कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में | Essay on Krishna Janmashtami in Hindi | Krishna Janmashtami Essay in Hindi | Krishna Janmashtami par Nibandh
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami in hindi): श्री कृष्ण जन्माष्टमी का हम भारतीयों के जीवन में विशेष महत्त्व है। कुछ दिनों में ही कृष्ण जन्माष्टमी 2023 आने वाली है। सभी Schools और Colleges में इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं। जैसे की “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध”, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण प्रतियोगिता”, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भजन संध्या”, या “कृष्ण जन्माष्टमी Fancy Dress Competition” जिसमे छात्र और छात्राएं कृष्ण और राधा की वेशभूषा में आते हैं। कई जगह बच्चे श्री कृष्ण लीला का भी मंचन करते हैं। आज हम अपने पाठको के लिए “कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध लिखेंगे। जिससे आपको कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और आप जानेंगे जन्माष्टमी के बारे में कैसे लिखें? जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है निबंध? जन्माष्टमी का क्या महत्व? जन्माष्टमी वाले दिन क्या हुआ था? इस निबंध का आप अपने जानकारी अथवा स्कूल के कार्यक्रम में उपयोग कर सकते हैं। यदि आप जानना चाहतें कि कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध कैसे लिखें? तो आइये शुरू करते हैं निबंध श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami)।
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami in Hindi)
प्रस्तावना
जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्री कृष्ण युगों – युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। कृष्ण कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा, कभी अर्जुन के सखा, तो कभी विश्व को गीता का उपदेश देने वाले वासुदेव कृष्ण, हम उनके सभी रूपों की पूजा करते हैं लेकिन जन्माष्टमी पर विशेषतः कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। यह पर्व श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है।
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?
भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे | मथुरा नगरी का राजा कंस जो कि महा अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई थी उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित कालकोठरी में डाल दिया था। कंस ने देवकी की कृष्ण से पहले के सात बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आए। भगवान विष्णु के चमत्कार से वासुदेव ने भरी वर्षा, तूफ़ान होते हुए भी, यमुना नदी पारकर कृष्ण को गोकुल पंहुचा दिया। श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
जन्माष्टमी को और किन नाम से जाना जाता है? (जन्माष्टमी का दूसरा नाम क्या है?)
जन्माष्टमी को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे कि गोकुलाष्टमी, जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती व भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव।
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व बहुत व्यापक है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने धरती पर हो रहे अत्याचारों और पापियों का नाश करने हेतु जन्म लिया। भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली श्लोक है,
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥”
भगवान श्री कृष्ण ने यह उपदेश दिया था की “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी तब तब मैं जन्म लूंगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है।
जमष्टमी का यह दिन हम सभी को कृष्ण के इस उपदेश को याद दिलाता है और उनके द्वारा किये गये अनेकों मानव उत्थान के कार्यों से हमे प्रेरित करता है। युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता संस्कृति से अवगत कराने के लिए इन लोकप्रिय तीज त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है| हम सभी को अपने धर्म में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जाना चाहिए।
श्री कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीलायें
श्री कृष्ण की बाल अवस्था की कारनामों को ही देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए | एक के बाद एक राक्षसों ( पूतना, बकासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं की हर भूमिका को श्री कृष्ण ने बड़े ही आनंद से जिया जैसे मटकी तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वाल बालों के साथ बाल क्रीड़ा करना आदि। श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है| सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व योग लीला का बहुत सुंदर चित्रण प्राप्त होता है|
कंस के वध के बाद श्री कृष्ण द्वारकाधीश बने। द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को और सम्पूर्ण मानव जाति को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और पांडवों को महाभारत के युद्ध में विजय दिलायी।
श्री कृष्ण परम ज्ञानी, युगपुरुष, अत्यधिक शक्तिशाली, एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले एक कुशल राजनीतिज्ञ थे परंतु उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका प्रत्येक कार्य धरती एवं मानव जाति के उत्थान के लिए था।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? (कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाते हैं?)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व विभिन्न संप्रदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देशभर में अपितु विश्व में फैले श्री कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी का पावन त्योहार हर्षोल्लास के साथ श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। सभी लोग जन्माष्टमी का त्यौहार विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न से मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें और पूजा कैसे करें? (कृष्ण जन्माष्टमी व्रत और पूजा की विधि)
इस उत्सव के दिन ज्यादातर लोग व्रत रहकर पूजा के लिए घरों में बालकृष्ण की प्रतिमा को पालने में रखते हैं| इस दिन घरों और मंदिरों में भजन कीर्तन का विशेष महत्व है। घर की महिलाएं श्री कृष्ण जन्माष्टमी का सोहर गातीं हैं। विभिन्न प्रकार के फूल मालाओं तथा झालर इत्यादि से जन्माष्टमी पर मंदिर सजाएं जाते हैं। जन्माष्टमी की पूजा के लिए लोग इस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजनों से भगवान बाल गोपाल को भोग लगाकर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना और आरती करते है।
दही हांडी/ मटकी फोड़ प्रतियोगिता
जन्माष्टमी के दिन देश-विदेश में अनेक जगह दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल गोविंदा भाग लेते हैं। वहां दही से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से ऊंचाई पर लटका दी जाती है। बाल गोविंदाओं द्वारा पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। इस प्रतियोगिता का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसका उद्देश्य बाल कृष्ण की दही और माखन की मटकी फोड़ने की लीला को सांकेतिक रूप में याद करना हैं। महाराष्ट्र की दही हांडी प्रतियोगिता विश्व विख्यात है।
उपसंहार
श्री कृष्ण ने कंस के संघार और धर्म के उत्थान के लिए अवतार लिया था। जन्माष्टमी का दिन अत्यंत पावन है हिंदुओं की मान्यता अनुसार इस दिन पूजन करने से लंबी आयु और सुख संपदा की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी श्याम वर्ण वाले लेकिन बहुत अद्भुत रूप सौंदर्य वाले हैं। कृष्ण जी ने भगवान होते हुए भी कारावास में जन्म लेकर और सांसारिक कष्टों को सहकर मानव जाति को शिक्षा दी है कि जीवन में हार ना मानते हुए हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए। आज प्रत्येक मानव के भीतर ही कंस रूपी राक्षस और कृष्ण रूपी पवित्र देव स्थित है, हम चाहे तो कंस रूपी राक्षस का वध करके अपने अंदर की कृष्ण को जगा सकते हैं। कहने का तात्पर्य है कि हमें बुरी आदतों से दूर रहकर अपने अच्छे कर्म करने चाहिए और भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।
यह भी पढ़ें: रक्षाबंधन पर निबंध: Essay on Raksha Bandhan in Hindi
श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़े कुछ प्रश्न-उत्तर (लोगो ने यह भी पूछा)
-
कृष्ण जन्माष्टमी 2023 कितने तारीख को है?
बुध, 6 सितंबर, 2023 – गुरु, 7 सितंबर, 2023
-
जन्माष्टमी कृष्ण जी का जन्म कब हुआ?
भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था।
-
जन्माष्टमी पर निबंध कैसे और क्या लिखें?जन्माष्टमी पर निबंध बिंदुवार लिखें जिसमे प्रस्तावना, कृष्णा जन्माष्टमी का महत्व, यह कब और क्यों मनाई जाती है? इसे कैसे मानते हैं? कृष्ण के जीवन की लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात् उपसंहार में कृष्ण के जीवन से मिलने वाली सीख के बारे में लिखें।
-
जन्माष्टमी दो दिन क्यों मनाई जाती है?
जन्माष्टमी मूल रूप से वैष्णव सम्प्रदाय और स्मार्त संप्रदाय के अनुसार लगातार दो दिन मनाई जाती है।