संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya Kise Kahte Hain?)
संज्ञा की परिभाषा:
संज्ञा को अंग्रेज़ी में “Noun” कहते हैं। संज्ञा एक आम हिंदी व्याकरण शब्द है जो वस्तुओं, इंसानों, स्थानों, भावनाओं आदि के नाम को दर्शाता है। इसके अलावा, संज्ञा एक वस्तु, व्यक्ति या स्थान के विशेष गुण, परिदृश्य या प्रकार को भी प्रदर्शित कर सकता है। संज्ञा व्याकरण में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और व्याकरण के सभी भागों में इसका इस्तेमाल होता है।
दूसरे शब्दों में, संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव, स्थान, गुण और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
जैसे – मोहन (व्यक्ति), कलम (वस्तु), सुन्दरता (गुण), प्रेम (भाव), दिल्ली (स्थान), आदि।
संज्ञा के 10 उदाहरण (Sangya Ke 10 Udaharan Hindi Mein)
- किताब (Kitab): “मेरे पास एक किताब है।” (I have a book.)
- फल (Phal): “कृपया मुझे एक फल दीजिए।” (Please give me a fruit.)
- शहर (Shahar): “वह नगर शहर में रहता है।” (He/she lives in a big city.)
- भारत (Bharat): “भारत एक समृद्ध देश है।” (India is a prosperous country.)
- पुस्तकालय (Pustakalay): “मैं पुस्तकालय जा रहा हूँ।” (I am going to the library.)
- गांव (Gaon): “मेरे दादा-दादी गांव में रहते थे।” (My grandparents used to live in the village.)
- बच्चा (Baccha): “वह एक मस्त बच्चा है।” (He/she is a lively child.)
- ट्रेन (Train): “हम ट्रेन से सफर करेंगे।” (We will travel by train.)
- सूरज (Sooraj): “सूरज उगता है और डूबता है।” (The sun rises and sets.)
- बिल्कुल (Bilkul): “मैं आपके विचार से बिल्कुल सहमत हूँ।” (I completely agree with your thoughts.)
ये संज्ञा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, जीव, और स्थानों को दर्शाते हैं।
संज्ञा के अन्य उदाहरण (Sangya Ke Example)
व्यक्ति का नाम – आरव, प्रिया, सोनाली, शिवम्, अदिति
वस्तु का नाम – कलम, लाठी, चौकी, अलमारी, पंखा
गुण का नाम – सुन्दरता, ईमानदारी, चालाकी, बेईमानी, बुद्धिमानी
भाव का नाम – प्रेम, दया, ग़ुस्सा, आश्चर्य, क्रोध, दुख
स्थान का नाम – बनारस, दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, पटना
संज्ञा कितने प्रकार की होती है? संज्ञा के प्रकार (Sangya Ke Prakar)
संज्ञा 5 प्रकार की होती है। इसका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है:
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
- जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
- भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)
- द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya)
- समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Vyaktivachak Sangya Kise Kahate Hain)
व्यक्तिवाचक संज्ञा को हिंदी व्याकरण में “व्यक्ति के नाम को प्रकट करने वाली संज्ञा” के रूप में वर्णित किया जाता है। यह संज्ञा वह शब्द होती है जिससे किसी व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, जैसे कि व्यक्ति, शहर या वस्तु के नाम, उपनाम, इत्यादि। इसे नामसंज्ञा भी कहा जाता है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएं वाचक के साथ अविच्छेद्य रूप से संबंधित होती हैं, अर्थात् व्यक्ति के नाम को अलग कर दिया जाए तो वाक्य का अर्थ परिवर्तित हो जाएगा।
जैसे राम, मोहन, जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका – ये सभी व्यक्तिवाचक संज्ञाएं हैं। परन्तु शेर, बाघ, हाथी, शहर, किताब आदि व्यक्तिवाचक संज्ञाएं नहीं हैं क्योंकि इनसे सीधे किसी व्यक्ति, स्थान तथा वस्तु का नाम नहीं प्रकट होता है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण
- नमन गाता है।
- आरुषि मेरी दोस्त है।
- महेंद्र सिंह धोनी एक महान बल्लेबाज है।
- दिल्ली में लाल किला है।
- दिल्ली भारत की राजधानी है।
- मैं जयपुर में रहता हूँ।
- आगरा में ताजमहल है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश गए हैं।
- रमेश दौड़ रहा है।
- शौर्य खेल रहा है।
- नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री है।
- उज्जवल गांव गया है।
- राघव के पिता अध्यापक हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य यह है कि यदि किसी वाक्य में किसी व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उस वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा होती है, न कि जातिवाचक संज्ञा।
इसलिए, वाक्य में जब व्यक्ति विशेष को प्रकट करने के लिए जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग होता है, तो उसमें व्यक्तिवाचक संज्ञा का होना सही होता है, क्योंकि वह संज्ञा व्यक्ति के नाम को प्रकट कर रही होती है।
उदाहरण के लिए:
- “राम एक ब्राह्मण है।” – यहां “राम” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
- “नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं।” – यहां “नरेंद्र मोदी” व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
- “रामायण के बहुत अच्छी पुस्तक है।” – यहां “रामायण” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह पुस्तक विशेष को प्रकट कर रही है।
- “गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है।” – यहां “गंगा” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह नदी विशेष को प्रकट कर रही है।
- “सचिन तेंदुलकर महान क्रिकेटर है।” – यहां “सचिन तेंदुलकर” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह क्रिकेटर विशेष को प्रकट कर रही है।
- “जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे।” – यहां “जवाहर लाल नेहरू” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को प्रकट कर रही है।
- “महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट खेलते हैं।” – यहां “महेंद्र सिंह धोनी” भी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह खिलाड़ी विशेष को प्रकट कर रही है।
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Jativachak Sangya kise Kahate Hain)
जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। इस संज्ञा से समस्त जाति की पहचान होती है, जैसे कि व्यक्ति की जाति, प्राणी की जाति, या वस्तु की जाति।
दूसरे शब्दों में, जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण:
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “राम एक ब्राह्मण है।” में “ब्राह्मण” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति की जाति को बता रही है।
गाय, भैंस, बिल्ली, कुत्ता – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे प्राणी की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “यह भैंस दूध देती है।” में “भैंस” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो प्राणी की जाति को बता रही है।
दिल्ली, मुंबई, वाराणसी – ये सभी जातिवाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे स्थान की जाति का बोध होता है। उदाहरण के लिए, “वाराणसी भारत के पवित्र शहरों में से एक है।” में “वाराणसी” शब्द जातिवाचक संज्ञा है जो स्थान की जाति को बता रही है।
इस प्रकार, जातिवाचक संज्ञा से व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या प्राणी की जाति का सम्पूर्ण बोध होता है।
जातिवाचक संज्ञा के 20 उदाहरण
- राधा को सोने की चीज़े बहुत पसंद है।
- लक्ष्मी का घर नदी के पास है।
- अमिताभ बच्चन एक एक्टर है।
- सचिन तेंदुलकर एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं।
- मछली पानी में रहती है।
- गाय को भारत में माता कहा जाता है।
- कुत्ता वफादार जानवर होता है।
- महिलाएं बहुत खरीदारी करती है।
- मुझे पुस्तक पढ़ना अच्छा लगता है।
- अमीरी आदमी में घमंड ले आता है।
- जानवर नदियों में पानी पीते हैं।
- गांव में फैसले पंचायत करती है।
- भारत में बहुत सारे जिले हैं।
- तुम कभी हवाई जहाज में बैठे हो?
- लड़के शहर जा रहे हैं।
- मुझे बिल्ली पालना पसंद है।
- मुझे ट्रेन का सफर पसंद है।
- कार सड़क से जा रही है।
- मानव सबसे पुरानी प्रजाति है।
- शेर एक जानवर है।
भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Bhavvachak Sangya Kise Kahte Hain?
भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जिससे किसी व्यक्ति या पदार्थ की भाव या स्थिति का बोध होता है। इसके जरिए हम किसी की भावना, विचार, भाव, अनुभूति, या वर्तमान स्थिति को प्रकट करते हैं। इन संज्ञाओं का वाक्य में प्रयोग करने से हम उन व्यक्तियों की भावनाओं और स्थितियों को समझते हैं जो वाक्य के विषय होते हैं।
दूसरे शब्दों में, वह शब्द जिनसे हमें भावना का बोध होता हो, उन शब्दों को भाव वाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya) कहा जाता है। अर्थात् वह शब्द जो किसी पदार्थ या फिर चीज का भाव, दशा या अवस्था का बोध कराते हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
भाववाचक संज्ञा के उदाहरण:
खुशी, दुख, प्रेम, विश्वास, घबराहट – ये सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसका दुखी होना दिल को छू गया।” में “दुखी” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।
डर, सम्मोहन, आश्चर्य, भयानकता, सफलता – ये भी सभी भाववाचक संज्ञाएं हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की भावनाओं को प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए, “उसे अपने सम्मोहक अंदाज से सभी को आकर्षित कर लिया।” में “सम्मोहक” शब्द भाववाचक संज्ञा है जो उस व्यक्ति की भावना को प्रकट कर रहा है।
प्रेम, भला, महता, सुन्दरता, मदुर्ता,सत्य, कोमलता, क्रोध, प्रसन्नता, बचपन, जवानी, बुढ़ापा, आश्चर्य, लालच, जवानी इत्यादि भी भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। इस प्रकार, भाववाचक संज्ञाएं व्यक्ति या पदार्थ की भावनाओं या स्थितियों को प्रकट करने में मदद करती हैं।
भाववाचक संज्ञा के 20 उदाहरण:
- सोनाली की आवाज मिठास से भरी है।
यहां पर मिठास शब्द से आवाज के मीठेपन का बोध होता है। अतः मिठास एक भाववाचक संज्ञा है।
- तुमसे मिलने के बाद हमारे स्कूल की यादें ताजा हो गई है।
यहां पर यादें शब्द से भाव का बोध हो रहा है। यादें भाववाचक संज्ञा है।
- समीर का पूरा बचपन खेलने और कूदने में बिता है।
यहां पर बचपन शब्द हमारे बचपन से सम्बन्ध रखता है अर्थात् बच्चे का भाव होने का बोध करा रहा है, इसलिए बचपन यहाँ भाववाचक संज्ञा है।
- मेरी लम्बाई मेरे दोस्त से अधिक है।
यहां पर मेरे लम्बे होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लम्बाई में भाववाचक संज्ञा है।
- भारत एक अमीर देश है।
यहां पर भारत के अमीर होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर अमीर में भाववाचक संज्ञा है।
- ईमानदारी से बड़ा कोई धर्म नहीं।
यहां पर ईमानदारी शब्द एक भावना प्रकट कर रहा है, इसलिए यहां पर ईमानदारी भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।
- आज के समय में हमारी दोस्ती मजबूत हो रही है।
यहां पर दोस्ती शब्द हमारे भाव को दर्शा रहा है, इसलिए यहां पर भाववाचक संज्ञा है।
- बगीचे में फूल सुंदर है।
यहां पर सुंदर बगीचे के सुंदर होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर सुंदर में भाववाचक संज्ञा है।
- मैं तुम्हे बहुत प्रेम करता हूँ।
यहां पर प्रेम शब्द हमारे भाव का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर प्रेम में भाववाचक संज्ञा है।
- मैं बहुत गुस्सा हूँ।
यहां पर मेरे गुस्सा होने का बोध हो रहा है, अतः यहां पर गुस्सा भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।
भाववाचक संज्ञा बनाने की विधि (भाववाचक संज्ञा की पहचान कैसे करें?)
भाववाचक संज्ञाएं बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संज्ञा और विशेषणों का प्रयोग किया जा सकता है। नीचे कुछ नियम दिए गए हैं जो भाववाचक संज्ञाएं बनाने में मदद करते हैं:
नामधारी विशेषणों का प्रयोग: विशेषणों के द्वारा व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, खुशीयों की संज्ञा – खुश, आनंदित, प्रसन्न, खिलखिलाता इत्यादि।
वाच्य विशेषणों का प्रयोग: कुछ विशेषण वाच्य की भावनाओं को प्रकट करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दुखीयों की संज्ञा – पीड़ित, दु:खी, दुखी, विकलांग इत्यादि।
अव्यय का प्रयोग: अव्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, आश्चर्यचकित की संज्ञा – अचंभित, आश्चर्यचकित, अचरजित इत्यादि।
प्रत्यय का प्रयोग: कुछ प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, भयानकता की संज्ञा – भयानक, भयावह, दरावना इत्यादि।
विशेष प्रत्यय का प्रयोग: कुछ विशेष प्रत्यय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, दु:खद की संज्ञा – दु:खदा, दु:खदायी, दु:खदायक इत्यादि।
अर्थात जातिवाचक संज्ञा, क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय में ता, आस, पा, अ, पन, ई, आव, वट, य, हट, त्व आदि लगाकर भाववाचक संज्ञा में बदला जाता है।
भाववाचक संज्ञा के अन्य उदाहरण:
- हमारी मित्रता हमेशा याद रहेगी।
- अपनी ताकत को कम मत समझो।
- उसे अच्छी शिक्षा का लाभ मिला।
- उसका इतना बड़ा अहंकार था।
- मुझे तुम पर बहुत विश्वास है।
- उसे ऊंचाई से डर लगता है।
- मुझे उनसे ज्यादा सहानुभूति नहीं है।
- क्या आप दर्द से पीड़ित हैं?
- उसे अपने पिता के प्रति बहुत गुस्सा आता है
- आपको अपने काम पर अधिक गर्व करना चाहिए।
- अहंकार सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन है।
- उन्होंने अफवाह पर विश्वास नहीं किया।
- मुझे कल रात बिल्कुल भी नींद नहीं आई।
समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Samuh Vachak Sangya ki Paribhasha)
“समूहवाचक संज्ञा” वह शब्द है जिससे किसी वस्तु या व्यक्ति के समूह होने का बोध होता है। इसका अर्थ है कि जब हम एक समूह के सदस्यों को एक ही शब्द से संबोधित करते हैं, जिससे उनके समूह की पहचान हो जाती है, तो उसे “समूहवाचक संज्ञा” कहते हैं।
जब हम किसी समूह को एक समूहवाचक संज्ञा से संबोधित करते हैं, तो वह संज्ञा उस समूह की पहचान करवाती है और हमें वह समूह की बारे में सारी जानकारी देती है। समूहवाचक संज्ञाएँ व्यक्ति, जीव, वस्तु, या अवस्था के एक विशिष्ट समूह को संक्षेप में सूचित करती हैं।
उदाहरण के लिए, “छात्र” एक व्यक्ति के लिए एक शब्द है, लेकिन जब हम कहते हैं “छात्र समूह” तो यह एक समूह की पहचान हो जाती है, जिसमें कई छात्र शामिल हो सकते हैं। इसी तरह “परिवार”, “गण”, “सेना”, “समुदाय” आदि भी समूहवाचक संज्ञाएँ हैं।
परिवार: “परिवार” एक समूहवाचक संज्ञा है जो व्यक्ति के नाते-बंधों से मिलता-जुलता है। एक परिवार में अधिकतर समय एकत्रित होते हैं और एक साथ रहते हैं।
समुदाय: जब हम “समुदाय” कहते हैं, तो इससे हमें किसी स्थान के लोगों का एक समूह समझ में आता है, जो अपनी संस्कृति, भाषा, और सांस्कृतिक परंपराओं में समानता रखते हैं।
सेना: “सेना” एक समूहवाचक संज्ञा है जिससे हमें युद्ध के लिए संगठित किया गया व्यक्तियों का समूह समझ में आता है।
समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे संवाद को सरल और संक्षेप्त बनाती हैं, और लोगों के बीच संवाद को सुगम बनाने में मदद करती हैं। इसलिए, समूहवाचक संज्ञाएँ भाषा का महत्वपूर्ण तत्व हैं जो संवाद में स्पष्टता प्रदान करते हैं।
समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण:
- भारतीय सेना बहुत ही साहसी सेना है।
यहां पर सेना शब्द से सैनिकों के समूह का बोध होता है, इसलिए यहां पर सेना में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मेरे परिवार में पांच सदस्य है।
यहां पर परिवार में हमें सदस्यों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए परिवार शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- जंगल में हिरणों का झुण्ड रहता है।
यहां पर झुण्ड शब्द से हमें यह बोध होता है कि हिरण अधिक संख्या में है, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
- मैंने आज एक अंगूरों का गुच्छा खाया।
यहां पर गुच्छा अधिक अंगूरों के होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर गुच्छा शब्द में समूहवाचक संज्ञा है।
- आज मेरी कक्षा नहीं लगेगी।
यहां पर कक्षा शब्द से विद्यार्थियों के समूह होने का बोध होता है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- वहां पर हाथियों का झुण्ड आया था।
यहां पर झुण्ड में अधिक हाथी थे, इसलिए यहां पर झुण्ड शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- आज मैंने 2 दर्जन आम खरीदे।
यहां आपर दर्जन शब्द से हमने पता चलता है कि आम की संख्या अधिक है, इसलिए यहां पर दर्जन शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- आज हमारी सभा में हुई।
यहां पर सभा शब्द से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोगों की उपस्तिथि थी, इसलिए सभा शब्द में समुदायवाचक संज्ञा है।
- मेरी कक्षा में मैं सबसे पहले स्थान पर हूँ।
यहां पर कक्षा शब्द से बोध होता है कि विद्यार्थियों का समूह है, इसलिए यहां पर कक्षा शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- मैंने बधाई के रूप में उसको फूलों का गुलदस्ता दिया है।
यहां पर गुलदस्ता शब्द यह होता है कि फूल का समूह है, इसलिए यहां पर गुलदस्ता शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- सुरेश ने एक करतब दिखाया तो वहां पर भीड़ जमा हो गई।
यहां पर भीड़ से यह बोध होता है कि अधिक संख्या में लोग है अर्थात् लोगों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर भीड़ शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- भारतीय टीम ने वर्ड कप जीता है।
यहां पर टीम शब्द से खिलाडियों के समूह का बोध होता है, इसलिए टीम शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- कल रात में पुलिस ने रंगे हाथों चोरों के गिरोह को गिरफ्तार किया।
यहां पर गिरोह शब्द से चोरों के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर गिरोह शब्द में समूहवाचक संज्ञा हैं।
- केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है।
केले के वृक्ष पर एक बहुत बड़ा केले का घार लटका हुआ है, इस वाक्य में घार शब्द से केले के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में घार समूहवाचक संज्ञा है।
- वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है।
वहां पर चाबी का गुच्छा रखा हुआ है, इस वाक्य में गुच्छा शब्द से चारों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात इस वाक्य में गुच्छा समूहवाचक संज्ञा है।
- बगीचे में बहुत ही छांव है।
बगीचे में बहुत ही छांव है, इस वाक्य में बगीचे शब्द से वृक्षों के समूह होने का बोध हो रहा है अतः इस वाक्य में बगीचा समूहवाचक संज्ञा है।
- कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है।
कुंभ के मेले में बहुत भीड़ होती है, इस वाक्य में मेला शब्द से लोगों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात मेला इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।
- आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है।
आम के पेड़ पर एक बहुत बड़ा मधुमक्खी का छत्ता है, इस वाक्य में छत्ता शब्द से मधुमक्खियों के समूह का बोध हो रहा है अर्थात छत्ता इस वाक्य में समूहवाचक संज्ञा है।
द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Dravya Vachak Sangya ki Paribhsha)
द्रव्यवाचक संज्ञा वह शब्द है जिससे किसी विशेष द्रव्य के बोध का अर्थ होता है। द्रव्य किसी भी वस्तु, पदार्थ, धातु, अधातु, या तत्त्व को संदर्भित कर सकता है। यह संज्ञा विशेष वस्तुओं को अन्य वस्तुओं से अलग करने में मदद करता है और उनके पहचानने में सहायक होता है।
दूसरे शब्दों में, वह शब्द जो किसी तरल, ठोस, धातु, अधातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध कराते हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है। द्रव्यवाचक संज्ञा का पदार्थ एक साथ ढेर के रूप में तोली या मापा जाता है।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण:
पानी: यह एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो पानी को संदर्भित करता है।
चाय: यह भी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो चाय को संदर्भित करता है।
वायु: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो वायु को संदर्भित करता है।
सोना: यह द्रव्यवाचक संज्ञा है, जो सोने को संदर्भित करता है।
इसलिए, द्रव्यवाचक संज्ञा विशेष वस्तुओं के बोध के लिए उपयोगी होती है।
इसी तरह, कागज, पेंसिल, दूध, धूप, पतंग, खाली बोतल, आदि के लिए भी उनके नामों का उपयोग करके हम द्रव्यों की पहचान करते हैं।
द्रव्यवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण
- कोहिनूर हीरा सबसे महंगा है।
यहां पर हमें हीरा शब्द से बोध हो रहा है कि यह द्रव्य है, इसलिए यहां पर हीरा द्रव्यवाचक संज्ञा का एक उदाहरण है।
- सुनार के पास सोना है।
यहां पर सोना शब्द से द्रव्य का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सोना शब्द में द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मैं पानी पीने के लिए जा रहा हूँ।
यहां पर हमें पानी शब्द से द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए पानी द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- सोने का रंग सुनहरा होता है।
यहां पर सोना द्रव्य का बोध करा रहा है, इसलिए सोना एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- चाँदी के आभूषण बहुत सुंदर होते हैं।
यहां पर चाँदी से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर चाँदी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मुझे फल बहुत पसंद है।
यहां पर फल हमें द्रव्य होने का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर फल एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- मैं सब्जी लेकर आया हूँ।
यहां पर सब्जी शब्द से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर सब्जी एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- लोहा बहुत महंगा हो रहा है।
यहां पर लोहा से हमें द्रव्य होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर लोहा एक द्रव्यवाचक संज्ञा है।
- आज मैंने दूध पिया है।
यहां पर दूध से द्रव्य होने का हमें बोध हो रहा है, इसलिए यहां पर दूध में द्रव्यवाचक संज्ञा है।