुरुष - स्त्री
तट - मझधार
पुष्ट - अपुष्ट, क्षीण
तटस्थ - सापेक्ष
पूरब - पश्चिम
तनय - तनया
पूरा - अधुरा
तनुता - पुष्टता
पूर्चाह्न - अपराह्न
तन्द्रा - जागरण
पूर्णतः - अंशतः
तन्वंगी - स्थूलंगी
पूर्णता - अपूर्णता
तप्त - शीत
पूर्णिमा - अमावस्या
तम - आलोक
पूर्व - पश्चिम, उतर, उपर
तम - प्रकाश, आलोक
पूर्ववर्ती - परवर्ती, उत्तरवर्ती
तरल - ठोस
पृथु - तनु
तरुण - वृद्ध
पेट - पीठ
तल - अतल
पोषक - शोषक
तलवार - ढाल
प्रकट - गुप्त
ताप - शीत
प्रकाश - अंधकार, - छाया, - तिमिर
तामसिक/तमस - सात्विक
प्रख्यात - अख्यात
तारीफ - शिकायत
प्रघान - गौण
तारुण्य - वार्द्धक्य
प्रज्ञ - मूढ़
Vilom Shabd in Hindi (Antonyms) विलोम शब्द | विपरीतार्थक शब्द
वाक्यांश के लिए एक शब्द | वाक्यांश के लिए एक शब्द हिंदी में | अनेक शब्दों के लिए एक शब्द | Vakyansh Ke Liye Ek Shabd | Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi | Anek Shabdon ke liye Ek Shabd
वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi)
वाक्यांश किसे कहते हैं?
वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi): वाक्यांश एक वाक्य का एक छोटा सा भाग होता है जो सम्पूर्ण अर्थ को नहीं प्रस्तुत करता, लेकिन एक सम्पूर्ण वाक्य का अंश होता है। इसमें कम से कम एक पूर्ण क्रिया होती है। वाक्य के पूर्ण अर्थ को समझने के लिए वाक्यांशों को संयोजित किया जाता है। वाक्यांश के द्वारा विचारों, कार्यों, समय और स्थान के बारे में संक्षेप्त जानकारी प्रदान की जाती है। इन वाक्यांशों को सम्बोधन, आदेश, सवाल, अभिवादन, और विचार प्रकट करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, वाक्यांश भाषा में अधिक संघटित विचारों को संक्षेप्त रूप में प्रस्तुत करते हैं और वाक्य को संयोजित करके विस्तृत विचार प्रस्तुत करने में मदद करते हैं। यह भाषा के संबोधन, आदेश, प्रश्न, अभिवादन आदि के रूप में उपयोगी होते हैं।
वाक्यांश का उदाहरण: पूर्ण वाक्य: “श्याम अपने दोस्तों के साथ खेल रहा है।” वाक्यांश: “श्याम खेल रहा है।”
इस उदाहरण में, पूर्ण वाक्य में सम्पूर्ण अर्थ है कि श्याम खेल रहा है, और वाक्यांश में भी यही बात कही जा रही है। लेकिन, पूर्ण वाक्य और वाक्यांश में अंतर यह है कि वाक्यांश में कुछ शब्द हैं जो पूर्ण वाक्य के बाकी हिस्से के बिना एक सम्पूर्ण विचार को प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं।
वाक्यांश के कुछ और उदाहरण:
राम पानी पी रहा है।
माला मिठाई खा रही है।
बच्चे खेलते हुए हँस रहे हैं।
पक्षियों को आकर्षित कर रही है।
गुलाबी फूल खिल रहे हैं।
बैंक में लोग कतार में खड़े हैं।
नेहा गाना गा रही है।
सोनिया खुशी से नाच रही है।
दादा पुस्तक पढ़ रहे हैं।
प्रदीप अपनी बाइक चला रहा है।
वाक्य और वाक्यांश में अंतर होता है?
वाक्य और वाक्यांश में अंतर निम्नलिखित हैं:
पूर्णता: वाक्य एक पूर्ण अवस्था में होता है, जिसमें वह एक सम्पूर्ण विचार को प्रकट करता है और सम्पूर्ण भाषा संरचना का पालन करता है। इसके विपरीत, वाक्यांश अधूरा रहता है और वह एक पूर्ण विचार को प्रकट नहीं करता, यह एक अध्यात्मिक और अपूर्ण अवस्था में होता है।
विस्तार: वाक्य अधिक विस्तृत होता है और एक या एक से अधिक वाक्यांशों से मिलकर बनता है। वाक्यांश छोटे और संक्षिप्त होते हैं और अक्सर एक वाक्य के भीतर होते हैं।
वाक्यता: वाक्य अपने आप में पूर्णता का प्रतीक होता है और वह अपने में एक अखंड विचार प्रस्तुत करता है। विपरीत, वाक्यांश एक अपूर्ण विचार को प्रस्तुत करता है और अपने में एक सम्पूर्ण वाक्य का अंश होता है।
अन्तर्भाव: वाक्य और वाक्यांश का अन्तर्भाव भाषा की एक महत्वपूर्ण भेद है। वाक्य भाषा का मूल इकाई होता है, जो विचारों को समझाने के लिए पूर्णता प्रदान करता है। विपरीत रूप से, वाक्यांश वाक्य के भाग के रूप में एक छोटा सा अंश होता है, जो विचार को संक्षेप्त रूप से प्रस्तुत करता है।
वाक्यांश के लिए एक शब्द
वाक्यांश के लिए एक शब्द किसे कहते हैं?
किसी भी वाक्य में निहित वाक्यांश का अपना एक अर्थ होता है, उसी अर्थ को एक शब्द में लिखने की कला को वाक्यांश के लिए एक शब्द कहते हैं। इस एक शब्द में वाक्यांश का वास्तविक अर्थ समझ आता है। चूँकि वाक्यांश 2 या 2 से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है इसलिए इस प्रक्रिया को हम अनेक शब्दों के लिए एक शब्द भी कहते हैं। जब हम किसी वाक्यांश को सिर्फ एक शब्द में लिखते हैं, तो उसे “संक्षेपित वाक्य” या “अभिलेखित वाक्य” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह एक प्रकार की क्षमता है जिससे भाषा का उपयोग प्रतियोगिताओं, छोटे संकेतिक लेखों, या सामान्य संदेशों में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक वाक्यांश या दो-तीन शब्दों में पूरा संदर्भ या विचार व्यक्त होता है। इसका उद्देश्य बहुत सारी भाषा का इस्तेमाल करते हुए लफ्जों को कम करके जल्द से जल्द विचार का प्रकट करने में सहायक होना होता है।
Vakyansh ke liye ek shabd (वाक्यांश के लिए एक शब्द के उदाहरण)
वाक्यांश के लिए एक शब्द ( Vakyansh Ke Liye Ek Shabd)
1 महीने में होने वाला- मासिक
1 सप्ताह में होने वाला -साप्ताहिक
100 वर्षों का समय- शताब्दी
4 राहों वाला -चौराहा
अंडे से जन्म लेने वाला- अंडज
अचानक हो जाने वाला- आकस्मिक
अच्छा बुरा समझने की शक्ति का अभाव - अविवेक
अण्डे से जन्म लेने वाला — अण्डज
अत्यधिक बढ़ा–चढ़ा कर कही गई बात — अतिशयोक्ति
अधिक दिनों तक जीने वाला -चिरंजीवी
अधिक देर तक रहने वाला या चलने वाला – टिकाऊ
अधिकार या कब्जे में आया हुआ -अधिकृत
अधिकारी जो अपने अधीन कार्य करने वाले कर्मचारी पर निगरानी रखें -अधीक्षक
अध्ययन( पढ़ने) का काम करने वाला -अध्येता
अध्यापन( पढ़ाने) का काम करने वाला- अध्यापक
अनुकरण करने योग्य - अनुकरणीय
अनुभव प्राप्त -अनुभवी
अनुमान किया हुआ -अनुमानित
अनुवाद करने वाला -अनुवादक
अनुवाद किया हुआ -अनुदित
अनेक राष्ट्रों में आपस में होने वाली बात -अंतरराष्ट्रीय
अपनी इच्छा के अनुसार काम करने वाला- इच्छाचारी
अपनी इच्छा से दूसरों की सेवा करने वाला- स्वयंसेवक
अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए किया गया अग्नि प्रवेश – जौहर
अपने आप अपनी हत्या करना। – आत्महत्या
अपने आप पर विश्वास- आत्मविश्वास
अपने देश के साथ विश्वासघात करने वाला -देशद्रोही
अपने देश से प्यार करने वाला -देशभक्त
अपने पति के प्रति अनन्य अनुराग रखने वाली -पतिव्रता
अपने पद से हटाया हुआ -पदच्युत
अपने परिवार के साथ सपरिवार
अपने बल पर निर्भर रहने वाला- स्वावलंबी
अभिनय करने वाला पुरुष- अभिनेता
अभिनय करने वाली स्त्री - अभिनेत्री
अभी-अभी जन्म लेने वाला -नवजात
अविवाहित महिला — अनूढ़ा
अविवाहित लड़की -कुमारी
आंख की बीमारी -दृष्टि दोष
आंखों के सामने- प्रत्यक्ष
आंखों से परे - परोक्ष
आकाश के पिंडों का विवेचन करने वाला शास्त्र – खगोलशास्त्र
आकाश को. चूमने वाला – गगनचुंबी
आकाश में रहने वाले जीव - नभचर
आगे आने वाला — आगामी
आगे का विचार न कर सकने वाला — अदूरदर्शी
आगे होने वाला - भावी
आज्ञा का पालन करने वाला- आज्ञाकारी
आदेश की अवहेलना — अवज्ञा
आदेश जो निश्चित अवधि तक लागू हो — अध्यादेश
आधे से अधिक लोगों की सम्मिलित एक राय- बहुमत
आय से अधिक व्यय करने वाला -फिजूलखर्ची
आलस करने वाला - आलसी
आलोचना करने वाला – आलोचक
आलोचना करने वाला- आलोचक
आवश्यकता से अधिक धन का संचय न करना — अपरिग्रह
आवश्यकता से अधिक बरसात — अतिवृष्टि
आश्चर्य में डाल देने वाला कार्य – चमत्कार
इंद्रियों की पहुंच से बाहर - अतींद्रिय
इंद्रियों को जीतने वाला- जितेंद्रिय
इंद्रियों को वश में करने वाला- इंद्रजीत
इतिहास का ज्ञाता -इतिहासज्ञ
इतिहास से संबंध रखने वाला -ऐतिहासिक
ईश्वर में आस्था ना रखने वाला -नास्तिक
ईश्वर में आस्था रखने वाला - आस्तिक
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश- न्यायमूर्ति
उच्च वर्ण के पुरुष के साथ निम्न वर्ण की स्त्री का विवाह- अनुलोम विवाह
उतरती युवावस्था का- अधेर
उत्तर दिशा- उदीची
उपकार की प्रति किया हुआ उपकार - प्रत्युपकार
उपचार या ऊपरी दिखावे के रूप में होने वाला- औपचारिक
उपर लिखा गया – उपरिलिखित
उसी समय का -तत्कालीन
ऊपर आने वाला श्वास- उच्छवास
ऊपर कहा हुआ - उपर्युक्त
ऊपर की ओर जाने वाली- उर्ध्वगामी
ऊपर की ओर बढ़ती हुई साँस- उर्ध्वश्वास
ऊपर लिखा गया- उपरिलिखित
एक देश से माल दूसरे देश में आने की प्रक्रिया -आयात
एक देश से माल दूसरे देश में जाने की प्रक्रिया -निर्यात
एक स्थान से दूसरे स्थान को हटाया हुआ- स्थानांतरित
एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला – जंगम
ऐतिहासिक युग के पूर्व का - प्रागैतिहासिक
ऐसा जो अंदर से खाली हो - खोखला
कच्चे मांस की गंध- विस्र
कठिनाई से प्राप्त होने वाला – दुर्लभ
कठिनाई से समझने योग्य- दुर्बोध
कम अक्ल वाला- अल्पबुद्धि
कम खर्च करने वाला- मितव्ययी
कम जानने वाला- अल्पज्ञ
कम बोलने वाला- मितभाषी
कमर के नीचे पहने जाने वाला वस्त्र — अधोवस्त्र
कमल के समान गहरा लाल रंग- शोण
कर या शुल्क का वह अंश जो किसी कारणवश अधिक से अधिक लिया जाता है-अधिभार
बच्चों को Rhyming words कैसे सिखाएं? Easy English Rhyming Words List
तुकबंदी (rhyming words) वाले शब्द वे होते हैं जिनकी ध्वनि एक जैसी होती है। उदाहरण के लिए ट्री (Tree), बी (Bee), फी (Fee)। सरल शब्दों में, यह समान ध्वनियों की पुनरावृत्ति है। बच्चे नई जानकारी तेज़ी से सीखते हैं, इसलिए आप उन्हें जितनी अधिक rhyming words वे उतना ही अधिक याद रखेंगे। लेकिन कभी-कभी उन्हें एक छोटे effort आवश्यकता होती है।