मेरा विद्यालय पर निबंध: Essay on My School in Hindi
विद्यालय एक स्थान है जहां छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। यहां छात्रों को न केवल विभिन्न विषयों की जानकारी दी जाती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और नैतिक मूल्यों का विकास भी होता है। विद्यालय छात्रों को संगठित शिक्षा प्रदान करता है और उन्हें समाज में सफलता के लिए तैयार करता है। विद्यालय को ज्ञान का मंदिर भी कहा जाता है। यह छात्रों को नई कला और क्रियात्मकता का अवसर भी प्रदान करता है। आज हम सीखेंगे कि मेरा विद्यालय पर निबंध कैसे लिखें? हमारे और आपके जीवन में विद्यालय का क्या महत्व है? स्कूल में अक्सर मेरे विद्यालय पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस निबंध का उपयोग Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और Class 8 के सभी छात्र छात्राएं कर सकते हैं।
प्रस्तावना
मानव जीवन में विद्यालय का बहुत महत्व है। यह हमें ज्ञान के साथ साथ शिष्टाचार भी सिखाता है। विद्यालय हमें सामाजिक समानता का पाठ पढ़ाते हैं क्योकि विद्यालय में किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के बच्चे पढ़ने आ सकते हैं। विद्यालय बच्चों को देश का एक अच्छा नागरिक बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। मुझे मेरा विद्यालय बहुत पसंद है। यहाँ के शिक्षक, यहाँ का वातावरण और यहाँ मेरे साथ पढ़ने वाले मेरे मित्र मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। मैं प्रतिदिन स्कूल जाता हूँ क्योकि प्रतिदिन मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है।
मेरे विद्यालय का परिचय
मेरे विद्यालय का नाम सरस्वती शिशु मंदिर है। मेरा विद्यालय मेरे शहर के सबसे अच्छे विद्यालयों में एक है। यहाँ छात्र-छात्रों के बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है। मेरा विद्यालय में कक्षा नर्सरी से कक्षा 12th तक की पढ़ाई होती है। यह सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन से मान्यता प्राप्त है। मेरे विद्यालय का भवन विशाल और बहुत ही सुंदर है। विद्यालय में पर्यावरण कभी बहुत ध्यान दिया गया है। विद्यालय परिसर के चारों ओर कई वृक्ष और पौधे लगाए गए हैं। मेरे विद्यालय में एक बहुत बड़ी पुस्तकालय, संगीत कक्ष, कंप्यूटर लैब, विज्ञानं लैब,ऑडिटोरियम तथा विशाल मैदान के साथ-साथ इनडोर स्टेडियम भी है। छात्रों को लाने ले जाने के लिए बसों की सुविधा है।
मेरे विद्यालय की विशेषताएँ
मेरे विद्यालय की अनेक विशेषताएं हैं, उनमे से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नवत हैं:
1. हमारे शिक्षक
मेरे विद्यालय की प्रथम विशेषता “शिक्षक” है। हमे पढ़ाने वाले सभी शिक्षक अपने-अपने विषय में दक्ष तथा अनुभवी हैं। सभी शिक्षक हमारा ध्यान अभिभावक की तरह रखते हैं। उनके लिए सभी बच्चे सामान हैं और वो सभी बच्चो के विकास पर बहुत परिश्रम करते हैं। यदि कोई छात्र अथवा छात्र किसी विषय में कमजोर है तो शिक्षक उसे ज़्यादा समय देकर उसकी सहायता करते हैं। हमारे शिक्षकों के मार्गदर्शन के कारण ही हमारे विद्यालय का परीक्षा-परिणाम न केवल शत-प्रतिशत रहता है, बल्कि प्रत्येक वर्ष कई छात्र राज्य में अव्वल भी आते है।
2. अनुशासन
मेरे विद्यालय की द्वितीय विशेषता है, विद्यालय का “अनुशासन”। सभी छात्र-छात्राएं विद्यालय में अनुशासन का पालन करते हैं। कोई भी व्यर्थ बैठा हुआ, कक्षा से बिना अनुमति के अनुपस्थित अथवा घूमता फिरता नहीं है। कक्षाएं समय से शुरू तथा समाप्त होती हैं। शिक्षक, बच्चो के माता पिता के साथ भी संपर्क में रहते हैं। अनुशासन मानव जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है और मुझे गर्व है की मेरे विद्यालय से इसकी शिक्षा हम सभी को मिल रही है।
3. स्वच्छता
विद्यालय की तृतीय विशेषता है इसकी ‘स्वच्छता’। सुबह विद्यालय आरम्भ होने से पहले प्रत्येक कक्षा की सफाई की जाती है। ब्लैक बोर्ड, दरवाजे, खिड़की तथा बेंच साफ किये जाते हैं। विद्यालय की बसें भी स्वच्छ रहती है। कागज या रोटी का टुकड़ा, फलों या सब्जी के छिलके फर्श तथा गैलरी में नहीं मिलेंगे। कूड़ा-करकट डालने के लिए उपयुक्त स्थानों पर ‘डस्ट-बिन’ रखे गए हैं। पेशाब-घर तथा शौचालय दुर्गन्ध रहित रहते हैं। हमारे विद्यालय की स्वच्छता का श्रेय विद्यालय के सफाई कर्मियों तथा सहायकों को जाता है।
मेरे विद्यालय के प्रतिभावान विद्यार्थी
मेरे विद्यालय में प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का पूर्ण अवसर मिलता है। विद्यालय में प्रत्येक माह विविध प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियां (एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज) होती हैं जिनमे विद्यार्थी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। मेरे विद्यालय के पूर्व छात्र और छात्राएं जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त कर ली है, हमसे मिलने आते हैं और अपना अनुभव साझा करते हैं। इससे हमे भी भविष्य जीवन में अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है।
विद्यालय के प्रति हमारा कर्तव्य
विद्यालय, विद्या का मंदिर है, जहाँ सभी ज्ञान प्राप्त करने जाते हैं। हमें अपने विद्यालय के प्रति भी वैसी ही श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना चाहिए जैसे हम अपने मंदिरों और पूजा स्थलों की रखते हैं। हमारे धर्म में शिक्षक अर्थात गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया है।
“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय |
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय||”
इसलिए हम सभी को अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनके निर्देशों के अनुसरण करना चाहिए। विद्यालय की शिक्षा पूरी होने के बाद भी हमें अपने शिक्षकों और विद्यालय को नहीं भूलना चाहिए। जब भी मौका मिले या हम अपने काम से मुक्त रहें तो हमें अपने विद्यालय में जाकर अपने शिक्षकों से मिलते रहना चाहिए।
उपसंहार
विद्यालय सार्वजनिक संपत्ति होती है। हम सभी को इसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। विद्यालय सिर्फ पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि हर प्रकार से ज्ञान प्राप्त करने के अवसर प्रदान करता है। विद्यालय हमें खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने का अवसर देता है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास के साथ सर्वांगीण विकास होता है। विद्यार्थियों को अपने विद्यालय से पूरा लाभ उठाना चाहिए। हमारा विद्यालय हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं मेरे विद्यालय से बहुत प्यार करता हूँ।