प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Long Essay on Pollution, its Types and Causes in Hindi)
प्रस्तावना
आज का युग औद्योगिक युग है। हम अपने विकास के नाम पर अनेक फैक्ट्री, औद्योगिक प्लांट्स, कल-कारखाने आदि का तेज़ी से निर्माण कर रहे हैं साथ ही साथ पृथ्वी पर उपस्थित प्राकृतिक सम्पदा का दोहन भी कर रहे हैं। आज का मानव, औद्योगिकरण में इस तरह फँस गया है कि वह अपने पर्यावरण को शुद्ध नहीं रख पा रहा है। आज के युग की सबसे गंभीर समस्या है जिससे हमारा वातावरण दूषित हो रहा है, प्रदूषण है। प्रदुषण की समस्या मानव तथा जीव-जंतुओं के लिए विभिन्न रूपों में हानिकारक सिद्ध हो रहा है। जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि भी इसके मुख्या कारणों में से एक है। प्रदूषण की समस्या किसी एक व्यक्ति समूह अथवा देश की समस्या नहीं है बल्कि यह विश्व व्यापी समस्या बन चुकी है। प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ मानव जाति पर ही नहीं अपितु सभी जीव जंतुओं तथा निर्जीव पदार्थों पर भी पड़ता है। यह प्रदूषण का ही व्यापक असर है जिस कारण मानव जाति अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही है।
प्रदूषण का कारण
यह हमारी पृथ्वी का पर्यावरण ही है जिस कारण यहॉं मानव जीवन संभव हो पाया है। लेकिन आधुनिक समय में विकास और प्रगति के नाम पर मनुष्य ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना आरंभ कर दिया है। ऐसे में पर्यावरण का संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। इसे ही हम पर्यावरण प्रदूषण के नाम से जानते हैं।पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव और जीव-जंतुओं का अस्तित्व मिटने की कगार पर आ गया है। इसके कारण न जाने कितनी ही जीव-जंतु विलुप्त हो गए और ना जाने कितने मनुष्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए। प्रदूषण मुख्य रूप से हवा, पानी और वातावरण में विद्यमान होकर हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
जैसे जैसे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वैसे वैसे प्राकृतिक संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग और दुरुपयोग भी होने लगा है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुद्ध वातावरण और प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो गया है। औद्योगिकरण और अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों ने भी पर्यावरण को प्रदूषित किया है। इसके साथ में वनों की कटाई, पेड़ों की लकड़ियों का अधिक प्रयोग, कल-कारखानों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खादों के प्रयोग, पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की ध्वनि और धुआं तथा विकास के नाम पर प्रकृति प्रदत्त चीजों का दुरुपयोग प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक है। पर्यावरण प्रदूषण के चलते ही धरती पर भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलती है। ऐसे में प्रदूषण की समस्या आज एक वैश्विक समस्या बन गई है जिसको आपसी सहयोग से जल्दी नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके परिणाम संपूर्ण मानव जाति के विनाश के रूप में सामने आएंगे।
प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. जल प्रदूषण
“जल ही जीवन है” और “पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती” ऐसे वाक्य हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं परन्तु अब इस पर चिंतन का समय आ गया है। जब पानी के विभिन्न स्रोत जैसे नदी, झील, कुआं, तालाब,समुद्र आदि में दूषित तत्व आकर मिल जाए तो उस स्थिति को हम जल प्रदूषण कहते हैं। यह दूषित और जहरीले तत्व प्राकृतिक और अधिकतर मानवीय कारणों की वजह से जल में मिल जाते हैं और जल को प्रदूषित बनाते हैं। जिस वजह से जल अपना प्राकृतिक गुण खो देता है।
जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं वहां से जो कूड़ा कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फेंक देते हैं। जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्रोतों में जाकर मिल जाता है और हमारा जल प्रदूषित कर देता है। कभी शुद्ध साफ-सुथरी और पवित्र मानी जाने वाली हमारी नदियां प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का घर बन गई हैं। इसका एक नहीं बल्कि बहुत से कारण हैं जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरी कई प्रकार के कचरे का पानी में मिल जाना।
2. वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं, वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। कारखानों और वाहनों से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। जिसके कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
3. मृदा प्रदूषण या भूमि प्रदूषण
जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है फिर वह भूमि पर तथा भूमि पर पड़ी मिट्टी में मिलकर उसे प्रदूषित करता है। प्रदूषण की इसी समस्या को मृदा प्रदूषण कहते हैं। इस प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियां और दूसरी तरह के कीड़े पनपने लगते हैं जिस वजह से मनुष्य में तथा दूसरे जीव जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियां होने लगती है।
4. ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण वह स्थिति होती है जिस समय हमारे आसपास आवाज या शोर का स्तर सामान्य से बहुत अधिक हो। मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए परंतु आजकल कारखानों का शोर, यातायात का शोर तथा जगह-जगह लगे लाउड स्पीकरों की तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई है। यह इंसानों में सुनने की क्षमता को कम कर रही है और मानसिक बीमारियों को बढ़ा रही है।
5. रेडियोधर्मी प्रदूषण
रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडिएशन से होने वाले प्रदूषण है जो कि इंसानों के लिए बहुत खतरनाक है। मुख्य रूप से रेडियोएक्टिव पदार्थों से निकलने वाले विकिरण जैसे कि यूरेनियम, थोरियम,आदि इसका मुख्या कारण है। इसके अलावा दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले गैजेट यंत्र, मोबाइल फोन के टॉवर, विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जिसके उपयोग से यह प्रदूषण बढ़ता है।
6. प्रकाश प्रदूषण
जैसे-जैसे विकास हो रहा है और शहरीकरण बढ़ रहा है वैसे ही कृत्रिम प्रकाश की मांग भी अनेक अवसर पर बढ़ जाती है जिससे आसपास के वातावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे जीव जंतुओं पर पड़ता है।
प्रदूषण के दुष्परिणाम
उपर्युक्त प्रदूषण के कारण मानव के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीजें अशुद्ध होती जा रही है। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है, आज वही सबसे ज्यादा खतरे में है। प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछित तत्व घुलकर उसे दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुंच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। खुली हवा में सांस लेने तक को इंसान तथा जीव जंतु तरस गए हैं। गंदे जल के कारण हानिकारक तत्व हमारी फसलों में चली जाती है, जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियों को पैदा कर रही हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण समय पर ना वर्षा आती है, ना सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चलता है। प्रदूषण के कारण सब्जियां, फल आदि सब दूषित हो रहे हैं जिससे मानव के शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण का असर सिर्फ हमारे शरीर पर ही नहीं बल्कि हमारे पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। विज्ञान के इस युग में हमें सुख सुविधा के लिए कई सारी चीजें मिली हैं लेकिन इन चीजों से हमें कुछ हद तक नुकसान पहुंचता है। इसी के चलते पूरी दुनिया प्रदूषण से परेशान है। प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण दुष्परिणाम हैं: सांस की समस्या, कैंसर की संभावना, भूमि की उर्वरकता का नष्ट होना, प्राचीन स्मारकों पर पद रहे दुष्प्रभाव, ऑक्सीजन की कमी इत्यादि। अतः हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है उसे जल्द से जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।
प्रदूषण को दूर करने के उपाय
प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर उसे बीमार कर रहा है। साथ ही जीव-जंतु, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों तथा वनस्पतियों को भी नष्ट कर रहा है अर्थात प्रदूषण के कारण विश्व में प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण करना बहुत ही अधिक आवश्यक हो गया है जिसके लिए अब वैश्विक स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए सर्वप्रथम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना आवश्यक है क्योंकि जितनी अधिक जनसंख्या होगी, मानव आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उतनी अधिक प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग होगा। साथ ही वनों की कटाई पर रोक लगाते हुए वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए। खाद्य उत्पादन में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कम कर के जैविक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। कारखानों की चिमनी में फिल्टर लगाना चाहिए। कम शोर वाले मशीन उपकरणों के निर्माण एवं उपयोग पर जोर देना चाहिए एवं उद्योगों को शहरों या आबादी वाले स्थान से दूर स्थापित करना चाहिए। परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, सिंगल यूज प्लास्टिक एवं अन्य प्लास्टिक के उपयोग को रोकना चाहिए एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। वर्षा के जल को संचित करके उसका उपयोग कर भूमिगत जल को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण की सुरक्षा आज की सबसे बड़ी चुनौती है इसलिए हमें निस्वार्थ होकर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए आगे आना होगा। हमें प्रत्येक कार्य करने से पहले पर्यावरण की अनुकूलता का ध्यान रखना होगा। जब पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी मनुष्य स्वस्थ रहेगा।
उपसंहार / निष्कर्ष
अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साथ सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण देना है तो प्रदुषण नियंत्रण की दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं अपितु संपूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है ताकि संपूर्ण पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन संरक्षित हो सके। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती चली जा रही है। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, आदि मनाए जाते हैं। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए कुछ विशेष कदम उठाए जाते हैं।
यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जाएगा। ना खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी भी नहीं मिलेगा। अतः जीवन अत्यंत असंतुलित हो जाएगा। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने होंगे। प्रकृति मनुष्य का पालन-पोषण करती है और अगर यही प्रदूषित होगी तो इसका सीधा असर मानव जाति पर देखने को मिलेगा जो कि अक्सर देखा भी जाता है। आज प्रदूषण की वजह से ऐसी कई लाइलाज बीमारियां पैदा हो गई है जिससे कई लोग ग्रसित हो गए हैं। सच तो यह है कि मनुष्य ने खुद अपने ही हाथों अपना अहित कर लिया है। अगर आज हमने अपने पर्यावरण एवं प्रकृति को दूषित होने से नहीं बचाया तो कल यही हमारे पतन का मुख्य कारण बनेगा इसीलिए हमें समय रहते सचेत हो जाना चाहिए एवं प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण संरक्षण हेतु संभव प्रयास करने चाहिए।