Essay on MY School in Hindi 2023
मेरा विद्यालय पर निबंध: Essay on My School in Hindi

विद्यालय एक स्थान है जहां छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। यहां छात्रों को न केवल विभिन्न विषयों की जानकारी दी जाती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और नैतिक मूल्यों का विकास भी होता है। विद्यालय छात्रों को संगठित शिक्षा प्रदान करता है और उन्हें समाज में सफलता के लिए तैयार करता है। विद्यालय को ज्ञान का मंदिर भी कहा जाता है। यह छात्रों को नई कला और क्रियात्मकता का अवसर भी प्रदान करता है। आज हम सीखेंगे कि मेरा विद्यालय पर निबंध कैसे लिखें? हमारे और आपके जीवन में विद्यालय का क्या महत्व है? स्कूल में अक्सर मेरे विद्यालय पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस निबंध का उपयोग Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और Class 8 के सभी छात्र छात्राएं कर सकते हैं।

प्रस्तावना

मानव जीवन में विद्यालय का बहुत महत्व है। यह हमें ज्ञान के साथ साथ शिष्टाचार भी सिखाता है। विद्यालय हमें सामाजिक समानता का पाठ पढ़ाते हैं क्योकि विद्यालय में किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के बच्चे पढ़ने आ सकते हैं। विद्यालय बच्चों को देश का एक अच्छा नागरिक बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। मुझे मेरा विद्यालय बहुत पसंद है। यहाँ के शिक्षक, यहाँ का वातावरण और यहाँ मेरे साथ पढ़ने वाले मेरे मित्र मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। मैं प्रतिदिन स्कूल जाता हूँ क्योकि प्रतिदिन मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है।

मेरे विद्यालय का परिचय

मेरे विद्यालय का नाम सरस्वती शिशु मंदिर है। मेरा विद्यालय मेरे शहर के सबसे अच्छे विद्यालयों में एक है। यहाँ छात्र-छात्रों के बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है। मेरा विद्यालय में कक्षा नर्सरी से कक्षा 12th तक की पढ़ाई होती है। यह सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन से मान्यता प्राप्त है। मेरे विद्यालय का भवन विशाल और बहुत ही सुंदर है। विद्यालय में पर्यावरण कभी बहुत ध्यान दिया गया है। विद्यालय परिसर के चारों ओर कई वृक्ष और पौधे लगाए गए हैं। मेरे विद्यालय में एक बहुत बड़ी पुस्तकालय, संगीत कक्ष, कंप्यूटर लैब, विज्ञानं लैब,ऑडिटोरियम तथा विशाल मैदान के साथ-साथ इनडोर स्टेडियम भी है। छात्रों को लाने ले जाने के लिए बसों की सुविधा है।

मेरे विद्यालय की विशेषताएँ

मेरे विद्यालय की अनेक विशेषताएं हैं, उनमे से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नवत हैं:

1. हमारे शिक्षक

मेरे विद्यालय की प्रथम विशेषता “शिक्षक” है। हमे पढ़ाने वाले सभी शिक्षक अपने-अपने विषय में दक्ष तथा अनुभवी हैं। सभी शिक्षक हमारा ध्यान अभिभावक की तरह रखते हैं। उनके लिए सभी बच्चे सामान हैं और वो सभी बच्चो के विकास पर बहुत परिश्रम करते हैं। यदि कोई छात्र अथवा छात्र किसी विषय में कमजोर है तो शिक्षक उसे ज़्यादा समय देकर उसकी सहायता करते हैं। हमारे शिक्षकों के मार्गदर्शन के कारण ही हमारे विद्यालय का परीक्षा-परिणाम न केवल शत-प्रतिशत रहता है, बल्कि प्रत्येक वर्ष कई छात्र राज्य में अव्वल भी आते है।

2. अनुशासन

मेरे विद्यालय की द्वितीय विशेषता है, विद्यालय का “अनुशासन”। सभी छात्र-छात्राएं विद्यालय में अनुशासन का पालन करते हैं। कोई भी व्यर्थ बैठा हुआ, कक्षा से बिना अनुमति के अनुपस्थित अथवा घूमता फिरता नहीं है। कक्षाएं समय से शुरू तथा समाप्त होती हैं। शिक्षक, बच्चो के माता पिता के साथ भी संपर्क में रहते हैं। अनुशासन मानव जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है और मुझे गर्व है की मेरे विद्यालय से इसकी शिक्षा हम सभी को मिल रही है।

3. स्वच्छता

विद्यालय की तृतीय विशेषता है इसकी ‘स्वच्छता’। सुबह विद्यालय आरम्भ होने से पहले प्रत्येक कक्षा की सफाई की जाती है। ब्लैक बोर्ड, दरवाजे, खिड़की तथा बेंच साफ किये जाते हैं। विद्यालय की बसें भी स्वच्छ रहती है। कागज या रोटी का टुकड़ा, फलों या सब्जी के छिलके फर्श तथा गैलरी में नहीं मिलेंगे। कूड़ा-करकट डालने के लिए उपयुक्त स्थानों पर ‘डस्ट-बिन’ रखे गए हैं। पेशाब-घर तथा शौचालय दुर्गन्ध रहित रहते हैं। हमारे विद्यालय की स्वच्छता का श्रेय विद्यालय के सफाई कर्मियों तथा सहायकों को जाता है।

मेरे विद्यालय के प्रतिभावान विद्यार्थी

मेरे विद्यालय में प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का पूर्ण अवसर मिलता है। विद्यालय में प्रत्येक माह विविध प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियां (एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज) होती हैं जिनमे विद्यार्थी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। मेरे विद्यालय के पूर्व छात्र और छात्राएं जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त कर ली है, हमसे मिलने आते हैं और अपना अनुभव साझा करते हैं। इससे हमे भी भविष्य जीवन में अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है।

विद्यालय के प्रति हमारा कर्तव्य

विद्यालय, विद्या का मंदिर है, जहाँ सभी ज्ञान प्राप्त करने जाते हैं। हमें अपने विद्यालय के प्रति भी वैसी ही श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना चाहिए जैसे हम अपने मंदिरों और पूजा स्थलों की रखते हैं। हमारे धर्म में शिक्षक अर्थात गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया है।
“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय |
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय||”

इसलिए हम सभी को अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनके निर्देशों के अनुसरण करना चाहिए। विद्यालय की शिक्षा पूरी होने के बाद भी हमें अपने शिक्षकों और विद्यालय को नहीं भूलना चाहिए। जब भी मौका मिले या हम अपने काम से मुक्त रहें तो हमें अपने विद्यालय में जाकर अपने शिक्षकों से मिलते रहना चाहिए।

उपसंहार

विद्यालय सार्वजनिक संपत्ति होती है। हम सभी को इसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। विद्यालय सिर्फ पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि हर प्रकार से ज्ञान प्राप्त करने के अवसर प्रदान करता है। विद्यालय हमें खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने का अवसर देता है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास के साथ सर्वांगीण विकास होता है। विद्यार्थियों को अपने विद्यालय से पूरा लाभ उठाना चाहिए। हमारा विद्यालय हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं मेरे विद्यालय से बहुत प्यार करता हूँ।


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Essay on Krishna Janmashtami in Hindi
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध 2023: Simple Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

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कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami in hindi): श्री कृष्ण जन्माष्टमी का हम भारतीयों के जीवन में विशेष महत्त्व है। कुछ दिनों में ही कृष्ण जन्माष्टमी 2023 आने वाली है। सभी Schools और Colleges में इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं। जैसे की “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध”, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण प्रतियोगिता”, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भजन संध्या”, या “कृष्ण जन्माष्टमी Fancy Dress Competition” जिसमे छात्र और छात्राएं कृष्ण और राधा की वेशभूषा में आते हैं। कई जगह बच्चे श्री कृष्ण लीला का भी मंचन करते हैं। आज हम अपने पाठको के लिए “कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध लिखेंगे। जिससे आपको कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और आप जानेंगे जन्माष्टमी के बारे में कैसे लिखें? जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है निबंध? जन्माष्टमी का क्या महत्व? जन्माष्टमी वाले दिन क्या हुआ था? इस निबंध का आप अपने जानकारी अथवा स्कूल के कार्यक्रम में उपयोग कर सकते हैं। यदि आप जानना चाहतें कि कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध कैसे लिखें? तो आइये शुरू करते हैं निबंध श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami)।

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Krishna Janmashtami in Hindi)

प्रस्तावना

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्री कृष्ण युगों – युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। कृष्ण कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा, कभी अर्जुन के सखा, तो कभी विश्व को गीता का उपदेश देने वाले वासुदेव कृष्ण, हम उनके सभी रूपों की पूजा करते हैं लेकिन जन्माष्टमी पर विशेषतः कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। यह पर्व श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे | मथुरा नगरी का राजा कंस जो कि महा अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई थी उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित कालकोठरी में डाल दिया था। कंस ने देवकी की कृष्ण से पहले के सात बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आए। भगवान विष्णु के चमत्कार से वासुदेव ने भरी वर्षा, तूफ़ान होते हुए भी, यमुना नदी पारकर कृष्ण को गोकुल पंहुचा दिया। श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

जन्माष्टमी को और किन नाम से जाना जाता है? (जन्माष्टमी का दूसरा नाम क्या है?)

जन्माष्टमी को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे कि गोकुलाष्टमी, जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती व भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव।

कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व बहुत व्यापक है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने धरती पर हो रहे अत्याचारों और पापियों का नाश करने हेतु जन्म लिया। भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली श्लोक है,

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥”

भगवान श्री कृष्ण ने यह उपदेश दिया था की “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी तब तब मैं जन्म लूंगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है।
जमष्टमी का यह दिन हम सभी को कृष्ण के इस उपदेश को याद दिलाता है और उनके द्वारा किये गये अनेकों मानव उत्थान के कार्यों से हमे प्रेरित करता है। युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता संस्कृति से अवगत कराने के लिए इन लोकप्रिय तीज त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है| हम सभी को अपने धर्म में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जाना चाहिए।

श्री कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीलायें

श्री कृष्ण की बाल अवस्था की कारनामों को ही देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए | एक के बाद एक राक्षसों ( पूतना, बकासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं की हर भूमिका को श्री कृष्ण ने बड़े ही आनंद से जिया जैसे मटकी तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वाल बालों के साथ बाल क्रीड़ा करना आदि। श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है| सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व योग लीला का बहुत सुंदर चित्रण प्राप्त होता है|
कंस के वध के बाद श्री कृष्ण द्वारकाधीश बने। द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को और सम्पूर्ण मानव जाति को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और पांडवों को महाभारत के युद्ध में विजय दिलायी।
श्री कृष्ण परम ज्ञानी, युगपुरुष, अत्यधिक शक्तिशाली, एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले एक कुशल राजनीतिज्ञ थे परंतु उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका प्रत्येक कार्य धरती एवं मानव जाति के उत्थान के लिए था।

कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? (कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाते हैं?)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व विभिन्न संप्रदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देशभर में अपितु विश्व में फैले श्री कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी का पावन त्योहार हर्षोल्लास के साथ श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। सभी लोग जन्माष्टमी का त्यौहार विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न से मनाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें और पूजा कैसे करें? (कृष्ण जन्माष्टमी व्रत और पूजा की विधि)

इस उत्सव के दिन ज्यादातर लोग व्रत रहकर पूजा के लिए घरों में बालकृष्ण की प्रतिमा को पालने में रखते हैं| इस दिन घरों और मंदिरों में भजन कीर्तन का विशेष महत्व है। घर की महिलाएं श्री कृष्ण जन्माष्टमी का सोहर गातीं हैं। विभिन्न प्रकार के फूल मालाओं तथा झालर इत्यादि से जन्माष्टमी पर मंदिर सजाएं जाते हैं। जन्माष्टमी की पूजा के लिए लोग इस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजनों से भगवान बाल गोपाल को भोग लगाकर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना और आरती करते है।

दही हांडी/ मटकी फोड़ प्रतियोगिता

जन्माष्टमी के दिन देश-विदेश में अनेक जगह दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल गोविंदा भाग लेते हैं। वहां दही से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से ऊंचाई पर लटका दी जाती है। बाल गोविंदाओं द्वारा पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। इस प्रतियोगिता का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसका उद्देश्य बाल कृष्ण की दही और माखन की मटकी फोड़ने की लीला को सांकेतिक रूप में याद करना हैं। महाराष्ट्र की दही हांडी प्रतियोगिता विश्व विख्यात है।

उपसंहार

श्री कृष्ण ने कंस के संघार और धर्म के उत्थान के लिए अवतार लिया था। जन्माष्टमी का दिन अत्यंत पावन है हिंदुओं की मान्यता अनुसार इस दिन पूजन करने से लंबी आयु और सुख संपदा की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी श्याम वर्ण वाले लेकिन बहुत अद्भुत रूप सौंदर्य वाले हैं। कृष्ण जी ने भगवान होते हुए भी कारावास में जन्म लेकर और सांसारिक कष्टों को सहकर मानव जाति को शिक्षा दी है कि जीवन में हार ना मानते हुए हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए। आज प्रत्येक मानव के भीतर ही कंस रूपी राक्षस और कृष्ण रूपी पवित्र देव स्थित है, हम चाहे तो कंस रूपी राक्षस का वध करके अपने अंदर की कृष्ण को जगा सकते हैं। कहने का तात्पर्य है कि हमें बुरी आदतों से दूर रहकर अपने अच्छे कर्म करने चाहिए और भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।


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श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़े कुछ प्रश्न-उत्तर (लोगो ने यह भी पूछा)

  1. कृष्ण जन्माष्टमी 2023 कितने तारीख को है?

    बुध, 6 सितंबर, 2023 – गुरु, 7 सितंबर, 2023

  2. जन्माष्टमी कृष्ण जी का जन्म कब हुआ?

    भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था।


  3. जन्माष्टमी पर निबंध कैसे और क्या लिखें?

    जन्माष्टमी पर निबंध बिंदुवार लिखें जिसमे प्रस्तावना, कृष्णा जन्माष्टमी का महत्व, यह कब और क्यों मनाई जाती है? इसे कैसे मानते हैं? कृष्ण के जीवन की लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात् उपसंहार में कृष्ण के जीवन से मिलने वाली सीख के बारे में लिखें।

  4. जन्माष्टमी दो दिन क्यों मनाई जाती है?

    जन्माष्टमी मूल रूप से वैष्णव सम्प्रदाय और स्मार्त संप्रदाय के अनुसार लगातार दो दिन मनाई जाती है।